मुख्यपृष्ठस्तंभमैथिली व्यंग्य : मापदंड

मैथिली व्यंग्य : मापदंड

डॉ. ममता शशि झा
मुंबई

रामनिवास जी सामाजिक संस्था के अध्यक्ष छथिन। संस्था के सांस्कृतिक वार्षिकोत्सव के अध्यक्ष पद के चयन के लेल आई बैसार रखने छथिन्ह। प्रत्येक वर्ष जकाँ अहु बेर घमर्थन होयत से बुझइ छलाह। सब अपन-अपन घनिष्ठता बनाब लेल अपन परिचित लोक के नाम सुझेथिन सेहो बुझइ छलखिन।
सब गोटे उपस्थित भेला। क्यो राजनैतिक दबदबा, त क्यो पुलिस कमिश्नर त किनको सुझाव छलैन जे फिल्मी जगत के लोक जेना गायक, अभिनेता, अभिनेत्री के बजाओल जाय, फिल्मी दुनिया के लोक के अयला से दर्शक जुटाब के लेल मेहनत नहि कर पड़त। अहि घोंघाउच के बीच किनको ध्यान देश के असली हीरो अर्थात सेना के जवान पर नहि गेलैन, जिनका दुआरे निफिकिर भे के सब गोटे रहई छि।
संस्था क समिति के सदस्य निपुण बाबू साहित्यकार घोंघाउच से अजिर भे क बजला ‘साहित्यिक कार्यक्रमक अध्यक्ष पद के चयन हेतु एतेक घोंघाउच आ विचार के भिन्नता नहि होयबाक चाहि। ओहि में मापदंड निश्चित छइ जिनका नाम से बेसि किताब छपल होइन (भले लिख बला कियो होइ) जिनकर चेहरा ओहि साल बेसि देखाइ देने होय, जिनकर लेख के समीक्षा छापल जाय (भलेहि ओ लेख अपने लिख क दोसरा के नामे पाय दे के छपवा लेने होइथ) हुनका अध्यक्ष पद के लेल बजा लेल जाए छैन। अगर सामाजिक संस्था के अध्यक्ष पद के लेल मापदंड निर्धारित रहइत त अहि तरहक घोंघाउच आ समय के बर्बादी से बचल जा सवैâछ। चलु आजुक बैसार में सब गोटे मिल के पहिने अध्यक्ष पद के लेल आवश्यक गुण तय के लइ छी।
कियो बजला ‘जे समाज के आर्थिक सशक्तिकरण के लेल काज केने होइथ!’
किनको बिचार छलनि ‘जे कोनो व्यक्ति समाज के मानसिक संबलता देने होइथ अपन लेखनि या भाषण के माध्यम से समाज के विचारधारा में परिवर्तन अनने होइथ!’ किछु लोकक बिचार छलनि जे अपन काज से समाज के गरिमामय बनेने होइथ!
‘जिनकर जीवन के आदर्श मानि क समाज के लोक हुनकर देखाओल मार्ग पर चलि सकय!’
फेर वैह घमर्थन आ घोंघाउच!!
रामनिवास सबगोटे दिस चेहरा पर संतुष्टि के भाव लेने, अध्यक्ष पद के लेल सबस उचित मापदंड भेट गेलैन आ निर्णयात्मक स्वर में बाजि उठला ‘जे सबसे बेसी चंदा देता!!!’
पूरा समिति अहि पर एकमत भ गेल!!

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