मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : सोच ही है आपकी दौलत!

निवेश गुरु : सोच ही है आपकी दौलत!

भरतकुमार सोलंकी
मुंबई

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग साधारण शुरुआत से भी शिखर तक कैसे पहुंच जाते हैं, जबकि कुछ लोग भरपूर संसाधनों के बावजूद वहीं के वहीं रह जाते हैं? आखिर सफलता और समृद्धि का रहस्य क्या है? जवाब एक ही है- सोच।
हर व्यक्ति के जीवन में सोच एक ऐसा बीज है, जो उसके व्यक्तित्व निर्माण के साथ-साथ आर्थिक विकास का वटवृक्ष भी बना सकता है। आप जितना सोचते हैं, उतना ही पाते हैं। सोच ही है, जो किसी को करोड़पति बना सकती है और किसी को सीमित दायरे में बांध सकती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हर सोच हमें मंजिल तक पहुंचा सकती है? नहीं, क्योंकि सोच के साथ लक्ष्य, संकल्प और धारणाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
सोच से लक्ष्य तक का सफर: भगवान महावीर ने अपने सिद्धांतों में अपरिग्रह के साथ अभिग्रह यानी धारणा के महत्व को समझाया है। यह एक ऐसी सोच है, जो हमें यह तय करने में मदद करती है कि हम अपने जीवन में क्या चाहते हैं और किस दिशा में जाना चाहते हैं। सोच और लक्ष्य एक-दूसरे के पूरक हैं। सोच दिशा देती है, जबकि लक्ष्य गति। कोई व्यक्ति यदि सौ करोड़ की संपत्ति बनाना चाहता है तो सबसे पहले यह तय करना होगा कि उसकी सोच उस स्तर की है या नहीं। सिर्फ इच्छा करने से कुछ नहीं होता, सोच में स्पष्टता होनी चाहिए और लक्ष्य को पाने की धारणा यानी अभिग्रह भी मजबूत होना चाहिए।
अभिग्रह; सफलता का मूल मंत्र: अभिग्रह का अर्थ केवल किसी विचार को पकड़कर रखना नहीं है, बल्कि उस पर पूरी निष्ठा के साथ कार्य करना है। जब व्यक्ति एक लक्ष्य निर्धारित करता है और उसके लिए पूरी ऊर्जा झोंक देता है तो यह अभिग्रह ही होता है, जो उसे असंभव को संभव बनाने की ताकत देता है।
आर्थिक सफलता; धारणा और निवेश की भूमिका: अगर हम निवेश की दुनिया में देखें तो केवल पैसे कमाना ही नहीं, बल्कि सोच, लक्ष्य और अभिग्रह को सही दिशा देना भी आवश्यक है। एक अच्छा निवेशक वही है, जो अपने आर्थिक लक्ष्य को स्पष्ट रूप से देख सकता है, उसमें विश्वास रखता है और बिना विचलित हुए उस दिशा में कार्य करता है। सोचिए, अगर किसी ने २० साल पहले अमूल, टाटा, रिलायंस, इंफोसिस जैसी कंपनियों में निवेश किया होता तो क्या आज वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं होता? लेकिन जिनकी सोच केवल अल्पकालिक लाभ तक सीमित रही, वे लंबे समय में वैसी सफलता नहीं पा सके।
आप क्या सोचते हैं, यह तय करता है कि आप क्या बनेंगे: हर बड़ा उद्योगपति, निवेशक और सफल व्यक्ति इस एक बात पर सहमत होगा। सोच ही सब कुछ है। सोचने का स्तर जितना ऊंचा होगा, सफलता उतनी ही बड़ी होगी। सवाल यह है कि आपकी सोच क्या है? क्या आप सीमित सोच के साथ सिर्फ छोटी बचत और खर्च में उलझे रहना चाहते हैं या फिर बड़े लक्ष्य तय करके स्पष्ट धारणा के साथ निवेश की रणनीति बनाकर आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करना चाहते हैं? आज ही सोचिए, क्योंकि आज की सोच ही कल का भविष्य तय करेगी!
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

 

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