विले पार्ले में उत्सव 2025 का भव्य आयोजन संपन्न

सामना संवाददाता / मुंबई

द अप्रेंटिस प्रोजेक्ट (TAP) द्वारा तंत्रज्ञान तथा AI की मदद से शिक्षण में प्रभावी तब्दीली की जा सकती है। इस विषय को लेकर विले पार्ले-पूर्व के दीक्षित रोड स्थित मुंबई पब्लिक स्कूल में उत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुंबई महानगरपालिका की उपायुक्त प्राची जांभेकर तथा रिजनल एकेडमिक अथॉरिटी की मनीषा पवार ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों द्वारा बनाए गए प्रकल्प से वे अत्यंत प्रभावित हुई हैं। कार्यक्रम में उपस्थित सम्मानित लोगों में द अप्रेंटिस प्रोजेक्ट के सीनियर पार्टनर श्रीनिवासन कृष्णमाचारी, वीणा मोगांवकर, माध्यमिक विभाग की उप शिक्षण अधिकारी सुजाता खरे, महेश रसल का समावेश रहा। सभी लोगों ने विश्वास व्यक्त किया कि तंत्रज्ञान और AI की मदद से विद्यार्थियों में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

महिला पुलिसकर्मियों के बीच समाजसेवी कोठारी ने मनाया महिला दिवस

सामना संवाददाता / मुंबई

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सुप्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी गणपत कोठारी ने अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मुंबई उपनगर के मुलुंड स्थित नवघर पुलिस स्टेशन में महिला पुलिसकर्मियों के बीच मनाया। दानवीर भामाशाह एवं तमाम व्यापारिक एवं सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े सुप्रसिद्ध उद्योगपति गणपत कोठारी ने इस अवसर पर महिला पुलिस अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों द्वारा पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा से महिला सुरक्षा एवं अपराधों की रोकथाम के लिए किए जा रहे जिम्मेदारी-पूर्वक प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें आकर्षक उपहार भी प्रदान किए। अपने संबोधन में गणपत कोठारी ने कहा कि महिलाओं के लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं है। आवश्यकता है तो बस एक कदम आगे बढ़ाने की, जिसका उदाहरण पुलिस महकमें से जुड़ी महिलाएं हैं, प्रत्येक महिला पुलिसकर्मी अन्य महिलाओं को सक्षम बनाने की प्रेरणा का प्रण लें। गणपत कोठारी ने कहा कि अब महिलाएं स्वावलंबी हो गयी है, उन्हें भी परिवार की जिम्मेदारी के लिए पुरुषों के साथ ही मिलकर कार्य करना होगा, ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन दे सकें। आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभा रही है जो कि महिला सशक्तिरण का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि नारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि शक्ति, त्याग और ममता का प्रतीक है। उसके बिना समाज का अस्तित्व अधूरा है। हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी न किसी नारी का योगदान होता है। चाहे वह मां, बहन, पत्नी, या बेटी के रूप में हो, नारी अपने कर्तव्यों को निस्वार्थ भाव से निभाकर समाज और परिवार को सशक्त बनाती है। कोठारी ने यह भी कहा कि नारी शक्ति का स्वरूप है। नारी का अपमान करने पर जीवन में सफलता नहीं कर सकते, सम्मान करने पर ही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। कोठारी ने कहा कि स्त्री केवल सृष्टि की रचयिता ही नहीं है, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है। वह शक्ति, ममता और त्याग का ऐसा स्वरूप है, जो मानवता को दिशा प्रदान करती है। नारी ने अपनी दोहरी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए यह साबित कर रही है कि वह किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। वह सशक्त समाज की नींव है। गणपत कोठारी ने कहा कि बेटी-बहन-बहू-मां-परिवार की देखभाल कर राष्ट्र सेवा में योगदान देने वाली मातृशक्ति का आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं त्रिवार अभिनंदन करता हूं। इस अवसर पर गणपत कोठारी का वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुरेश मदने समेत सभी पुलिस अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों द्वारा भव्य सत्कार किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुरेश मदने, पुलिस निरीक्षक मनोज सिंह चौहान, महिला फौजदार रूपाली सकपाल, महिला फौजदार धनश्री कदम, मील स्पेशल संदीप पाटील, मील स्पेशल शिवराम शिंदे, पुलिस प्रशासन मदतनीस शैलेश पाटील समेत नवघर पुलिस स्टेशन की सभी महिला पुलिसकर्मी उपस्थित रहे।

