शर्तों के साथ शिंदे ने ली शपथ! …दिल्ली जाकर शाह से करेंगे मुलाकात पूछेंगे, `क्या हुआ तेरा वादा?

न सीएमओ मिला, न गृह मंत्रालय’
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार में शिंदे गुट को दरकिनार किए जाने की नाराजगी एकनाथ शिंदे के चेहरे पर साफ नजर आ रहा है। वे उप मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं लेना चाहते थे, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मनाए जाने के बाद शिंदे ने कल शर्त के साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिंदे ने शर्त रखी कि वे अमित शाह से एक बार अकेले (बंद कमरे) में मिलना चाहते हैं। उनकी इस शर्त को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मान लिया।
सूत्रों की मानें तो शिंदे उस वादे को लेकर अमित शाह से जवाब चाहते हैं, जो उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे को दिया था। वादे के बाद भी शिंदे का सीएम बनना तो दूर, उनके हाथ गृह विभाग भी नहीं आया। यही उनकी नाराजगी का प्रमुख कारण है।

शिंदे से बिना मिले ही
लौट गए अमित शाह!
अब दिल्ली की दौड़ लगाएंगे डीसीएम

एकनाथ शिंदे ने कल उप मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली, पर उनकी नाराजगी अब भी कायम है। शिंदे को अब भी आस है कि शायद अमित शाह को अपना वादा याद आ जाए। पर आश्चर्य की बात है कि उनकी शपथ विधि के बाद अमित शाह बंद कमरे में शिंदे से मुलाकात किए बगैर ही पीएम मोदी संग लौट गए।
सूत्रों की मानें तो आज शाम शिंदे दिल्ली रवाना हो सकते हैं और एक बार फिर अमित शाह से मिलने की कोशिश कर सकते हैं। इसके बाद अमित शाह से बंद कमरे में मिलकर शिंदे विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की ओर से किए गए वादों को याद दिलाना चाह रहे हैं। साथ ही यह भी बताना चाह रहे हैं कि शिंदे गुट को इस सरकार में दरकिनार किए जाने से उनकी छवि को झटका लगा है। इतनी अधिक सीटें लाने के बाद भी यदि शिंदे गुट को सरकार में तवज्जो और सत्ता में बेहतर हिस्सेदारी नहीं मिलती है तो उनके विधायकों में नाराजगी बढ़ सकती है और वे टूट भी सकते हैं। इस डैमेज कंट्रोल के लिए उन्हें गृह मंत्रालय सहित महत्वपूर्ण विभाग देना कितना जरूरी है। बता दें महायुति में अब भी नाराजगी और असंतोष के संकेत हैं। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही गृह मंत्रालय को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। शिंदे अब भी गृह विभाग पर अड़े हुए हैं।

निमंत्रण पत्र पर विवाद
शपथ ग्रहण से पहले भाजपा और दादा गुट के निमंत्रण पत्रों को लेकर विवाद हुआ। भाजपा के निमंत्रण पत्र पर केवल फडणवीस का नाम था, जबकि दादा गुट के निमंत्रण पत्र पर अजीत पवार और फडणवीस का नाम था। शिंदे गुट ने इस पर आपत्ति जताई।

