कुदरत

काफिया अत रदीफ है
जिंदगी तो खुदा की नेमत है
आज की बस यही हकीकत है
वोट की ओट में है खेल कई
नाचती हर जगह सियासत है
ये खुशी और तरबियत दिल की
यह सुकूं मां की ही बदौलत है
आज गुरबत पे है नहीं पर्दा
क्योंकि मुश्किल में आदमीयत है
घर की बरकत ही है बुजुर्गों से
इनसे बढ़ती ही घर की इज्जत है
आज आबाद ये रखो जंगल
हमसे कहती यही तो कुदरत है
यूं कनक दिल में बस रहे तुम हो
नाम इसका ही तो मुहब्बत है।
-डॉ. कनक लता तिवारी

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