ख्वाहिशें…….

ख्वाहिशें जो दिल में छिपी है,
कुछ बिखरे सपने हैं,
जो वक्त की धूल में दबे हैं!
चाहा था बुंलदियों को छूना,
पर पंखों में थकान आ गई!
आसमान को मुट्ठी में करना चाहा,
पर आसमां भी मुझ से दूर हो गया!
रिश्तों को मेने बहुत संजोना चाहा,
पर दूरियां बढ़ती ही चली गई!
हर खुशी में ग़म छिपा है,
पर अब आंसू भी आंखों में सूख गए!
किताब लिखना चाहता हूं मां के नाम,
खाली पन्नो में कुछ लिखना चाहता हूं!
पंक्ति को यादों संजोना चाहता हूं!
शायद शब्द भी गुमनाम हो गए हैं!
आखिर ख्वाहिशे अभी जिंदा है
दिल के किसी कोने में धड़क रही है
कभी दुख,कभी आह बनकर बरस रही है!
यह तो जीवन की ख्वाहिशे है,
कभी खत्म हुई है ना ही कभी होगी,
ख्वाहिशे जीवन को नई उम्मीद जरूर देगी!
(गोविन्द सूचिक अदनासा जिला -हरदा)
नर्मदापुरम संभाग मध्यप्रदेश

कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता

कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता,
तो ये मेरा दिल न रोया होता
न इतनी तड़प होती इन मंसूब में,
कि कोई मेरा भी था इस दुनिया में..

मैं खुद निखर आता
जब तेरा साथ पाता
सुनहरी जिन्दगी बन जाती
मैं पाकर, बौखलाता
लम्बे सफ़र भी, छोटे सफर
नज़र आते यूँही डगर
पेड़, पौधे, नदियाँ झरने यूँ मुस्कुराते
हाँ जब तुम मेरे होते

कड़वी धूप भी,
सरल -सी होकर मेरे सामने होती
जब तुम बाहों में बाहें डालकर चलती

बेझिझक, बेहिसाब रहता
जब मेरे कंधों पे तेरा हाथ होता
सारी खुशियाँ नज़र आती दूर तक
जहाँ- जहाँ हम जाते,

बदलते मौसमों के रंग
हाँ होते ये भी संग
चलते यूँ बलखाते जब
हँसते यूँ हँसाते जब

 

मनोज कुमार
गोण्डा उत्तर प्रदेश

सहारा

 

परेशानी दुःख-दर्द में घिरे हुए
जीवन में,
कोई भी जब रास्ता
नहीं मिला
कठिनाईयों से तो मैं लड़ा,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

बहुत तलाश रहा था मैं रोशनी को,
मेरे अंधियारे जीवन में
एक किरण दिखी तो किनारा मिला,
तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

दुनिया के सितम से मजबूर हम,
टूटा हुआ तारा बन गए हम।
रास्ता खोजते-खोजते,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई॥

हरिहर सिंह चौहान
जबरी बाग़, नसिया इन्दौर

बच्चे ही मेरी दुनिया हैं-गौरी टोंक

हाल में आए सीरियल ‘तेरी मेरी डोरिया’ फेम अभिनेत्री गौरी टोंक के किरदार जसलीन ने खूब सुर्खियां बटोरीं अब वो हरियाणा में बने नए चर्चित ड्रामा ‘दीवानियत’ में साक्षी चौधरी की भूमिका में नजर आएंगी, जो पारिवारिक प्रपंच में फंसी दृढ़ इच्छाशक्ति वाली मां है। गौरी ने इस भूमिका के लिए एक नया रूप अपनाया और अधिक परिपक्व चरित्र को दर्शाने के लिए अपना वजन बढ़ाया। प्रस्तुत है हिमांशु राज के साथ गौरी टोंक की हुई बातचीत के मुख्य अंश :

गौरी जी कैसा रहा आपका सफर अब तक का?

