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भ्रष्ट अधिकारियों पर मेहरबान, ईमानदार अधिकारी पर कार्रवाई की मार वाह रे! शिंदे सरकार… विजय वडेट्टीवार ने बोला जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य की शिंदे सरकार के टेंडर बाज स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ निलंबित स्वास्थ्य अधिकारी ने मोर्चा खोल दिया है। निलंबित अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए लेटर बम फोड़ा है, जिसकी सीधे शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। इन आरोपों को लेकर विपक्ष ने अब सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने सोशल मीडिया एक्स पर किए गए पोस्ट के जरिए जोरदार हमला बोतले हुए कहा है कि वाह रे! शिंदे सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर मेहरबान हो रही है और ईमानदार अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई की जा रही है। यह टेंडर बाज स्वास्थ्य मंत्री का प्रताप है।
निलंबित स्वाथ्य अधिकारी भगवान पवार ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत पर कई आरोपों वाला लेटर बम फोड़ दिया है। लेटर में भगवान पवार ने कहा कि सावंत ने मुझे कात्रज कार्यालय में बुलाया था और मुझे नियम के खिलाफ जाकर टेंडर का काम करने के लिए कहा था। इसके साथ ही अन्य खरीदी मामले में भी दबाव बनाया था। भगवान पवार ने इसे लेकर सीधे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र भेजकर शिकायत की है। पवार के लेटर बम के बाद विपक्ष के नेताओं ने तानाजी सावंत के साथ ही शिंदे सरकार की आलोचना शुरू कर दी है।
भ्रष्ट अधिकारियों को मिली है पूरी छूट
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने भगवान पवार द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है। इस पत्र के साथ वडेट्टीवार ने लिखा है कि भ्रष्ट अधिकारियों को दुलार और ईमानदार अधिकारियों पर कार्रवाई? शिंदे सरकार के टेंडर बाज मंत्री का कारनामा!
सवालों का जवाब नहीं दे रही सरकार
कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लोगों के जीवन से जुड़ा है। हमने सरकार से एंबुलेंस घोटाले से लेकर कई मुद्दों पर जवाब मांगा है। लेकिन सरकार जवाब नहीं दे रही है। हालांकि, ईमानदार अधिकारी ही इस भ्रष्ट सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने ला रहे हैं।
पाप की पराकाष्ठा पर पहुंचे मंत्री
भगवान पवार के पत्र को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों को अपने मंत्रिमंडल भ्रष्ट मंत्रियों के टेंडर के लिए ईमानदार अधिकारियों की बलि नहीं देनी चाहिए। ३० साल तक ईमानदारी से सेवा देनेवाले सरकारी अधिकारी को पत्र लिखने की नौबत आ गई, यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राज्य में भ्रष्ट सरकार और मंत्री पाप की पराकाष्ठा पर पहुंच गए हैं।

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