अकेली लड़ी तो सीटें होंगी कम
मजबूरी देख शिंदे गुट ने बढ़ाई डिमांड; मांगी ज्यादा सीटें
रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य की स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों का बिगुल बजने में कुछ महीने ही बचे हैं। दिवाली से पहले ही राजनीतिक हलचल शुरू हो जाएगी। इसे देखते हुए मुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले भाजपा ने एक इंटरनल सर्वे कराया है। इस सर्वे के परिणाम ने भाजपा को बदहवास कर दिया है।
सूत्रों की मानें तो आगामी महानगरपालिका चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा की मुंबई इकाई द्वारा यह आंतरिक सर्वेक्षण कराया गया है। इस सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई है। यदि भाजपा अकेले लड़ती है तो उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ेगी। कमल को तगड़ा करंट लगेगा। उसकी सीटें कम हो जाएंगी। ऐसे में भाजपा की चिंता बढ़ गई है। इसे जानकर शिंदे गुट ने अपनी डिमांड बढ़ाते हुए ज्यादा सीटें मांगी है।
सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा चुनाव में यदि भाजपा अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे शिंदे गुट से ही कड़ी टक्कर मिलेगी और यदि शिंदे गुट के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो पार्टी सिकुड़ कर रह जाएगी। ऐसे में भाजपा के सामने आगे कुआं पीछे खाई जैसे हालात हैं। इस कारण भाजपा शॉक की स्थिति में है।
दरअसल, शिंदे गुट मुंबई मनपा चुनाव में ८० से ज्यादा सीटें मांग रहा है, जिसे भाजपा देगी तो उसकी अहमियत कम हो जाएगी। यदि उसका स्ट्राइक रेट कम रहा तो उसके नगरसेवकों की संख्या भी कम हो जाएगी और यदि भाजपा ने शिंदे गुट की मांग को ठुकरा दिया तो उसे शिंदे गुट से टकराव में भारी नुकसान होगा। ऐसे में शिंदे गुट की स्थिति को देखते हुए भाजपा को कम सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है। ठाणे मनपा में तो निश्चित ही शिंदे गुट के नीचे रहकर चुनाव लड़ना भाजपा की मजबूरी होगी। शिंदे गुट के आगे झुकाव का संकेत देते हुए मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि वे महायुति (भाजपा, शिंदे गुट) के रूप में ही चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव करवाने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद अब चुनाव आयोग ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं।