किसानों का पैसा रोकनेवाला मंत्रालय का ‘कराड’ कौन?… अपनी ही सरकार पर भड़के मुनगंटीवार

सामना संवाददाता / मुंबई

जो अधिकारी किसानों के विरोध में काम करता है, उसकी थाली में आगे कभी चावल न डालें। उसकी थाली में हम मिट्टी और लहसुन का तड़का लागाएंगे। लाखों-करोड़ों रुपए का वेतन लेना है, लेकिन किसानों के आवेदन का निपटारा नहीं करना है। मंत्रालय का यह आधुनिक वाल्मीक कराड कौन है? इस तरह का सवाल भाजपा के वरिष्ठ सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने कल विधानसभा में सरकार से पूछा।
चंद्रपुर जिले में धान और कपास की फसलों पर कीटों के प्रकोप से हुए नुकसान की भरपाई के संदर्भ में सुधीर मुनगंटीवार ने प्रश्नोत्तर काल में उठाया था। कृषि राज्य मंत्री आशीष जायसवाल द्वारा दिए गए लिखित जवाब पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों और सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान मुनगंटीवार ने कृषि विभाग के अधिकारियों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि सचिवों द्वारा दी गई जानकारी पर भरोसा न करें। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी है, यह हमें न बताएं। सचिवालय को मंत्रालय बना दिया गया है। राज्य सरकार एक तरफ सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर २ लाख ९० हजार करोड़ रुपए खर्च करती है, पर दूसरी तरफ किसानों की मदत करते समय हाथ पीछे क्यों खींचती है? इस तरह के सवाल उन्होंने तीखे अंदाज में पूछा। सुधीर मुनगंटीवार के हमले के बाद राज्य मंत्री जायसवाल ने धान उत्पादक किसानों की मदत का प्रस्ताव मंत्रिमंडल के सामने रखने का आश्वासन देकर खुद को बचाने की कोशिश की।

दादा…`अपनों पर भरोसा नाय का?’..अजीत पवार ने मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों को नजर रखने की दी हिदायत

सामना संवाददाता / मुंबई

सरपंच हत्या मामले में करीबी वाल्मीक कराड के शामिल होने के कारण धनंजय मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद देवगिरी बंगले पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने गुट के मंत्रियों, पूर्व व वर्तमान सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों की बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि अपने साथ रहने वालों पर नजर रखें। वे क्या काम कर रहे हैं, इस पर ध्यान दें। उनके चरित्र की जांच करें और गलत काम करने वालों को दूर रखें। अब सवाल ये उठता है कि क्या अजीत दादा को `अपनों पर भरोसा नाय का?’ यानी उनको लोगों पर भरोसा नहीं है।
अजीत पवार ने महायुति के विधायकों के साथ समन्वय बनाकर स्थानीय स्तर पर काम करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि महामंडल से लेकर विशेष कार्यकारी अधिकारियों तक हर स्तर पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अवसर मिलेगा। दो दिन पहले हुई इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे भी मौजूद थे। अजीत पवार ने कहा कि विधानमंडल की प्रमुख समितियों में ५०-२५-२५ का फॉर्मूला रहेगा। भाजप को ५० फीसदी, शिंदे और दादा गुट को २५-२५ फीसदी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
देरी से नहीं होंगी ये नियुक्तियां
मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को सरकारी समितियों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का ़पैâसला किया है। जल्द ही महामंडल से लेकर विशेष कार्यकारी अधिकारी पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। मित्र पक्ष के विधायक वाले क्षेत्रों में उन्हें ५० फीसदी और अन्य दोनों पक्षों को २५-२५ फीसदी पद दिए जाएंगे। पवार ने कहा कि इन नियुक्तियों में देरी नहीं होगी।
विद्रोहियों के साथ बनाएं समन्वय
अजीत पवार ने अगले कुछ दिनों में बड़े पैमाने पर सदस्य पंजीकरण के लिए सभी पदाधिकारियों और पूर्व व वर्तमान विधायकों को प्रयास करने की सलाह दी। महायुति से अन्य पक्षों में चले गए विद्रोहियों को वापस लाया जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि स्थानीय स्तर पर विवाद के कारण काम बाधित नहीं होना चाहिए। पदाधिकारियों ने निजी तौर पर यह जानकारी साझा की।

आव्हाड ने गुजराती में साधा संवाद…केम छो भाई तमे, सारू छे ने?..मुंबई में रहना है तो गुजराती बोलो…सरकार पर कसा जोरदार तंज