अभी सफर में ही हूं मैं। मूलत: महाराष्ट्र की ही हूं। मेरा पुणे में जन्म हुआ, मेरी शिक्षा ठाणे में हुई। उसके बाद में इंडस्ट्री में आ गई। शुरुआत में मैंने मराठी शो और फिल्में कीं। उसके बाद बालाजी के साथ ‘एक दिन की वर्दी’ एपिसोड किया। फिर मैं बालाजी के ही साथ ‘कहीं किसी रोज’ में काम किया, जो कि मेरे वैâरियर का टर्निंग प्वाइंट था। मेरे पतिदेव यश टोंक से मेरी भेंट इसी शो के दौरान हुई। मैंने प्रेग्नेंट होने के बाद ब्रेक लिया था।

अभिनेत्री से मां बनने का अनुभव कैसा रहा?
मैं दो बेटियों परी और मायरा की मां हूं। मां बनने का अनुभव तो हर बार अच्छा होता है और हर बार अलग होता है। मेरी पहली बेटी २२ वर्ष की उम्र में हुई। मैं काफी उत्साहित थी कि मैं मां बनने वाली हूं और डर भी था। इस वक्त मैं बालाजी के साथ ‘कहीं किसी रोज’ कर रहे थे। इस दौरान एकता कपूर ने मेरा बहुत साथ दिया था। शूटिंग के दरम्यान कहीं मुझे डॉक्टर के यहां जाना हो तो मुझे नहीं रोका गया। उसके बाद ३६ साल में मुझे दूसरी बेटी हुई, मां बनने का अनुभव था तो उतनी परेशानी नहीं हुई। इस दरमियान मेरा वजन १०३ किलो हो चुका था, खा पी के मस्त रहना था।

गौरी टोंक आप एक मां के रूप में अपना आकलन कैसे करती हैं?

मेरा मां बनना मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन अनुभव है। मुझे मेरी दोनों बेटियां बहुत पसंद हैं, मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं। मेरी पूरी दुनिया मेरे बच्चे ही हैं शायद मैं दुनिया में अपने बच्चों के लिए ही आईं हूं। मेरी सबसे पहली जिम्मेदारी मेरे बच्चे हैं। लोग कहते हैं बच्चों को मां की जरूरत होती है, पर मुझे लगता है मां को भी बच्चों की जरूरत होती है। कई बार बच्चों को यह पता नहीं होता कि वे अपने अभिभावकों के लिए कितने जरूरी है।

मां बनने के बाद आपके काम पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ा?

बड़ी बेटी ‘परी’ के होने के बाद मैंने ‘नच बलिए ४’ किया, इसमें हमारी और यश की जोड़ी उपविजेता रही। ‘कोई है’, ‘क्राइम पेट्रोल’, ‘एक बूंद इश्क’, ‘कामना’, ‘मोही’, ‘शक्ति’ सहित दर्जन भर से ज्यादा प्रोजेक्ट में काम किया। काम रुका नहीं हां मैंने परिवार के लिए कुछ समय का ब्रेक जरूर ले लिया था।

अपने आने वाले प्रोजेक्ट ‘दिवानियत’ के बारे में कुछ बताएं?

‘दीवानियत’ ११ दिसंबर को स्टार प्लस पर शुरू होगा। तेरी ‘मेरी डोरिया मेरा’ एक शो अभी खत्म हुआ था, जिसका जसलीन का किरदार बहुत सुपरहिट हो गया था। स्टार पर ‘दीवानियत’ भी आने वाला था। मैं जसलीन की इमेज से बाहर आना चाहती थी। मैंने ‘दीवानियत’ में साक्षी चौधरी के किरदार के लिए पुन: अपना वेट ७ किलो बढ़ाया है। साक्षी चौधरी की भूमिका एक मजबूत किरदार है, जो कि अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है। किरदार हरियाणवी महिला का है और मेरा ससुराल हरियाणा में है। हरियाणा का भोजन काफी रिच होता है, देसी घी मक्खन से भरपूर। किरदार में ढलने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

आपने अभी तक फिल्मों में कोई किरदार नहीं किया, ऐसा क्यों?

मुझे आज तक ऐसा कोई ऑफर फिल्मों से नहीं मिला। पर अगर कुछ अच्छा ऑफर आता है तो मैं जरूर करना चाहूंगी।

फिल्मों और ओटीटी में बढ़ते खुलेपन पर आपका क्या कहना है?