राज्य हित में नहीं, स्वार्थ के लिए एकजुट हुए हैं ये लोग …राजनीति से अब शिंदे युग समाप्त …भाजपा ने इस्तेमाल किया और फेंक दिया …संजय राऊत का महायुति पर जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की राजनीति से अब शिंदे युग समाप्त हो चुका है। उनकी जरूरत खत्म हो गई है। भाजपा ने उन्हें इस्तेमाल किया और अब फेंक दिया। वे अब कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। भाजपा अपनी रणनीति के अनुसार, शिंदे गुट को भी तोड़ सकती है। जो लोग भाजपा के साथ काम करते हैं, उन्हीं के दल को भाजपा खत्म कर देती है। ऐसा प्रखर मत रखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के नेता और सांसद संजय राऊत ने भाजपा और शिंदे गुट पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कही।
संजय राऊत ने आरोप लगाया कि भाजपा और महायुति के भीतर गड़बड़ी है। उन्होंने कहा कि बहुमत के बावजूद महायुति १३-१४ दिन तक सरकार नहीं बना पाई। इसका मतलब है कि भाजपा या महायुति के भीतर कुछ गड़बड़ है। शपथ विधि के बाद से यह गड़बड़ी दिखने लगेगी। ये लोग महाराष्ट्र या देश के हित में नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ के लिए एकजुट हुए हैं।
एकनाथ शिंदे की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि शिंदे के पास दिल्ली से पंगा लेने की हिम्मत नहीं है। जैसे ढाई-तीन साल पहले हिम्मत नहीं थी, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी। अब उन्हें सत्ता में बने रहना ही होगा, क्योंकि कुछ लोग सत्ता के बिना नहीं रह सकते।
नए मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं
संजय राऊत ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महाराष्ट्र की परंपरा के अनुसार, हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। अब राज्य को सावधानीपूर्वक संभालने और इसे लूट से बचाने की जिम्मेदारी उनकी है। पिछले ढाई-तीन सालों में महाराष्ट्र के उद्योग, रोजगार, संपत्ति और सार्वजनिक उपक्रमों की जो लूट हुई है, उसे रोकना होगा। अगर वे ऐसा करते हैं, तो महाराष्ट्र उन्हें एक अच्छे मुख्यमंत्री के रूप में याद करेगा।

राऊत ने कहा कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हैं और जनता अब भी उस झटके से बाहर नहीं आ पाई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव के नतीजों के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर रही है। गांवों में मॉक पोल हो रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए धारा १४४ लगाई जा रही है और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।

सरकारी फाइलों में अटका … वर्सोवा-दहिसर और भायंदर लिंक रोड प्रोजेक्ट! …मुंबई की ट्रैफिक समस्या के समाधान का सपना चकनाचूर

सामना संवाददाता / मुंबई
बीएमसी द्वारा वर्सोवा -दहिसर लिंक रोड (वीडीएलआर) और दहिसर-भायंदर लिंक रोड (डीबीएलआर) परियोजनाओं को शुरू किए एक साल बीत चुका है, लेकिन प्रोजेक्ट का काम जमीन पर शुरू होने की बजाय मंजूरी की फाइलों में अटका हुआ है। जिसके कारण मुंबई की ट्रैफिक समस्या के समाधान का सपना चकनाचूर होता हुआ दिखाई दे रहा है।

हाल ही में इस परियोजना को कोस्टल रेग्युलेशन जोन (सीआरजेड) क्लीयरेंस मिली है, लेकिन अब भी कई अहम मंजूरियां लंबित हैं। इनमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), समुद्री बोर्ड और हाई कोर्ट की अनुमति आदि का समावेश है।

मुंबई कोस्टल रोड फेज २ का हिस्सा यह प्रोजेक्ट २० किलोमीटर लंबा होगा, जिसकी अनुमानित लागत १६,६२१ करोड़ रुपए है। यह वर्सोवा से दहिसर तक ट्रैफिक जाम कम करने में मदद करेगा। इसके साथ ही, दहिसर और भायंदर के बीच ५.६ किलोमीटर का एलिवेटेड रोड बनाने की योजना है, जिसकी लागत लगभग ३,३०४ करोड़ रुपए बताई जा रही है। लेकिन इन योजनाओं का लाभ कब मिलेगा, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।

प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए जनवरी २०२३ में वर्क ऑर्डर जारी किया गया था, लेकिन जरूरी अनुमतियों की कमी के कारण अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। `सीआरजेड क्लीयरेंस एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन बाकी अनुमतियों के बिना प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सकता। प्रक्रिया तेज करने की कोशिश की जा रही है।’ ऐसा बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।

इस परियोजना के अंतर्गत वीडीएलआर को छह पैकेजों में बांटा गया है। पैकेज सी और डी के तहत माइंडस्पेस से चारकोप (कांदिवली) तक ३.६६ किलोमीटर लंबी जुड़वां सुरंगें बनाई जाएंगी। इस काम की लागत ५,८२१ करोड़ रुपए अनुमानित है। लेकिन इन सुरंगों का निर्माण कब शुरू होगा, यह स्पष्ट नहीं है। पैकेज ए में वर्सोवा से बांगुर नगर (गोरेगांव) तक ४.५ किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जानी है, जबकि पैकेज बी में बांगुर नगर से माइंडस्पेस (मालाड) तक १.६६ किलोमीटर का काम शामिल है।

दहिसर से भायंदर तक यातायात को आसान बनाने वाली इस परियोजना को २०२९ तक पूरा करने का लक्ष्य है। लेकिन अब तक केवल फाइलें ही आगे बढ़ रही हैं, जबकि मुंबई की जनता हर दिन ट्रैफिक में घंटों फंसी रहती है। सवाल उठता है कि क्या यह परियोजना भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह कागजों में ही सीमित रह जाएगी?

