कविता श्रीवास्तव
आज सन-डे…है। वह `डे’ जिसका भारत के करोड़ों क्रिकेट दीवानों को खूब इंतजार था। आज दुबई के अंतर्राष्ट्रीय मैदान पर आईसीसी चैंपियनशिप में भारत फाइनल मैच खेलेगा। अब तक मेजबान पाकिस्तान, विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश और न्यूजीलैंड को हम तगड़ी शिकस्त दे चुके हैं। इससे भारतीय खिलाड़ियों के हौसले बुलंद हैं। देश-विदेश हर जगह भारतीयों में `चक दे इंडिया’ का जोश है। होली से ठीक पहले ही भारत में उमंगों की पिचकारियों से बिखरती फुहारों और चैंपियनशिप की चकाचक बारिशों की बेताबी है। एक तरह से यह मिनी वर्ल्डकप ही है। इससे पहले हम टी-२० वर्ल्डकप जीतकर तिरंगा लहरा चुके हैं। अब आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ का रोमांच अपने चरम पर पहुंच चुका है। प्रबल दावेदार ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत उसे बाहर कर चुका है। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम अपने सभी मैच दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेल रही है। कुछ लोगों का मानना है कि भारतीय टीम को दुबई के मैदान का लाभ मिल रहा है, पर दुबई में सभी पिचें एक समान नहीं हैं। भारत अलग-अलग पिचों पर खेल रहा है। कप्तान रोहित शर्मा भी कह चुके हैं कि ऐसा मत कहो क्योंकि ये भारतीय पिच नहीं है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ पिच पर स्पिनरों के साथ तेज गेंदबाजों को भी मदद मिली थी, जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ भी तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनरों का जलवा दिखा था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी पिच संतुलित नजर आया। ऐसा नहीं था कि विकेट से केवल तेज गेंदबाजों या स्पिनरों को मदद मिल रही थी। दमदार भारतीय बल्लेबाजी से निकले रनों ने ही बाजी जितवाई। इस टूर्नामेंट में विराट कोहली की बल्लेबाजी ने खूब धूम मचाई है। यह टूर्नामेंट तेज गेंदबाजों, स्पिनरों और बल्लेबाजों सभी के प्रयासों से टीम को विजयी बना रहा है इसलिए दुबई में टीम इंडिया को विकेट से काफी मदद मिल रही है और स्पिनर विकेट चटका रहे हैं, यह बात पूरी तरह से निराधार है। चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ के फाइनल में आज भारत का सामना न्यूजीलैंड से है। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में अब तक कोई मैच नहीं हारी है। ऐसे में भारत के पास चैंपियनशिप जीतने का अच्छा मौका है। न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम को हम हल्के में नहीं ले सकते हैं। आईसीसी नॉकआउट चैंपियंस ट्रॉफी २००० और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल २०२१ में न्यूजीलैंड को हराने में हम विफल रहे हैं। ऐसे में विजयी रथ पर सवार भारतीय टीम को अगर आज इतिहास रचना है तो कुछ अलग करना ही होगा। भारत ने सात महीने पहले ही टी-२० विश्वकप २०२४ जीता है। ऐसे में टीम को लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने का मौका है। फाइनल में रोहित शर्मा के नेतृत्व में भारतीय टीम कुछ बदलाव के साथ उतर सकती है। फाइनल में जीतने के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि आज का सन डे हमें कितने रन देगा।
