ब्लफ मास्टर! … लोकसभा की घोषणाएं साबित हुईं जुमला … लोकसभा चुनाव के पहले जारी छह टेंडर रद्द

 विधानसभा चुनाव के पहले फिर से जारी होने की चर्चा
 सरकार ने तकनीकी खामी का हवाला देकर पिंड छुड़ाया

इन परियोजनाओं में ठाणे कोस्टल रोड, ईस्टर्न प्रâीवे से ठाणे एक्सटेंशन, कासरवडवली से खरबाव क्रीक ब्रिज, गायमुख से पेयगांव क्रीक ब्रिज, नेशनल हाईवे ४ से कटाई नाका एलिवेटेड रोड और कल्याण-मुरबाड रोड जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।’

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की ‘घाती’ सरकार पूरी तरह से ब्लफ मास्टर साबित हुई है। जनता को ठगने का वह कोई मौका नहीं छोड़ती। विकास का मामला इस सरकार के लिए बस जुमला भर बनकर रह गया है। सीएम एकनाथ शिंदे और दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार ने लोकसभा चुनाव के दौरान विकास के खूब दावे किए थे पर वे सभी जुमले साबित हुए। ‘घाती’ सरकार ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले छह नई परियोजनाओं के टेंडर जारी किए गए थे। चुनाव खत्म होने के बाद इन्हें रद्द कर दिया गया है। अब विधानसभा चुनाव के पहले फिर से इनके जारी होने की चर्चा है।
मिली जानकारी के अनुसार, एमएमआरडीए (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट ऑथरिटी) ने तकनीकी खामियां बताकर इन टेंडरों को रद्द किया है। बता दें कि गत लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ठाणे में छह महत्वपूर्ण इंप्रâास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए ९,५०० करोड़ रुपए के टेंडर निकाले गए थे। अब इन्हें तकनीकी खामियों का हवाला देकर रद्द कर दिया गया है।
इन परियोजनाओं में ठाणे कोस्टल रोड, ईस्टर्न प्रâीवे से ठाणे एक्सटेंशन, कासरवडवली से खरबाव क्रीक ब्रिज, गायमुख से पेयेगांव क्रीक ब्रिज, नेशनल हाईवे ४ से कटाई नाका एलिवेटेड रोड, और कल्याण-मुरबाड रोड जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। एमएमआरडीए का दावा था कि आचार संहिता के पहले इन परियोजनाओं के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और लोकसभा चुनावों से पहले ठेकेदारों की नियुक्ति कर परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा। लेकिन अब इन परियोजनाओं की प्रगति में अनिश्चितकालीन देरी हो गई है।

ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जारी किए गए ये टेंडर अब विधानसभा चुनाव में भी झुनझुने के रूप में इस्तेमाल किए जाएंगे।
९,५०० करोड़ रुपए का था टेंडर
करीब ९,५०० करोड़ रुपए की लागत वाली इन परियोजनाओं की निविदाएं रद्द कर दी गई हैं। एमएमआरडीए के इस पैâसले ने न केवल प्रोजेक्ट से संबंधित क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास को झटका दिया है, बल्कि इसने सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। तकनीकी खामियों का हवाला देकर निविदाएं रद्द करने से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की योजनाओं में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं।
चुनाव में भाजपा उठाएगी फायदा
इन परियोजनाओं का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए भाजपा पूरी तरह तैयार है। लोकसभा चुनावों के पहले जारी इन परियोजनाओं के टेंडर को वैंâसल कर वापस टेंडर निकाल कर विधानसभा चुनाव के प्रचार में जोर-शोर से उठाया जाएगा। बता दें कि ये टेंडर लोकसभा से पहले जारी किए गए थे। लेकिन ये सभी टेंडर रद्द कर दिए गए हैं, ताकि इन्हें वापस जारी कर विधानसभा चुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा सके।
निविदाएं फिर से होंगी जारी
हालांकि, एमएमआरडीए ने इन परियोजनाओं के लिए नई निविदाएं जारी करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसमें भी समय लगेगा। ठेकेदार अब १२ जुलाई तक नई निविदाएं जमा कर सकते हैं। इस देरी से न केवल परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी सरकार से उठेगा। सरकार की इस ढिलाई और प्रशासनिक खामियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास कार्यों में केवल बड़ी-बड़ी घोषणाएं करना ही पर्याप्त नहीं है।

 

संपादकीय : न्यायाधीश रोकड़े का तबादला!

