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धारावी पुनर्विकास परियोजना में आया नया ट्विस्ट… म्हाडा के बकाए १८३ करोड़ का ब्याज करो माफ!

-अडानी ने लिखा सरकार का पत्र

म्हाडा को ८२४ करोड़ करना है भुगतान

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई

धारावी में म्हाडा द्वारा निर्मित पांच इमारतों को धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत डीआरपीपीएल द्वारा लिया जाएगा। म्हाडा ने उक्त इमारतों पर करीब ६४२ करोड़ रुपए खर्च किए है। इसके अलावा १८३ करोड़ रुपए ब्याज मिलाकर कुल रकम ८२४ करोड़ रुपए हो जाती है। इस पृष्ठभूमि में, धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) ने यानी अडानी ने अनुरोध किया है कि ब्याज राशि माफ कर दी जाए। ऐसे में म्हाडा क्या पैâसला लेगी इस पर सभी का ध्यान केंद्रित है। धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत सेक्टर ५ में म्हाडा द्वारा निर्मित पांच इमारतों को समूह पुनर्विकास के तहत डीआरपीपीएल को हस्तांतरित किया जाना है। इस बीच, म्हाडा ने उक्त इमारतों की निर्माण लागत और उस पर ब्याज के लिए कुल ८२४ करोड़ रुपए का भुगतान करने की मांग की थी। म्हाडा उपाध्यक्ष संजीव जायसवाल के कार्यालय में म्हाडा और डीआरपीपीएल अधिकारियों के बीच बैठक हुई। इसके बाद भले ही डीआरपीपीएल ने निर्माण लागत राशि का भुगतान करने में तत्परता दिखाई हो, लेकिन ब्याज राशि माफ करने की मांग की है। डीआरपीपीएल ने इस संबंध में म्हाडा के उपाध्यक्ष को पत्र दिया है।
सरकार और म्हाडा की नीति के कारण देरी
म्हाडा ने २०१२ में धारावी में पांच इमारतें बनाने का फैसला किया था, लेकिन सरकार और म्हाडा की नीतियों के कारण उक्त कार्य के शुरू होने और पूरा होने में देरी हो रही है। इसलिए, डीआरपीपीएल अधिकारी ने कहा कि यदि उक्त ब्याज डीआरपी से वसूला जाता है, तो यह वित्तीय बोझ होगा। म्हाडा के उपाध्यक्ष ने सितंबर में एक पत्र में धारावी पुनर्वास परियोजना प्राधिकरण (डीआरपी) से अनुरोध किया था, लेकिन चार महीने बाद भी डीआरपी से राशि नहीं मिलने पर म्हाडा ने बकाया राशि के लिए डीआरपी को दूसरी बार रिमाइंडर भेजेगी।
कैसे हैं ये पैसे बकाया
राज्य सरकार ने पहले सेक्टर ५ के रीडेवलपमेंट की जिम्मेदारी म्हाडा को सौंपी थी। तदनुसार, म्हाडा ने अपने खजाने से ७.११ हेक्टेयर भूमि का पुनर्विकास शुरू किया। २०११ में ५ बिल्डिंग का विकास कर झुग्गीवासियों का पुनर्वास किया गया। इस बीच, वर्ष २०१८ में, राज्य सरकार ने सेक्टर ५ सहित पूरे क्षेत्र का एकीकृत विकास करने का निर्णय लिया, जिसे एक विशेष प्रयोजन कंपनी के माध्यम से म्हाडा को सौंप दिया गया। उन्होंने तीन पूर्ण इमारतों तथा दो निर्माणाधीन भवनों का कार्य पूर्ण कर डीआरपी को सौंपने का भी आदेश दिया। उस समय यह भी निर्णय लिया गया था कि परिसर और इमारतों के निर्माण पर आने वाला खर्च म्हाडा को दिया जाएगा।

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