तड़का : सन डे …रन डे
मुंब्रा में आव्हाड ने चलाई रमजान स्पेशल फ्री बस …राकांपा नेताओं ने किया उद्घाटन
सामना संवाददाता / मुंब्रा
मुंब्रा में हर साल की तरह इस साल भी विधायक जितेंद्र आव्हाड की ओर से स्टेशन से शिलफाटा तक रमजान स्पेशल प्रâी बस सेवा शुरू की गई है। मुंब्रा स्टेशन पर शाम के समय मुंबई से लोकल ट्रेन से घर लौटने वालों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। यहां तक कि स्टैंड पर रिक्शे भी कम पड़ जाते हैं और यात्री परिवार के साथ रोजा खोलने से रह जाते हैं। रास्ते में ही इफ्तार का समय हो जाता है, इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए स्थानीय विधायक जितेंद्र आव्हाड हर साल रमजान में शाम के समय यात्रियों के लिए मुफ्त बसें चलवाते हैं। यह सिलसिला पिछले १५ वर्षों से चल है। इस वर्ष भी बस शुरू की गई, जिसका उद्घाटन एम गेट के सामने स्टेशन के पास राकांपा के स्थानीय अध्यक्ष शमीम खान, अशरफ पठान, और ऋता आव्हाड ने बस को माला पहनाकर किया। शमीम खान ने बस में पानी और खजूर वितरित किया। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह बस हमारे नेता जितेंद्र आव्हाड द्वारा उन रोजादार यात्रियों के लिए चलाई जाती है, जो समय पर अपने घर पहुंचकर परिवार के साथ रोजा खोलना चाहते हैं, लेकिन शाम को उन्हें रिक्शा या सवारी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि इसमें पानी और खजूर भी रखा जाएगा, ताकि रास्ते में इफ्तार का समय होने पर वह रोजा खोल सकें। साथ ही यह बस जहां चाहेंगे, वहां रुकेगी। इस अवसर पर ठाणे मनपा के पूर्व विरोधी पक्ष नेता अशरफ शानू पठान ने बताया कि इस बस का उद्देश्य रोजेदार यात्रियों की सेवा करना है, जो काफी समय से चल रहा है। वहीं विधायक आव्हाड की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता ऋता आव्हाड ने कहा कि हमें मुंब्रा आए १५ साल से ज्यादा हो गए हैं, यह बस हर साल रमजान में चलती है।
काहें बिसरा गांव : फागुन में गांव और रंग
पंकज तिवारी
‘होली आई रे कन्हाई, होली आई रे… रंगों का साथ लाई रे…!’ चारों तरफ रंग, खुशियों और गुझियों की बात चल रही थी। मौसम में बदलाव मन को सुकून पहुंचाने लगा था। लोग अब घरों से निकल कर, अलाव से पीछा छुड़ाकर बाहर धूप और छांव से खेलने लगे थे। नाद-पानी में अब मन रमने लगा था। पेड़-पौधे भी पतझड़ के प्रहार से उबर चुके थे। बगीचों में बदर-बदर महुआ चूकर गिरने लगा था, महक दूऽर तक फैलने लगी थी। पेड़ के नीचे महुए का बिस्तर लगा हो जैसे। जिसे बीनने के लिए भोर से ही लोग टूटने लगे थे। अन्हियार मोहे उठकर महुआ बीनने में माई, काकी का कोई जवाब नहीं था। गुलुगुला, लप्सी, लाटा, ढोकवा और घुघुरी का आनंद ही अलग है, जो महुए से बनता है। चना, मटर, चपटई खेतों से उठकर दरवाजों पर आने लगे थे जिसके लिए ददा, बाबू, कका अपने नाती-पोतों को भोरे-भोरे ही उठाने लगते थे। बच्चों को सुबह उठना इतना भारी होता था कि पूछिए ही मत। पर काम है करना तो पड़ेगा ही। अनाजों के दंवाई, कुटाई, पिटाई के बाद चादरों से ओसाने का काम भी जोर पर था।
