काशी में धूमधाम के मनाई गई सीता पंचमी, सियाराम सहित चारों भाइयों की कोहबर की झांकी का दर्शन कर श्रद्धालु हुए निहाल

उमेश गुप्ता/वाराणसी

पर्व-उत्सवों का शहर बनारस बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का तिलकोत्सव, विवाह और गौना की रस्म तो निभाता ही है, भोले बाबा के आराध्य प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण से जुड़े पर्वों को भी सिर माथे लगाता है। यह जुड़ाव श्रीसीताराम विवाह पंचमी पर साफ नजर आता है। इस बार यह तिथि छ दिसंबर को पड़ रही है। इस विशेष उत्सव पर काशी में सियाराम सहित चारों भाइयों की कोहबर की झांकी का दर्शन श्रद्धालुओं को मिलता है। शुक्रवार को मार्गशीर्ष (अगहन) शुक्ल पंचमी तिथि पर रामनगर स्थित जनकपुर मंदिर में श्रीराम विवाह पंचमी की धूम दिखाई दी। चारों भाइयों के सिर सेहरा सजाकर एक ही मंडप में विवाह संपन्न कराया गया। इस अवसर पर 36वीं वाहिनी पीएसी की ओर से राजा श्रीरामचंद्र को गार्ड आफ आनर की सलामी दी जाती है। प्रभु को लड्डू व खाझा का भोग लगाया गया।

काशिराज परिवार की महिला सदस्य उमा बबुनी ने इस ख्यात मंदिर को आकार दिया था। विभोर भक्तजनों ने प्रभु के कोहबर की झांकी को वर्ष 1804 में मंदिर बनाकर संजोया। मंदिर स्थापना से पहले मूर्तियों को तब तक बनवाया गया, जब तक वे मन को भा नहीं गई। जानकार बताते हैं कि चौथी बार बनी प्रतिमाएं मंदिर में स्थापित की गईं। इससे पहले बनीं मूर्तियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला वर्ष 1806 में शुरू हुई तो राम विवाह से जुड़े प्रसंगों का मंचन होने लगा। तब से यह परंपरा अनवरत चल आ रही है। सीता पंचमी पर आयोजित होने वाले श्री राम विवाह महोत्सव में काशीराज परिवार के सदस्य भी शामिल होते है। इस बार कुंवर अनंत नारायण सिंह के पुत्र ने शिरकत किया।

काशी के अन्य राम जानकी मंदिरों में भी श्री राम सीता जी का विवाह धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान भव्य श्री राम बारात भी निकाली गई, जिसमें बाराती के रूप में काशीवासी शामिल हुए।

वक्त आज हमको जगाने लगा है

वक्त आज हमको जगाने लगा है।
सितम देश दुनिया में छाने लगा है।।

कैसे कहें हम हबस की कहानी।
आदमी अब इसे ही भुनाने लगा है।।

यह जो सियासत चली है इधर से।
मौसम इसी में समाने लगा है।।

क्या कह के हम सब पुकारें समय को ।
रोते हुए गीत गाने लगा हैं ।।

विचारों की दुनिया में यह क्या हुआ है ।
गलत को सही वह बताने लगा है।।

इधर प्यार को है मुसीबत ने घेरा ।
उधर से नया शोर आने लगा है ।।

सियासत पर पूँजी का सिक्का लगा है ।
लालच यहां सिर हिलाने लगा है ।।

मतलब को देखो विधाता हुआ है ।
समय बेसमय कुलबुलाने लगा है ।।

देख कर हम दुखी हैं जमाने की चालें ।
व्यथित मन कथा अब सुनाने लगा है ।।

कोई आ के हमसे इशारों में कहता ।
देखो समय दूर जाने लगा है ।।

दिशाहीनता ने तमाशा किया है।
कोई आज हमको बताने लगा है।।

उठो उठ के अब तो गुनाहों से कह दो।
शराफत भी अब सर उठाने लगा है ।।

नफरत हिलाता रहा है समय को।
मुहब्बत हमें अब बुलाने लगा है।।

वक्त आज हमको जगाने लगा है।
सितम देश दुनिया में छाने लगा है ।।

अन्वेषी

रिश्ते

रिश्ते उँगलियों पर सवार होकर
खुद को काट रहें है तलवार होकर

हैसियत हिस्साकसी का हिस्सा है
कौन फिरता है असल प्यार लेकर

मददगार बन के मदद मांगता है अदद
मुफलिसी में है तो होगा न कुछ यार होकर

जिनको अता किया था अहले चमन चाँद चौकश ,
वही उखाड़ देतें है शजर-ए – उम्मीद को बयार होकर