भारत की न्यायिक व्यवस्था पर दबाव है यह अब कोई छिपी बात नहीं रह गई है। भाजपा ईडी, सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों और अदालतों के जरिए देश पर शासन कर रही है। लोकतंत्र, चुनाव आदि सब दिखावा है। विशेष सत्र न्यायालय के न्यायाधीश राहुल रोकड़े के जल्दबाजी में किए गए तबादले से लोगों के मन में कुछ संदेह की तरंगें उठ रही हैं। मुंबई की इस विशेष सत्र अदालत में विधायकों, सांसदों, मौजूदा मंत्रियों के मामलों की सुनवाई होती है। उसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के जन प्रतिनिधि भी हैं। न्यायाधीश रोकड़े के सामने जब अजीत पवार के शिखर बैंक घोटाले का मामला शुरू हुआ तो उस वक्त पवार विपक्षी पार्टी में थे और अजीत पवार भ्रष्ट हैं और उन्होंने और उनके लोगों ने मिलकर शिखर बैंक में बड़े घोटाले किए, ऐसा सत्ताधारी यानी फरियादी दल का साफ कहना था। उन्होंने यह साबित करने के लिए अदालत में सबूत पेश किए कि पवार ही इस घोटाले के मास्टरमाइंड थे। मामला अंतिम चरण में पहुंच गया और जैसे ही इस बात का संकेत मिला कि इस मामले में वे फंस सकते हैं, अजीत पवार ने पलटी मारी और सीधे भाजपा में प्रवेश कर गंगा-स्नान कर लिया। इसलिए अब पवार को घोटाले से बाहर निकालने की जिम्मेदारी फडणवीस को निभानी होगी, लेकिन जिस अदालत के सामने सरकारी पक्ष शिखर बैंक घोटाले के सबूत पटक कर पवार को दोषी ठहराने की बात कह रहा था, उसी अदालत के लिए दुश्वारी हो गई। भाजपा ने अजीत पवार को अपनी वॉशिंग मशीन में डाल दिया, लेकिन वहां वॉशिंग मशीन नहीं चलती क्योंकि कोर्ट सबूतों पर आधारित है। न्यायाधीश रोकड़े ने शायद अजीत पवार के शिखर बैंक मामले को दूसरी दिशा में ले जाने से इनकार कर दिया होगा। इसलिए जान पड़ता है कि सरकार ने रोकड़े का सीधा तबादला कर दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में शासक खासकर भाजपा पलटी मार सकती है, लेकिन अदालतों के लिए यह संभव नहीं है। छगन भुजबल, एकनाथ खडसे के घोटालों के मामले न्यायाधीश रोकड़े के पास ही चल रहे थे। इन मामलों में भुजबल और उनके भतीजे को गिरफ्तार किया गया था। खडसे के दामाद को भी गिरफ्तार किया गया। भुजबल अब भाजपा के साथ सत्ता में हैं, जबकि खडसे दोबारा भाजपा में शामिल होने वाले हैं। इसलिए भाजपा की वॉशिंग मशीन नीति के अनुसार इन दोनों को इन मामलों में संरक्षण मिलना है। न्यायाधीश रोकड़े के सामने मामले की सुनवाई हुई और सरकार ने कहा कि दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, लेकिन न्यायाधीश रोकड़े के लिए पलटी मारना संभव नहीं रहा होगा। इसीलिए सरकार ने न्यायाधीश का सीधा तबादला कर समन्वय का रास्ता अपनाया। रोकड़े की अदालत में कई मामले ईडी, सीबीआई द्वारा दायर अपराधों से भी संबंधित हैं। इन मामलों को लेकर काफी हो-हल्ला मचाया गया था। जिन प्रमुख भाजपा विरोधी नेताओं पर ईडी ने मामला दर्ज किया था, उनमें से अधिकांश भाजपा के तंबू में चले गए। इसलिए ‘ईडी’ के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने का समय आ गया। इन सभी मामलों की निष्पक्ष सुनवाई की जिम्मेदारी न्यायाधीश रोकड़े की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान ‘आरोपी’ ने दलबदल कर लिया और अभियोजन पक्ष भाग निकला। इससे ईडी आदि संस्थाओं की मेहनत बर्बाद हो गई। फिर आबरू अलग से गई। एक ओर जहां ‘ईडी’ के नब्बे प्रतिशत मामले झूठे और राजनीतिक दबाव में तैयार किए गए हैं। भाजपा विरोधियों को जेल भेजना और यदि वे भाजपावासी हो गए तो मामलों को खत्म कर देना, यह सरकारी धन और श्रम की बर्बादी है। ईडी के मामले कोर्ट में पिटते हैं। ईडी का कोई भी मामला आज तक नहीं सुलझा। अनिल देशमुख, संजय सिंह, संजय राऊत के मामले में कोर्ट ने ईडी की कार्य पद्धति की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि इन तीनों को नाहक फंसाया गया। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया और पांच महीने तक जेल में रखा। झारखंड हाई कोर्ट ने सोरेन को जमानत देते हुए ईडी को फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने कहा कि सोरेन को नाहक गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं चल सकता। तो सोरेन के पांच महीने बेवजह जेल में बिताने के बारे में क्या? कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है ऐसा कह कर दिल्ली की ‘पीएमएलए’ अदालत ने केजरीवाल को जमानत दे दी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत को स्थगन देकर इस संदेह को आधार दे दिया कि भाजपा सरकार न्यायालयों पर दबाव बना रही है। न्यायाधीश रोकड़े की तरह झारखंड के जिस न्यायमूर्ति ने हेमंत सोरेन को जमानत दी और जिस न्यायाधीश ने केजरीवाल को जमानत दी, अब यह देखना है कि क्या उन्हें भी तबादले की सजा मिलती है। भाजपा और संघ परिवार चाहते हैं कि न्याय व्यवस्था उनके ताल पर नाचे। पिछले दस वर्षों में हाई कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक संघ की विचारधारा वाले लोगों की नियुक्ति की गई है। सरकारी वकील भी इसी प्रकार नियुक्त किए गए। एड. उज्ज्वल निकम एक प्रसिद्ध सरकारी वकील हैं। वह मुंबई से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार बने। निकम के हारते ही सरकार ने उन्हें फिर से विशेष सरकारी वकील के तौर पर नियुक्त कर दिया। इससे जो संकेत मिलता है वह खतरे की घंटी है। न्यायाधीश रोकड़े ने वॉशिंग मशीन का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। उन्होंने सत्ता पक्ष के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, नवनीत राणा आदि को विशेष छूट देने से इनकार कर दिया। जब नार्वेकर लगातार अदालत से अनुपस्थित रहे तो न्यायाधीश रोकड़े ने उन पर जुर्माना लगाया। सत्ता पक्ष को यह क्योंकर पसंद आएगा? इसीलिए न्यायाधीश रोकड़े का तबादला संदिग्ध है। न्यायाधीशों के तबादले होते रहते हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले दस सालों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां और तबादले शासकों का राजनीतिक खेल बन गए हैं। किसी को बचाने और किसी को फंसाने के लिए यह खेल चल रहा है। न्यायाधीश रोकड़े को क्या उसी खेल का प्यादा बनाया गया है?