वाकोला पुलिस स्टेशन में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

मुंबई: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में वाकोला पुलिस स्टेशन में गुमशुदा व्यक्तियों के विभाग की प्रभारी महिला पुलिस कांस्टेबल झेंडे मैडम, सीसीटी एनएस विभाग की प्रभारी महिला अधिकारी श्रीमती भंडलकर मैडम, डिस्पैच विभाग की प्रभारी महिला अधिकारी श्रीमती चोपड़े मैडम व डिचोलकर और साइबर विभाग की प्रभारी महिला अधिकारी रूपाली सावंत को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए जोन 8 के पुलिस उपायुक्त मनीष कलवानिया, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक प्रकाश खांडेकर ने सम्मानित किया।


वाकोला पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर उत्कृष्ट सामाजिक कार्य कर के पुलिस की मदद करने के लिए श्रीमती रूपल सिंह और श्रीमती साक्षी मिश्रा को भी उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यह कार्यक्रम पुलिस उपायुक्त जोन 8 मनीष कलवानिया की अध्यक्षता में और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक प्रकाश खांडेकर के मार्गदर्शन में हुआ।

ईडी २.० ने महिला दिन पर उड़ाया महिलाओं का मजाक! … इक्का दुक्का बहनों के खाते में आई ५०० रुपल्ली … रु. ३,००० आने की थी उम्मीद

सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के तहत महायुति सरकार ने घोषणा की थी कि फरवरी और मार्च के ३,००० रुपए की किस्त महिला दिन पर बहनों के खाते में जमा की जाएगी। इसके तहत राज्य की तमाम लाभार्थी महिलाएं दो महीनों की किस्त आने की उम्मीद लगाए बैठी थीं। इस बीच सोलापुर के मंगलवेढा तहसील से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें ३,००० रुपए की किस्त का इंतजार कर रही एक लाडली बहन के खाते में सरकार की ओर से केवल ५०० रुपए जमा कराए गए हैं। यह कृत्य करके महायुति सरकार ने महिला दिन पर लाडकी बहनों का एक तरह से मजाक उड़ाने का काम किया है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई २०२४ से तत्कालीन घाती मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना लागू की थी। इस योजना के तहत महिलाओं के आधार-लिंक खाते में हर महीने १,५०० रुपए जमा करने की घोषणा की गई थी। उसके अनुसार पैसे भी जमा किए गए। शुरुआत में विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह योजना चुनाव को ध्यान में रखकर शुरू की गई है।

रु. २,१०० का इंतजार
चुनाव खत्म होने के बाद भी इस योजना के तहत किस्त जमा होने लगी, जिससे महिलाओं ने इस योजना का स्वागत किया। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के समय सत्ता में आने पर २,१०० रुपए देने का आश्वासन दिया गया था। सरकार गठन होने के चार महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक २,१०० रुपए की किस्त महिलाओं के खाते में जमा नहीं की गई है। इस बीच फरवरी महीने का हिस्सा लंबित पड़ा हुआ था।

महिला दिवस पर
ईडी २.० ने किया निराश
सरकार ने नहीं निभाया वादा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर फरवरी और मार्च की किस्त एक साथ जमा होने की उम्मीद थी, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर महिलाओं ने सुनी थी। बजट सत्र के दौरान इस योजना पर चर्चा हुई थी। इस बीच कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ३,००० रुपए मिलने की उम्मीद रखने वाली मंगलवेढा तालुका की एक महिला के विदर्भ कोकण ग्रामीण बैंक की निंबोनी शाखा के खाते में फरवरी के हिस्से के रूप में केवल ५०० रुपए जमा करके महिलाओं का मजाक उड़ाने का प्रयास राज्य सरकार ने किया है। दूसरी तरफ सरकार के इस कृत्य से महिला भी निराश हुई है।
सरकार को निभाना चाहिए था वादा
महिलाओं का कहना है कि वास्तव में देखा जाए तो आज के दिन राज्य भर में महिलाओं के कर्तृत्व का गुणगान किया जा रहा है। महायुति सरकार को कम से कम आज तो इस संबंध में किए गए वादे को निभाना चाहिए था, लेकिन यह फिर से साबित हो गया है कि इस सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है।

रोखठोक : मराठी का अपमान, औरंगजेब का गौरव …असली गुनहगार कौन?