ठीक से काम नहीं किया तो बुलडोजर के नीचे डाल देंगे … नितिन गडकरी की ठेकेदारों को चेतावनी

सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में अपने मंत्रालय से जुड़े कार्यों और सदस्यों के सवालों के जवाब दिए। इस दौरान गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में होनेवाली मौतों पर रोष जाहिर किया। इतना ही नहीं, उन्होंने सड़क परियोजनाओं में कॉन्ट्रैक्टर्स की लापरवाही से लेकर टोल केंद्रों की संख्या को लेकर भी जवाब दिया।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को
लेकर हुआ था सवाल
दरअसल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की खामियां गिनार्इं थीं और १५० से ज्यादा लोगों की मौत की बात कही थी। नागौर से सांसद ने बताया था कि अकेले दौसा में ही ५० से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं। उन्होंने एक्सप्रेस-वे पर लगाए गए ठेकेदारों और अफसरों पर कार्रवाई और जांच रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री से जानकारी मांगी थी। इस पर गडकरी ने कहा कि लेयर में फर्क आया है, लेकिन मैटेरियल में बदमाशी नहीं हुई है।
सड़क हादसों में १ साल में
१.६८ लाख लोगों की मौत
गडकरी ने लोकसभा में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद देश में सड़क हादसों की वजह से एक साल के अंदर १.६८ लाख लोगों की मौत हुई है। इन दुर्घटनाओं में मरनेवालों में ६० फीसदी युवा थे। उन्होंने सदन में कहा कि यह स्थिति दुखद है और इसे रोकने के लिए समाज को सहयोग करना होगा।

गडकरी ने कहा कि किसी भी कॉन्ट्रैक्टर को अपने कॉन्ट्रैक्ट के लिए मंत्रालय नहीं आना पड़ा। हम पारदर्शी हैं, समय सीमा को लेकर प्रतिबद्ध हैं और नतीजे चाहते हैं। मैं सार्वजनिक सभा में कह चुका हूं कि अगर कॉन्ट्रैक्टर काम नहीं करेगा तो बुलडोजर के नीचे उसको डलवा देंगे, याद रखना। इस साल देखो कॉन्ट्रैक्टर को वैâसे ब्लैक लिस्ट करवाते हैं।

म्हाडा के लग्जरी घरों का प्लान हुआ फ्लॉप! …लोगों में हाई-फाई घरों की चाहत हुई खत्म

-अब सिर्फ आम लोगों के लिए किफायती घरों पर रहेगा फोकस
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
म्हाडा ने पहली बार निजी डेवलपर्स को टक्कर देते हुए गोरेगांव के प्रेमनगर में जिम, स्विमिंग पूल, पोडियम पार्किंग जैसी हाई-फाई सुविधाओं से लैस ३३२ घरों का प्रोजेक्ट तैयार किया था। लेकिन हाल ही में निकाली गई लॉटरी में इन घरों के लिए आवेदकों का अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला। इसके चलते म्हाडा की अब हाई-फाई घरों यानी लग्जरी घरों की चाहत खत्म हो गई है और प्राधिकरण ने तय किया है कि आगे से सिर्फ आम लोगों के लिए किफायती घरों पर ही फोकस किया जाएगा। म्हाडा की ओर से गोरेगांव के प्रेमनगर में ३९ मंजिला टॉवर का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें मध्यम आय वर्ग के लिए २२७ और उच्च आय वर्ग के लिए १०५ फ्लैट बनाए जा रहे हैं। उच्च आय वर्ग के फ्लैट ९७९ वर्ग फुट के हैं, जबकि मध्यम आय वर्ग के फ्लैट ७९४ वर्ग फुट के हैं। सितंबर में म्हाडा ने २०३० घरों की बिक्री के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें इन हाई-फाई घरों को भी शामिल किया गया था। इन घरों की कीमतें १.१० करोड़ रुपए से लेकर १.३३ करोड़ रुपए तक तय की गई थीं। हालांकि, निजी डेवलपर्स की तुलना में इनकी कीमतें कम थीं, लेकिन फिर भी इन घरों के लिए केवल ७-८ हजार आवेदन ही प्राप्त हुए।
मुंबई मंडल की लॉटरी में अत्यल्प और अल्प आय वर्ग के घरों के लिए आवेदकों की भारी भीड़ उमड़ी थी। अत्यल्प आय वर्ग के ३५९ घरों के लिए ४७,१३४ आवेदन आए, जबकि अल्प आय वर्ग के ६२७ घरों के लिए ४८,७६२ आवेदन प्राप्त हुए। मध्यम आय वर्ग के ७६८ घरों के लिए ११,४६१ आवेदन आए, जबकि उच्च आय वर्ग के २७६ घरों के लिए केवल ६,४५४ आवेदन ही प्राप्त हुए।

