मुख्यपृष्ठस्तंभओपन मैरिज : ...तुम रातभर कहां थी?

ओपन मैरिज : …तुम रातभर कहां थी?

एम एम एस
उसने मन बना लिया कि क्यों सारी बात जोसेफ से साफ-साफ कह देगी। अपना मिजाज ठीक कर वह सीधे बाहर लॉन में पहुंची। अलसुबह काफी कम लोग थे। सूरज नहीं निकला था, लेकिन आकाश में हल्की-सी तांबई रंग की लालिमा आने लगी थी। बिल्कुल मंद-मंद ठंडी हवा चल रही थी। उसे यह वातावरण बहुत बढ़िया लगा। एक बार फिर कई क्षणों तक भूल गई थी कि वह किसी परेशानी से जूझ रही थी। उसने देखा एक ईजी चेयर पर जोसेफ बैठा हुआ कॉफी की चुस्कियां ले रहा था। वह धीरे-धीरे उसके पास पहुंची। उसके बगल में बैठ गई। जोसेफ ने उसके लिए काफी तैयार की। वह काफी की कस किया लेट रहा, लेकिन सलोनी कप हाथ में ही पकड़े रही। उसे ऐसे हालात में देखकर जोसेफ ने हंसते हुए कहा, ‘कॉफी बहुत बढ़िया बनी है, यहां की लोकल ब्रांड है, एक ही चुस्की में सुस्ती उतर जाएगी…!’ उसने कप टेबल पर रख दिया और उसके पास बगल में बैठ गई। जोसेफ ने उसके सिर पर हाथ से रखते हुए अपने से चिपका लिया और बोला, ‘क्या बात है? परेशान लग रही हो…’
वह कुछ नहीं बोली उसने जोसेफ को और जोर से कस लिया और उसके सीने में सिर छिपाकर हिचकियां लेने लगी। जोसेफ समझ नहीं पाया कि अचानक सलोनी को क्या हो गया। ‘…मेरे से बड़ी गलती हो गई…’ उसने इस तरह सर झुकाए हुए कहा। ‘क्या हुआ…? गलती और तुमसे तो हो ही नहीं सकती’ उसने उसका सिर उठाने की कोशिश करते हुए कहा कहा।
‘मैं नहीं बता सकती’
‘अरे बताओ तो सही’
‘नहीं’
‘अरे तुमने यह नहीं पूछा कि रातभर मैं कहा था?’
‘मुझे नहीं पूछना है।’
‘तो चलो मैं भी नहीं पूछूंगा, तुम रातभर कहां थीं?’
अचानक चुप्पी छा गई। ‘सुनो सलोनी मुझे पता है, तुम रातभर अश्विन के कमरे में थीं।’
सलोनी ने झटके से सिर उठाया और उसे देखने लगी।
‘हां, मुझे पता है। मैंने तुम दोनों को जाते हुए देखा।’
‘…आवाज क्यों नहीं दी?’
‘मुझे लगा तुम उसके साथ कम्फर्टेबल हो, उसमें कौन-सी बड़ी बात है, तुम्हें पता है, मैं कहां था
नहीं?’
‘तुम झूठ बोल रही हो तुम्हें पता है मैं रातभर किसके साथ था तुम्हें इस बात का अंदाजा है।’
उसने उसकी तरफ देखते हुए ‘हां’ में सिर हिलाया।
‘सुनो ईट’स नॉट ए बिग डील। हमारी प्रोफेशनल लाइफ ने हमें इस कदर अस्त-व्यस्त कर रखा है कि एक-दूसरे के लिए हमारे पास वक्त ही नहीं बचता, लेकिन आखिर हम इंसान ही हैं। जरूरतें कभी-कभी पानी की तरह बहने लगती है, जहां उसे राह मिलती है। इसमें न तुम्हारी गलती है न मेरी गलती। इस कॉम्प्लेक्स से बाहर आ जाओ कि तुमने कोई गलती की है।’
‘…कोई गलती नहीं है?’
‘मैं गलती नहीं मानता इसे। हम दोनों एक-दूसरे से मानसिक रूप से बंधे हुए हैं, एक-दूसरे के प्रति समर्पित हैं और एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं।’
‘ईमानदार हैं?’
‘ईमानदारी नहीं तो और क्या है तुम सुबह-सुबह मुझे बताने आ गई कि तुमसे एक गलती हो गई। मैं भी कुछ नहीं छुपाया, इससे बड़ी ईमानदारी क्या हो सकती है या ट्रांसपेरेंसी तो हमेशा बनी रहनी चाहिए एक कपल में वाइफ हस्बैंड के बीच में।’
सलोनी ने जोसेफ को कसकर पकड़ लिया। जोसेफ ने उसके कान के पास प्यार से कहा, ‘अगर तुम्हें अश्विन अच्छा लगा है तो मैं तुम्हें कभी रोकूंगा नहीं’
सलोनी ने भी जोसेफ के कान के पास उसके कान के लव को दांतों से हल्के दबाते हुए कहा, ‘मैंने भी तुम्हें आजाद कर दिया। मुझे पता है क्रिस्टीना के साथ… सॉरी तुम अपने बॉस के साथ ज्यादा कम्फर्टेबल हो, मैं भी तुम्हें नहीं रोवंâूगी।’

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