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैयाजी जोशी ने मुंबई आकर जोर से कहा, `मुंबई की भाषा मराठी नहीं है।’ इस पर राज्य सरकार गोल-मोल जवाब देकर चुप्पी साध गई। मराठी का अपमान करने वाले और औरंगजेब का महिमामंडन करने वाले अपने ही घर के हैं। अबू आजमी पर कार्रवाई हुई, लेकिन भाजपा परिवार के इन गुनहगारों को कौन बचा रहा है?

मराठी भाषा और मराठी लोगों के असली दुश्मन उनके अपने घरों में ही हैं और यह दिन-ब-दिन दिखाई पड़ रहा है। पिछले ४०-४५ वर्षों के राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारिता जीवन में मेरे जैसे कई लोगों ने कई लड़ाइयां लड़ी हैं। उसमें मराठी भाषा की लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी। क्योंकि मराठी को चोट पहुंचाने वाले घर में ही हैं। दुनिया के इतिहास में ऐसी कोई लड़ाई नहीं हुई होगी, एक ऐसी लड़ाई में जिसमें सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है, दुश्मन के हमले के कारण नहीं, बल्कि उन लोगों की दुराग्रह के कारण जिनके लिए हम लड़ते हैं। भारतीय जनता पार्टी और खासकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख नेता भैयाजी जोशी ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई आकर धक्कादायक बयान दिया है। उन्होंने कहा, `मुंबई की भाषा मराठी नहीं है। मुंबई आने वाले हर व्यक्ति को मराठी आना जरूरी नहीं है।’ इतना ही नहीं श्री जोशी ने घोषणा की, `मुंबई में घाटकोपर जैसे इलाके की भाषा गुजराती ही है।’ मुंबई में दिए गए इस बयान ने महाराष्ट्र का दिल दुखाया है। केंद्र सरकार ने मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा दिया। छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी राजा की है यह मराठी भाषा। इसी भाषा से महाराष्ट्र का निर्माण हुआ। उस महाराष्ट्र के लिए शहादत देने वाले १०६ शहीदों की भाषा मराठी, लेकिन भैयाजी जोशी जैसे वरिष्ठ नेता `मराठी क्यों?’ ये सवाल मुंबई में आकर पूछते हैं और महाराष्ट्र ठंडा रहता है। सरकार दल के लोग जोशी के बयान का समर्थन करते हैं। मुंबई में कई लोग मराठी के लिए लड़ रहे हैं। यदि कोई आम अमराठी दुकानदार मराठी भाषा का अपमान करता है, तो ये मराठीवादी उस दुकानदार को थप्पड़ रसीद करते हैं और उसके बारे में शोर मचाकर प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं, लेकिन जब भैयाजी जैसे संघ के वरिष्ठ नेता मराठी के बारे में गंभीर बयान देते हैं, तो ये सभी दल और कार्यकर्ता चुप्पी ओढ़ लेते हैं।

छत्रपति का मराठी स्वाभिमान
नेताओं को राजनीति के लिए छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी की जरूरत होती है। उन्हें औरंगजेब की भी जरूरत होती है, लेकिन मराठी पर छत्रपति की भूमिका से वे सहमत नहीं हैं। हिंदवी स्वराज के बाद भाषा का प्रश्न उठा। स्वराज्य की भाषा क्या है? फारसी या मराठी? छत्रपति ने इसके लिए कोई अध्ययन समिति नियुक्त नहीं की। छत्रपति ने कहा, `महाराष्ट्र की भाषा मराठी है।’ ऐसा कहकर छत्रपति ने मराठी को राजभाषा बना दिया। अपने राज्याभिषेक के बाद छत्रपति ने जो पहला काम किया वह तुरंत `मराठी राजभाषा कोष’ बनाना और विदेशी भाषाओं को महाराष्ट्र से बाहर निकालना था। जो लोग इस इतिहास को नहीं जानते उन्हें महाराष्ट्र में कदम नहीं रखना चाहिए। लेकिन जो लोग खुले तौर पर कहते हैं कि मुंबई की भाषा मराठी नहीं है, उन्हें आज सरकार से संरक्षण मिलता है। राज्य सरकार को उन लोगों के खिलाफ भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करना चाहिए जो कहते हैं कि मराठी मुंबई की भाषा नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र में किस जाति और धर्म का इंसान बयान दे रहा है, उस आधार पर कार्रवाई की जाती है। मुंबई आकर जो बयान भैयाजी जोशी ने दिया अगर वैसा बयान लखनऊ से आए समाजवादी पार्टी के नेता या अबू आजमी ने दिया होता तो सदन में देवेंद्र फडणवीस और उनके विधायकों ने हंगामा कर दिया होता और उन सभी के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करा दिया होता, लेकिन भैयाजी जोशी तो भाजपा के नेता हैं। किसी ने उनका विरोध भी नहीं किया और विधानसभा में मुख्यमंत्री फडणवीस ने जो जवाब दिया उससे सभी खुश हो गए। फडणवीस ने कहा, `मुंबई की भाषा मराठी ही है,’ लेकिन वे उस भाषा पर हमला करने वालों को अभय दे रहे हैं।