मैं इसका समर्थन नहीं करती। मैं स्वयं असहज हो जाती हूं। अगर ऐसा कोई सीन आता है तो परिवार के साथ अगर हम कुछ देख रहे होते हैं। आज जरूरत है कि ऐसी फिल्मों को या वेब सीरीज की चिह्नित करने की जिन्हें हम परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं कि नहीं। मैं तो यूट्यूब या चैनल पर बच्चों के प्रोग्राम के दौरान आ रहे ऐसे विज्ञापन का भी विरोध करती हूं जो वयस्कों के लिए हो।

एआई मानव जीवन का अभिन्न अंग: आईटी एक्सपर्ट्स

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान- एबीवीआईआईआईटीएम, ग्वालियर के निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहा, टेक्नोलॉजी समाज कल्याण के लिए है। चाहे साइबर सिक्योरिटी हो, एथिकल इश्यूज़ हों, एथिकल एआई हो, जनरेटिव एआई हो या दीगर उभरती हुई नईं टेक्नोलॉजीज़ सोशल और हयूमन वेलफेयर के लिए ही होनी चाहिए। यूजर्स ही टेक्नोलॉजी का सही मूल्यांकन करते हैं और बताते हैं, टेक्नोलॉजी यूजर्स फ्रैंडली है या नहीं। प्रो. एसएन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ कंप्यूटिंग साइंसेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी- सीसीएसआईटी की सिस्टम मॉडलिंग एंड एडवांसमेंट इन रिसर्च ट्रेंड्स पर दो दिनी 13वीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस स्मार्ट-2024 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले बतौर मुख्य अतिथि एबीवीआईआईआईटीएम के निदेशक प्रो. एसएन सिंह के संग-संग सिक्योरिटीज फाइनेंस, एसएंडपी ग्लोबल, नोएडा के कार्यकारी निदेशक और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. रवि प्रकाश वार्ष्णेय, एसआईएफएस इंडिया फोरेंसिक लैब के प्रबंध निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह, सॉफ्टवेयर इंजीनियर गूगल सर्च, माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया- यूएसए के श्री तपिश प्रताप सिंह ने बतौर विशिष्ट अतिथि, टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर एवं टीएमयू के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. आरके द्विवेदी, सीसीएसआईटी के वाइस प्रिंसिपल एवम् कॉन्फ्रेंस चेयर प्रो. अशेन्द्र कुमार सक्सेना आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस स्मार्ट-2024 का शुभारम्भ किया। कॉन्फ्रेंस में ग्वालियर के प्रो. एसएन सिंह को एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड, जबकि कैलिफोर्निया के श्री तपिश प्रताप सिंह को यंग टेक्नोक्रेट अवार्ड से नवाजा गया। फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. आरके द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया और कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत करते हुए विस्तार से स्मार्ट की विकाश यात्रा पर प्रकाश डाला। कॉन्फ्रेंस में 11 तकनीकी सत्रों के 05 ट्रैक में 67 रिसर्च पेपर पढ़े गए। इस मौके पर कॉन्फ्रेस का प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया गया। संचालन फैकल्टीज़ डॉ. सोनिया जयंत और डॉ. इंदु त्रिपाठी ने किया।