सामना संवाददाता / मुंबई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैय्याजी जोशी ने कहा था कि मुंबई की भाषा मराठी नहीं है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष ने विधानसभा और विधान परिषद में सरकार को घेर लिया है। उनके बयान के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने गुजराती में बात करके अपना विरोध जताया। उन्होंने विधान भवन परिसर में भाजपा नेता प्रवीण दरेकर से गुजराती में बात करते हुए तंज कसा। आव्हाड ने कहा कि दरेकर भाई, केम छो? तमे सारू छे ने? इन शब्दों में एक तरह से आव्हाड ने दरेकर का मखौल उड़ाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुंबई में यदि रहना है तो गुजराती बोलना होगा।
मुंबई में विभिन्न प्रांतों और भाषाओं के लोग रहते हैं। यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन अब घाटकोपर की भाषा गुजराती हो चुकी है इसलिए हर किसी को मराठी सीखने की जरूरत नहीं। इस तरह का बयान भैय्याजी जोशी ने दिया। खास बात यह है कि उन्होंने यह बयान महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा की मौजूदगी में दिया। उनके इस बयान पर अब नया विवाद खड़ा हो गया है।
अब केम छो, ढोकला, फाफड़ा, जलेबी बोलना है
मीडिया से बात करते हुए जीतेंद्र आव्हाड ने `केम छो भाई, सारू छे ने?’ कहकर बातचीत शुरू की। जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि अब मराठी नहीं बोलना है। अब केम छो, ढोकला, फाफड़ा, जलेबी बोलना है। मराठी में बटाटा-वड़ा और वड़ा-पाव नहीं कहना है। अब मुंबई में रहना है तो गुजराती बोलना होगा। अपने बच्चों को गुजराती स्क़ूलों में भेजो, क्योंकि अब गुजराती घाटकोपर की भाषा बन चुकी है। यह धीरे-धीरे मुलुंड, दहिसर, अंधेरी की भाषा भी बन जाएगी। मराठी सिर्फ दादर की भाषा रह जाएगी यानी मराठी लोग सिर्फ दादर तक ही सीमित रह जाएंगे। मराठी लोगों को जागरूक करने के लिए धन्यवाद, भैय्याजी जोशी!
सार्वजनिक माफी मांगें भैय्याजी जोशी: अतुल लोंढे
संघ के भैय्याजी जोशी का मुंबई और मराठी भाषा को लेकर दिया गया बयान जानबूझकर किया गया एक अपमानजनक वक्तव्य है। मराठी भाषा और मुंबई का अपमान करने वाले भैय्याजी जोशी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, यह मांग प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने की है। लोंढे ने कहा कि मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र की भाषा मराठी है, लेकिन आरएसएस के लोगों को मुंबई, यहां की मराठी भाषा और मराठी जनता के प्रति हमेशा से ही द्वेष रहा है। मुंबई की मराठी भाषा को नजरअंदाज कर गुजराती और अन्य भाषाओं को थोपने की साजिश चल रही है। इसी मानसिकता के तहत भैय्याजी जोशी का यह बयान आया है। मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है और हमें इस पर गर्व है। यदि कोई मराठी भाषा का अपमान करता है तो उसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

१० साल के बाद भी कर्णाक ब्रिज अधूरा!..२०२५ में पूरा होने को लेकर मुंबईकर जता रहे आशंका…२०१४ में घोषित किया गया था असुरक्षित

