सामना संवाददाता / मुंबई
वाल्मीक कराड को आरोपी नंबर एक बनाया गया। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। बीड में संतोष देशमुख की जिस अमानवीय तरीके से हत्या की गई, उससे एक ही सवाल उठता है, इस व्यक्ति को ऐसा करने का साहस कैसे हुआ? उन्हें अमानवीय व्यवहार करने का अधिकार किसने दिया? तो, इस पूरी प्रक्रिया में किसी बड़े व्यक्ति के बिना, किसी जिले में ऐसा अराजक प्रशासन कैसे चलाया जा सकता है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देशमुख परिवार को इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ी। ७०-७५ दिन बाद भी एक अन्य आरोपी कृष्णा अंधाले अभी भी फरार है। वह कैसे नहीं मिल सकता? सातवां हत्यारा ७०-७५ दिन तक भगोड़ा कैसे रह सकता है? क्या यह प्रश्न सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं है? यह सवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता व सांसद सुप्रिया सुले ने उठाया। भाजपा नेता सुरेश धस ने पहले कहा था कि धनंजय मुंडे में कभी नैतिकता नहीं दिखी। सुरेश धस ने कहा कि जैसे-जैसे दिन बीतते जा रही है, यह बात स्पष्ट होते जा रही है कि नैतिकता और धनंजय मुंडे की कभी मुलाकात नहीं हुई। तो फिर हम उनसे क्या उम्मीद करें?
सुप्रिया सुले ने धनंजय मुंडे और वाल्मीक कराड की जोड़ी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र का जो नाम खराब हुआ है, महाराष्ट्र की जो बदनामी हुई है, उसके लिए दो व्यक्ति जिम्मेदार हैं। उनका बीड या परलीकर से कोई संबंध नहीं है। आज दो लोगों की गंदी हरकतों के कारण प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर खराब हुआ है।