सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमएमआरसी) ने मेट्रो-३ निर्माण के दौरान कम से कम पेड़ काटने का दावा किया था, लेकिन हकीकत कुछ और नजर आ रही है। मुंबई के रास्ते ‘गंजे’ नजर आ रहे हैं। पेड़ों की कटाई के बाद इन रास्तों से गुजरते हुए कुछ ऐसी ही फीलिंग आ रही है। यही नहीं, हजारों की संख्या में पेड़ काटने के बाद उन्हें वृक्षारोपण करना था, पर उसमें भी गच्चा दे दिया गया। इस कटाई की वजह से मुंबई के कई इलाकों में पेड़ पूरी तरह से खत्म हो गए हैं, जिसकी वजह से पैदल चलने वाले लोग धूप से परेशान हैं।
₹१२ करोड़ में लगाए गए सिर्फ ६८३ पेड़!
मेट्रो-३ के निर्माण के लिए रास्ते में आनेवाले बहुत से पेड़ काट डाले गए। इसके बाद दूसरी जगह पर पेड़ लगाने थे पर काटे गए पेड़ की तुलना में काफी कम पेड़ लगाए गए। एमएमआरसी ने अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए मेट्रो स्टेशन के निकट २,९३१ पेड़ लगाने की योजना बनाई है, जिसकी अनुमानित लागत १२ करोड़ बताई जा रही है। अभी तक सिर्फ ६८३ पेड़ लगाए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि बाकी पेड़ भी जल्द लगाए जाएंगे।
एमएमआरसी द्वारा दिए गए आंकड़े से यह सवाल उठता है कि इतनी धीमी प्रगति के साथ क्या यह वृक्षारोपण योजना समय पर पूरी हो सकेगी? और क्या वास्तव में इन पेड़ों का विकास और देखभाल सही तरीके से की जा सकेगी? एमएमआरसी का दावा है कि यह प्रक्रिया देश में किसी भी इंप्रâास्ट्रक्चर परियोजना में पहली बार अपनाई गई है, जिसमें ठेकेदार को पेड़ों को विकसित करके उनकी देखभाल करनी है। लेकिन इस दावे के बावजूद उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति इस पूरे कार्यक्रम की निगरानी कर रही है। हर बैठक में समिति एमएमआरसी से कार्यक्रम की प्रगति की रिपोर्ट मांग रही है।