सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में पिछले दो-तीन साल से २९ महापालिकाओं के चुनाव लंबित हैं। इसके अलावा स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। अब अप्रैल के अलावा यह चुनाव होने का मुहूर्त नहीं दिखाई दे रहा है। स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव मामले की सुनवाई २२ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी। इसके बाद चुनाव की तैयारी में कम से कम तीन महीने लगेंगे। इसलिए ये चुनाव अप्रैल के बाद ही होने की संभावना है।
स्थानीय स्वराज्य संस्था को लेकर २२ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। वॉर्ड की संरचना, सदस्यों की संख्या राज्य चुनाव आयोग को तय करनी चाहिए या राज्य सरकार ने इस संबंध में यह याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के पैâसले के बाद चुनाव की तैयारी में कम से कम तीन महीने लगेंगे। इसलिए महानगरपालिका, नगर पालिका, नगर पंचायत के लिए चुनाव के कोई संकेत नहीं हैं।
पिछले २-४ साल से राज्य में २९ मनपाओं के चुनाव रुके हुए हैं। इसमें २४५ नगरपालिका परिषद, १४६ नगर पंचायत के चुनाव लंबित हैं। जबकि २६ जिला परिषदों, २८९ पंचायत समितियों पर प्रशासनिक शासन है। इसके अलावा ६ जिला परिषदों और ४४ पंचायत समितियों का कार्यकाल फरवरी २०२५ के अंत में समाप्त हो जाएगा वहीं १,५०० ग्राम पंचायतें फिलहाल प्रशासनिक शासन के अधीन हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव को लेकर सुनवाई २२ जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। इस सुनवाई में इस बात पर पैâसला लिया जाएगा कि कितने वॉर्ड हों, कितने सदस्य हों, वॉर्ड की संरचना वैâसे तय हो, सुप्रीम कोर्ट के पैâसले के बाद चुनाव की तैयारी में तीन महीने लगेंगे। इसके चलते फिलहाल मनपा, नगरपालिका, नगर पंचायत, जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव की संभावना क्षीण है।