जब दे मेट!

भाग-११

मनमोहन सिंह

राशाद, पुलिस ऑफिसर एजेल के पीछे-पीछे चल रहा था। एजेल ने उसे अपनी जीप में बैठने के लिए कहा। राशाद उससे कुछ पूछ रहा था, लेकिन उसे ऐसा लग रहा था जैसे एजेल उसकी बातों को सुन नहीं रहा है या फिर उसे सुनाई नहीं दे रहा है। अब राशाद ने एजेल का हाथ पकड़कर, उसे लगभग रोकते हुए पूछा कि हम जा कहां रहे हैं, मुझे बताओगे आप?
राशाद मेरे साथ चलो। तुम किसकी तलाश में हो? मैं जानता हूं।
एक्रिन को कैसे जानते हो? एन्ना को कैसे जानते हो? एन्ना के बारे में आप क्या जानते हो? और कैसे?
`तुममें थोड़ा भी पेशेंस नहीं है। इतने सारे सवाल एक साथ पूछोगे तो क्या जवाब दे पाएंगे सर? जहां तक एन्ना की बात है, उसे सर इसलिए जानते हैं कि वह एक्रिन की खास फ्रेंड थी। हम उन्हें दो-चार दफा मिल चुके हैं। जो तुमने पूछा कि एक्रिन को सर कैसे जानते हैं, तो उसका जवाब यह है कि एक्रिन और सर के वैसे ही रिलेशन थे, जैसे तुम्हारे और एन्ना के बीच थे।’ राशाद के सारे सवालों का जवाब एजेल के ड्राइवर ने दिया। तुम सिर्फ ड्राइव करो। एजेल ने रूखे शब्दों में उसे डांटा।
गाड़ी में शांति छाई हुई थी। राशाद का दिल जोरों से धड़क रहा था। वह जानना चाहता था कि आखिर वे सब जा कहां रहे थे। उसके मन में बुरे-बुरे खयालात आ रहे थे। दरअसल, वह ड्राइवर के कहे हुए शब्दों पर गौर कर रहा था। जैसे `एक्रिन और सर के वैसे ही रिलेशन थे, जैसे तुम्हारे और एन्ना के बीच थे।’
`…क्योंकि वह एक्रिन की खास फ्रेंड थी।’
वह सोचने लगा आखिर उसका ड्राइवर बात ऐसे क्यों कर रहा है, जिससे प्रतीत हो कि एन्ना और एक्रिन भूतकाल की बात हैं। कहीं कुछ बुरा तो नहीं हुआ है उनके साथ!
गाड़ी रुकी। एजेल ने उसे अपने साथ आने का इशारा किया। वह एक बड़े अस्पताल के गेट से गुजरते हुए कई वॉर्डों को पार करते हुए एक बिल्डिंग के पास रुका। उसने महसूस किया कि वहां एक वीरानी सी छाई हुई थी। हालांकि, लोग काफी थे। कुछ एंबुलेंस खड़ी थीं। कॉफिंस में डेड बॉडीज थी। उसका दिल एक बार फिर जोरों से धड़कने लगा। वह धीरे-धीरे मरे हुए कदमों से एजेल के पीछे-पीछे चल रहा था। यह एक मोर्चरी का हिस्सा था।
एजेल किसी से फोन पर बात कर रहा था। एक पुलिस ऑफिसर और दो अस्पताल के कर्मचारी सामने से आते दिखे। अफसर ने एजेल से कहा, `आप इनके साथ जाइए।’
आगे आगे अस्पताल का कर्मचारी उसके पीछे एजेल और एजेल के पीछे राशाद।
तीनों एक कमरे में घुसे। यहां पर बेहद ठंड थी। दीवार पर लगे हुए शीत कपाटों में डेथ बॉडी थी। अस्पताल के कर्मचारियों ने एक ड्रावर खींचकर बाहर निकाला। राशाद की नजर उस डेड बॉडी के चेहरे पर पड़ी। उसकी आंखें पथरा गईं। उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। सेकेंड के बाद उसके मुंह से निकली चीख से मोर्चरी का कमरा गूंज गया।…. `एन्ना……’
उसकी चीख सुनकर नर्स दौड़कर आई। `क्या हुआ आपको? आर यू ओके?’ उसने पूछा। राशाद पसीना-पसीना हो गया था। उसने चारों तरफ ध्यान से देखा। वह तो अपने अस्पताल में अपने बेड पर है। क्या हुआ सपना देख रहा था? उसकी जान में जान आई। एन्ना को कुछ नहीं हुआ। उसने खुद को दिलासा दिया।
…क्रमश:

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