सामना संवाददाता / मुंबई
अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘पुष्पा २’ की धमाकेदार शुरुआत हुई है। कल यह भारत के साथ ही पूरु दुनिया में रिलीज की गई। लोग इसे खूब पसंद कर रहें हैं, पर सऊदी अरब इस फिल्म से परेशान हो गया है। वहां भी यह फिल्म रिलीज हुई है, पर काफी काट-छांट के बाद। वहां के सेंसर बोर्ड ने दर्जनों महत्वपूर्ण दृश्यों का कत्ल कर दिया। कुल मिलाकर वहां १९ मिनट के सीन पर कैंची चलाई गई है।
सऊदी अरब के सेंसर बोर्ड ने अल्लू अर्जुन की फिल्म में तगड़ी काट-छांट की है और फिल्म से वो सीन भी उड़ा दिया है, जिसके लिए मेकर्स ने ६० करोड़ रुपए खर्च किए हैं। दरअसल, सऊदी अरब ने हिंदू देवताओं को दिखाए जाने पर फिल्म में खूब काट-छांट की है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी ने ‘पुष्पा २’ के एक बहुत महत्वपूर्ण सीक्वेंस, ‘गंगम्मा जतारा’ सीक्वेंस बहुत ज्यादा काट दिया है। मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन के दौरान बार-बार ये हाईलाइट किया था कि ये सीक्वेंस उनकी फिल्म की जान है और इसमें अल्लू अर्जुन ने जबरदस्त परफॉरमेंस दी है। ‘पुष्पा २’ के टीजर में अल्लू अर्जुन साड़ी पहने, चेहरे पर ब्लू मेकअप के साथ एक बिल्कुल अलग लुक में नजर आए हैं, जिसे देखकर फैंस हैरान रह गए। तिरुपति शहर की ग्रामदेवी कही जाने वालीं श्री तातैयागुंटा गंगम्मा के प्रति श्रद्धा दर्शाने के लिए गंगम्मा जतारा का आयोजन होता है। इस उत्सव में पुरुष महिलाओं के वेश में तैयार होते हैं। उनकी ही तरह साड़ी पहनते हैं, शृंगार करते हैं, जूलरी पहनते हैं और विग भी लगाते हैं। इस तरह वो देवी गंगम्मा और नारीत्व के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। गंगम्मा जतारा का ये सीक्वेंस ‘पुष्पा २’ की जान है। r
पुष्पा से परेशान हुआ सऊदी अरब! …दर्जनों दृश्यों का कर दिया कत्ल १९ मिनट छोटी कर दी फिल्म ‘गंगम्मा जतारा’ पर चली जोरदार कैंचा
ईडी बनी गुलाम निदेशालय! …प्रियांक खड़गे ने ईडी पर रिपोर्ट लीक करने का लगाया आरोप
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लोकायुक्त को पत्र भेजने और रिपोर्ट को चुनिंदा मीडिया में लीrक करने को लेकर गंभीर आरोप लगाया। प्रियांक खड़गे ने बुधवार को कहा कि यह सब राजनीतिक मंशा से किया जा रहा है और यह कार्रवाई पूरी तरह से केंद्र सरकार के दबाव में की जा रही है। प्रियांक खड़गे ने कहा कि ईडी अब एक गुलाम निदेशालय बन चुका है।
ईडी की ओर से लगाए गए तमाम आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि ईडी के पास यह अधिकार वैâसे आया कि वह नोटिफिकेशन, सेल डीड, गिफ्ट डीड और अपराध की आय पर बात करे। उन्होंने कोई ठोस जांच नहीं की है और जो भी रिपोर्ट सामने आई है, वह पूरी तरह से बनावटी है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी ने जानबूझकर रिपोर्ट को लोकायुक्त और मीडिया में लीrक किया है। रिपोर्ट का समय खुद ही सवाल खड़ा करता है। हाई कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामला है और आज यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई। यह साफ-साफ दिखाता है कि ईडी का इरादा केवल राजनीतिक नुकसान पहुंचाना है। मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के पीएमएलए और ईसीआईआर मामले मीडिया में सार्वजनिक हो जाते हैं, लेकिन बीजेपी नेताओं के मामलों पर चुप्पी साधी जाती है।
उन्होंने सवाल किया कि, ‘हिमंत बिस्वा शर्मा, अजीत पवार जैसे नेताओं के मामले मीडिया में क्यों नहीं आते?’ उन्होंने दावा किया कि यह सब बीजेपी की अंदरूनी राजनीति और कमजोरियों को छुपाने के लिए किया जा रहा है। कर्नाटक में बीजेपी के अंदर ही घमासान मचा हुआ है, बीजेपी नेताओं के बीच झगड़ा सार्वजनिक हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों से निपटने के लिए कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर कार्रवाई करेगी।