विधान परिषद चुनाव : शिवसेना की धधकी मशाल! … स्नातक कोटे से अनिल परब की शानदार जीत

 शिक्षक कोटे से जीते जे. एम. अभ्यंकर
सामना संवाददाता / मुंबई
विधान परिषद चुनाव में मुंबई कोटे के चुनाव में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की मशाल धधक उठी है। मुंबई स्नातक कोटे से अनिल परब ने २६,०२६ वोटों से जीत दर्ज की है, जबकि शिक्षक कोटे से जे. एम. अभ्यंकर ने जीत हासिल की है। मुंबई स्नातक कोटे से अनिल परब को ४४,७८४ वोट और भाजपा के किरण शेलार को १८,७७२ वोट मिले। मतदाताओं ने शेलार की तुलना में परब को दोगुने से अधिक वोट दिए हैं। जैसे ही चुनाव अधिकारियों ने नतीजों की घोषणा की, शिवसैनिकों ने जमकर गुलाल उड़ाकर खुशी मनाई।
शिवसेना ने मुंबई स्नातक कोटे के चुनाव में लगातार छठवीं बार जीत हासिल करते हुए अपना गढ़ बरकरार रखा है।
यहां तक ​​कि मुंबई शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में भी शिवसेना के जे. एम. अभ्यंकर जीत गए हैं। इस चुनाव ने साबित कर दिया कि मुंबई के मतदाताओं ने एक बार फिर भाजपा को खारिज कर दिया है। अनिल परब शुरू से ही बढ़त बनाए हुए थे। दूसरे राउंड की मतगणना में वे किरण शेलार से काफी आगे थे, वहीं परब की जीत तय थी। चुनाव में कुल ६७,६४४ वोट पड़े। ३,४२२ वोट अवैध रहे।
मुंबई स्नातक और शिक्षक कोटे, कोकण स्नातक और नासिक शिक्षक कोटे की सीटों के लिए मतदान २६ जून को हुआ था। मुंबई स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में आठ उम्मीदवारों में से असली लड़ाई अनिल परब और किरण शेलार के बीच में ही थी। अनिल परब को पहले, दूसरे और तीसरे राउंड में क्रमश: १८,७७४, १८,७३१ और ७६३९ वोट मिले, जबकि किरण शेलार क्रमश: ७,५७५, ७,९१७ और ३,२८० वोट मिले। शिवसैनिकों द्वारा इस निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत करीब १२,००० वोटों को विवादित किए जाने के बावजूद भाजपा और ‘घाती’ गुट को शिवसेना ने पानी पिला दिया। मुंबई शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र को भी शिवसेना ने ही जीता है। शिवसेना के उम्मीदवार जे. एम. अभ्यंकर विजयी हुए हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी उमेश सुभाष मोरे को पराजित किया।

