सामना संवाददाता / मुंबई
संतोष देशमुख हत्याकांड और वसूली प्रकरण में मकोका आरोपी वाल्मीक कराड जिस बीड जेल में बंद है, उसमें दोगुने से भी अधिक क्षमता में कैदी ठूंसे गए हैं। कैदियों की भीड़ का ही फायदा उठाते हुए कराड पर पहले भी उसके प्रतिद्वंद्वी गुट ने जानलेवा हमला किया था। इसके बावजूद इस जेल में कैदियों की संख्या कम नहीं कि गई। जिसके चलते अब कराड के जान को खतरा बताया जा रहा है। ऐसे में कराड को सुरक्षित स्थान पर रखने की मांग भी हो रही है।
पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे की पत्नी करुणा शर्मा ने पहले ही बता दिया है कि मुंडे के लोग ही अब कराड को जान से मारना चाहते हैं, ताकि इस कांड के सारे सबूत मिट जाएं। ऐसे में पुलिस और जेल प्रशासन को चुस्त होने की जरूरत है। जेल की जो स्थिति है उसके अनुसार कराड के जान को खतरा बना हुआ है।
सिपाही निलंबित
कराड गैंग के साथ ही आर्थिक घोटालों के आरोपी सुरेश कुटे, बबन शिंदे और सतीश उर्फ ‘खोक्या’ भोसले के चलते बीड जिला कारागृह पिछले कुछ महीनों से चर्चा में है। इसी दौरान, एक अधिकारी और एक महिला सिपाही को निलंबित किए जाने के कारण यह जेल एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है।
१६१ कैदियों की क्षमता
बीड के जिला जेल में केवल १६१ कैदियों की क्षमता है, वहां वर्तमान में करीब ३२० कैदी रखे गए हैं। इनमें से सात कैदी सजा भुगत रहे हैं, जबकि बाकी सभी न्यायिक हिरासत में हैं। बीड जिला कारागृह में कुल आठ बैरकें हैं और एक बैरक में लगभग ४० कैदियों को एक साथ रखा जा रहा है। यह स्थिति स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा की दृष्टिकोण से गंभीर है।