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई का कर्णाक ब्रिज जिसे २०१४ में असुरक्षित घोषित किया गया था, उसके पुनर्निर्माण में लगातार देरी होती रही। अब २०२५ में यह पुल कुछ महीनों में जनता के लिए खोलने का दावा किया जा रहा है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार, २०१७ में वर्कऑर्डर जारी किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य २०१८ में शुरू हुआ। तब तक लागत भी काफी बढ़ चुकी थी। इस दौरान अंधेरी के गोखले ब्रिज हादसे के बाद आईआईटी मुंबई ने मुंबई के पुलों का ऑडिट किया, जिससे कर्णाक ब्रिज पर फिर से ध्यान दिया गया, लेकिन प्रशासनिक उलझनों के चलते यह मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।
अंतत: २०२२ में इस पुल को गिराने की प्रक्रिया शुरू हुई। नवंबर २०२२ में १४६ साल पुराने इस पुल को २७ घंटे तक रेल यातायात रोककर तोड़ा गया। इसके लिए ५० गैस कटर, ४ हाई-वैâपेसिटी क्रेन और ५०० से ज्यादा मजदूरों की टीम लगाई गई। हालांकि, १९ महीने में निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जमीन से जुड़े विवादों और विभिन्न बाधाओं के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
मनपा ने दावा किया था कि पुल मई २०२५ तक पूरा हो जाएगा, लेकिन इस दौरान रेलवे से जरूरी मंजूरी लेने, यातायात परमिशन और जमीन पर कब्जा हटाने में काफी समय लग गया। अक्टूबर २०२४ में रेलवे से जरूरी अनुमति मिलने के बाद ५५० टन का विशाल गर्डर लगाने का काम शुरू हुआ। जनवरी २०२५ में जब ४०० टन का दूसरा गर्डर लगाया जा रहा था, तब एक बड़ा हादसा होते-होते बचा। यह क्रेन पर लटका रह गया, जिससे काम ४८ घंटे तक प्रभावित रहा और एक मजदूर घायल भी हो गया।
अब मुख्यमंत्री के दबाव के बाद मनपा दावा कर रही है कि ब्रिज का काम समय पर पूरा होगा और यह जून २०२५ तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, मुंबईकरों को अब भी इस वादे पर भरोसा नहीं हो रहा है, क्योंकि इस ब्रिज का इंतजार पिछले १० सालों से चल रहा है।

सड़क की ‘तीसरी आंख’ बंद…जेबकतरों की हुई चांदी!

द्रुप्ति झा / मुंबई

मुंबई में अपराध की रोकथाम के लिए शहर के कई प्रमुख हिस्सों में कुछ साल पहले सीसीटीवी लगाए गए थे। ये वैâमरे अपराधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए थे। मगर अब हालात बदल गए हैं। सड़क के ऊपर तैनात ये तीसरी आंख अदिाकांश जगहों पर बंद हो चुकी है और चोरों और जेबकतरों की चांदी हो गई है। ऐसी ही एक प्रमुख जगह है अंधेरी स्टेशन के बाहर, जहां रोजाना जेबकतरे अपना कमाल दिखा रहे हैं।
अंधेरी स्टेशन के बाहर आए दिन यात्रियों के मोबाइल चोरी हो रहे हैं। चूंकि ये ‘तीसरी आंख’ बंद है, ऐसे में पुलिस अपराधियों तक पहुंच नहीं पा रही है। हाल के दिनों में यहां मोबाइल फोन चोरी की कई घटनाएं हुई हैं। ऐसे में यात्रियों में भारी नाराजगी है।
वर्ना जेबकतरे उड़ा लेंगे मोबाइल!
अंधेरी स्टेशन से रोजाना कई लाख लोगों की भीड़ अपने काम के लिए अलग-अलग जगहों पर जाने के लिए हड़बड़ाहट में सुबह-शाम ट्रेन से सफर करती है। ऐसे ही भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जेब कतरे अपना शिकार ढूंढते हैं। ये लोगों की जेब से पर्स और फोन चोरी करने की ताक में लगे रहते हैं। मुंबई के व्यस्त अंधेरी रेलवे स्टेशन से निकलकर बस पकड़ने वाले लोगों की समस्या यह है कि वहां पर बस में चढ़ते वक्त कुछ लोगों की जेब से फोन निकाल लिए जाते हैं। फोन चोरी होने की शिकायत अंधेरी पुलिस स्टेशन में की जाती है।
इस समस्या को लेकर लोगों का कहना है कि फोन चोरी होने वाली जगह पर सीसीटीवी बंद प़़ड़े हैं। साकीनाका में रहने वाले एक पीड़ित सत्यम तिवारी का फोन ३० सितंबर २०२४ को उसी जगह से गायब हुआ था। इसका मामला उन्होंने पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया था, लेकिन सत्यम को आज तक कोई रिस्पांस नहीं मिला। इतना ही नहीं, उन्होंने सीसीटीवी वैâमरा बंद रहने का भी दावा किया।
वहीं मुंबई हाई कोर्ट के एडवोकेट आशीष राय का कहना है कि मुंबई जैसी मेट्रो सिटी में अंधेरी एक भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है। वहां मोबाइल चोरी जैसी घटनाएं रोजाना दर्ज होती हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण लगातार ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
इस मामले को लेकर इस संवाददाता ने पिछले साल २०२४ से लेकर अब तक की रिपोर्ट लेने के लिए परिमंडल १० के डीसीपी सचिन बाबासाहेब गुंजल से बात की। सचिन बाबासाहेब गुंजल ने बताया कि साल २०२४ में अंधेरी पुलिस स्टेशन में कुल ५९ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से २१ मामले सुलझ गए हैं। वहीं वर्ष २०२५ में कुल ७ मामले दर्ज किए गए हैं और इनमें से ४ मामले सुलझा लिए गए हैं।