‘शिवसेना हमारे साहेब की, नहीं किसी के बाप की’
यह विजय मैं हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के चरणों में अर्पित करता हूं। बालासाहेब का आशीर्वाद ऐसे ही बना रहे। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने मुझ पर जो विश्वास दिखाया है उसका मैं आभारी हूं। मेरी जीत के लिए शिवसेना और महा विकास आघाड़ी के घटक दल लड़े। उनका भी मैं आभारी हूं। शिवसेना हमारे साहेब की नहीं किसी के बाप की, यह साबित हो गया है। मुंबई में शिवसेना और शिवसेना ही होगी, वो भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना होगी। इस तरह की प्रतिक्रिया इस जीत के बाद अनिल परब ने दी।

पानीपुरी का पानी नहीं कैंसर का लोचा है! … महाराष्ट्र में भी हुई उठने लगी एफडीए से जांच की मांग

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
पानीपुरी खाने से पहले सावधान रहना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पानीपुरी का पानी कोई साधारण पानी नहीं, बल्कि कैंसर का लोचा है। हाल ही में कर्नाटक में पानीपुरी यानी गोलगप्पे के कई सैंपलों की जांच की गई, जिसमें २२ फीसदी दूषित पाए गए और उनमें कैंसर को बढ़ावा देनेवाले तत्व पाए गए। इसके बाद अब मुंबई में भी पानीपुरी की जांच की मांग तेज हो गई है।
बता दें कि कॉटन कैंडी, गोभी मंचुरियन और कबाब के बाद अब लोकप्रिय स्ट्रीट फूड पानीपुरी में भी कैंसर का लोचा पाया गया है। खाद्य सुरक्षा व गुणवत्ता विभाग ने इसमें इस्तेमाल की जानेवाली सामग्री, खास तौर पर सॉस और मीठा काड़ा पाउडर में वैंâसरकारी तत्व मिलने के संकेत दिए हैं। बताया गया है कि कर्नाटक में इकट्ठा किए गए करीब ४०० नमूनों में से २२ फीसदी सैंपल दूषित पाए गए।
पानीपुरी का अत्यधिक सेवन आपके स्वास्थ्य को चौपट कर सकता है। असल में कर्नाटक में पानीपुरी की जांच में कई हानिकारक तत्व मिले हैं। ऐसे में वहां पानीपुरी विक्रेताओं पर स्वास्थ्य विभाग की गाज गिर सकती है। इसी क्रम में अब महाराष्ट्र में भी एफडीए द्वारा पानीपुरी की जांच किए जाने की मांग हुई है। बताया गया है कि मुंबई में पांच हजार से अधिक, जबकि महाराष्ट्र में २२,००० पानीपुरी के विक्रेता हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक भर में विभिन्न स्थानों से पानीपुरी के नमूने एकत्र किए, जिनमें बंगलुरु में ४९ स्थान शामिल हैं। खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य भर में एकत्र किए गए ४०० से अधिक नमूनों में से २२ फीसदी असुरक्षित और खराब गुणवत्ता के थे। निरीक्षण में ४-५ कैंसरकारी रसायनों सन सेट यलो, ब्रिलिएंट ब्लू, टेट्रा जान और कार्सिनोजेनिक केमिकल्स के इस्तेमाल का पता चला। फिलहाल अभी भी कुछ परीक्षणों के परिणाम लंबित हैं। एक बार ये प्राप्त हो जाने के बाद इन हानिकारक पदार्थों पर संभावित प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की जाएगी।
५-७ वर्षों तक नियमित रूप से ऐसे पानीपुरी का सेवन करने से अल्सर और वैंâसर सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विभाग जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इन हानिकारक तत्वों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री और विभाग के प्रधान सचिव के साथ आगे की चर्चा होगी। डॉक्टर के अनुसार, इन कृत्रिम रंगों से पेट की खराबी से लेकर हार्ट की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ऑटोइम्यून नामक बीमारी भी हो सकती है। ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर एसोसियेशन के अध्यक्ष अभय पांडेय ने कहा कि बारिश का मौसम है। इस मौसम में लोग स्ट्रीट फूड खासकर महिलाएं पानीपुरी का अत्यधिक सेवन करती हैं। यह व्यंजन सभी का चहेता है। बारिश के मौसम में बैक्टेरियल और वायरल इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे समय में महाराष्ट्र में एफडीए की जवाबदेही है कि पानीपुरी की जांच करनी चाहिए। हालांकि, महाराष्ट्र में एफडीए पानीपुरी वालों की जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम पत्र लिखकर एफडीए से इस पर संज्ञान लेने की मांग करेंगे।