प्रो. सिंह ने कहा, सच यह है, सोसायटी की जरूरतों के हिसाब से टेक्नोलॉजी में तेजी से साल-दर-साल बदलाव हो रहा है। साथ ही हमें इन बदलती तकनीकों से सामंजस्य बैठाना जरूरी है। इंडियन नॉलेज सिस्टम- आईकेएस पर बोले, टेक्नोलॉजी का वास्ता रामायण और महाभारत काल से रहा है। इसके लिए उन्होंने पुष्पक विमान, शब्दभेदी बाण आदि का उदाहरण दिया। हमारे हेलिकाप्टर, मिसाइल या दीगर विमान इन्हीं तकनीकों पर आधारित हैं। किसी भी उत्पाद में तकनीक के संग-संग मैटेरियल्स की भी बड़ी भूमिका है। तकनीकी बदलाव के हम भविष्य वक्ता तो नहीं हो सकते, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी के अनुसार खुद को ढालने की दरकार है। उन्होंने युवाओं से कहा, आप यह न देखें कि आप क्या हैं, बल्कि यह विचार करें कि आपके अंदर क्या विशेषताएं हैं। जीवन में नॉलेज और एजुकेशन के संग-संग हार्ड वर्किंग, कमिटमेंट और ऑनेस्टी बेहद महत्वपूर्ण हैं। भूलना एक प्रकृति है, मान लेना संस्कृति है और सुधार कर लेना ही प्रगति है। सही समय पर स्माइल और साइलेंस महत्वपूर्ण हैं।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के सलाहकार/संयुक्त सचिव और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. सौरभ गुप्ता बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली बोले, इन्नोवेशन में आज इंडिया विश्व में अग्रणी है। भारत ज्ञान प्राप्ति की सीमाओं का दिनों-दिन विस्तार कर रहा है। इन्नोवेशन और टेक्नोलॉजी में भारत शुरू से मील का पत्थर रहा है। सिस्टम मॉडलिंग ट्रेंड्स गेदर ब्रिलिएंट माइड पर बोलते हुए, डिजिटल इंडिया को वरदान बताया। उन्होंने कहा, ब्लॉक चेन, एआई और आईओटी जीवन का इंटीग्रल पार्ट बन चुके हैं। डॉ. गुप्ता ने उमंग, यूपीआई जैसी सरकारी डिजिटल योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। बोले, यूपीआई ने सबसे अधिक ट्रांजिक्शन करके विश्व में भारत को अव्वल बनाया है। डिजिटल इंडिया में भारत का अग्रणी होना यशस्वी पीएम श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता परिलक्षित होती है। टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने स्मार्ट कॉन्फ्रेंस को टीएमयू की यूएसपी बताते हुए कहा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस- एआई हमारे जीवन को आसान बनाती है। साथ ही बोले, किसी भी तकनीक के गुण और दोष दोनों है। हमें केवल गुणों पर फोकस करना चाहिए। अनगिनत क्षेत्रों में एआई हमारे मित्र की भूमिका निभाती है। उच्च शिक्षा से संबंद्ध लोगों को एआई से टीचिंग-लर्निंग, रिसर्च, स्मार्ट बिल्डिंग, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी के संग-संग करिकुलम में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका है। एक शेर को कोट करते हुए कहा, गुरू के बिना जीवन अधूरा है। शिक्षकों को जामवंत की संज्ञा देते हुए कहा, वह हमारे मार्गदर्शक हैं। उन्होंने स्टुडेंट्स को गुरू और सीनियर्स का आदर करने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने स्मार्ट कॉन्फेंस में शिरकत कर रहे स्टुडेंट्स से कहा, खुद को एक्सप्लोर करें। एनालाइज़ करें। डिस्कशन करें। कैलिफोर्निया, यूएस के गूगल सर्च, माउंटेन व्यू, सॉफ्टवेयर इंजीनियर श्री तपिश प्रताप सिंह ने आईओटी और एआई की चुनौतियों और महत्व को गहनता से समझाया। उन्होंने दैनिक जीवन में चैट जीपीटी के सही उपयोग के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। सिक्योरिटीज फाइनेंस, एसएंडपी ग्लोबल, नोएडा के कार्यकारी निदेशक और प्रौद्योगिकी प्रमुख डॉ. रवि प्रकाश वार्ष्णेय ने कहा, स्टुडेंट्स को रियल टाइम प्रोजेक्ट पर कार्य करने की दरकार है। स्टुडेंट्स को इन्नोवेटिव एंड क्रिटिकल थिंकिंग और प्रोब्लम सॉलबिंग पर फोकस रहना चाहिए। स्मार्ट कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूआईटी, देहरादून के श्री केसी मिश्रा के संग-संग रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डॉ. अलका अग्रवाल, प्रो. एसपी सुभाषिनी, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. सुशील कुमार, प्रो. नवनीत कुमार, प्रो. पीके जैन, डॉ. शंभु भारद्वाज, प्रो. आरसी त्रिपाठी, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. रूपल गुप्ता, श्री नवनीत विश्नोई, मिस रूहेला नाज, श्री विनीत सक्सेना, श्री शिव सदन पाण्डेय, श्री दिव्यांशु सक्सेना आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

प्रदेश के राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप, पद का कर रहे दुरुपयोग!

