मुख्यपृष्ठधर्म विशेषजीवन दर्पण : हनुमान चालीसा का पाठ कर शनि को अनुकूल बनाएं

जीवन दर्पण : हनुमान चालीसा का पाठ कर शनि को अनुकूल बनाएं

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
– डॉ. बालकृष्ण मिश्र
विद्यावारिधि (पी.एच.डी-काशी)

गुरुजी, मेरा स्वास्थ्य खराब चल रहा है। कोई उपाय बताएं?
– मुकेश शुक्ला
(जन्म- १६ फरवरी २०००, समय- रात्रि ११.१० बजे, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
मुकेश जी, आपका जन्म वृष लग्न एवं मिथुन राशि में हुआ है। लग्नेश एवं अष्टमेश शुक्र केतु ग्रह के साथ में सुख भाव में बैठा हुआ है। इस योग ने आपको भाग्यशाली भी बना दिया है। लेकिन लग्नेश एवं अष्टमेश शुक्र होने के कारण आपका स्वास्थ्य प्रतिकूल नजर आ रहा है। शनि ग्रह आपकी कुंडली में पंचमेश एवं सुखेश नीच राशि का होकर सप्तम स्थान में बैठकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है इसलिए प्रतिकूल स्वास्थ्य रहेगा। वर्तमान समय में शनि की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है। बुध एवं सूर्य पंचम भाव में स्थित होने के कारण आपकी शिक्षा अच्छी होगी एवं आप बुद्धिमान भी होंगे। स्वास्थ्य को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक विधि से ग्रह शांति करना आवश्यक है। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, बहुत ज्यादा कर्ज हो गया है, इसका निवारण बताएं?
– राहुल यादव
(जन्म- २७ जुलाई १९७१, समय- ७.४५, स्थान- वापी, गुजरात)
राहुल जी, आपका जन्म कर्क लग्न एवं कन्या राशि में हुआ है। लग्न में ही धनेश, सुखेश सूर्य एवं शुक्र बैठकर आपको भाग्यशाली भी बनाया है लेकिन लग्न में ही केतु बैठकर आपको समय-समय पर कन्फ्यूजन में भी डाल देता है। आपकी कुंडली में सप्तम स्थान पर मंगल के साथ राहु ने बैठकर अंगारक योग बना दिया है। मंगल की दृष्टि धन भाव पर द्वादशेश में पड़ रही है इसलिए खर्च होना स्वाभाविक है और भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है। शनि को अनुकूल बनाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ एवं हनुमान जी का दर्शन करें। आपकी कुंडली में अनंत नामक कालसर्प दोष भी बना हुआ है। जीवन की अन्य गहराई जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरु जी, मेरी राशि क्या है और कुंडली में दोष क्या है, उपाय बताएं?
– धनींद्र कुमार झा
(जन्म- २० अक्टूबर १९८९, समय- रात्रि ११.१५ स्थान- सासाराम, बिहार)
धनींद्र जी, आपका जन्म कर्क लग्न एवं मिथुन राशि में हुआ है। लग्नेश चंद्रमा बारहवें भाव में बैठकर आपके आत्मबल को निश्चित ही कमजोर कर देता है तथा लग्न में बैठा केतु आपको कन्फ्यूजन में भी डाल देता है। आपकी कुंडली में शनि अष्टमेश होकर छठें भाव में बैठा हुआ है। इस समय शनि की महादशा भी चल रही है जो कि आपके लिए अनुकूल नहीं है क्योंकि आपकी कुंडली में लग्न में केतु बैठा है और सातवें स्थान में राहु बैठकर अनंत नामक कालसर्प दोष भी बना दिया है। इस योग के कारण आपका जीवन कष्टपूर्ण रहेगा। जीवन को पूर्ण सुखद बनाने के लिए आपको वैदिक विधि से अनंत नामक कालसर्प दोष की पूजा करवाना जरूरी है। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरी राशि क्या है। मैं बहुत परेशान हूं, कोई उपाय बताएं?
– रामलुटावन दुबे
(जन्म- १ अप्रैल १९७२ समय- ०५.४६ स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
रामलुटावन जी, आपका जन्म मीन लग्न एवं तुला राशि में हुआ है। लग्नेश बृहस्पति दो केंद्रों का स्वामी होकर कमजोर स्थिति में स्वगृही होकर कर्म भाव पर बैठा है। कर्म भाव पर बैठकर आपके कार्यक्षेत्र को कमजोर बना दिया है और पंचमेश चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित है। चंद्रमा ग्रह के आगे-पीछे कोई न होने के कारण केमद्रुम योग बन रहा है। इस योग के कारण बार-बार उतार-चढ़ाव भी बना रहता है। जीवन में स्थाई विकास प्राप्त करने के लिए केमद्रुम योग की पूजा करना आवश्यक है। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरी राशि क्या है और समय कैसा चल रहा है?
– यादवेंद्र शर्मा
(जन्म- २६ अप्रैल १९८६, समय- सायं ७.२५, स्थान- अंधेरी, मुंबई)
यादवेंद्र जी, आपका जन्म तुला लग्न एवं वृश्चिक राशि में हुआ है। वृश्चिक राशि पर इस समय शनि की ढैया चल रही है। दशमेश चंद्र नीच राशि का होकर द्वितीय भाव में शनि के साथ बैठ करके आपके मन को व्यग्र बनाया है और मन में तमाम प्रकार की नकारात्मक बातें भी आती हैं। इस समय केतु की महादशा चल रही है। आपकी कुंडली में केतु लग्न में बैठ करके लग्न को भी दूषित कर दिया है तथा सप्तम भाव पर राहु बैठ करके सूर्य के साथ लाभेश लाभ भाव को भी दूषित कर ग्रहण योग एवं कालसर्प योग भी बना दिया है। कालसर्प योग एवं ग्रहण योग की पूजा वैदिक विधि से कराने से जीवन को विकसित करने का हर मार्ग प्रशस्त हो सकता है। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण भी बनवाएं।

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