 

शहरी मिडिल क्लास को ३०० यूनिट बिजली मुफ्त दो! … शिवसेना का आज राज्यभर में आंदोलन

सामना संवाददाता / मुंबई
किसानों को ३०० यूनिट तक मुफ्त बिजली और बिजली बिल में रियायत देनेवाली राज्य की महायुति सरकार शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले मध्यम वर्ग को पूरी तरह से भूल गई है। महाराष्ट्र में बेरोजगारी में भारी वृद्धि के कारण शहरी मध्यम वर्ग के लिए भारी बिलों का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। इसलिए शिवसेना ने मांग की है कि राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों की गरीब बस्तियों में रहनेवाले लोगों को ३०० यूनिट तक बिजली बिल मुफ्त करे और उसमें रियायतें भी दे। इस मांग के लिए शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के आदेश से और शिवसेना नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे की सूचना के अनुसार आज दो जुलाई की सुबह ११ बजे विभिन्न शहरी क्षेत्रों में जोरदार आंदोलन किया जाएगा।
मध्यम वर्ग की खराब वित्तीय स्थिति के कारण हर महीने भारी बिलों का भुगतान करना मुश्किल हो गया है।
महायुति सरकार आम लोगों की सरकार होने का दावा करती है, लेकिन शहरी क्षेत्र के गरीबों की अनदेखी की जा रही है, जिससे आम लोग परेशान हैं। इसका संज्ञान लेते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए शिवसेना की ओर से यह आंदोलन किया जाएगा। इसमें शिवसेना मध्यवर्ती कार्यालय की ओर से जारी पत्र के जरिए जानकारी दी गई है कि मुंबई शहर समेत शहरी इलाकों में पुरानी इमारतों और बस्तियों में रहनेवाले निवासियों को बिजली बिल में छूट देने की मांग की जाएगी।