मंगलेश्वर त्रिपाठी

जौनपुर: प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री गिरीश चंद्र के ऊपर आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप लगे हैं। जिसको लेकर माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर (डॉ.) आशाराम ने गिरीश चंद्र यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और पद का दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को 7 अगस्त और 11 अक्टूबर 2024 को लखनऊ में मिलकर शिकायती पत्र सौंपा था। आशाराम का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा मामले की जांच सतर्कता आयोग को सौंप दी गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जांच शीघ्र पूरी कर उचित कार्रवाई की जाए ताकि जनता का सरकार पर विश्वास बना रहे। राज्यमंत्री के प्रभाव का इस्तेमाल कर कानूनी कार्रवाई को रोक दिया गया।
जौनपुर जिले के जफराबाद थाना क्षेत्र के पिण्डरा गांव निवासी आशाराम ने आरोप लगाया कि राज्यमंत्री ने अपनी विधिक आय से कई गुना अधिक अवैध संपत्ति अर्जित की है। उन्होंने बताया कि मंत्री द्वारा कई जिलों में कीमती जमीन, मकान और गाड़ियां खरीदी गई हैं। इसके साथ ही धर्मापुर ब्लॉक के पिण्डरा गांव में उनकी जमीन से जुड़े मामलों में राज्यमंत्री के प्रभाव का इस्तेमाल कर कानूनी कार्रवाई को रोक दिया गया। आशाराम का आरोप है कि मंत्री ने अपने करीबी मुन्ना लाल यादव को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाकर उनकी जमीन हड़प ली है और चकमार्ग की पैमाइश भी रुकवा दी है। 50 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों पर फोन के जरिए दबाव बनाया
पूर्व चेयरमैन ने यह भी दावा किया कि उनके पास ऐसे प्रमाण हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि राज्यमंत्री ने 50 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों पर फोन के जरिए दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) की जांच से यह तथ्य प्रमाणित हो सकता है। आशाराम ने मुख्यमंत्री से इस मामले में शीघ्र कार्रवाई करने का आग्रह किया ताकि सरकार की छवि पर लग रहे कलंक को मिटाया जा सके और आम जनता के बीच सकारात्मक संदेश भेजा जा सके।

नौसेना दिवस के अवसर पर कामोठे में वॉकथॉन का आयोजन

 1971 के युद्ध नायकों को किया जाएगा सम्मानित

सामना संवाददाता / कामोठे

नौसेना दिवस के उपलक्ष्य में 8 दिसंबर 2024 को सुबह खंडेश्वर रेलवे स्टेशन के कार पार्किंग क्षेत्र से एक भव्य वॉकथॉन का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन नेवल वेटरन्स वेलफेयर एसोसिएशन और वेटरन्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीय नौसेना की महत्ता और 1971 के युद्ध में उसकी भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।

वॉकथॉन के लिए प्रतिभागी सुबह 7:00 बजे एकत्रित होंगे। 7:15 बजे उपस्थित लोगों का स्वागत किया जाएगा और इसके बाद 7:30 बजे झंडा दिखाकर वॉकथॉन की शुरुआत की जाएगी। यह कार्यक्रम सुबह 8:30 बजे समाप्त होगा।

वॉकथॉन के बाद 1971 के युद्ध के नायकों और वीर नारियों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम में उनकी बहादुरी और राष्ट्र सेवा को सराहा जाएगा। सम्मान समारोह के दौरान प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित होंगे और जलपान की व्यवस्था की गई। साथ ही, प्रेरणात्मक भाषणों के जरिए भारतीय नौसेना के अद्वितीय योगदान और गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला जाएगा

कार्यक्रम के दौरान भारतीय नौसेना के दिग्गज श्री महेंद्र सिंह (मार्कोस) ने  1971 के युद्ध की घटनाओं के बारे में बताया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल भारतीय नौसेना के योगदान को सम्मानित करना है, बल्कि युवाओं को देश की रक्षा के लिए प्रेरित करना भी है।

खत्म हुआ चुनाव, अब … लाडली बहनों पर गिरेगी गाज! …लाखों आवेदनों की फिर से होगी जांच

