मुख्यपृष्ठस्तंभकिस्सों का सबक : परोपकार की भावना

किस्सों का सबक : परोपकार की भावना

डॉ. दीनदयाल मुरारका

समरकंद के शासक उमर शेख नेक दिल और न्याय प्रिय इंसान थे। एक बार चीनी यात्रियों का एक दल उनके राज्य की सीमा में बर्फीले तूफान में फंस गया। किसी की भी जान न बच सकी। उन यात्रियों का सामान व बहुत सारा धन वहीं दबा रह गया। उमर शेख को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने सैनिकों को सामान एवं धन की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया।
इसके बाद उन्होंने चीन के सम्राट के पास सूचना भिजवाई कि उनके कुछ नागरिकों की यहां पर मृत्यु हो गई है और उनका काफी सारा धन एवं सामान वहां पर मिला है।
उन्होंने चीनी शासक से अनुरोध किया कि वह अपने कर्मचारियों को समरकंद भेजें, ताकि मृत व्यक्तियों की चीजें उनके परिजनों तक वापस पहुंचाई जा सकें। चीनी सम्राट यह जानकर बेहद दुखी हुआ, लेकिन उसे यह जानकर प्रसन्नता भी हुई कि समरकंद के शासक में नेकी और परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। उन्होंने संदेश मिलते ही अपने सैनिकों को वह सामान और धन वापस लाने के लिए भेजा और बाद में वह स्वयं भी उमर शेख से मिलने पहुंचे।
उमर शेख से मिलने के बाद भावुक होकर वो उनके गले लग गए और बोले धन्य हैं आप जैसे लोग जिनके दिल में नेकी और परोपकार जीवित है। यह सुनकर उमर शेख बोले, हमने तो सिर्फ हमारा फर्ज निभाया है। ऐसी इंसानियत की भावना सभी लोगों में बढ़नी चाहिए।

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