यहां होंगे आंदोलन
मुंबई, ठाणे, पुणे, नाशिक, छत्रपति संभाजीनगर और नागपुर।

पुणे में घूम रही फर्जी पुलिस : राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त! … सो रहे हैं गृहमंत्री-आदित्य ठाकरे का जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि राज्य में महायुति और केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद क्या एक भी परीक्षा ठीक से हुई है। परीक्षा में गड़बड़ी के कारण कई छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या गंभीर हो गई है, पुणे में फर्जी पुलिस घूम रही है। ऐसा जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, युवासेनाप्रमुख व विधायक आदित्य ठाकरे ने राज्य की शिंदे सरकार पर किया। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने मुंबई में भूमिगत कार पार्विंâग, पेपर-आउट, परीक्षा में भ्रम, कम दबाव वाली पानी की आपूर्ति जैसे विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। साथ ही, आदित्य ठाकरे ने यह सवाल भी पूछा कि राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, ऐसे में गृह मंत्री क्या कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार राज्य की समस्याओं को नजरअंदाज कर सो रही है।
उन्होंने कहा कि जहां भूमिगत कार पार्विंâग है, सुरक्षा कारणों से कुछ महत्वपूर्ण समय पर भूमिगत पार्विंâग बंद कर दी जाती है इसलिए सरकार को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या भविष्य में ऐसी अंडरग्राउंड कार पार्विंâग की जरूरत है। आदित्य ठाकरे ने कहा है कि सरकार को इस संबंध में स्थानीय लोगों की भूमिका पर भी विचार करना चाहिए।
उन्होंने बाणगंगा तालाव को लेकर कहा कि मुंबई में बाणगंगा की सीढ़ियों को एक ठेकेदार ने काम के दौरान तोड़ दिया है। अब सवाल उठता है कि उसकी भरपाई कौन करेगा। हम इन प्राचीन ढांचों को धरोहर के रूप में संरक्षित करते आ रहे हैं। ये हमारे लिए धरोहर और पूजा स्थल हैं। ऐसे स्थानों को नुकसान पहुंचाने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आदित्य ठाकरे ने बिना किसी का नाम लिए यह भी स्पष्ट किया कि उन्हीं ठेकेदारों ने अंबरनाथ और महाबलेश्वर में एक बंगले के निर्माण का काम किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसी घटनाएं हो रही हैं कि सरकार पर सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार जाग रही है या सो रही है। वर्ली में आरे डेयरी के कर्मचारियों की बिल्डिंग गिरने की घटना हुई। हमारी सरकार के दौरान उन भवनों का जीर्णोद्धार किया गया। साथ ही उन कर्मियों को स्थानांतरित करने की भी योजना थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में इन बिल्डिंगों की मरम्मत नहीं की गई है, क्योंकि शिंदे की सरकार इसे बिल्डर की झोली में डालना चाहती है। उस जगह पर ९० परिवार रहते हैं।
झूठ को समझ गई है जनता
आदित्य ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि हम जल्द ही इसमें हुए भ्रष्टाचार को लोगों के सामने लाएंगे और पूछेंगे कि फंड कहां जा रहा है। आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि घाटकोपर और बांद्रा में इस विभाग के कुछ घर हैं, जहां इन परिवारों को घर दिया जाना चाहिए।
पिछले दो साल में प्रदेश में कई वादे किए गए कि रेलवे-पटरी के किनारों वालों को बीमा कवर मिलेगा और शहर की सड़कें गड्ढा मुक्त होंगी। जनता अब इनके झूठ को समझ गई है। अब उनका झूठ होर्डिंग्स मामले पर भी नजर आने लगा है इसलिए इस बार उनकी हार निश्चित है।

पिछले दो साल में वाइब्रेंट या मैग्नेटिक महाराष्ट्र जैसी एक भी पहल क्यों नहीं लागू की गई, यह सरकार राज्य के सभी उद्योग गुजरात को देना चाहती है। पहली बारिश में देश के तीन हवाई अड्डों की छतें ढह गर्इं, राम मंदिर के गर्भगृह में पहली ही बारिश में पानी भर गया, मुंबई गोवा, मुंबई अमदाबाद हाइवे पर गड्ढे हो गए। टोल चुकाने के बाद भी सड़कों का बुरा हाल है।
-आदित्य ठाकरे, युवासेनाप्रमुख

रेलवे अंडरपास बने जलाशय! … बरसात में भर रहा है पानी  … कभी भी घट सकती है भीषण दुर्घटना

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर में कई स्थानों पर रेलवे क्रॉसिंग बंद करके बनाए गए अंडरपास लोगों के लिए समस्या बन गए हैं। बरसात का पानी भर जाने से ये अंडरपास जलाशयों में तब्दील हो गए हैं, जिससे लोगों का आवागमन बाधित होता है और उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही अंडरपास के निर्माण को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
मोटर पंप योजना हुई ध्वस्त
पालघर में मुंबई-सूरत रेल मार्ग पर विगत वर्षों में करीब आधा दर्जन जगहों पर रेलवे क्रॉसिंग को बंद कर वहां अंडरपास बनाया गया है, लेकिन जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न होने से बरसात का पानी बाहर नहीं जा पाता और अंडरपास जलाशय बन जाते हैं। हाल के दिनों में हुई बरसात के पानी से अंडरपास लबालब भरा हुआ है। साथ ही इन अंडरपास में चिकनी मिट्टी का कीचड़ भी भर गया है, जिसके कारण आवागमन रुका हुआ है। स्थानीय लोगों को कई किमी घूमकर आना-जाना पड़ रहा है। साथ ही पैदल यात्री तो जान जोखिम में डालकर रेल लाइन पर से ही आवागमन करने लगे हैं। सरकार की इन अंडरपास में भरे पानी को मोटर पंप से बाहर निकालने की योजना भी ध्वस्त हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अंडरपास में भरा पानी कभी भी हादसों का कारण बन सकता है।
 अधिकारी हैं कि सुनते ही नहीं 
स्थानीय लोग अंडरपास में हुए जलभराव की समस्या को लेकर बार-बार अधिकारियों से शिकायत करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। लोगों का कहना है कि अधिकारी उनकी समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं। बोर्डी अस्वली मार्ग पर बने अंडरपास में भी इन दिनों बरसात का पानी भरा हुआ है, जिससे ग्रामीणों, विद्यार्थियों, किसानों और वाहन चालकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह केलवे का अंडरपास भी पानी से भरा हुआ है।
ठेकेदार करते हैं खानापूर्ति 
क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि करोड़ों रुपए खर्च कर रेलवे ने अंडर ग्राउंड रास्ता तो बना दिया, लेकिन पानी निकलने की समुचित व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण बारिश होने पर इसमें पानी भर जाता है और निकलता भी नहीं है। यह समस्या प्रति वर्ष बारिश के दिनों में ही सामने आती है। विभागीय ठेकेदार भी आधा-अधूरा कार्य करके गायब हो जाते हैं, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों के अलावा राहगीर भुगतने को विवश हैं।