अब तो जाना,सुना, समझा न समझे
होता क्या ही है समझदार होकर

वक़्त खुद के लिए खुदाई करने का है सिद्धार्थ,
खुद के लिए खुद खड़े रहो खबरदार होकर

-सिद्धार्थ गोरखपुरी

तन- मन

तन और मन हो न एक से
कथन यह बड़ा निराला
मन होता जिसका उज्ज्वल
तन होता उतना काला
तन के उजले लोगों के
मन में धधकती दम्भ की ज्वाला।
लंकेश अनुजा स्वरूपनखा थी
नख से शिख तक इक सुन्दर नारी
लेकिन थी दम्भ,काम की अधिकारी
विष रस भरा हो कनक घट जैसे
लक्ष्मण जी को कर रही प्रणय निवेदन
कर दी लंका विनाश की तैयारी।
अष्टावक्र ने कहा जनक सभा में
सुनो , विद्वान जनों कह रहा मै जो
मेरे तन में अष्ट वक्र हैं, किन्तु
तुम सबके मन में अनगिनत छल हैं
करो आत्म चिंतन मिल सब
ज्ञान बड़ा होता गात से।
रूपमती रजकन्या थी गंधारी
सुंदर केश राशी थी प्यारी
अंध पति धृतराष्ट्र संग
अपनी आंखों पर पट्टी धारी
पुत्र मोह में हो गये अंधे दोनों
दुर्योधन, शकुनि की न दिखी मक्कारी
श्री कृष्ण जी को कर श्रापित
आजीवन हुई दुखियारी।
गुरु पुत्र, योद्धा थे अश्वत्थामा
क्रोधाग्नि में वंश हीन कर दिए थे पांडव
माथे पर ले नासूर घाव
भोग रहा श्राप आजतक।
देवेन्द्र इंद्र भी कुछ कम नहीं
जिनका सिंहासन नित
रहता डोलता
देख तपस्या साधना किसी ऋषि मुनि की
अपना अस्तित्व बचाने हेतु
कर्ण, दधीचि, अहिल्या मां से
विश्वास घात कर डाला।
सुंदर तन में अक्सर
नहीं मिलता सुंदर मन
सुंदर मन चाहिए कैसा भी मानव तन।
बेला विरदी।

चंद अशआर

वफ़ा की….. तहरीरें देख रहा है ।
वो मिरी…… तस्वीरें देख रहा है ।।

देख रहा हूँ…… रिश्तों का बंधन ।
वो इसमें…… ज़ंजीरें देख रहा है ।।

फ़ितूर…….. रंजिशों का है ये सब ।
वो उठती हुई शमशीरें देख रहा है ।।

उसे पता है हाल सभी के दिल का ।
वो मालिक सबकी तक़दीरें देख रहा है ।।

सवार चाहत की कश्ती में ” वासिफ़ ” ।
समंदर में इश्क़ के जज़ीरे देख रहा है ।।

 

 डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर

ख्वाहिशें…….

