मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : कनाडा-अमेरिका की धरती से भारतीय निवेशकों के लिए अनमोल सबक

निवेश गुरु : कनाडा-अमेरिका की धरती से भारतीय निवेशकों के लिए अनमोल सबक

भरतकुमार सोलंकी
मुंबई

इन दिनों मैं लगभग चालीस दिन के प्रवास पर कनाडा में हूं। आगे अमेरिका का दौरा भी प्रस्तावित है। यह यात्रा केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि मानसिक और आर्थिक सोच का भी विस्तार है। जब आप पश्चिमी देशों की जीवनशैली, उनकी आर्थिक व्यवस्था और नागरिकों की फाइनेंशियल प्लानिंग को करीब से देखते हैं, तो एक सवाल बार-बार मन में उठता है, क्या हम भारत में भी इन सीखों को अपनाकर अपनी आर्थिक आजादी की नींव मजबूत नहीं कर सकते?
यहां कनाडा में हर नागरिक की जिंदगी में निवेश एक संस्कार है। बच्चा पैदा होते ही उसका एजुकेशन फंड शुरू कर दिया जाता है। रिटायरमेंट की योजना ३० की उम्र से शुरू हो जाती है। यहां तक कि एक मध्यमवर्गीय परिवार भी म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और टैक्स-सेविंग स्कीम्स का भरपूर उपयोग करता है। ये सब जरूरी नहीं समझे जाते, बल्कि ये जीवनशैली का हिस्सा है। भारत में हम क्या करते हैं? हम बच्चों की शादी के लिए सोना जमा करते हैं, एफडी में पैसा डालते हैं, जमीन खरीदते हैं, लेकिन बहुत कम लोग रिटायरमेंट प्लान या एसआईपी के बारे में सोचते हैं। हम आज भी बचत-खर्च को निवेश समझते हैं और खर्च को प्रतिष्ठा। कनाडा और अमेरिका में लोग निवेश को ‘फाइनेंशियल एम्पावरमेंट’ मानते हैं। वे जानते हैं कि हर डॉलर को सही दिशा में लगाने से आनेवाला कल सुरक्षित होता है। भारत में यह सोच अभी पनप रही है, लेकिन उसे गति देना जरूरी है। यहां लोग आरआरएसपी, टीएफएसए जैसे योजनाओं में निवेश करते हैं, जिससे न सिर्फ टैक्स बचता है, बल्कि लॉन्ग टर्म में संपत्ति भी बनती है। अब सोचिए, भारत में एफडी पर ६ प्रतिशत ब्याज मिलता है, जबकि महंगाई ७ प्रतिशत है। इसका अर्थ हुआ कि आपकी पूंजी हर साल एक प्रतिशत घट रही है। वहीं यदि आप उच्च गुणवत्ता वाले म्यूचुअल फंड्स या डायवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं, तो १२-१४ प्रतिशत रिटर्न कोई असंभव बात नहीं। कनाडा की सड़कों पर अनुशासन है, लेकिन असली अनुशासन उनके निवेश में है। यहां का हर नागरिक अपने फ्यूचर के लिए आज काम करता है। यही वह सोच है, जिसे हमें भारत में जन-जन तक पहुंचाना होगा। मेरी यात्रा अभी शेष है। अमेरिका से और भी अनुभव लेकर लौटूंगा, लेकिन अभी जो महसूस कर रहा हूं वो यह है कि देश अमृतकाल में तभी प्रवेश करता है, जब नागरिक निवेश को विकल्प नहीं, जिम्मेदारी समझते हैं। आइए, इस सोच को अपनाएं। इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स को प्राथमिकता दे, इंश्योरेंस को सुरक्षा का आधार बनाएं और टैक्स प्लानिंग को अंतिम दिन का काम नहीं, जीवन की योजना बनाएं। विदेश की धरती से एक भारतीय निवेशक की यही पुकार है, भारत की समृद्धि घर-घर में निवेश से ही आएगी।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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