मुख्यपृष्ठअपराधमुंबई का माफियानामा : एक अधूरा ख्वाब, हाजी मस्तान की राजनीतिक पार्टी

मुंबई का माफियानामा : एक अधूरा ख्वाब, हाजी मस्तान की राजनीतिक पार्टी

विवेक अग्रवाल

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
यह भी ऐसा सुनहरा सपना था, जो अधूरा रह गया…
वह हाजी मिर्जा मस्तान था, जिसने १९८४ के दंगों के बाद सभी मुस्लिम नेताओं को जोड़ना चाहा…
बिखरे हुए अनेक दलों और धड़ों को साथ लाना चाहा…
…अलग-अलग गुटों और विचारधारा को जोड़ कर एक राजनीतिक ताकत बनाने का ख्वाब देखा।
मस्तान के बनाए राजनीतिक पार्टी का नाम ‘दलित-मुस्लिम सुरक्षा महासंघ’ था। पार्टी का अध्यक्ष खुद मस्तान बना जबकि सह अध्यक्ष प्रो. जोगेंदर कवड़े को बनाया गया। साल १९८४ में हुए लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे लेकिन दोनों ही सीटों पर असफलता हाथ लगी।
१९८५ में विधानसभा चुनावों में मस्तान ने तमाम मुस्लिम नेताओं को एक जाजिम पर आने और संगठित होकर चुनाव लड़ने का आह्वान किया। ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ के गुलाम महमूद बनातवाला और मौलाना जियाउद्दीन बुखारी को भी मस्तान ने साथ आने का न्यौता दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि मुत्ताहिदा मिल्ली महाज (युनाईटेड मुस्लिम फ्रंट) की स्थापना सब मिल कर करेंगे। यह प्रâंट तमाम मुस्लिम दलों का एक विशाल फेडरेशन बन कर उभरेगा।
ये तमाम नेता पहले दौर की चर्चा में साथ आने के लिए तैयार हो गए, फिर अचानक एक खेला हुआ। शरद पवार ने बनातवाला को पुराने दिनों की यादों और वादोें का वास्ता देकर कांग्रेस के साथ बने रहने के लिए पटा लिया। जिसके बाद बनातवाला और बुखारी के बीच शीतयुद्ध छिड़ गया।
ये था एक ख्वाब, जो कभी पूरा न हो सका। बहुतेरी मेहनत के बाद भी यह ख्वाब अधूरा ही रहा।
ये मसल तो सब जानते ही हैं
पॉलीटिकल वालों का कोई जात-धरम नईं भाय… कबी बी कुछ बी करवा सकता ए… देख लो हाजी भाय का कैसा उतारा।
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

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