ख्वाहिशें जो दिल में छिपी है,
कुछ बिखरे सपने हैं,
जो वक्त की धूल में दबे हैं!
चाहा था बुंलदियों को छूना,
पर पंखों में थकान आ गई!
आसमान को मुट्ठी में करना चाहा,
पर आसमां भी मुझ से दूर हो गया!
रिश्तों को मेने बहुत संजोना चाहा,
पर दूरियां बढ़ती ही चली गई!
हर खुशी में ग़म छिपा है,
पर अब आंसू भी आंखों में सूख गए!
किताब लिखना चाहता हूं मां के नाम,
खाली पन्नो में कुछ लिखना चाहता हूं!
पंक्ति को यादों संजोना चाहता हूं!
शायद शब्द भी गुमनाम हो गए हैं!
आखिर ख्वाहिशे अभी जिंदा है
दिल के किसी कोने में धड़क रही है
कभी दुख,कभी आह बनकर बरस रही है!
यह तो जीवन की ख्वाहिशे है,
कभी खत्म हुई है ना ही कभी होगी,
ख्वाहिशे जीवन को नई उम्मीद जरूर देगी!
(गोविन्द सूचिक अदनासा जिला -हरदा)
नर्मदापुरम संभाग मध्यप्रदेश

कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता

कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता,
तो ये मेरा दिल न रोया होता
न इतनी तड़प होती इन मंसूब में,
कि कोई मेरा भी था इस दुनिया में..

मैं खुद निखर आता
जब तेरा साथ पाता
सुनहरी जिन्दगी बन जाती
मैं पाकर, बौखलाता
लम्बे सफ़र भी, छोटे सफर
नज़र आते यूँही डगर
पेड़, पौधे, नदियाँ झरने यूँ मुस्कुराते
हाँ जब तुम मेरे होते

कड़वी धूप भी,
सरल -सी होकर मेरे सामने होती
जब तुम बाहों में बाहें डालकर चलती

बेझिझक, बेहिसाब रहता
जब मेरे कंधों पे तेरा हाथ होता
सारी खुशियाँ नज़र आती दूर तक
जहाँ- जहाँ हम जाते,

बदलते मौसमों के रंग
हाँ होते ये भी संग
चलते यूँ बलखाते जब
हँसते यूँ हँसाते जब

 

मनोज कुमार
गोण्डा उत्तर प्रदेश

सहारा

 

परेशानी दुःख-दर्द में घिरे हुए
जीवन में,
कोई भी जब रास्ता
नहीं मिला
कठिनाईयों से तो मैं लड़ा,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

बहुत तलाश रहा था मैं रोशनी को,
मेरे अंधियारे जीवन में
एक किरण दिखी तो किनारा मिला,
तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

दुनिया के सितम से मजबूर हम,
टूटा हुआ तारा बन गए हम।
रास्ता खोजते-खोजते,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई॥

हरिहर सिंह चौहान
जबरी बाग़, नसिया इन्दौर

बच्चे ही मेरी दुनिया हैं-गौरी टोंक

हाल में आए सीरियल ‘तेरी मेरी डोरिया’ फेम अभिनेत्री गौरी टोंक के किरदार जसलीन ने खूब सुर्खियां बटोरीं अब वो हरियाणा में बने नए चर्चित ड्रामा ‘दीवानियत’ में साक्षी चौधरी की भूमिका में नजर आएंगी, जो पारिवारिक प्रपंच में फंसी दृढ़ इच्छाशक्ति वाली मां है। गौरी ने इस भूमिका के लिए एक नया रूप अपनाया और अधिक परिपक्व चरित्र को दर्शाने के लिए अपना वजन बढ़ाया। प्रस्तुत है हिमांशु राज के साथ गौरी टोंक की हुई बातचीत के मुख्य अंश :

गौरी जी कैसा रहा आपका सफर अब तक का?

अभी सफर में ही हूं मैं। मूलत: महाराष्ट्र की ही हूं। मेरा पुणे में जन्म हुआ, मेरी शिक्षा ठाणे में हुई। उसके बाद में इंडस्ट्री में आ गई। शुरुआत में मैंने मराठी शो और फिल्में कीं। उसके बाद बालाजी के साथ ‘एक दिन की वर्दी’ एपिसोड किया। फिर मैं बालाजी के ही साथ ‘कहीं किसी रोज’ में काम किया, जो कि मेरे वैâरियर का टर्निंग प्वाइंट था। मेरे पतिदेव यश टोंक से मेरी भेंट इसी शो के दौरान हुई। मैंने प्रेग्नेंट होने के बाद ब्रेक लिया था।