अबू आजमी के खिलाफ कार्रवाई, अन्य आजाद
महाराष्ट्र में मराठी भाषा, इतिहास और स्वाभिमान के मामले में फडणवीस सरकार किस तरह से दोहरी भूमिका निभा रही है यह देखना जरूरी है। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने विधानभवन परिसर में औरंगजेब का गुण-बखान किया। इससे शिवराय और संभाजी राजा का अपमान हुआ। सरकार ने अबू आजमी को विधानसभा से निलंबित कर दिया। अब हर कोई उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है, लेकिन भाजपा से जुड़े `महान’ लोगों ने इस दौरान दिनदहाड़े शिवराय का अपमान किया। वे सभी लोग आजाद हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राहुल सोलापुरकर ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर अब तक का सबसे गंदा आरोप लगाया। राहुल सोलापुरकर ने शिवाजी महाराज के भ्रष्टाचारी होने की बात कही। सोलापुरकर ने यह कहकर आगरा से छूट निकलने का इतिहास ही बदल दिया कि `महाराज का औरंगजेब की कैद से `आगरा’ से निकलना बिल्कुल भी बहादुरी नहीं थी। महाराज ने पहरेदारों और औरंगजेब के लोगों को रिश्वत दी और छूट गए।’ इस बाबत सोलापुरकर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? इसे औरंगजेब का महिमामंडन भी कहा जाना चाहिए, चूंकि यह सरसंघचालक मोहन भागवत की बैठक थी, इसलिए सोलापुरकर औरंगजेब को महान बनाकर निकल गए और क्योंकि `धर्म’ आड़े आया, तो अबू आजमी उसी गुनाह के लिए `फंदे’ पर चढ़ गए! छत्रपति संभाजी राजे की जीवनी पर बनी फिल्म `छावा’ इन दिनों चल रही है। जब संभाजी राजा संगमेश्वर में रह रहे थे, तब औरंगजेब को इसकी `खबर’ मिली और मुगलों ने संभाजी राजा को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें यातनाएं देकर मार डाला। इस बलिदान के कारण महाराष्ट्र आज भी बिलख रहा है। संभाजीराजा की `खबर’ आखिर किसने दी? गणोजी शिर्वेâ नामक महाराज के कार्यालय में काम करने वाले ब्राह्मण एक मुंशी ने? डचों के इतिहास में यह दर्ज है कि महाराजा के कार्यालय में कार्यरत मुंशी ने ही संभाजी को पकड़वाया था। जब युवा इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने इस बात की सच्चाई सामने लाने की कोशिश की तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा नागपुर का कार्यकर्ता प्रशांत कोरटकर भड़क उठा और उसने इंद्रजीत सावंत को धमकी भरे फोन किए। अपनी धमकी में कोरटकर सावंत से कहता है, `तुम जहां भी हो हम आएंगे और ब्राह्मणों की ताकत दिखाएंगे। तुम कितने भी मराठा इकट्ठा करो। देख लूंगा।’ इसी बातचीत में कोरटकर ने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। उसकी अभद्र भाषा के प्रकोप से मांसाहेब जिजाऊ भी नहीं बच पार्इं। हालांकि, यह साबित हो गया कि वह आवाज और शिवराय के खिलाफ अभद्र भाषा कोरटकर की ही थी, बावजूद कोरटकर आजाद है। अगर कोरटकर की जगह कोई `खान’ होता तो इतिहास के नाम पर फडणवीस सरकार ने हल्लाबोल कर दिया होता। फडणवीस ने विधानसभा में कहा, `कोरटकर एक चिल्लर आदमी हैं।’ उस चिल्लर आदमी का फडणवीस से लेकर मोहन भागवत तक सबके साथ संबंध है। ऐसी कई तस्वीरें हैं, जिनसे यह साबित होता है कि भाजपा मंडली में उसका उठना-बैठना है। चूंकि यह चिल्लर भाजपा और संघ परिवार का है तो धमकी देकर शिवराय का अपमान करके कैसे आजाद है? कोरटकर और सोलापुरकर के खिलाफ कार्रवाई न करने का मतलब भाजपा प्रायोजित औरंगजेब का महिमामंडन है।