`करोड़ों रुपए देकर घर खरीदने वालों के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन आम लोगों के लिए कोई ज्यादा घर नहीं बनाता। इसलिए, अब हाई-फाई घर बनाने के बजाय हमारा फोकस अत्यल्प, अल्प और मध्यम आय वर्ग के लिए घर बनाने पर होगा।’
-मिलिंद बोरीकर, मुख्य अधिकारी, मुंबई मंडल

२ पहिया पर सितम, ४ पहिया पर रहम! …वाहनों की टोइंग में भेदभाव से लोगों में नाराजगी


– यातायात विभाग ने अपनाया वसूली फंडा

प्रेम यादव / भायंदर
मीरा-भायंदर में पार्किंग निर्देशों के उल्लंघन के नाम पर पर यातायात विभाग ने वसूली फंडा अपना रखा है। यातायात विभाग कार्रवाई करते हुए वाहनों की टोइंग कर जुर्माना के रूप में जमकर वसूली कर रहा है।
हालांकि, यातायात विभाग की यह कार्रवाई मुख्य रूप से दो पहिया वाहनों तक ही सीमित है। चार पहिया वाहनों को बिल्कुल नहीं उठाया जाता है। इस तरह की भेदभाव पूर्ण कार्रवाई से लोगों में भारी नाराजगी है, जबकि चार पहिया वाहनों की अवैध पार्किंग ट्रैफिक समस्या को अधिक बढ़ावा दे रही हैं।
उल्लेखनीय है कि कई मुख्य सड़कों पर अवैध रूप से कारें पार्क की जाती हैं, जिससे भारी यातायात जाम होता है। कुछ क्षेत्रों में तो सड़कों पर सेकंड हैंड कारों का कारोबार भी शुरू हो गया है।
दो पहिया वाहनों को लेकर यातायात विभाग की सख्ती ने कई सवाल खड़े किए हैं। कम समय में अधिक फाइन वसूलने और कम जगह में अधिक वाहन जमा करने की रणनीति के चलते इन वाहनों को ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है। नियमों के अनुसार, वाहन उठाने से पहले लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट करना अनिवार्य है, लेकिन यह प्रक्रिया नजरअंदाज की जाती है। नागरिकों का कहना है कि वे मात्र दो मिनट के लिए दुकान में सामान लेने गए थे और वापस लौटने पर उनका वाहन टो किया जा चुका था। यातायात विभाग की इस कार्यप्रणाली से नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है। चार पहिया वाहनों पर भी समान रूप से कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है, ताकि यातायात व्यवस्था सुचारू हो सके और आमजन को राहत मिले।
सड़कों से पार्किंग फलक नदारद
सड़कों पर सम-विषम तारीखों के अनुसार पार्किंग के निर्देश लागू हैं, लेकिन बाजार, सब्जी मंडी, मंदिर, स्कूल, कॉलेज और रेस्टोरेंट जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर पार्किंग फलक नदारद हैं। यदि हैं भी तो टूटी-फूटी अवस्था में। इस तरफ यातायात विभाग का बिल्कुल ध्यान नहीं है। लोग जानकारी के अभाव में भी अपने वाहन पार्क कर देते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें भारी भरकम रकम देकर चुकाना पड़ता है।