-ढाई लाख होगा आवेदन का सैंपल साइज
-गड़बड़ी पाए जाने पर बढ़ सकता है दायरा
सामना संवाददाता / मुंबई
चुनाव से पहले महायुति सरकार ने लाडली बहन योजना लागू कर वोट तो बटोर लिए, पर अब यह योजना उसके गले की फांस बनती जा रही है। तिजोरी में पैसे हैं नहीं और हर महीने बहनों को पैसे देने हैं। चुनाव में तो महायुति ने १,५०० की यह रकम बढ़ाकर २,१०० करने का वादा भी कर दिया है। पर अब चुनाव खत्म हो चुका है, ऐसे में कई लाडली बहनों पर गाज गिर सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।
खबर है कि नई सरकार लाडली बहनों के आवेदनों की जांच कराएगी। इसके लिए ढाई लाख आवेदनों की रैंडम जांच की जाएगी। देवेंद्र फडणवीस महाराष्‍ट्र के नए सीएम बन गए हैं। इसी बीच अब इस योजना में खामियों की बात उठाई जा रही है। अब तक करीब ढाई करोड़ बहनों को पैसा दिया गया है। अब खबर है कि इनमें से एक प्रतिशत या ढाई लाख लाभार्थियों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट्स के बाद महाराष्‍ट्र के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से सफाई दी गई है।

चरणबद्ध तरीके से
होगी सैंपल की जांच
सरकार के निशाने पर लाडली बहनें

चुनाव खत्म होते ही राज्य की लाडली बहनें निशाने पर हैं। सरकार इनके आवेदनों की जांच करवाने वाली है। इस बारे में डब्ल्यूसीडी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लाडली बहन योजना के कुल २.५ करोड़ लाभार्थी हैं। फिलहाल कमियों को दूर करने के लिए आवेदनों में से १ फीसदी का ऑडिट करने की योजना है। बाद में चरणबद्ध तरीके से सैंपल की जांच की जाएगी। इस योजना के तहत महाराष्‍ट्र सरकार मौजूदा समय में महिलाओं को १,५०० रुपए हर महीने दे रही है। सरकार का प्‍लान इसे बढ़ाकर २,१०० रुपए करने का है। बताया जा रहा है कि दिसंबर में नई सरकार के तहत योजना को आगे बढ़ाने से पहले ऑडिट पूरा हो जाने की संभावना है।
५ किश्‍तें जा चुकी हैं
अधिकारियों ने कहा कि यह जांच जरूरी थी। फाइनेंस और डब्ल्यूसीडी विभागों ने सभी आवेदनों की गहन जांच का प्रस्ताव दिया है। अब तक इस योजना के तहत पांच किस्तें दी जा चुकी हैं। दिसंबर के लिए छठी किस्त पहली वैâबिनेट बैठक के बाद जमा होने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने इस योजना के लिए ३६,००० करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। उन्‍हें स्‍पेशल सप्‍लीमेंट्री बजट के जरिए बढ़ी हुई राशि के लिए अतिरिक्त पैसा जारी करना होगा। महाराष्‍ट्र के वित्त विभाग के अधिकारियों ने कहा कि संभावित धोखाधड़ी के दावों और पैसों के दुरुपयोग की चिंताओं को दूर करने के लिए जिला स्तर पर जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि टैक्‍स-पेयर का पैसा केवल वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे। मल्‍टी-लेवल वैरिफिकेशन सिस्‍टम को अपनाया जाएगा। एक बहुस्तरीय सत्यापन प्रणाली इस प्रक्रिया को अंजाम देगी।

संपादकीय : हां, वे फिर से आ गए!

