वीरश्री आंबेकर / नई मुंबई
मूल रूप से कोल्हापुर की रहने वाली रंजना बालासाहेब शिंत्रे १९९५ में शिवसेना की नगरसेविका चुनी गर्इं। उन्हें समाजसेवा की घुट्टी उनके जन्म से ही मिली थी, क्योंकि उनकी माताजी एक ग्रामसेविका थीं। उस वक्त नगरसेविका बनने पर मनोहर जोशी ने उनका अभिनंदन किया। १९९७ में उन्हें शिक्षा, महिला, बाल कल्याण, समाज कल्याण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल समिति के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। रंजना शिंत्रे ने महिलाओं के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कक्षाएं आयोजित कीं। १४ गांवों के स्कूलों में ट्यूबलाइट और पंखे लगवाए। नेरुल में सिडको भवन में छात्रों के लिए एक स्कूल शुरू करवाया। पंजीकृत २० महिला मंडलों को सिलाई मशीनें वितरित की गर्इं। १३ पुस्तकालयों के लिए ५,००० रुपए की किताबें खरीदकर मुहैया कराई गर्इं। १७ बालवाड़ियों को पांच-पांच हजार की सब्सिडी दी गई। विधवा लड़कियों की शादी के लिए पांच-पांच हजार रुपये की मदद की। यह सब करते हुए उन्होंने खुद को अपने गांव से जोड़े रखा। वे कोल्हापुर के अजरा तालुका के सरमभलवाड़ी में हिरण्यकेशी शिक्षा प्रसारण मंडल की अध्यक्ष हैं। २००३ में उप नगर संगठक बनने के बाद २००९ से वे नई मुंबई की जिला संगठक के रूप में कार्य कर रही हैं।
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२०१२ में महंगाई विरोधी मार्च के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया था। इसका प्रमाण उस समय के समाचार पत्रों में दफन है। इतनी उम्र होने के बावजूद वे आज भी उसी मजबूती के साथ संगठन के लिए काम कर रही हैं। वे महिलाओं को राजनीतिक सीख दे रही हैं कि उन्हें राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए। रंजना ताई इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि एक महिला राजनीति और सामाजिक कार्य करते हुए अपने दोनों बेटों को इंजीनियर बनाने में किस तरह सफल रही। रंजन ताई के नाम से मशहूर ताई कहती है कि उनकी जिंदगी में उनको इस बात का सबसे बड़ा गर्व है कि वे एक ईमानदार कट्टर शिवसैनिक हैं। हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के प्रति उनके मन में आगाध श्रद्धा है। ताई कहती हैं कि उनकी वफादारी हमेशा मातोश्री के साथ रही है और ताउम्र रहेगी।