फर्स्ट डे, हिट शो : पहले ही भाषण में राहुल ने पीएम को धो डाला! … बौखलाहट में भाजपा बात का बनाने लगी बतंगड़

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी ने संसद में अपने पहले भाषण में ही देश के पीएम नरेंद्र मोदी को सवालों के घेरे में लाकर पूरी तरह से मानो धो डाला। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यह हिंदू नहीं हैं, जो हिंसा और नफरत पैâलाते हैं। राहुल के भाषण पर बीजेपी इतनी बौखला गई कि बौखलाहट में राहुल की बात का बतंगड़ बनाने लगी। बता दें कि भगवान शिव, गुरुनानक जी, कुरान, जीसस क्राइस्ट का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि सभी धर्म साहस की बात करते हैं। शिवजी कहते हैं कि डरो मत और डराओ मत, मगर बीजेपी के लोग देश को डराते हैं। मोदी राज में ओबीसी, एससी, एसटी पर हमला हो रहा है। संविधान, महंगाई, अग्निवीर योजना के बाद नीट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।

७ साल में ७० बार पेपर लीक का मामला उठाया
राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर करारा वार करते हुए कहा कि सरकार ने नीट को कारोबारी एग्जाम बना दिया है। सरकार पेपर लीक को रोक तक नहीं पाई और ७ साल में ७० बार पेपर लीक हुए हैं। इसीके साथ ही राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा ने हर व्यक्ति के लिए डर का पैकेज दे दिया है। रोजगार तो आपने खत्म ही कर दिया है। अब नया पैâशन निकला है नीट। एक प्रोफेशनल स्कीम को आपने कॉमर्शियल स्कीम में बदल कर रख दिया। उन्होंने आगे कहा कि नीट को अमीर बच्चों के लिए बना दिया गया है। सरकार ने प्रोफेशनल एग्जाम को कॉमर्शियल एग्जाम बना दिया है। उन्होंने कहा कि छात्र ६ महीने तक नीट परीक्षा की तैयारी करते हैं। नीट के छात्रों को अब परीक्षा पर कोई भरोसा नहीं रह गया है।

`उन्होंने हिंदुओं पर नहीं, बीजेपी पर हमला किया’-प्रियंका गांधी वाड्रा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के संसद में दिए गए भाषण पर पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, `वह हिंदुओं का अपमान नहीं कर सकते। उन्होंने भाजपा और उसके नेताओं के बारे में यह बात साफ तौर पर कही है।’ प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। ँव्झ् पूरा हिंदू समाज नहीं है, आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है, ये बीजेपी का ठेका नहीं है।

एआई रोमांस स्कैम से सावधान! …०८ लाख रुपए ऐंठ लिए बेरोजगार महिला से, पड़ोस में रहनेवाली महिला गिरफ्तार