अभिनेत्री से मां बनने का अनुभव कैसा रहा?
मैं दो बेटियों परी और मायरा की मां हूं। मां बनने का अनुभव तो हर बार अच्छा होता है और हर बार अलग होता है। मेरी पहली बेटी २२ वर्ष की उम्र में हुई। मैं काफी उत्साहित थी कि मैं मां बनने वाली हूं और डर भी था। इस वक्त मैं बालाजी के साथ ‘कहीं किसी रोज’ कर रहे थे। इस दौरान एकता कपूर ने मेरा बहुत साथ दिया था। शूटिंग के दरम्यान कहीं मुझे डॉक्टर के यहां जाना हो तो मुझे नहीं रोका गया। उसके बाद ३६ साल में मुझे दूसरी बेटी हुई, मां बनने का अनुभव था तो उतनी परेशानी नहीं हुई। इस दरमियान मेरा वजन १०३ किलो हो चुका था, खा पी के मस्त रहना था।

गौरी टोंक आप एक मां के रूप में अपना आकलन कैसे करती हैं?

मेरा मां बनना मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन अनुभव है। मुझे मेरी दोनों बेटियां बहुत पसंद हैं, मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं। मेरी पूरी दुनिया मेरे बच्चे ही हैं शायद मैं दुनिया में अपने बच्चों के लिए ही आईं हूं। मेरी सबसे पहली जिम्मेदारी मेरे बच्चे हैं। लोग कहते हैं बच्चों को मां की जरूरत होती है, पर मुझे लगता है मां को भी बच्चों की जरूरत होती है। कई बार बच्चों को यह पता नहीं होता कि वे अपने अभिभावकों के लिए कितने जरूरी है।

मां बनने के बाद आपके काम पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ा?

बड़ी बेटी ‘परी’ के होने के बाद मैंने ‘नच बलिए ४’ किया, इसमें हमारी और यश की जोड़ी उपविजेता रही। ‘कोई है’, ‘क्राइम पेट्रोल’, ‘एक बूंद इश्क’, ‘कामना’, ‘मोही’, ‘शक्ति’ सहित दर्जन भर से ज्यादा प्रोजेक्ट में काम किया। काम रुका नहीं हां मैंने परिवार के लिए कुछ समय का ब्रेक जरूर ले लिया था।

अपने आने वाले प्रोजेक्ट ‘दिवानियत’ के बारे में कुछ बताएं?

‘दीवानियत’ ११ दिसंबर को स्टार प्लस पर शुरू होगा। तेरी ‘मेरी डोरिया मेरा’ एक शो अभी खत्म हुआ था, जिसका जसलीन का किरदार बहुत सुपरहिट हो गया था। स्टार पर ‘दीवानियत’ भी आने वाला था। मैं जसलीन की इमेज से बाहर आना चाहती थी। मैंने ‘दीवानियत’ में साक्षी चौधरी के किरदार के लिए पुन: अपना वेट ७ किलो बढ़ाया है। साक्षी चौधरी की भूमिका एक मजबूत किरदार है, जो कि अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है। किरदार हरियाणवी महिला का है और मेरा ससुराल हरियाणा में है। हरियाणा का भोजन काफी रिच होता है, देसी घी मक्खन से भरपूर। किरदार में ढलने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

आपने अभी तक फिल्मों में कोई किरदार नहीं किया, ऐसा क्यों?

मुझे आज तक ऐसा कोई ऑफर फिल्मों से नहीं मिला। पर अगर कुछ अच्छा ऑफर आता है तो मैं जरूर करना चाहूंगी।

फिल्मों और ओटीटी में बढ़ते खुलेपन पर आपका क्या कहना है?

