-विधेयक पर दर्ज की आपत्ति
-विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष ने साफ किया स्टैंड
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर कहा कि भारतीय लोकतंत्र विविधताओं से समृद्ध है। इसलिए ‘एकरूपता’ नहीं, बल्कि ‘समरसता’ बनाए रखना जरूरी है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर उन्होंने अपना स्टैंड साफ करते हुए कहा कि इससे केंद्र में एक ही पार्टी की तानाशाही चलेगी। इसके साथ ही उन्होंने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार को आठ सुझाव भेजे हैं।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर महाराष्ट्र में एक बार फिर बहस छिड़ी है। उन्होंने इस विधेयक पर आपत्तियां दर्ज कराते हुए संयुक्त समिति को इसे संशोधित करने के सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद ८३, ८५, १७४, ३५६, ७५(३) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम १९५१ में बड़े पैमाने पर संशोधन की आवश्यकता है, लेकिन ये संवैधानिक सुधार देश की संघीय संरचना, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर असर डाल सकते हैं।
भारत की शासन व्यवस्था संघीय ढांचे पर आधारित है। प्रत्येक राज्य की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जरूरतों के अनुसार अलग चुनाव चक्र जरूरी है। एक साथ चुनाव कराने से स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय प्रचार में दब सकते हैं। ग्राम पंचायत, नगर परिषद और महानगरपालिका जैसी संस्थाओं की स्वतंत्रता अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकती है। डीएमके, टीएमसी, बीजेडी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होती हैं। एक साथ चुनाव होने पर राष्ट्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ेगा, जिससे प्रचार, फंडिंग और मीडिया का ध्यान उन्हीं पर केंद्रित रहेगा। इससे क्षेत्रीय दल कमजोर पड़ सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में कई केंद्रों पर सुविधाओं की दिखी कमी
अंबादास दानवे ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव के समय कई मतदान केंद्रों पर प्राथमिक सुविधाओं की भारी कमी देखी गई थी। रात दो बजे तक व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं थीं। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में कोर्ट में यह कहा है कि जिला परिषद और महानगरपालिका चुनाव एक ही चरण में कराना संभव नहीं है। यह दर्शाता है कि विकसित राज्य भी ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को व्यावहारिक नहीं मानते। दानवे ने यह भी उम्मीद जताई कि इस विधेयक पर दी गई आपत्तियों को प्रक्रिया में शामिल कर व्यापक और संघीय दृष्टिकोण से पुनर्विचार किया जाएगा।