आम के नए पत्ते धूप के सामने आने पर अलग तरीके से ही रंग बिखेरने लगे थे, बच्चे पत्तों से खूब खेलते थे, जबकि बौर पूरे पेड़ों को ढकने लगा था। हरे रंग पर गोभिया रंग भारी पड़ने लगा था। जल्द ही आम की चटनी खाने को मिलनेवाली थी। बंसवारी, बगीचे, खेत-खलिहानों में कहीं हरियरी बढ़ रही थी तो कहीं वीरानियां। लोग काम-धाम में व्यस्त रहने लगे थे। गोरू-बछरुओं का भी मन अब हरियराने लगा था। हां, रात को गोरुआरी में गोबर-कीचा से परेशानी ज्यादा बढ़ जाती थी, जिसमें राख वगैरह डालकर सही करने का प्रयास होता पर समस्या तो समस्या ही थी। नीम, जामुन के दातून का बोलबाला था, ब्रश मंजन कोई नहीं पूछता था। बुआ, काकी भोरे-भोरे बोझन कपड़ा बांधकर तारा पर पहुंच जाती थीं जहां घंटों कपड़ों के रेहियाने और फरियाने का काम होता था। कपड़े चमक उठते थे तब गांव में साबुन बड़ी महंगी वस्तु हुआ करती थी। बच्चे दिन-दिनभर तारा में खूब नहाने लगे थे। तारा के चारों तरफ खेतों में गाय, भैंस चरती रहती थीं।
बच्चे पिचकारी भर-भर कर गांव में लोगों पर डालने लगे थे। लोग ऊपर से गुस्साते थे पर अंदर से चाह होती थी कि रंग मुझ पर भी डाला जाए। हफ्तों पहले से ही रंग, फाग, हुड़दंग होने लगी थी। लोग होली वाले कपड़े पहनकर घूमने लगे थे। भगेलू ददा थे, जिन्हें रंग खेलना नहीं जमता था। लाठी लिए दौड़ा लेते थे अगर कोई उन पर रंग डाल दिया तो, हर साल गुस्सा करते थे ददा पर संयोग देखिए रंग उन पर ही सबसे ज्यादा पड़ता था। चिढ़ने वालों को चिढ़ाया भी खूब जाता है। ददा के साथ भी कुछ ऐसा ही था। दादी लाख समझातीं ‘कि जाइ दऽ खीझा मत करऽ त केउ परेशान न करेऽ’ मगर ददा सुनते कहां थे। हां, होली के दिन जब कहीं आराम से बैठे रहा करते थे ददा और पीछे से आकर रंग भरी बल्टी पलटा कर भाग लेती थी बड़की काकी तब कुछ नहीं बोल पाते थे ददा, उल्टा मुस्कुरा कर रह जाते थे। पिछली बार तो गजब ही हो गया था। होली के एक दिन पहले किचहिया होली का रिवाज है गांव में, बच्चे ज्यादा मनाते हैं इसे। ददा सुबह से ही घर बंद किए अंदर हो लिए थे, घर तो पक्का था पर उसमें किनारे-किनारे र्इंटों का खांचा बना हुआ था जो सीढ़ी के रूप में भी काम कर जाती थी। मंगरू उसी खांचे के सहारे छत पर चढ़ गए और अंदर से दरवाजा खोल दिए। लोग भीतर जाकर ददा से कीचड़ वाली होली जीभर कर खेल आए। बेचारे ददा खूब छटपटाए, खूब गरियाए पर अगले दिन सबसे पहले फगुआ अपने यहां वही करवाए। जहां ढोल-मंजीरे के साथ ही फागुन के रंग-रंग के गीत गाए जाने लगे थे। रसभंगा, गोझिया सब के सिर चढ़कर बोल रहा था। झूमना, नाचना अति आनंदम वाला हाल हो गया था। फागुन में रंग, भंग और फगुआ का मजा सभी के सिर चढ़कर बोलता है। पूरा गांव महीने भर पूरे उत्साह में उत्सव मना रहा होता है।
(लेखक बखार कला पत्रिका के संपादक एवं कवि, चित्रकार, कला समीक्षक हैं)
शाहिद-करीना का मिलाप
कहते हैं दुनिया गोल है और इसका जीता-जागता उदाहरण राजस्थान के जयपुर में आयोजित आईफा-२०२५ अवॉर्ड फंक्शन के दौरान देखने को मिला, जहां फिल्म ‘जब वी मेट’ के गीत और आदित्य यानी करीना कपूर और शाहिद कपूर को सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हुए देखा गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। पिछले दिनों एचटी के मोस्ट स्टाइलिश अवॉर्ड फंक्शन में ‘चुरा के दिल मेरा…’ गाने को रीक्रिएट करनेवाले अक्षय कुमार और शिल्पा शेट्टी के बाद अब शाहिद और करीना को मंच पर इस कदर गले मिलता देख पैंâस खुशी से फूले नहीं समा रहे। सैफ अली खान पर हुए हमले के बाद जब एक पत्रकार ने शाहिद से सैफ को लेकर सवाल पूछा तो शाहिद ने कहा था, ‘जो आप बोल रहे हैं वो बहुत दुखद हादसा है, हम सब चिंतित हैं। आपने इनडायरेक्टली पूछा, लेकिन अगर आप डायरेक्टली पूछते तो ज्यादा रिस्पेक्टेबल लगता।’ खैर, रिश्तों पर जमी बर्फ को इस कदर पिघलता देख एक यूजर ने लिखा, ‘चलो इनका भी कमबैक हो गया।’ दूसरे ने लिखा, ‘पहले अक्षय और शिल्पा और अब शाहिद और करीना, चल क्या रहा है।’ एक ने लिखा, ‘आखिरकार, दोनों मैच्योर लोगों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।’
तेरा हीरो इधर है
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी-२०२५ के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ट्रैविस हेड को आउट करते ही भारतीय स्पिनर वरुण चक्रवर्ती के पैंâस वरुण चक्रवर्ती की बजाय वरुण धवन को बधाई देने लगे थे। दरअसल, वरुण धवन ने सोशल मीडिया पर अपनी शर्टलेस तस्वीरें शेयर की थीं, जिसमें वो अपने एब्स दिखाते नजर आ रहे हैं। खैर, फैंस द्वारा वरुण धवन को मिल रही बधाई को देख वरुण चक्रवर्ती ने भी वरुण धवन की पोस्ट पर ‘बहुत बढ़िया गेंदबाजी भैया’ लिखकर फैंस की मौज कर दी थी। वहीं अब वरुण धवन ने वरुण चक्रवर्ती की क्लिप में अपना चेहरा स्विप करते हुए सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो बॉलिंग करते नजर आ रहे हैं। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, ‘चूंकि इंटरनेट पर मौज-मस्ती चल रही है, इसलिए मैंने भी इसमें शामिल होने का फैसला किया। नीले रंग के लड़कों और दूसरे वरुण को रविवार को चमकने के लिए शुभकामनाएं, लेट्स गो।’ वरुण धवन की इस पोस्ट पर मजे लेते हुए वरुण चक्रवर्ती ने लिखा, ‘तेरा ध्यान किधर है, ये तेरा हीरो इधर है।’
अफेयर न बाबा न!
अपनी खूसबूरती के जरिए फैंस के दिलों पर राज करनेवाली मानुषी छिल्लर वैसे तो अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में ज्यादा बात नहीं करतीं, लेकिन वीर पहाड़िया संग उनका नाम जुड़ने के मामले में उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में चुप्पी तोड़ते हुए अपने अफेयर को लेकर तौबा की है। वीर पहाड़िया के साथ अफेयर को लेकर खबरों में बनी मानसी ने खुलासा करते हुए कहा कि मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में लिखी गई बहुत सारी बातें पूरी तरह से झूठी हैं। उन्होंने कहा, ‘हे भगवान, बेचारा वीर। ऐसा नहीं हो सकता। नहीं, बिल्कुल नहीं। वह एक अच्छा दोस्त है। वह इतना प्यारा था कि उसने मुझे एक शादी के दौरान कंपनी दी, जहां मैं किसी को नहीं जानती थी। बस इतना ही।’
नहीं भाया एटीट्यूड