‘ईडी’ सरकार की स्कीम … मुफ्त इलाज से हुए बर्बाद! …संकट में राज्य के २,४१८ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

बिजली विभाग के करोड़ों रुपए हैं बकाया
किसी भी केंद्र के पास बिल चुकाने के पैसे नहीं
सुनील ओसवाल / मुंबई
वोटों के लिए मुफ्त रेवड़ी बांटने के चक्कर में राज्य के करीब ढाई हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंधेरे में डूबने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर करोड़ों रुपयों के बिजली बिल बकाया हो चुके हैं और इन्हें भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। असल में पहले इलाज के लिए वहां १० रुपए की पावती लेनी पड़ती थी। इसके अलावा छोटी-मोटी जांच के लिए कुछ पैसे लिए जाते थे। इन पैसों से ये केंद्र बिजली का बिल भरते थे। तीन महीने पहले सरकार ने इसे मुफ्त कर दिया। इसके बाद से इनका संकट बढ़ गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने गत अगस्त से केस पेपर के साथ मुफ्त इलाज की शुरुआत की है, इसलिए स्वास्थ्य केंद्रों के पास अब कोई आय नहीं बची है। राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों के अधिकारी बकाया बिजली बिल के भुगतान के लिए जिला परिषद में चक्कर लगा रहे हैं। सरकार ने गत १५ अगस्त से राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के कुल २,४१८ संस्थानों में मरीजों को मुफ्त इलाज प्रदान करने का निर्णय लिया। इस पैâसले से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण अस्पतालों, महिला अस्पतालों, जिला सामान्य अस्पतालों, उपजिला अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज मिलना शुरू हो गया। पहले आउट पेशेंट पंजीकरण १० रुपए, इनपेशेंट शुल्क २० रुपए, आहार शुल्क १० रुपए, हीमोग्लोबिन परीक्षण २० रुपए, यूरिन टेस्ट ३५ रुपए आदि शुल्क लिया जाता था। यह बंद हो गया। इससे इन स्वास्थ्य केंद्रों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया। कुछ जगहों पर बिजली आपूर्ति बाधित होने की भी खबर है।

बिहार को कब मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा? …क्यों चुप्पी साधे हुए हैं सीएम …तेजस्वी यादव ने नीतीश की बढ़ाई टेंशन

सामना संवाददाता / पटना
बिहार में अपराध बढ़ा है। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ब्लॉक से लेकर थाने तक में भ्रष्टाचार व्याप्त है। उक्त बातें गुरुवार को खगड़िया परिसदन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कही।
नेता प्रतिपक्ष ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के सवाल पर सूबे की सरकार और केंद्र सरकार दोनों को घेरा। उन्होंने सवाल किया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा कब मिलेगा? अभी तो राज्य में और केंद्र में भी एनडीए की सरकार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अब चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने इसे बिहार के साथ धोखा और सौतेला व्यवहार करार दिया। तेजस्वी यादव ने कहा कि खगड़िया से पलायन हो रहा है। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है, लेकिन इस ओर से केंद्र और राज्य सरकार दोनों उदासीन हैं। सरकार इन समस्याओं का समाधान करने में विफल रही है।
जीविका दीदी से कर दिया वादा
कार्यक्रम से पूर्व उन्होंने मीडिया से बात की। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीविका दीदियों को जदयू के वैâडर के रूप में तब्दील करना चाह रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि यदि राजद की सरकार बनती है तो दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी और जीविका दीदियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
बता दें कि जीविका दीदी बनीं अधिकांश महिलाएं नीतीश कुमार की वोटर्स मानी जाती हैं। ऐसे में तेजस्वी ने यह दांव चलकर कहीं उनके वोटरों में सेंधमारी की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी यात्रा पर २५० करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इसका लाभ केवल चुनिंदा लोगों को मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री का जनता दरबार भी समस्याओं का समाधान करने में असफल रहा है। बिहार में अफसरों को लूट की छूट दे दी गई है। उन्होंने १७ महीने के महागठबंधन सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि उनके कार्यकाल में पांच लाख नौकरियां सृजित हुर्इं। ५०,००० करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए गए और जाति आधारित जनगणना पूरी की गई। उन्होंने विश्वास जताया कि जैसे झारखंड में चुनाव जीता है, वैसे ही बिहार में भी महागठबंधन की जीत होगी।

