मुख्यपृष्ठनए समाचारसवाल हमारे, जवाब आपके?

सवाल हमारे, जवाब आपके?

खुद को किसानों का हितैषी माननेवाली यूपी की भाजपा सरकार में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। वन विभाग द्वारा किसानों की भूमि को सरकारी बताकर कब्जे में लेना क्या उचित है? किसानों की भूमि पर बुरी नजर रखनेवाली भाजपा सरकार के इस कृत्य पर आपकी क्या राय है?

अन्नदाता के साथ नाइंसाफी
गरीबों की जगह को वन विभाग की जमीन बताकर उसे कब्जे में लेना यह सरासर नाइंसाफी है। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर उससे मुकर जाना भाजपा सरकार की आदत है। आज देश की जनता महंगाई से त्रस्त है। यूपी के किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। गरीबों के घर पर बुलडोजर चल रहे हैं। क्या यही रामराज्य है, जिसका सपना भाजपा ने देशवासियों को दिखाया था।
– परेश बैदूर, अंधेरी

राम-राम जपना पराया माल अपना
भाजपा की हमेशा कोशिश रही है दूसरों की संपत्ति को अपना बनाने की। कुछ भी हो वैâसे भी हो उनकी नजर हमेशा लोगों की संपत्ति पर होती है। इसके लिए फिर चाहे कोई भी कर्म क्यों न करना पड़े। किसानों की जमीन हथियाने और उस पर बुरी नजर रखनेवाली भाजपा के बारे में अब बस यही कहना होगा कि राम-राम जपना पराया माल अपना।
– राजेश बी. गुप्ता, मलबार हिल

किसानों के लिए सरकारी योजनाओं का राम नाम सत्य
भारतीय आत्महत्या के आंकड़ों की बात करें तो २००२ के बाद से लगातार किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। पिछले ३ वर्षों के दौरान कुल ७,००० किसानों ने भारी कर्ज न चुकाने के कारण आत्महत्या की है। यानी प्रतिदिन औसतन छह से अधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले ३-४ वर्षों के आंकड़े लें तो विदर्भ में किसानों की आत्महत्याओं की संख्या पहले ही २,५०० को पार जा चुकी है, जिससे बड़ी चिंता पैदा हो गई है। सरकारें भ्रमात्मक योजनाओं का प्रचार कर रही हैं, जमीनी स्तर पर योजनाएं जीरो हैं
– अनिल शर्मा, अध्यक्ष,
महाराष्ट्र हरियाणा संस्था, मुंबई

किसानों की हितैषी नहीं है सरकार
यह सरकार कभी भी किसानों की हितैषी नहीं रही है। यह सरकार केवल माफियाओं का भला करने में व्यस्त रहती है। कब्जा करने में यह सरकार हर वह रवैया अपना रही है, जिससे इनका फायदा हो। इन्हें यह भान नहीं है कि अगर किसानों के पास जमीन नहीं रहेगी तो उनका जीवनयापन कहां से होगा।
– मनोज सिंह, मुंबई

गरीबों से नहीं है कोई सरोकार
यह सरकार निर्दयी सरकार है, जिसे किसी आम जनता या गरीबों के जीवनयापन की नहीं पड़ी है। सरकार सिर्फ अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अलग-अलग तरह का जरिया अपना रही है। वन विभाग को कब्जा की हुई उन जमीनों को खाली करवाना चाहिए जो बाहुबलियों के कब्जे में है, न कि उन लोगों से छीनना चाहिए, जो अपने जीवनयापन के लिए मेहनत कर रहे हैं।
– राजेश पराडकर, विक्रोली

अगले सप्ताह का सवाल?
केंद्र सरकार भारतीय सेना का आकार छोटा करने की तैयारी में है। सरकार आगामी कुछ वर्षों में एक लाख पदों की कटौती करनेवाली है। इससे युवाओं पर बेरोजगारी की मार के साथ देश की सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ेगा। सरकार के इस कदम पर आपकी क्या राय है?
अपने विचार हमें लिख भेजें या मोबाइल नं. ९३२४१७६७६९ पर व्हॉट्सऐप करें।

अन्य समाचार