मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : टैक्स-बचत योजनाओं से परिवार के भविष्य की आर्थिक सुरक्षा

निवेश गुरु : टैक्स-बचत योजनाओं से परिवार के भविष्य की आर्थिक सुरक्षा

भरतकुमार सोलंकी

भारत में कर-चोरी को एक सामान्य बात की तरह देखा जाता है। टैक्स राशि छोटी हो अथवा बड़ी आखिर चोरी तो चोरी ही कहलाती है, लेकिन छोटी कर राशि चोरी करने वालों को यह कभी अहसास नहीं होता है कि हम कहीं न कहीं कर-चोरी तो कर ही रहे हैं। छोटे करदाता अपनी छोटी कर-राशि अक्सर मजबूरी समझकर करते हैं। छोटे करदाताओं की मजबूरी होती है कि आमदनी कम और खर्च अधिक हो जाता है। ऐसे में कर भरने की चाह रखते हुए भी वैâसे टैक्स भरें? इस तरह जाने-अनजाने में हम सब कर-चोरी करते ही हैं। हालांकि, प्रतिदिन हजारों-लाखों के आदान-प्रदान के साथ लाखों की वार्षिक टैक्स चोरी के बावजूद भी अपने भविष्य के लिए पूंजी नहीं जुटा पाते हैं उन्हें क्या कहा जाए?
दूसरा एक लीगल तरीका भी है, जिसमें सरकारी मान्यता प्राप्त बीमा, बचत और निवेश की विभिन्न योजनाओं में पैसे डालकर भी हम कर बचा सकते हैं। इन योजनाओं में पैसे डालकर कर-छूट का प्रावधान करने के पीछे सरकार का मूल मकसद करदाताओं के परिवार के लिए भविष्य में आने वाले खर्चों की स्वत: आत्मनिर्भर व्यवस्था करना होता है, लेकिन कई लोग यह समझते हैं कि इन पैसों से सरकार की जरूरतें पूरी होती हैं! सरकार को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए करदाताओं से मदद लेने की जरूरत नहीं होती है। सरकार अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए करोड़ों-अरबों के बॉन्ड जारी कर सकती है और उसमें पैसे निवेश करने वाले देशी-विदेशी निवेशक भी सरकार को मिल जाते हैं। लेकिन एक सामान्य परिवार के भविष्य की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए छोटे करदाताओं को कर-बचत योजनाओं के माध्यम से प्रेरणास्वरूप सरकार की ओर से टैक्स-छूट दी जाती है।
सरकार द्वारा प्रेरणास्वरूप दी जाने वाली टैक्स-छूट का फायदा भी कई लोग सिर्फ कर-छूट उठाने के बाद उस योजना की लक्ष्य परिपक्वता से पहले ही उस राशि को बीच में ही निकाल लेते हैं, जिससे वे सरकार का तो कोई नुकसान नहीं करते हैं, बल्कि अपने परिवार को गर्त में जरूर धकेल देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कर-छूट के बहकावे में आकर लोग गलत योजनाओं में पैसे डालना शुरू कर देते हैं। काफी समय बीत जाने के बाद उन्हें पता चलता है कि टैक्स-बचत के नाम पर शॉर्ट-टर्म इंस्ट्रूमेंट की लंबी योजना में पैसा डाल रहे हैं। इस तरह की गलतियों के चलते जो समय बीत चुका है उसे तो हम फिर से नहीं लौटा सकते हैं, लेकिन शेष बचे हुए समय-अनुसार लंबी अवधि की लक्ष्य-पूर्ति के लिए लॉन्ग-टर्म इंस्ट्रूमेंट की योजनाओं में पैसों को शिफ्ट करना उचित माना जाता है। हालांकि, टैक्स छूट का फायदा लेकर शीघ्र ही पैसे निकालकर उसे खर्च करना अपने ही परिवार और बुढ़ापे की सांझ के लिए धोखा साबित हो सकता हैं। कुछ लोग लॉन्ग-टर्म वैâपिटल गेन टैक्स बेनिफिट के लिए हर वर्ष पैसा निकालकर खर्च कर रहे हैं, जिससे वे भविष्य का कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं, यह वे खुद भी नहीं जानते हैं। योजनाओं में फेरबदल अथवा वर्तमान खर्च-पूर्ति के लिए अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह-मशविरा जरूर करें, अन्यथा भविष्य में इसकी भारी कीमत आपको और आपके परिवार को चुकाने के लिए तैयार रहना होगा।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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