सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा ने इस साल नाला सफाई के साथ-साथ मीठी नदी से कीचड़ निकालने का काम करीब एक महीने की देरी से शुरू किया है। इस वजह से कई जगहों पर नाले अभी भी कीचड़ से भरे हुए हैं। दूसरी तरफ मीठी नदी का तो लगभग ६० फीसदी कीचड़ अभी तक निकाला जाना बाकी है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिरकार मनपा ३१ मई की डेडलाइन को वैâसे पूरा करेगी।
उल्लेखनीय है कि मीठी नदी मुंबई की एक अलग पहचान है, लेकिन पिछले कुछ सालों से मीठी नदी प्रदूषित होने की वजह से इसका प्राकृतिक स्वरूप खो गया है। बता दें कि कभी यह बहती और समृद्ध नदी हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ ठोस कचरे से पटने, गंदे पानी और अतिक्रमण जैसी समस्याओं की वजह से इसके अस्तित्व पर ही संकट आ गया था। सफेद पूल, मरोल बापट और वाकोला जैसे नाले मीठी नदी में आकर मिलते हैं। इस वजह से यह नदी एक बड़े नाले जैसी ही लगती है। इसलिए मनपा के माध्यम से मीठी नदी से कीचड़ निकाला जाता है। हर साल फरवरी के मध्य में शुरू होने वाली नाला सफाई इस साल २५ मार्च से शुरू हुई है। इस वजह से ३१ मई तक काम पूरा करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए मनपा को जोर-शोर से मेहनत करनी पड़ रही है।
रिहायसी इलाकों में पानी घुसने का खतरा
अगर मीठी नदी की प्रभावी सफाई नहीं हुई, तो भारी बारिश के दौरान समुद्र में ज्वार आने पर नदी का पानी रिहायशी इलाकों में घुस सकता है। इस पृष्ठभूमि में मनपा की तरफ से संबंधित खतरनाक इलाकों के निवासियों को मानसून के दौरान सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट होने की सलाह दी जाती है।
ऐसा चल रहा है काम
मीठी नदी से कीचड़ तीन चरणों में निकाला जाता है। इनमें पवई फिल्टर पाडा से कुर्ला सीएसटी पुल, बीकेसी कनेक्टर पुल से माहीम कॉजवे और कुर्ला सीएसटी पुल से कनेक्टर बीकेसी पुल शामिल हैं। इनमें से पहले दो चरणों का काम २ अप्रैल से शुरू हुआ है। मीठी नदी से इस साल २१,२४,३१५.४९ मीट्रिक टन कीचड़ निकालने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, अब तक इसमें से सिर्फ ८७,३०८.४५ मीट्रिक टन यानी महज ४०.७२ फीसदी कीचड़ ही निकाला जा सका है।