फिल्म ‘भूतनी’ को लेकर चर्चा में बनी पलक तिवारी अकसर अपने कूल व्यवहार से लोगों का दिल जीत लेती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में अपनी मां श्वेता तिवारी के साथ नजर आनेवाली पलक का एटीट्यूड उनके चाहनेवालों के गले नहीं उतर रहा हैैं। वीडियो में मीडिया फ्रेंडली पलक अपनी मां श्वेता के साथ नजर आ रही हैं। पैपराजी जैसे ही पलक और श्वेता की तस्वीरें क्लिक करने हैं, पलक पैपराजी से तुरंत आगे बढ़ने का रास्ता देने का इशारा करती हैं, जबकि श्वेता कूल होकर तस्वीरें खिंचवाती नजर आ रही हैं। इसके बाद पैपराजी के रिक्वेस्ट पर अपनी मां के साथ दोबारा फोटो क्लिक करवाने वाली पलक का रास्ता देने का इशारा फैंस को पसंद नहीं आया। वीडियो देखने के बाद एक यूजर ने लिखा, ‘सिर्फ एक फिल्म और वो भी फ्लॉप, फिर किस बात का इतना घमंड है और अब दूसरी आ रही है ‘भूतनी।’ दूसरे ने लिखा, ‘श्वेता के सामने पलक कुछ भी नहीं।’
दीपिका का अनोखा सवाल
पिछले वर्ष सितंबर माह में बेटी दुआ की मां बननेवाली दीपिका पादुकोण अपनी बेटी से जुड़े सवाल किसी बड़े-बुजुर्ग से पूछने की बजाय गूगल पर सर्च करती हैं, जिसका खुलासा उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में किया है। दुआ के जन्म के बाद बेटी की परवरिश की खातिर फिल्मों से दूरी बनानेवाली दीपिका ने अपना सारा ध्यान फिल्मों की बजाय बेटी पर केंद्रित कर रखा है। छह महीने की दुआ के साथ अपना क्वालिटी टाइम स्पेंड करनेवाली दीपिका ने इंटरव्यू में बताया कि वो दुआ के लिए गूगल पर मदरहुड से जुड़ी चीजें सर्च करती हैं। छुट्टी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उनके लिए अच्छी नींद, अच्छा मसाज, खुद को हाइड्रेट रखना और घर में पायजामा पहनकर दुआ के साथ समय बिताना ही छुट्टी है। इसके साथ ही दीपिका ने यह भी बताया कि अगर वो एक्ट्रेस न होतीं तो इंटीरियर डिजाइनर होतीं। खैर, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि अंतिम बार उन्होंने गूगल पर क्या सर्च किया था तो उन्होंने बताया कि ‘मेरा बच्चा कब थूकना बंद करेगा’, कुछ इस तरह का सवाल सर्च किया था।
भावुक हुई कैटरीना
कहते हैं जीवन में दोस्त की जगह कोई नहीं ले सकता और एक बेहतरीन दोस्त हर एक के नसीब में नहीं होता, लेकिन दोस्ती के मामले में कैटरीना कैफ का कोई सानी नहीं। हाल ही में अपनी सहेली करिश्मा कोहली के हल्दी में ‘ससुराल गेंदा फूल’ गाने पर ठुमके लगानेवाली कैटरीना ने सोशल मीडिया पर अपनी सहेली करिश्मा के विवाह की तस्वीरें पोस्ट करते हुए एक भावुक पोस्ट लिखा। अपनी बहन इजाबेल के साथ करिश्मा की शादी में शामिल होनेवाली कैटरीना ने करिश्मा को वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं देते हुए लिखा, ‘तुम जैसा कोई नहीं है। १६ साल पहले जब हम पहली बार मिले थे, तब से ही तुम्हारी खुशी और पागलपन ने मेरा ध्यान खींचा और तब से मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तुम हमेशा अच्छे और बुरे समय में मेरे साथ रही हो, चाहे कुछ भी हो, तुम हमेशा मेरे लिए मौजूद हो। चाहे तुम्हारी खुद की जिंदगी में कुछ भी हो रहा है, पर तुम हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं। तुम वाकई बहुत अनमोल हो, बहुत दयालु और साहसी हो। मैं तुम्हारे और मिखैल के लिए बहुत खुश हूं। तुम्हारे लिए उससे अच्छा लाइफ पार्टनर कोई हो ही नहीं सकता। मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूं।
सत् वाणी : सृष्टि की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई
जब कुछ भी नहीं था और केवल ज्योतिर्बिंदु परमात्मा शिव और ज्योतिर्बिंदु ॐ माता शक्ति ही थे। तब एक बार इन दोनों का भोग हुआ और माता को असंख्य ज्योतिर्बिंदु आत्माएं उत्पन्न हो गई। ये सारी आत्माएं तीन रूपों में ही हुई। (नर, नारी और अर्धनारी) ये सारी आत्माएं भोग से वंचित रहीं इसलिए परमात्मा शिव ने ॐ माता शक्ति को आदेश दिया कि वो एक भोगी सृष्टि का निर्माण करें। जिस सृष्टि में यह सारी आत्माएं सभी प्रकार के भोग कर पाएं। सृष्टि की रचना के लिए माता ने परमात्मा से तत्वों की मांग की फिर ज्योतिर्बिंदु परमात्मा शिव से सर्वप्रथम आकाश उत्पन्न हुआ। आकाश से वायु का निर्माण और इन तीनों तत्वों से फिर अग्नि उत्पन्न हुई। जिसके पश्चात जल और सबसे आखिर में पृथ्वी उत्पन्न हुई। इन पांच तत्वों की उत्पत्ति के पश्चात ॐ माता ने जीवों को उत्पन्न करना शुरू किया और चार प्रकार के जीव (अडंज, पिंडज, जलंज, श्वेतज) ८४ लाख योनियों में उत्पन्न किया परंतु ज्योतिर्बिंदु परमात्मा को कोई भी जीव पसंद आया ही नहीं। तदपश्चात ॐ माता ने परमात्मा से आग्रह किया कि इस समस्या का निदान कैसे निकले। तब फिर परमात्मा शिव ने ॐ माता को देव स्वरूप ब्रह्मा जी बनाने को कहा और यही हुआ जब ॐ माता शक्ति ने उस शरीर में प्राण डाले और भोग करने को कहा ताकि सृष्टि आगे बढ़े तो ब्रह्मा जी ने मना किया क्योंकि उनके शरीर में केवल मन की उपस्थिति ही थी और प्रबल मन की समझ के अनुसार, माता के साथ भोग असंभव है तो ॐ माता ने उनके प्राण हर लिए तत्पश्चात परमात्मा शिव ने ॐ माता को बताया कि दूसरा शरीर उत्पन्न करें, जिसमें बुद्धि भी हो और ॐ माता शक्ति ने विष्णु जी को उत्पन्न किया जब ॐ माता ने उनसे भोग करने को कहा तो विष्णु जी मन की समझ और बुद्धि की सोच इन दोनों में विचलित हो गए और उत्तर देने में असमर्थ रहे। जब ॐ माता ने बहुत इंतजार किया, लेकिन विष्णु जी से उत्तर न मिला तो ॐ माता ने उनके भी प्राण हर लिए। ॐ माता ने शिव जी से आग्रह किया कि उनके बस की बात नहीं है और वह थक गई। अब जीवों की रचना करते-करते शिवजी ने उनको बोला कि एक महेश (असुर) रूपी देह का निर्माण करें और पूर्ण असुरी भावना से उसका निर्माण होना चाहिए और ॐ माता ने वो कर दिया। शिव जी ने उस देह में आत्मा और प्राण डालने का आग्रह किया तो ॐ माता ने मना कर दिया, क्योंकि उन्होंने बोला जितनी भी ज्योतिर्बिंदु जीव आत्माएं हैं वह उनके पुत्र व पुत्री ही हैं और ॐ माता इनमें से किसी को भी एक असुरी शरीर में नहीं भेजेंगी। ॐ माता शक्ति ने परमपिता शिवजी से आग्रह किया कि वो ही इस शरीर में प्रवेश करें और अपनी दिव्य शक्तियों से उस महेश रूपी देह को शिव का नाम प्रदान करें और वही हुआ। जिससे इस सृष्टि चक्र का प्रारंभ हुआ। ॐ माता शक्ति के अनुग्रह पर परमात्मा शिव ने अपने अंशों को वेद प्रदान किए, जिससे सृष्टि का कल्याण पूर्ण रूप से संभव है। इस प्रकार परमात्मा शिव और ॐ माता शक्ति ने इस सृष्टि का निर्माण किया जो एक बहुत बड़े विशाल चक्र में चल रही है और जो ज्योतिर्बिंदु आत्माओं से ही बनी हुई स्थापित है। अगर आत्मा इस चक्र में एक बार प्रवेश कर लेती है तो बिना शिव से धारण संकल्प को पूर्ण किए, इस विशाल चक्र से मोक्ष को प्राप्त कर ही नहीं सकती और जन्मों के चक्रव्यूह में घूमती ही रहती है, जिससे यह विशाल चक्र चलता ही रहता है।
पं. राजकुमार शर्मा (शांडिल्य)
संपर्क – ७७३८७०७९२३