शिंदे पूरी तरह ठंडा
शिवराय के महाराष्ट्र में उनकी मराठी भाषा का अपमान किया जाता है और औरंगजेब का महिमामंडन किया जाता है। भाषा का अपमान करने वाले और औरंगजेब का महिमामंडन करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री फडणवीस कार्रवाई नहीं करते। ये तस्वीर अच्छी नहीं है। अजीत पवार से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन `हम ही बालासाहेब ठाकरे के विचारों के सच्चे उत्तराधिकारी हैं’ ऐसा कहने वाले एकनाथ शिंदे और उनके लोग भी औरंगजेब का महिमामंडन होते और मराठी पर हमले होते देख नपुंसक की भांति शांत बैठे रहे। अबू आजमी के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहने वाले शिंदे भैयाजी जोशी, राहुल सोलापुरकर और प्रशांत कोरटकर के उसी गुनाह पर चुप हैं।
महाराष्ट्र में ढोंग बढ़ता जा रहा है।
मराठी का अपमान और औरंगजेब का गौरव उसी ढोंग की ही उपज है।

शिवसेना का आज मुंबई में संकल्प शिविर … उद्धव ठाकरे करेंगे मार्गदर्शन

-स्थान- कालीदास नाट्यगृह, मुलुंड
-समय- सुबह ९ से रात ८ बजे

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव के बाद की गतिविधियां और आगामी मनपा चुनावों की पृष्ठभूमि पर शिवसेना का दमदार और प्रभावशाली संकल्प शिविर रविवार को मुलुंड के कालीदास नाट्यगृह में आयोजित किया जाएगा। इस शिविर में शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की तूफानी उपस्थिति होगी। उद्धव ठाकरे सभी शिवसैनिकों को क्या विचार और संदेश देते हैं, इस पर सभी की निगाहें होंगी।
शिवसेना के ईशान्य मुंबई विभाग की ओर से विधायक सुनील राऊत के नेतृत्व में इस संकल्प शिविर का आयोजन किया गया है। यह शिविर दो सत्रों में आयोजित किया जाएगा।

मुंबई की समस्याओं पर
बोलेंगे आदित्य ठाकरे
मजबूत संगठन पर होगा मंथन

शिवसेना नेता, युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे के हाथों सुबह १०.३० बजे शिविर का उद्घाटन होगा। पहला सत्र सुबह ९ बजे से दोपहर १ बजे तक चलेगा, जबकि दूसरा सत्र दोपहर २ बजे से शाम ८ बजे तक चलेगा। दूसरे सत्र का समापन उद्धव ठाकरे के मार्गदर्शन में होगा।
शाहीर नंदेश उमप की पहाड़ी आवाज में पोवाडा और अंबामाता के जागरण से शिविर का शुभारंभ होगा। दीप-प्रज्वलन आदित्य ठाकरे के हाथों होगा, जबकि स्वागत सुनील राऊत करेंगे। पहले सत्र में मुंबई और मुंबई की समस्याएं विषय पर आदित्य ठाकरे बोलेंगे, जबकि हम शिवसेना में क्यों के सवालों के जवाब शिवसेना नेता दिवाकर रावते और अनंत गीते देंगे। शिवसेना सदस्य पंजीकरण और नए मतदाता पंजीकरण के बारे में शिविर में शिवसेना नेता और सांसद अनिल देसाई मार्गदर्शन करेंगे।
दूसरे सत्र में मैं शिवसेना में क्यों आया यह उपनेता साजन पाचपुते, किरण काले, और वसंत मोरे बताएंगे, जबकि संगठन की आत्मा और मजबूतीकरण पर विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे मार्गदर्शन करेंगे। एड. असीम सरोदे इस शिविर में फेक नैरेटिव महाराष्ट्र की समस्याओं के बारे में शिवसैनिकों को जागरूक करेंगे। इसी तरह हमने मुंबई-कोकण में ऐसे लड़ाई लड़ी इसका विवेचन शिवसेना नेता भास्कर जाधव करेंगे।

झलकेगा एक धधकता विचार
हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे को अपेक्षित शिवसैनिक विषय पर शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत शिविर में मार्गदर्शन करेंगे। इसके बाद उद्धव ठाकरे के भाषण से पहले एक धधकता विचार, शिवसेना की शानदार यात्रा पर प्रकाश डालने वाली आधे घंटे की विशेष फिल्म बड़े एलईडी स्क्रीन पर दिखाई जाएगी।

