मुख्यपृष्ठसमाचारराज्य के सिर पर एक लाख हजार करोड़ का कर्ज

राज्य के सिर पर एक लाख हजार करोड़ का कर्ज

-फिर विकास दर कैसे होगी १५ प्रतिशत!

-जयंत पाटील का सरकार से सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीत पवार ने अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट में कृषि, शिक्षा, रोजगार, उद्योग आदि क्षेत्रों में भरपूर निधि का प्रावधान किए जाने का दावा सत्तापक्ष दल के सदस्यों द्वारा किया जा रहा है। वहीं इस बजट पर विपक्ष की ओर से जोरदार कटाक्ष किया जा रहा है। पूरक मांग पर चर्चा में भाग लेते हुए राकांपा विधायक जयंत पाटील ने कहा कि अंतरिम बजट में राजस्व घाटा बढ़ा है। राज्य के सिर पर जल्द से जल्द एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज होने वाला है। यह कर्ज वैâसे लौटाएंगे, ऐसा सवाल जयंत पाटील ने उपस्थित किया है। महाराष्ट्र की जनता कर्तव्यनिष्ठ है। यह अर्थव्यवस्था १ ट्रिलियन होने वाली है। इसका श्रेय लेने का प्रयत्न किया जा रहा है। इस पर हमारी शिकायत है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य की विकास दर ६.७ से ७ प्रतिशत है। फिर एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था वैâसे होगी, ऐसा सवाल पाटील ने किया। इसके साथ उन्होंने यह भी सवाल किया कि इस स्थिति में राज्य की विकास दर १५ प्रतिशत वैâसे होगी। पिछले वर्ष बजट में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बढ़ी हुई रकम थी। राज्य सरकार ने पिछले बजट में १७ हजार करोड़ रुपए घाटा का बजट पेश किया था। घाटे के बजट पर जून महीने में इस बजट पर पूरक मांग ४४ हजार करोड़ की थी। उसके बाद दिसंबर महीने में ५५ हजार करोड़ रुपए की पूरक मांग की गई थी। इसके बाद दो दिन पहले ८ हजार करोड़ रुपए की पूरक मांग की गई। बजट पेश करते समय घाटे का बजट था। फिर भी राज्य सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए की पूरक मांग की है। पाटील ने कहा कि ९४ हजार करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा ९९ हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वित्तीय घाटा ९ हजार २८८ करोड़ रुपए है। मतलब यह घाटा एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर है।

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