मुख्यपृष्ठधर्म विशेषजीवन दर्पण: नारी का सम्मान करने से करियर होगा बेहतर!

जीवन दर्पण: नारी का सम्मान करने से करियर होगा बेहतर!

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
 डॉ. बालकृष्ण मिश्र
विद्यावारिधि (पी.एच.डी-काशी)

गुरुजी, मेरी मैरिज लाइफ कैसी रहेगी? – हेमंत शर्मा

(जन्म- ४ जून १९९२, समय- रात्रि ७ बजे, स्थान- भरतपुर, राजस्थान)
हेमंत जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन वृश्चिक लग्न में हुआ है और आपकी राशि कर्क बन रही है। कर्क राशि पर शनि की ढैया भी चल रही है। यदि हम आपके वैवाहिक जीवन के बारे में देखें तो सप्तम भाव पर शुक्र अस्त हो करके बुध के साथ बैठा हुआ है। वह शुक्र सप्तमेश और द्वादश भी है और बुध के साथ सूर्य भी बैठा हुआ है इसलिए वैवाहिक जीवन में तमाम प्रकार की बाधाएं उत्पन्न करेगा। यहां तक कि शुक्र दोष के कारण एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी संभव हो सकता है। अपने आपको संभालकर रखें और नारी का सम्मान करें। नारी का सम्मान करने पर आपका करियर अच्छा होगा और वैवाहिक जीवन भी सुखमय होगा।
गुरुजी, मेरी शादी हुए कई वर्ष हो गए। अभी तक कोई संतान नहीं हुई है, उपाय बताएं?
– धवल अप्पा साहेब पाटील
(जन्म- ६ अप्रैल १९८५, समय- दिन १४.४५, स्थान- इचलकरंजी, महाराष्ट्र)
धवल जी, आपका जन्म शनिवार के दिन चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि तुला बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम देखें तो कर्क लग्न में आपका जन्म हुआ है। पंचम भाव से संतान का विचार किया जाता है। पंचम भाव का स्वामी मंगल आपकी कुंडली में दशम भाव पर राहु के साथ बैठा हुआ है और पंचम भाव पर ही शनि सप्तम भाव का स्वामी हो करके बैठा हुआ है। आपकी कुंडली में निश्चित संतान योग है, लेकिन पाप ग्रहों के दोष के कारण आपकी कुंडली में शंखपाल नामक कालसर्प योग भी बन रहा है। इस योग के कारण संतान होने में बाधा आ रही है, क्योंकि मंगल ग्रह रक्त से संबंध रखता है और मंगल ग्रह के साथ ही राहु बैठा हुआ है। शंखपाल नामक कालसर्प योग की वैदिक विधि से पूजा करने से निश्चित ही आपको संतान प्राप्ति होगी, इसमें कोई संदेह नहीं।
गुरुजी, मुझे संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही है, उपाय बताएं? – पद्मश्री हड़प्पा मगदूम
(जन्म- ११ अप्रैल १९८८, समय- रात्रि ६.२४, स्थान- जयसिंहपुर)
पद्मश्री जी, आपका जन्म सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि मकर बन रही है। आपकी राशि मकर पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण भी चल रहा है। यदि संतान के बारे में विचार करें तो कन्या लग्न में आपका जन्म हुआ है और संतान का विचार पंचम भाव से किया जाता है। संतान भाव का स्वामी शनि आपकी कुंडली में केंद्र में बैठा है इसलिए संतान निश्चित ही होगी इसमें संदेह नहीं है, लेकिन विलंब से संतान का योग बना हुआ है क्योंकि आपकी कुुंडली में चंद्रमा के साथ पंचम भाव पर मंगल बैठा है। आपकी कुंडली में महापद्म नामक कालसर्प योग बना हुआ है। इस कालसर्प योग के कारण जीवन में कभी मिसवैâरेज भी हुए होंगे। वैदिक विधि से आपको कालसर्प योग की पूजा भी करवानी चाहिए। निश्चित ही आपको संतान प्राप्ति होगी।
गुरुजी, प्रमोशन न होने से मुझे ग्रोथ नहीं मिल पा रहा है, उपाय बताएं?
– स्वतंत्र शर्मा
(जन्म- १५ अगस्त १९९२, समय- दिन में ९.४५, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
स्वतंत्र जी, आपका जन्म शनिवार के दिन शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि कुंभ बन रही है। कुंभ राशि पर दूसरे चरण की शनि की साढ़ेसाती चल रही है। यदि हम आपके ग्रोथ की बात करें कि आपका विकास क्यों नहीं हो पा रहा है तो कन्या लग्न में आपका जन्म हुआ है। कन्या लग्न का स्वामी बुध आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ बैठ करके लाभ भाव पर बुधादित्य योग बनाया हुआ है। इस योग के कारण आप बुद्धिमान तो बहुत होंगे, लेकिन अपनी बुद्धि का आपको पूरी तरह से बेनिफिट नहीं मिल पा रहा है क्योंकि आपकी कुंडली में शंखपाल नामक कालसर्प योग बना हुआ है। इस योग के कारण कभी-कभी आपको कर्ज भी लेना पड़ जाता है इसलिए आपको वैदिक विधि से इसकी पूजा करवानी चाहिए। जीवन की संपूर्ण जानकारी के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरी मैरिज लाइफ ठीक नहीं चल रही है, क्या उपाय करूं? – सुषमा मौर्य
(जन्म- १५ फरवरी १९८८, समय- दिन में ११ बजे, स्थान- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)
सुषमा जी, आपका जन्म सोमवार के दिन मेष लग्न में हुआ है और आपकी राशि धनु बन रही है। आपकी कुंडली में अगर आपके वैवाहिक जीवन को हम देखें कि उसमें दिक्कतें क्यों आ रही हैं तो जीवन में पार्टनर का विचार सप्तम भाव से किया जाता है। आपकी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी शुक्र जो उच्च राशि का हो करके राहु के साथ १२वें भाव पर बैठा है। १२वें भाव से सुख का विचार किया जाता है। यदि नवमांश कुंडली में हम देखें तो सप्तम भाव का स्वामी शुक्र है जो १२वें भाव पर सूर्य के साथ बैठा हुआ है। आपकी कुंडली में कालसर्प योग भी बना हुआ है और उस कालसर्प योग के कारण भी वैवाहिक जीवन में दिक्कतें पैदा हो रही हैं। महापद्म कालसर्प योग पति से वैचारिक मतभेद भी रखता है।

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