नियोजन शून्य सरकार की आर्थिक अनुशासनहीनता … राज्य पर मंडरा रही है खतरे की घंटी … आऊट ऑफ कंट्रोल हुई पूरक मांग

-५-१०% से नहीं होनी चाहिए ज्यादा
-ईडी २.० में २०.४९ फीसदी पर पहुंची
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
बजट में इस तरह का प्रावधान है कि पूरक मांग पांच से १० फीसदी के बीच होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार के नियोजन शून्य होने के चलते हर साल पूरक मांग बढ़ती जा रही है, जो न केवल सरकार की असफलता दर्शा रही है, बल्कि यह सरकार और राज्य की जनता पर भविष्य के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है। हमेशा की तरह ही इस साल बजट सत्र में महायुति सरकार की फिर से नियोजन शून्यता के चलते पूरक मांग आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है। आलम यह है कि ईडी २.० ने उसे २०.४९ फीसदी पर पहुंचा दिया है। इसके पीछे का कारण आर्थिक अनुशासनहीनता बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि महायुति सरकार पूरक मांगों के बढ़ते प्रमाण पर कंट्रोल रखने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुई है। किसी समय राज्य की पूरक मांग ११ फीसदी थी, जो पिछली सरकार में १८ फीसदी थी। हालांकि, मौजूदा सरकार के शासन में यह २०.४९ फीसदी पर पहुंच चुकी है। पूरक मांग विश्लेषण में बताया गया है कि वर्ष २०२२ से २०२५ के बीच मूल बजट की कुल राशि १८ लाख १९ हजार ९०६ करोड़ ४९ लाख रुपए थी। उसकी तुलना में तीन लाख २७ हजार ७५ लाख १० हजार राशि की पूरक मांग की गई है। इसका मूल बजट में प्रमाण १७.९७ फीसदी है।

महाविकास आघाड़ी सरकार का था कंट्रोल
मौजूदा सत्तारूढ़ दल ने ही तब किया था विरोध

महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में वर्ष २०२०-२१ के दौरान मूल बजट चार लाख ३४ हजार ८४ करोड़ ७८ लाख था। इसकी तुलना में पूरक मांग ७२ हजार १५२ करोड़ रुपए की गई थी, जो १६.६२ फीसदी थी। बता दें कि इस अवधि में कोरोना महामारी ने जनता को बेहाल कर दिया था। इसी तरह वर्ष २०२१-२२ का मूल बजट चार लाख ८४ हजार ९० करोड़ ६७ लाख रुपए था। उसकी तुलना में ६० हजार ६९८ करोड़ २८ लाख पूरक मांग की गई थी, जो १२.५३ फीसदी थी।
महाविकास आघाड़ी सरकार में वर्ष २०१९ से २२ तक बजट में पूरक मांग १३.१२ फीसदी पर बनी रही।
महाविकास आघाड़ी की सरकार में विपक्षी बेंच पर बैठा मौजूदा सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने आवाज उठाते हुए इसी तरह नियोजन शून्य होने का आरोप लगाया था। इसी के साथ ही कैग ने भी इस पर कई बार आपत्ति जताई थी। इसी के साथ ही विधानमंडल की इस्टिमेट कमेटी ने इसे लेकर सरकार की जमकर आलोचना की थी। इस पर कैग ने सकारात्मक बदलाव का सुझाव दिया था। हालांकि, मौजूदा सरकार में स्थिति और विकट हो गई है। सभी नियमों को दरकिनार करते हुए सरकार बड़े स्तर पर पूरक मांग कर रही है। यह महाराष्ट्र के लिए चिंता का विषय बन गया है।
क्या होती है पूरक मांग
पूरक मांग का मतलब है कि जब दो वस्तुओं को एक साथ इस्तेमाल किया जाता है, तो एक वस्तु की मांग दूसरी वस्तु की मांग से जुड़ी होती है, यानी एक की मांग बढ़ने से दूसरी की मांग भी बढ़ती है। इसे पूरक मांग कहते हैं।

एक लाख ३७ हजार १६३ करोड़ ६७ लाख पर पहुंची
वर्ष २०२४-२५ में मानसून अधिवेशन में पहली ही पूरक मांग ९४ हजार ८८९ करोड़ ०६ लाख रुपए, जबकि दिसंबर २०२४ में पूरक मांग की राशि ३५ हजार ७८८ करोड़ ४१ लाख थी। इसी तरह मार्च २०२५ में पेश की गई पूरक मांग छह हजार ४८६ करोड़ २० लाख रुपए है। तीनों पूरक मांगों को मिलाकर कुल एक लाख ३७ हजार १६३ करोड़ ६७ लाख पर पहुंच गई है।