गुजरात की कठपुतली… बोल्ड
विधानसभा के नतीजे आने के करीब बारह दिन बाद महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस की वापसी हुई। फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का सीधा-सीधा मतलब है कि गुजरात की कठपुतली शिंदे उड़ गए। फिर भी उन्हीं शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजीत पवार का उपमुख्यमंत्री पद बालध्रुव की तरह अटल है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फडणवीस संघर्ष, अपमान और तिरस्कार का जहर पचाकर मुख्यमंत्री बने। अब उन्हें मुख्यमंत्री बनने के लिए रात-रात भर भेष बदलने, अंधेरे में लुक-छिपकर बैठकें नहीं लेनी पड़ीं। विधानसभा का जनादेश भाजपा और उसके सहयोगियों के पक्ष में रहा। पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। इतने सारे ‘धुंआधार’ वोटों से हम वैâसे जीत गए? ये सवाल फडणवीस समेत पूरी भाजपा को है। उसी अचंभित चेहरे के साथ फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
क्यों लगे १२ दिन?
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पर बधाइयों की वर्षा हो रही है। समाचार चैनलों पर ‘शपथ ग्रहण समारोह के लिए आजाद मैदान चलें’ जैसे विज्ञापन प्रसारित किए गए। ऐसे वक्त में जब महाराष्ट्र का दिवाला निकल रहा है, शपथ ग्रहण समारोह की दिवाली मनाई गई। भारतीय जनता पार्टी ने १३२ सीटें जीतीं। दोनों सहयोगियों के प्रचंड बहुमत के बावजूद सरकार बनाने में १२ दिन क्यों लगे? इस अवधि के दौरान, महाराष्ट्र ने अस्त होते मुख्यमंत्री का रूठना-मनाना देखा। उनका दावा था कि मैं दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा और ये दिल्ली का वादा है। वे कहते रहे कि भाजपा को ये जीत इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने काम किया। वे इस बात पर अड़े थे कि मुख्यमंत्री पद के अलावा वे कुछ भी नहीं लेंगे। उस जिद को नजरअंदाज करते हुए फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
लोकतंत्र का घोंटा गला
महाराष्ट्र में फडणवीस की सरकार आने से ज्यादा खुशी का माहौल नहीं दिख रहा है, क्योंकि लोग भाजपा की जीत को लेकर सशंकित हैं। लोग सड़कों पर उतरकर कहने लगे हैं कि ये जीत असली नहीं है। गांव-गांव में दोबारा वोटिंग की मांग चल रही है। मारकडवाडी जैसी जगहों पर लोगों ने बैलेट पेपर पर दोबारा मतदान की कोशिश की, लेकिन धारा-१४४ लगाकर पुलिसिया दमन ने वहां लोकतंत्र का गला घोंट दिया। यदि मारकडवाडी की यह आग राज्य के गांव-गांव में पैâल गई तो कानून व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाएगा। सवाल ये है कि ऐसे वक्त में नए मुख्यमंत्री दमन का रास्ता अख्तियार करेंगे या संयम रखेंगे? देवेंद्र फडणवीस इस आरोप को वैâसे मिटाएंगे कि वे सांप्रदायिक और प्रतिशोधी हैं? सिस्टम का दुरुपयोग और उससे आतंक पैदा करके फडणवीस ने पार्टी के भीतर और बाहर विरोधियों को हटाया। अगर फडणवीस ने दोबारा ऐसा व्यवहार किया तो बहुमत प्रभावहीन हो जाएगा। उनके प्रशंसक बेशक सोच रहे होंगे कि उन्हें विनम्रतापूर्वक बहुमत को स्वीकार करना चाहिए और महाराष्ट्र के हित में इसका उपयोग किया जाए।
कैसे निपटोगे?
राज्य में कई समस्याएं हैं। मराठा आरक्षण से लेकर रोजगार तक, किसानों की आत्महत्या से लेकर फसलों की कीमतों तक। भाजपा की जीत के बाद से ही मुंबई जैसे शहरों में मराठी द्वेषी सांप फुफकारने लगे हैं। ये लोग मुंबई में मराठी मानुस को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने का डंका बजाया गया, लेकिन मुंबई में मराठी बोलने और मराठी जीने वालों पर आतंक के गिद्ध फड़फड़ा रहे हैं और अगर ये गिद्ध खुद को भाजपा समर्थक कहते हैं तो क्या मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस इन गिद्धों का बंदोबस्त करने का साहस करेंगे? नई सरकार को याद रखना चाहिए कि यह राज्य मराठी भाषी है और मराठी लोगों ने इसके लिए अपना खून बहाया है। राज्य की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठकर देवेंद्र फडणवीस किस दिशा में जाएंगे?
कर्ज का बोझ और कांटों का ताज
लाडली बहन योजना से राज्य पर ४४ हजार करोड़ का बोझ है। चुनाव प्रचार में इन मंडलियों ने बहनों को १,५०० की जगह २,१०० रुपए देने का वादा किया था, जिसके चलते बोझ बढ़ेगा। किसानों की कर्ज माफी का भी वादा है। इन वादों को पूरा करने के लिए उन्हें वित्तीय योजना और अनुशासन रखना होगा। लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि शिंदे काल में होनेवाली लूटपाट को खत्म करके यह राज्य चोरों और लुटेरों के हाथ से बच गया है। मराठा आरक्षण का क्या करेंगे? फडणवीस के आसपास जरांगे नामक तूफान मंडरा रहा है। अगर वे शांत नहीं हुए तो राज्य में कई नए मुद्दे खड़े हो जाएंगे और सरकार के भीतर नए विरोधी आग लगाने का काम करेंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर बैठना अब कांटों पर बैठने जैसा है। देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर उस महान कुर्सी पर बैठे हैं। यह उनकी जिद थी। उन्होंने दिन में शपथ ली। शासन बहुमत का है, लेकिन बहुमत फर्जी होने के कारण गांव-गांव में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। कोर्ट, चुनाव आयोग और ईवीएम के त्रिवेणी संगम से महाराष्ट्र में एक नया राज आया है। फिर भी देवेंद्र फडणवीस को बधाई!!