तीसरी मुंबई के लिए १२४ गांवों का होगा भूमि अधिग्रहण! … २५ हजार किसानों ने दर्ज कराई हैं आपत्तियां
– एमएमआरडीए ३३२ वर्ग किमी में बनाएगी नया शहर
सामना संवाददाता / मुंबई
किसानों को विश्वास में लिए बिना सरकार ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) से उरण, पनवेल और पेण में किसानों की जमीन अधिग्रहण करने का पैâसला किया है। ऐसे में सिडको की नैना की तरह किसानों के आशियाने का क्या होगा, इस पर सवाल उठ रहा है। किसान पूछ रहे हैं कि क्या राज्य की नई सरकार किसानों के सुझावों और आपत्तियों पर ध्यान देगी।
तीसरे मुंबई शहर को विकसित करने के लिए एमएमआरडीए को नए शहरी विकास प्राधिकरण (एनटीडीए) के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की है। इसके लिए उरण तालुका में २९, पनवेल में ७ और पेन में ८८ में कुल १२४ गांवों में ३३२ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में यह नया शहर बनाया जाएगा। शहर को मुंबई के बीकेसी की तर्ज पर करनाला-साई-चिर्नेर (केएससी) कॉम्प्लेक्स के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए यहां के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है क्योंकि सरकार ने उन्हें विश्वास में लिए बिना पैâसला लिया है। मार्च महीने में किसानों ने कोंकण भवन स्थित कोंकण टाउन प्लानिंग विभाग में २५ हजार आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराए थे। एक दिन पहले एमएमआरडीए को नया नगर निगम प्राधिकरण नियुक्त किया है। इसलिए किसानों में असंतोष है। किसानों ने एमएमआरडीए की अधिसूचना पर आपत्ति जताई थी क्योंकि सरकार शहरों और उद्योगों के निर्माण के लिए किसानों की जमीन छीन रही थी। इसे नजरअंदाज कर दिया गया है।
शपथ ग्रहण समारोह के लिए बेस्ट की ५८२ बसें आरक्षित …यात्रियों को उठानी पड़ी भारी परेशानी
-सैकड़ों स्टॉप्स पर भीड़, लंबी कतारें, धूप और उमस ने किया बेहाल
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजीत पवार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आजाद मैदान में भीड़ जुटाने के मकसद से मुंबई के अलग-अलग हिस्सों से बेस्ट की ५८२ बसें आरक्षित की गर्इं, लेकिन इसका खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ा। कई बस स्टॉप्स पर यात्रियों की लंबी कतारें लगी रहीं और ऊपर से तेज धूप और उमस ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया।
विधानसभा चुनाव में महायुति को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद आज आजाद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान तीनों पार्टियों की ओर से बड़ी संख्या में लोगों को बुलाने के लिए सैकड़ों बसों का इंतजाम किया गया, लेकिन इनमें बेस्ट की बसों को भी शामिल कर लेने से आम यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
बेस्ट के बेड़े में वर्तमान में कुल ३,१७५ बसें हैं, जिनमें से कुछ खराब स्थिति में होने के कारण सेवाओं में नहीं चल रही हैं। ऐसे में गुरुवार को महायुति के इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए ५८२ बसें आरक्षित की गर्इं। इसका नतीजा यह हुआ कि सुबह ऑफिस जाने के समय बसों की कमी कारण बस स्टॉप पर यात्रियों की काफी लंबी-लंबी कतारें देखी गर्इं। हालांकि, बेस्ट ने इस आयोजन के लिए बसें उपलब्ध कराने से ७५ लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया, लेकिन यात्रियों को हुई असुविधा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिरकार इस परेशानी के लिए जिम्मेदार कौन है?