युवाओं के साथ भी घात! …कार्य प्रशिक्षण योजना के पैसे में झोल …सरकारी कर्मचारियों के खाते में पैसे हो रहे ट्रांसफर

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव २०२४ से पहले युवाओं को आकर्षित करने के लिए सरकार ने लाडकी बहन योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर हर महीने ६,००० से १०,००० रुपए देने का वादा किया गया था। अब इस योजना में भारी घोटाले का खुलासा हुआ है। नाशिक की मराठा विद्या प्रसारक शिक्षा संस्था के कर्मचारियों के खातों में बेरोजगार युवाओं के नाम पर पैसे जमा किए गए। इस घोटाले के उजागर करने के बाद राज्य सरकार ने इसकी गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।
योजना के तहत १८ से ३५ वर्ष के बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर देना था, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने जिले की प्रतिष्ठित मराठा विद्या प्रसारक संस्था से संपर्क किया। संस्था को बेरोजगार युवाओं की सूची देनी थी, लेकिन इसके बजाय संस्था ने पहले से काम कर रहे हजारों कर्मचारियों के नाम सरकार को भेज दिए। इसके चलते सरकारी योजना के मूल उद्देश्य पर ही पानी फिर गया और नियमों का उल्लंघन हुआ। जब यह मामला सामने आया तो संस्था के संचालकों ने सारी जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर डाल दी। संस्था का कहना है कि उन्हें केवल कर्मचारियों की सूची देने के लिए कहा गया था और पात्र लाभार्थियों की जांच करना सरकार की जिम्मेदारी थी।
मामला दर्ज करने की मांग
घोटाले का खुलासा होने के बाद संस्था के सचिव नितीन ठाकरे ने कहा कि उनके कर्मचारियों के खातों में जमा हुई राशि वे सरकार को लौटाने के लिए तैयार हैं। इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी की पदाधिकारी अमृता पवार ने संस्था के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और संचालकों पर मामला दर्ज करने की मांग की है। अमृता पवार ने इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने की भी योजना बनाई है। इससे कौशल विकास रोजगार विभाग के अधिकारियों और मराठा विद्या प्रसारक संस्था के संचालकों की मुश्किलें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

शिंदे गुट में कभी भी फूट! …उदय सामंत के बाद सरनाईक पर फडणवीस मेहरबान

-बनाया एसटी महामंडल का अध्यक्ष, घाती हुआ नाराज
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की महायुति सरकार में शामिल तीनों दलों के बीच इन दिनों तनातनी का माहौल है। खास करके उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच मामला कुछ ज्यादा ही टेंशन वाला है। फडणवीस जब से मुख्यमंत्री बने हैं पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पर लगातार कतर रहे हैं। एक तरफ शिंदे के करीबी उद्योगपतियों पर ईडी, सीबीआई की धौंस तो शिंदे गुट के मंत्रियों की फाइलें रोककर और उनके विभाग के निर्णय के लिए आईएएस अधिकारियों को अधिकार देकर उन्हें दबा दिया है। हर तरह से शिंदे को झटका दे रहे हैं।

सोची-समझी राजनीति के तहत
काम कर रहे फडणवीस
शिंदे को टक्कर देने के लिए सरनाईक को कर रहे खड़ा

