सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई लोकल ट्रेन में विकलांग यात्रियों के लिए आरक्षित डिब्बों में नियम तोड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जनवरी २०२३ से फरवरी २०२५ के बीच ४१,००० से अधिक पुरुषों को अवैध रूप से इन डिब्बों में यात्रा करते हुए पकड़ा गया, जबकि महिलाओं के खिलाफ महज १,५४१ मामले दर्ज किए गए। यह जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से सामने आई है।
रोजाना यात्रा करने वाले कई विकलांग यात्रियों ने बताया कि भीड़-भाड़ के समय इन डिब्बों में आम यात्री घुस जाते हैं, जिससे न केवल बैठने की जगह नहीं मिलती, बल्कि कई बार चढ़ना-उतरना भी मुश्किल हो जाता है। खासकर घाटकोपर, ठाणे, डोंबिवली और कल्याण जैसे स्टेशनों पर यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। एक यात्री को ट्रेन से उतरते समय चोट भी आई, क्योंकि डिब्बा पहले से ही भीड़ से भरा हुआ था। इसके अलावा एक महिला यात्री द्वारा एक दृष्टिहीन महिला पर हमला करने की घटना भी सामने आई, जिसने लोगों को झकझोर दिया। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अनुसार, ठाणे स्टेशन पर सबसे ज्यादा ७,५६८ मामले दर्ज हुए, जबकि दादर में ३,४८६ मामलों में कार्रवाई की गई।
सुरक्षा और सुविधा पर सवाल
चिंता की बात यह भी है कि कई बार महिला यात्री भी इन डिब्बों में यात्रा करती हैं, लेकिन महिला सुरक्षा स्टाफ की कमी और कानूनी सीमाओं के कारण उन पर सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती। इस बढ़ती समस्या ने न केवल विकलांग यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि नियमों के पालन के लिए प्रशासन को और कठोर कदम उठाने की जरूरत है।