स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जिक्र करते हुए कहा कि यह योजना जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। तेजस्वी ने मौजूदा सरकार को भी इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए विवश करने का संकल्प लिया। उन्होंने भाजपा पर आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया। कहा कि, हम इसको लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेंगे।

दिसंबर में तपिश का तांडव! …१६ साल का रिकॉर्ड टूटा

-पारा पहुंचा ३७.३ डिग्री
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में दिसंबर की ठंड ने इस बार गर्मी के आगे घुटने टेक दिए हैं। बुधवार को शहर ने बीते १६ सालों का सबसे गर्म दिसंबर झेला, जब तापमान कोलाबा में ३५ डिग्री और सांताक्रूज में ३७.३ डिग्री तक पहुंच गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस असामान्य गर्मी के लिए चक्रवात ‘फेंगल’ को जिम्मेदार ठहराया है, जो ठंडी दक्षिणी हवाओं को रोक रहा है। अगले चार दिनों तक ऐसी ही गर्मी रहने की संभावना है। आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, चक्रवात फेंगल ने गर्म दक्षिणी हवाओं का रास्ता खोल दिया है, जिससे मुंबई में तापमान में गिरावट रुक गई है। चक्रवात फिलहाल अरब सागर की ओर बढ़ रहा है और इस सप्ताह शहर के मौसम को प्रभावित करता रहेगा। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही मुंबई ने १६.५ डिग्री का रिकॉर्ड न्यूनतम तापमान दर्ज किया था, लेकिन अब वही दिसंबर गर्म हवाओं के थपेड़ों से परेशान कर रहा है। बुधवार को जुहू, बांद्रा, गोरेगांव और दक्षिण मुंबई के इलाकों में सुबह हल्की बूंदाबांदी देखी गई। दिन चढ़ने के साथ उमस और तापमान ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया। आईएमडी के सांताक्रूज वेधशाला ने ३७.३ डिग्री दर्ज किया, जो सामान्य से करीब ४ डिग्री ज्यादा है। यह २००८ के बाद से दिसंबर का सबसे गर्म दिन था। वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी हवाओं और नमी की वजह से अगले ३-४ दिनों तक गर्मी बनी रहेगी, जिसके बाद तापमान में गिरावट आने की उम्मीद है।

 

 

महाराष्ट्र के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया तो खैर नहीं …गुजरात समर्थक नई भाजपा सरकार को कांग्रेस की चेतावनी

कहा- जनहित के मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा
सामना संवाददाता / मुंबई
चुनाव आयोग की मदद से मतगणना में हेर-फेर कर महाराष्ट्र में जनता के वोटों की चोरी कर महायुति की सरकार बनी है। चोरी के बहुमतवाली नई सरकार की स्थापना विवादों में घिरी हुई है। तीन दलों के अंदरूनी विवाद के चलते महाराष्ट्र की छवि पूरे देश में धूमिल हुई है, ऐसा जोरदार हमला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने भाजपा नेतृत्व वाली महायुति पर बोला।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, फुले, और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के स्वाभिमानी महाराष्ट्र को गुजरात समर्थक नई सरकार से कोई ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। अन्यथा कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ेगा। सरकार गठन पर नाना पटोले ने कहा कि महायुति के पास बहुमत होते हुए भी सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को सरकार में खास महत्व नहीं दिया जा रहा। दोनों नेताओं को दिल्ली में जाकर मंत्री पद की भीख मांगनी पड़ रही है। अब भाजपा को शिंदे की कोई जरूरत नहीं और बहुमत मिलते ही भाजपा और मोदी-शाह ने शिंदे और पवार को उनकी जगह दिखा दी है।

पटोले ने कहा कि भाजपा को अपनी चुनावी घोषणाओं पर तुरंत अमल करना चाहिए। इनमें किसानों की कर्जमाफी, कृषि पंपों के बिजली बिल माफ करना, महिलाओं को २१०० रुपए मासिक और २.५ लाख रिक्त पदों की भर्ती जैसी घोषणाएं शामिल हैं।