एक दिन पहले फडणवीस ने राज्य के मित्र संस्था से शिंदे के करीबी बिल्डर अजय अशर को हटाया तो कल उन्होंने शिंदे गुट के नेता व मंत्री प्रताप सरनाईक को एसटी महामंडल के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया। ऐसा कर के फडणवीस एक सोची समझी साजिश के तहत गहरी राजनीति कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो फडणवीस के इस निर्णय से शिंदे खासा नाराज है, क्योंकि फडणवीस ऐसे पैâसले लेकर शिंदे गुट के एक धड़े को तोड़ रहे हैं। दरअसल, सरनाईक का कद बढ़ने से ठाणे में शिंदे को भविष्य में समस्या होगी। उनके टक्कर का दूसरा नेता खड़ा हो जाएगा। इसलिए वे सरनाईक की नियुक्ति को पसंद नहीं कर रहे थे। ऐसे में सूत्रों का दावा है कि फडणवीस ने शिंदे गुट के दो नेता व मंत्री उदय सामंत और सरनाईक को अपने पक्ष में किया है। ये लोग शिंदे गुट से किसी भी समय अलग होकर फडणवीस के साथ खड़े हो जाएंगे।
बता दें कि फडणवीस शिंदे गुट में शिंदे को छोटा बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं। फडणवीस ने शिंदे गुट में पहले मंत्री उदय सामंत को बढ़ाया अब ठाणे में शिंदे के सामने प्रताप सरनाईक को मजबूत बना रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सरनाईक को एसटी महामंडल का अध्यक्ष बिना शिंदे से पूछे बनाया गया है, लेकिन फडणवीस के इस निर्णय पर शिंदे कुछ बोल भी नहीं पाए, तो दूसरी तरफ सरनाईक को अपने भरोसे में ले लिया। अब यदि शिंदे अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करते तो उनके ही पार्टी में विद्रोह नजर आता। वैसे भी फडणवीस अब शिंदे को उदय और सरनाईक के जरिए घेर चुके हैं। शिंदे गुट में अब तीन नेता हो गए है। शिंदे की नाराजगी पर यह गुट फूटेगा। उदय और सरनाईक फडणवीस के साथ ही नजर आएंगे।
खास बात एसटी महामंडल में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए शिंदे गुट के करीबी भरत गोगावले को हटाया गया था और भ्रष्टाचार रोकने हवाला देकर शिंदे के कई निर्णयों को रद्द किया गया था और इसके अध्यक्ष पद पर आईएएस अधिकार संजय सेठी को तैनात किया था, लेकिन अब फिर से अचानक सेठी को हटाकर सरनाईक को लाने की राजनीति नहीं बल्कि कूटनीति है।

फडणवीस ने परंपरा को तोड़ा
अधिकांश समय राज्य के परिवहन मंत्री ही एसटी महामंडल के अध्यक्ष रहे हैं। २०१४ से २०१९ तक दिवाकर रावते परिवहन मंत्री और एसटी महामंडल के अध्यक्ष थे। इसके बाद महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान अनिल परब के पास मंत्री पद और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी थी। यह परंपरा एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए भी जारी रखी गई। उस समय एकनाथ शिंदे ही राज्य के परिवहन मंत्री और एसटी महामंडल के अध्यक्ष थे। हालांकि, देवेंद्र फडणवीस ने इस परंपरा को तोड़ दिया।

बड़े शहरों में ८०% घर हैं खाली! …नासिक में राष्ट्रीय विकास परिषद की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
देश के ६० शहरों में बेचे गए घरों की कुल संख्या में २३ प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं खाली घरों की संख्या में साल-दर-साल वृद्धि जारी रही। इनमें से ८० फीसदी खाली घर बड़े शहरों में हैं। छोटे शहरों में घरों की बिक्री को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। `कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स ऑफ इंडिया’ (क्रेडाई) ने देशभर के डेवलपर्स का छठा `न्यू इंडिया समिट’ नासिक में आयोजित किया है। इस सम्मेलन में क्रेडाई और लाइसेस फोरास द्वारा संयुक्त रूप से देश के ६० शहरों में निर्माण उद्योग की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इसमें यह जानकारी दी गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल ६० शहरों में ६८१ हजार १३८ घर बिके। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि २०२३ की तुलना में यह बढ़ोतरी २३ फीसदी है, लेकिन बिना बिके मकानों की संख्या दस लाख से ज्यादा है। इस रिपोर्ट से साफ है कि यह अनुपात ४३ फीसदी है। इस रिपोर्ट से यह भी साफ है कि बड़े शहरों में खाली घरों की संख्या ८० फीसदी है।
अगले कुछ वर्षों में दस लाख की आबादी वाले १०० शहर विकसित किए जाएंगे। इन शहरों को आवास की जरूरत है और देश के कई छोटे शहर अब डेवलपर्स के रडार पर हैं। लोग अपनी जरूरतों को कम करने के लिए बड़े शहरों से छोटे शहरों की ओर जाना भी चाह रहे हैं। बड़े शहरों की तरह इन लोगों को भी घर की जरूरत है। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डेवलपर्स को भी इस दिशा में सोचना चाहिए।
अगले कुछ वर्षों में होंगे विकसित
देश के द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में लगभग ३ हजार २९४ एकड़ भूखंडों में से ४४ प्रतिशत भूखंडों का अधिग्रहण निजी डेवलपर्स द्वारा विभिन्न तरीकों से किया गया है। क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि इन भूखंडों को अगले कुछ वर्षों में विकसित किया जाएगा।