हसीना ने न्यूयॉर्क से साधा निशाना …हिंदुओं के नरसंहार में शामिल हैं यूनुस
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है और उन पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी। ढाका में ५ अगस्त को अपने सरकारी आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया था। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने उनसे (सुरक्षाकर्मियों से) कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, उन्हें गोलियां नहीं चलानी चाहिए।’
कार्यक्रम में हसीना ने कहा, ‘आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहे हैं। दरअसल, यूनुस योजनाबद्ध तरीके से नरसंहार में शामिल रहा है। इस नरसंहार के पीछे मुख्य साजिशकर्ता छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।’ हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया।’
योगी कराएं अपनी डीएनए जांच, हम भी कराएंगे, देशवासियों को बर्बाद कर रही है महंगाई व बेरोजगारी! …अखिलेश यादव ने यूपी के सीएम पर बोला हमला
सामना संवाददाता / कानपुर
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा कि चीन भारत की जमीन दबाए ले रहा है। भविष्य में मानसरोवर और वैâलाश पर्वत भी नहीं जाने देगा, लेकिन भाजपा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने कहा कि सीसामऊ नाले पर सेल्फी लेने वाले भूल गए। २०२७ में सपा सरकार बनने पर हम गंगा मइया को साफ करेंगे। संभल घटना पर कहा कि कानपुर वाले सब जानते हैं कि गाड़ी वैâसे पलटी थी। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डीएनए जांच कराएं। हम भी कराने को तैयार हैं।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र की जीत है। सपा कार्यकर्ताओं की बहादुरी की वजह से जीती है। चुनाव में क्या-क्या हुआ। भाजपाई खोखले हो गए हैं। पुलिस प्रशासन की ताकत से जीत सके। भाजपा हारी है। २०२७ में जब चुनाव होंगे तो भाजपा की हार तय है और सपा जीतेगी। संभल घटना जानबूझकर कर भाजपा ने कराई है, जिसमें पांच जाने गर्इं। बहराइच याद कीजिए, इसका कारण भी भाजपा सरकार थी। संभल भी उसकी देन है। दोबारा सर्वे में नारे लगाते हुए लोग गए। इससे दिक्कत हुई। ये भाजपा के लोग थे। महंगाई, बेरोजगारी पर चर्चा न हो, ऐसा हर प्रयास कर रहे हैं। देश बर्बाद हो रहा है। संविधान के अधिकार छीने जा रहे हैं। कानपुर में उद्योग, कारोबार चौपट है। पनकी पावर स्टेशन पास ही है, जल्दी बनता तो अच्छा होता। समाजवादियों ने मेट्रो दी। उसे भी समय से पूरा नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि सरकार नौकरी रोजगार की बात नहीं करना चाहती। चंदा वसूला, उससे महंगाई बढ़ रही। सरकार नाकाम है। गायों पर तेजाब फेंका जा रहा। उन्होंने संभल की घटना के बहाने बिकरू कांड भी याद किया। दक्षिण में तीन विधानसभा में भाजपा के विधायक होने पर बोले कि वर्ष २०२७ में यहां के लोग बात समझ जाएंगे तो सपा ही होगी।
जेब पर डाका! साइबर फ्राॅड में ११ हजार करोड़ गंवाए …इकोनॉमी और सुरक्षा पर खतरा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गृह मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्राॅड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के मुताबिक, वर्ष २०२४ में नवंबर माह तक साइबर फ्राॅड की लगभग १२ लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर के आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष के पहले नौ महीनों में साइबर फ्राॅड की वजह से ११,३३३ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहार) का मानना है कि अपराध पर लगाम नहीं लगी तो वर्ष २०३३ तक हर वर्ष भारत में सालाना एक लाख करोड़ के साइबर अटैक होंगे। साइबर अटैक में ऑनलाइन फ्राॅड और सेक्टार्शन जैसी चीजें ही शामिल नहीं हैं। इनमें डाटा चोरी, रैनसमवेयर, आनलाइन हेट क्राइम, साइबर बुलिंग, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सेवाओं पर साइबर अटैक, आइडेंटिटी थेफ्ट, अवैध सट्टेबाजी एप जैसी कई चीजें शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल किसी देश की आर्थिक व्यवस्था व आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने में किया जा सकता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मुक्तेश चंदेर का कहना है कि साइबर अटैक का इस्तेमाल किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी को कमजोर करने में हो सकता है। एस्टोनिया में हमने ऐसा देखा है। ‘प्रहार’ के राष्ट्रीय संयोजक अभय मिश्रा के मुताबिक, साइबर अटैक किसी देश की आंतरिक सुरक्षा व उनकी आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करने का टूल बनता जा रहा है।
गड़े मुर्दे : क्यों खामोश हुईं दाऊद की बंदूकें! …२००२ के बाद समेट लिया था काला कारोबार
जीतेंद्र दीक्षित
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम अक्सर खबरों में रहता है। बीते १५ सालों में करीब छह बार उसके मरने की खबर आ चुकी है और ऐसी हर खबर के कुछ दिनों बाद एक और खबर आती है कि वह जिंदा है। दाऊद इब्राहिम जिंदा हो या मर गया हो लेकिन एक बात बिल्कुल सच है कि उसके गिरोह ने नवंबर २००२ के बाद शहर में एक भी गोली नहीं चलाई। इस सदी के पहले दशक के खत्म होते-होते उसके गिरोह ने मुंबई से अपना काला कारोबार भी समेट लिया।
दाऊद इब्राहिम गिरोह की ओर से मुंबई में आखिरी बड़ी वारदात को अंजाम नवंबर २००२ में दिया गया था। शहर के वर्सोवा इलाके में अली नानजियानी नाम के एक लोकल केबल चैनल चलाने वाले शख्स की छोटा शकील के शूटरों ने हत्या कर दी थी। पुलिस के मुताबिक उस केबल ऑपरेटर का दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई नूर इब्राहिम उर्फ नूरा के साथ किसी संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। नूरा के कहने पर ही शकील ने अली को खत्म करवा दिया। इसके बाद से शकील गिरोह की ओर से मुंबई में किसी बड़े शख्स की हत्या दर्ज नहीं की गई है।
इस वारदात के अगले साल यानी कि २००३ में दाऊद के एक और छोटे भाई इकबाल कासकर को संयुक्त अरब अमीरात से डिपोर्ट करके भारत लाया गया। सारा सहारा शॉपिंग सेंटर के मामले में मकोका कानून के तहत उसकी गिरफ्तारी हुई। मुंबई पुलिस कि आरोप था की यह शॉपिंग सेंटर केंद्र सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया था। कासकर कई साल मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहा और मुकदमा खत्म होने के बाद उसी पैकमोनिया स्ट्रीट में रहने लगा जहां १९८६ तक दाऊद इब्राहिम रहा करता था।
माना जाता है कि अपने भाई के मुंबई पहुंचने के बाद से दाऊद गिरोह ने शहर से अपनी आपराधिक गतिविधियां बंद कर दीं। उसके गिरोह की ओर से बिल्डरों, होटल मालिकों और फिल्मकारों को धमकाया जाना या उनकी हत्या की जानी भी बंद हो गई। यहां तक कि दाऊद ने अपने दुश्मन गिरोह के साथ गैंगवॉर भी खत्म कर लिया। यह पैâसला शायद यह सोच कर लिया गया कि अगर गैंगवॉर जारी रहता है तो मुंबई में उसके भाई की जान को खतरा हो सकता है। दाऊद हीरो के ठंडे पड़ जाने के पीछे एक बड़ी भूमिका मुंबई पुलिस की भी रही। मुंबई पुलिस ने दाऊद के कई बड़े सूत्रों को एनकाउंटर में मार डाला या फिर मकोका कानून के तहत पकड़ कर जेल में ठूंस दिया।
भले ही दाऊद ने मुंबई में अपना अपराधिक कारोबार समेट लिया हो लेकिन उसके नाते रिश्तेदार और पुराने गुर्गे उसके नाम का इस्तेमाल कई साल तक करते रहे। साल २००६ में जबरन वसूली का एक मामला दाऊद की बहन हसीना पारकर पर दर्ज हुआ था। छोटा शकील अक्सर टीवी चैनलों को इंटरव्यू देता रहता था और दोहराता था कि उसका सबसे कट्टर दुश्मन छोटा राजन अभी भी उसके निशाने पर है। साल २०११ में दाऊद के भाई इकबाल कासकर पर फायरिंग हुई जिसमें उसका बॉडीगार्ड मर गया। इस फायरिंग का आरोप छोटा राजन गिरोह पर लगा था। दाऊद के फिलहाल जिंदा होने का तो पता नहीं लेकिन उसके नाम को भारत में सभी भुना रहे हैं। मीडिया से लेकर पुलिस और राजनेता तक अक्सर किसी न किसी संदर्भ में दाऊद इब्राहिम का जिक्र करते रहते हैं।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)
यूपी में फिर मंदिर-मस्जिद पर सख्ती …अवैध लाउडस्पीकर उतारने का विशेष अभियान