मैं इसका समर्थन नहीं करती। मैं स्वयं असहज हो जाती हूं। अगर ऐसा कोई सीन आता है तो परिवार के साथ अगर हम कुछ देख रहे होते हैं। आज जरूरत है कि ऐसी फिल्मों को या वेब सीरीज की चिह्नित करने की जिन्हें हम परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं कि नहीं। मैं तो यूट्यूब या चैनल पर बच्चों के प्रोग्राम के दौरान आ रहे ऐसे विज्ञापन का भी विरोध करती हूं जो वयस्कों के लिए हो।

एआई मानव जीवन का अभिन्न अंग: आईटी एक्सपर्ट्स

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान- एबीवीआईआईआईटीएम, ग्वालियर के निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहा, टेक्नोलॉजी समाज कल्याण के लिए है। चाहे साइबर सिक्योरिटी हो, एथिकल इश्यूज़ हों, एथिकल एआई हो, जनरेटिव एआई हो या दीगर उभरती हुई नईं टेक्नोलॉजीज़ सोशल और हयूमन वेलफेयर के लिए ही होनी चाहिए। यूजर्स ही टेक्नोलॉजी का सही मूल्यांकन करते हैं और बताते हैं, टेक्नोलॉजी यूजर्स फ्रैंडली है या नहीं। प्रो. एसएन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ कंप्यूटिंग साइंसेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी- सीसीएसआईटी की सिस्टम मॉडलिंग एंड एडवांसमेंट इन रिसर्च ट्रेंड्स पर दो दिनी 13वीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस स्मार्ट-2024 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले बतौर मुख्य अतिथि एबीवीआईआईआईटीएम के निदेशक प्रो. एसएन सिंह के संग-संग सिक्योरिटीज फाइनेंस, एसएंडपी ग्लोबल, नोएडा के कार्यकारी निदेशक और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. रवि प्रकाश वार्ष्णेय, एसआईएफएस इंडिया फोरेंसिक लैब के प्रबंध निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह, सॉफ्टवेयर इंजीनियर गूगल सर्च, माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया- यूएसए के श्री तपिश प्रताप सिंह ने बतौर विशिष्ट अतिथि, टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर एवं टीएमयू के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. आरके द्विवेदी, सीसीएसआईटी के वाइस प्रिंसिपल एवम् कॉन्फ्रेंस चेयर प्रो. अशेन्द्र कुमार सक्सेना आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस स्मार्ट-2024 का शुभारम्भ किया। कॉन्फ्रेंस में ग्वालियर के प्रो. एसएन सिंह को एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड, जबकि कैलिफोर्निया के श्री तपिश प्रताप सिंह को यंग टेक्नोक्रेट अवार्ड से नवाजा गया। फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. आरके द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया और कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत करते हुए विस्तार से स्मार्ट की विकाश यात्रा पर प्रकाश डाला। कॉन्फ्रेंस में 11 तकनीकी सत्रों के 05 ट्रैक में 67 रिसर्च पेपर पढ़े गए। इस मौके पर कॉन्फ्रेस का प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया गया। संचालन फैकल्टीज़ डॉ. सोनिया जयंत और डॉ. इंदु त्रिपाठी ने किया।