सामना संवाददाता / मुंबई
आजकल हर कोई ऑनलाइन फ्राॅड से परेशान है। लोगों से ठगी के मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। साइबर ठगी का एक नया मामला सामने आया है। मुंबई की रहनेवाली और नौकरी की तलाश कर रही महिला को उसकी जरूरत का फायदा उठाते हुए एआई वॉइस का इस्तेमाल कर रोमांस  स्कैम करते हुए उससे ८ लाख रुपए की ठगी कर ली गई। इस मामले की जांच करते हुए साइबर पुलिस ने पड़ोस में रहनेवाली महिला को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि फरार आरोपी की तलाश की जा रही है।
मुंबई साइबर सेल ने एक ३७ वर्षीया महिला को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार महिला पीड़ित महिला की पड़ोसी है। पीड़ित विधवा महिला नौकरी की तलाश में थी। इस बीच लगभग सात महीने पहले अभिमन्यु मेहरा नाम के व्यक्ति से सोशल मीडिया पर उसका परिचय हुआ। मेहरा ने उसे नौकरी तलाशने में मदद करने का आश्वासन दिया था, इसके बाद महिला ने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया। इसके बाद रश्मि ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर एक महिला की आवाज बनाई। आरोपी महिला अपने पति के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दे रही थी। इसके बाद पीड़िता और मेहरा के बीच चैटिंग होने लगी। इसके बाद दोनों रिलेशनशिप में आ गए। हालांकि, पीड़िता कभी मेहरा से नहीं मिली थी। इस दौरान पीड़िता ने आरोपी के बैंक खाते में करीब सात लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह हमेशा मेहरा से मिलने की कोशिश करती थी, लेकिन वह हमेशा बात करने से बचता था। इसके बाद पीड़िता को शक हुआ और उसने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी।
आवाज बदलकर करती थी बात
जांच के दौरान रश्मि ने स्वीकार किया कि वह एक ऐप का इस्तेमाल कर रही थी, जिसकी मदद से वह अपनी आवाज बदलकर पीड़िता से बात करती थी। उसने बताया कि उसने एक वॉइस चेंजिंग ऐप इंस्टॉल किया है, वह उसी ऐप की मदद से पीड़िता से बात करती थी। इसके लिए वह एक अलग फोन नंबर का इस्तेमाल करती थी, जो खासतौर पर इसी काम के लिए था। पुलिस ने बताया कि मामले की जानकारी रश्मि के पति को थी और उसने मामले को रोकने के बजाय अपनी पत्नी को और प्रोत्साहित किया। फिलहाल, पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है और उसके पति के तलाश में जुटी है।

हाय रे, ठाणे की स्वास्थ्य व्यवस्था ले ली दो बच्चों की जान!

सांप के काटने से हुई एक बच्चे की मौत
दूसरा बच्चा जन्म के बाद ही चल बसा
डॉक्टरों पर लगा लापरवाही का आरोप
समय पर होता इलाज तो बच जाती जान
सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे जिले में एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही उजागर हुई है। लापरवाही का ऐसा आलम सामने आया कि दो घटनाओं में दो बच्चों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर पीड़ित दोनों परिवार के लोगों ने डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और कहा कि अगर समय से इलाज मिलता तो उनके बच्चे की जान बच जाती।
परिवार को यहां से वहां दौड़ाते रहे
बता दें कि घटना मुरबाड तालुका के वैशाखरे प्रधानपाड़ा की है, जहां दो वर्षीय बच्चे को सांप ने काट लिया था। घर वाले बच्चे और सांप को टोकावडे के एक ग्रामीण अस्पताल में ले गए। जब वे वहां पहुंचे तो रात हो चुकी थी और अस्पताल का गेट भी बंद था, जिसे खोलने में करीब १५ से २० मिनट लग गए। इसके बाद डॉक्टर ने सांप को करीब २० मिनट तक देखा। उन्होंने कहा कि सांप जहरीला नहीं है। लेकिन अचानक बच्चे की हालत गंभीर होने लगी, जिसके बाद बच्चे को डॉक्टर ने उल्हासनगर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। सड़क की स्थिति खराब होने के कारण परिवार को वहां पहुंचने में काफी समय लग गया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चे को कलवा अस्पताल ले जाने को कहा, इसके बाद परिवार फिर से बच्चे को लेकर कलवा अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार का आरोप है कि अगर समय पर बच्चे का इलाज किया गया होता तो उसकी जान बच सकती थी।
अस्पताल में नहीं था कोई बालरोग विशेषज्ञ
दूसरी घटना के अनुसार, रेशमा भोईर नाम की महिला को डिलिवरी के लिए मुरबाड ग्रामीण अस्पताल में दाखिल कराया गया था। महिला का प्रसव नार्मल हुआ, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। मुरबाड अस्पताल में कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बच्चे को इलाज के लिए उल्हासनगर स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे की जान चली गई। जिसके बाद बच्चे के परिवार वालों ने वरिष्ठों से शिकायत की कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गैरजिम्मेदारी के कारण ही बच्चे की मौत हुई है। मुरबाड ग्रामीण अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संग्राम डांगे ने कहा कि यदि मुरबाड ग्रामीण अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध होता तो बच्चे को प्राथमिक उपचार दिया जा सकता था।