सामना संवाददाता / गोरखपुर
धार्मिक व सार्वजनिक स्थलोें से लाउडस्पीकर और ध्वनि विस्तारक हटाने के लिए गुरुवार को जिले में विशेष अभियान चलाया गया। डीएम कृष्णा करुणेश व एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर की अगुवाई में चले अभियान के दौरान अधिकारियों ने जिले के सभी थाना क्षेत्रों का दौरा किया और धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकरों की जांच की। इसके साथ ही, संबंधित थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि जहां भी तेज आवाज में लाउडस्पीकर बज रहा है, उसे हटवाने के साथ ही संबंधित के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करें। इससे पहले भी पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने अभियान चलाकर अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया था, लेकिन कुछ स्थानों पर लाउडस्पीकर बजने की शिकायत मिल रही थी। गुरुवार को यह चेकिंग सुबह चार बजे शुरू हुई, डीएम कृष्णा करुणेश और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ थाना क्षेत्रवार निरीक्षण किया। इस दौरान सभी सीओ (सर्कल ऑफिसर) और थाना प्रभारी भी अपनी टीमों के साथ मौजूद थे। चेकिंग के दौरान अधिकारियों ने चेतावनी दी कि धार्मिक स्थलों पर बिना अनुमति के लाउडस्पीकर लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया कि ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए सभी धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज का स्तर निर्धारित मानकों के अनुसार होना चाहिए।
चलती ट्रेन में खूनी खेल! …सीट के लिए सिरफिरे ने कर दी हत्या
अमेठी जिले के रेलवे स्टेशन पर दो यात्रियों के बीच खून खराबा हो गया। विवाद सीट पर बैठने को लेकर बताया जा रहा है। बता दें कि यात्री पर हमलावरों ने चाकू से हमला किया, जिसके बाद हमलावर ट्रेन से भाग गया। अमेठी जिले के निहालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बीती रात एक ट्रेन में सीट को लेकर झगड़ा हो गया था। विवाद इतना बढ़ गया था कि दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हो गई। इस झगड़े में एक व्यक्ति की जान चली गई। जानकारी के मुताबिक, इस विवाद में ३ लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यात्री पर हमलावरों ने चाकू से हमला करना शुरू किया, जिसके बाद हमलावर चलती ट्रेन से फरार हो गया।
यह घटना अमेठी के निहालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर घटी। बताया जा रहा कि बेगमपुरा एक्सप्रेस ट्रेन में सीट पर बैठने को लेकर दो यात्रियों के बीच लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया था। हमलावरों ने तीन सगे भाइयों पर चाकू से हमला कर दिया था। हमले में घायल एक भाई की मौत हो गई, और दूसरे भाई को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। तीसरे भाई को इलाज के लिए ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, मृतक तौहीन बेगमपुरा एक्सप्रेस से अंबाला से वापस अपने घर आ रहा था। लखनऊ से वो बेगमपुरा ट्रेन में बैठा और हैदरगढ़ के पास ट्रेन में ही सीट पर बैठने को लेकर उसका सुलतानपुर के रहने वाले हमलावरों से विवाद हो गया, जिसके बाद तौहीन ने अपने भाइयों को स्टेशन पर बुला लिया। घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल और राज्य की रेलवे पुलिस ने ४ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मृतक के शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। राजकीय रेलवे पुलिस मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर रही है।
गिरफ्त में आए चारों हमलावर
सुल्तानपुर से लेकर वाराणसी तक पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। जिससे जीआरपी ने सुल्तानपुर में चारों हमलावरों को हिरासत में ले लिया।उनकी पहचान सुलतानपुर के लम्भुआ निवासी दीपक कुमार गौतम, पवन कुमार गौतम, सुजीत कुमार गौतम और मिथुन गौतम के रूप में हुई है। वैधानिक कार्रवाई जीआरपी थाना सुलतानपुर द्वारा की जा रही है।