प्रो. सिंह ने कहा, सच यह है, सोसायटी की जरूरतों के हिसाब से टेक्नोलॉजी में तेजी से साल-दर-साल बदलाव हो रहा है। साथ ही हमें इन बदलती तकनीकों से सामंजस्य बैठाना जरूरी है। इंडियन नॉलेज सिस्टम- आईकेएस पर बोले, टेक्नोलॉजी का वास्ता रामायण और महाभारत काल से रहा है। इसके लिए उन्होंने पुष्पक विमान, शब्दभेदी बाण आदि का उदाहरण दिया। हमारे हेलिकाप्टर, मिसाइल या दीगर विमान इन्हीं तकनीकों पर आधारित हैं। किसी भी उत्पाद में तकनीक के संग-संग मैटेरियल्स की भी बड़ी भूमिका है। तकनीकी बदलाव के हम भविष्य वक्ता तो नहीं हो सकते, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी के अनुसार खुद को ढालने की दरकार है। उन्होंने युवाओं से कहा, आप यह न देखें कि आप क्या हैं, बल्कि यह विचार करें कि आपके अंदर क्या विशेषताएं हैं। जीवन में नॉलेज और एजुकेशन के संग-संग हार्ड वर्किंग, कमिटमेंट और ऑनेस्टी बेहद महत्वपूर्ण हैं। भूलना एक प्रकृति है, मान लेना संस्कृति है और सुधार कर लेना ही प्रगति है। सही समय पर स्माइल और साइलेंस महत्वपूर्ण हैं।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के सलाहकार/संयुक्त सचिव और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. सौरभ गुप्ता बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली बोले, इन्नोवेशन में आज इंडिया विश्व में अग्रणी है। भारत ज्ञान प्राप्ति की सीमाओं का दिनों-दिन विस्तार कर रहा है। इन्नोवेशन और टेक्नोलॉजी में भारत शुरू से मील का पत्थर रहा है। सिस्टम मॉडलिंग ट्रेंड्स गेदर ब्रिलिएंट माइड पर बोलते हुए, डिजिटल इंडिया को वरदान बताया। उन्होंने कहा, ब्लॉक चेन, एआई और आईओटी जीवन का इंटीग्रल पार्ट बन चुके हैं। डॉ. गुप्ता ने उमंग, यूपीआई जैसी सरकारी डिजिटल योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। बोले, यूपीआई ने सबसे अधिक ट्रांजिक्शन करके विश्व में भारत को अव्वल बनाया है। डिजिटल इंडिया में भारत का अग्रणी होना यशस्वी पीएम श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता परिलक्षित होती है। टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने स्मार्ट कॉन्फ्रेंस को टीएमयू की यूएसपी बताते हुए कहा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस- एआई हमारे जीवन को आसान बनाती है। साथ ही बोले, किसी भी तकनीक के गुण और दोष दोनों है। हमें केवल गुणों पर फोकस करना चाहिए। अनगिनत क्षेत्रों में एआई हमारे मित्र की भूमिका निभाती है। उच्च शिक्षा से संबंद्ध लोगों को एआई से टीचिंग-लर्निंग, रिसर्च, स्मार्ट बिल्डिंग, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी के संग-संग करिकुलम में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका है। एक शेर को कोट करते हुए कहा, गुरू के बिना जीवन अधूरा है। शिक्षकों को जामवंत की संज्ञा देते हुए कहा, वह हमारे मार्गदर्शक हैं। उन्होंने स्टुडेंट्स को गुरू और सीनियर्स का आदर करने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने स्मार्ट कॉन्फेंस में शिरकत कर रहे स्टुडेंट्स से कहा, खुद को एक्सप्लोर करें। एनालाइज़ करें। डिस्कशन करें। कैलिफोर्निया, यूएस के गूगल सर्च, माउंटेन व्यू, सॉफ्टवेयर इंजीनियर श्री तपिश प्रताप सिंह ने आईओटी और एआई की चुनौतियों और महत्व को गहनता से समझाया। उन्होंने दैनिक जीवन में चैट जीपीटी के सही उपयोग के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। सिक्योरिटीज फाइनेंस, एसएंडपी ग्लोबल, नोएडा के कार्यकारी निदेशक और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. रवि प्रकाश वार्ष्णेय ने कहा, स्टुडेंट्स को रियल टाइम प्रोजेक्ट पर कार्य करने की दरकार है। स्टुडेंट्स को इन्नोवेटिव एंड क्रिटिकल थिंकिंग और प्रोब्लम सॉलबिंग पर फोकस रहना चाहिए। स्मार्ट कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूआईटी, देहरादून के श्री केसी मिश्रा के संग-संग रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डॉ. अलका अग्रवाल, प्रो. एसपी सुभाषिनी, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. सुशील कुमार, प्रो. नवनीत कुमार, प्रो. पीके जैन, डॉ. शंभु भारद्वाज, प्रो. आरसी त्रिपाठी, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. रूपल गुप्ता, श्री नवनीत विश्नोई, मिस रूहेला नाज, श्री विनीत सक्सेना, श्री शिव सदन पाण्डेय, श्री दिव्यांशु सक्सेना आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।