अब दिवा ने दोहराया ‘बदलापुर’ … ५वीं कक्षा की बच्ची के साथ हैवानियत! …स्कूल में घुसकर रेप की कोशिश

– सीसीटीवी में कैद हुआ नराधम
सामना संवाददाता / मुंबई
कुछ महीने पहले बदलापुर के एक स्कूल में दो छोटी बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि अब दिवा के एक स्कूल में भी ५वीं कक्षा की छात्रा के साथ हैवानियत की खबर ने लोगों को आक्रोशित कर दिया है। वहां एक स्कूल में एक बाहरी शख्स ने घुसकर १० वर्षीया बच्ची के साथ रेप करने की कोशिश की। उक्त नराधम की तस्वीर सीसीटीवी में वैâद हो गई है। हालांकि, पुलिस उस शख्स की खोज कर रही है, पर खबर लिखे जाने तक उसे पकड़ नहीं पाई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, बच्ची के शोर मचाने पर वह शख्स वहां से भाग गया। इसके बाद प्रिसिंपल ने बच्ची को शांत रहने और यह बात किसी से न कहने को कहा। मगर बच्ची जब घर आई तो काफी डरी हुई लग रही थी। मां-बाप के पूछने पर उसने स्कूल की खौफनाक घटना के बारे में बताया। इसके बाद परिवार मुंब्रा थाने पहुंचा और वहां स्कूल में बच्ची के साथ हुई इस घटना की शिकायत दर्ज कराई। प्रिसिंपल द्वारा मामला दबाए जाने के कारण उसे भी हिरासत में लिए जाने की खबर है।

कागजों पर ही चल रही है स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था!

दिवा के एक स्कूल में महज १० साल की छात्रा के साथ अश्लील हरकत की घटना सामने आने के बाद स्कूलों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में बदलापुर के एक स्कूल में नाबालिग बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कड़े आदेश जारी किए थे, लेकिन वे सारे आदेश कागजों तक सीमित रह गए।
दिवा की पीड़ित बच्ची जिस स्कूल में पढ़ रही थी, असल में वह स्कूल ही अवैध तरीके से चलाए जाने की जानकारी मिली है। स्कूल में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होने के चलते यह बाहरी शख्स बड़ी आसानी से स्कूल के भीतर क्लास तक पहुंच गया और छोटी बच्ची के साथ रेप करने की कोशिश की। घबराई और सहमी हुई बच्ची जब घर पहुंची तो घरवाले उसे देखकर दंग रह गए कि वह इतनी डरी हुई क्यों है! सारी बातें पता चलने के बाद उन्होंने मुंब्रा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया। मुंब्रा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अनिल शिंदे ने बताया कि जांच में पता चला कि स्कूल अवैध तरीके से चलाया जा रहा था और वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। शिंदे ने बताया कि आरोपी की सीसीटीवी फुटेज से शिनाख्त कर ली गई है और जल्द ही इसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मुंब्रा पुलिस के मुताबिक, स्कूल की प्रिंसिपल को मामले को दबाने और अवैध स्कूल चलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है।