तेजस्वी बने सीएम तो बदलेगा कानून…बिहार में अल्कोहल पर कोलाहल!..ताड़ी है नेचुरल, मिलेगी छूट

सामना संवाददाता / पटना

बिहार में इस साल चुनाव है। अब यहां अल्कोहल पर कोलाहल मचना शुरू हो गया है। अब अगर चुनाव बाद तेजस्वी की ताजपोशी होती है और वे सीएम बनते हैं तो नशीला पेय ताड़ी को प्रतिबंध से मुक्ति मिल जाएगी। इसके लिए कानून में बदलाव किया जाएगा।
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कल प्रेस कॉन्प्रâेंस के दौरान बड़ा एलान किया। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी सरकार आई तो हम ताड़ी को २०१६ में बने शराबबंदी अधिनियम से बाहर करेंगे। हालांकि, तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि हम नशा मुक्ति से कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने ताड़ी को नेचुरल बताया।
२०१६ में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में इसी अधिनियम के तहत ताड़ी पर भी प्रतिबंध लग गया था। तेजस्वी यादव ने कहा कि हम जब कार्यकर्ता दर्शन संवाद यात्रा पर थे, उस दौरान एक खेत में गए। वहां एक पासी समाज के बुजुर्ग ने हमसे कहा कि हमारा सिर्फ और सिर्फ एक ही व्यवसाय ताड़ी बेचना था। ताड़ी के बंद हो जाने के बाद घर चलाना मुश्किल हो रहा है। महंगाई बढ़ गई है। फिलहाल बिहार में ताड़ी बंद है और बेचने पर गिरफ्तारी होती है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने बुजुर्ग से पूछा कि नीरा योजना के तहत क्या आपको लाभ नहीं मिला? इस पर उस बुजुर्ग ने कहा कि यह योजना फ्लॉप है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में दो फीसदी आबादी पासी समाज की है। ये समाज आज परेशानी में है। तेजस्वी यादव की पासी समाज के लिए यह बड़ी घोषणा है।
नहीं चाहिए ‘खटारा’ गाड़ी
तेजस्वी यादव ने पटना में आयोजित एक सभा में कहा, ‘अब हमें निकम्मी सरकार नहीं चाहिए। रिटायरमेंट की उम्र ६० साल है। क्या आपको ७५ साल का मुख्यमंत्री चाहिए?’ तेजस्वी ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि हमें बिहार को नई गाड़ी से आगे ले जाना है ‘खटारा गाड़ी’ से नहीं।’

अंधेरे में यूपी का हेल्थ सिस्टम…मोबाइल टॉर्च की रोशनी में नसबंदी!..अस्पताल में महिलाओं ने किया जमकर हंगामा

उत्तर प्रदेश का हेल्थ सिस्टम इन दिनों वाकई अंधेरे में है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में आंबेडकरनगर में देखने को मिला। दरअसल, यहां के सरकारी अस्पताल में नसबंदी करने आई महिलाओं को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। लाइट न होने पर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में उनकी नसबंदी कर दी गई। इसे लेकर महिलाओं ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया।
मामला जिले के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र टांडा का है। बताया जा रहा है कि बुधवार को यहां पर आठ महिलाओं की नसबंदी होनी थी। ये महिलाएं सुबह ही अस्पताल में आ गर्इं। काफी देर बाद इनमें से पांच महिलाओं की नसबंदी हुई और तीन को वापस कर दिया गया। नसबंदी कराकर बाहर निकली महिलाओं ने अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर बवाल काट दिया। महिलाओं के हंगामे का वीडियो बना कर किसी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। नसबंदी कराने आई महिलाओं का आरोप है कि अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है। यहां न तो लाइट और न ही जनरेटर की सुविधा है। उनका आरोप है कि काफी देर तक इंतजार करने के बाद डॉक्टर ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ही उनकी नसबंदी कर डाली।

महाकुंभ में ‘महातांडव’..१८५ जगहों पर लगी थी आग!..२४ थीं काफी गंभीर…कई टेंट हुए थे राख

सामना संवाददाता / लखनऊ

तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर विश्व के सबसे बड़े मानवीय समागम महाकुंभ में अग्नि का ‘महातांडव’ हुआ था। वैसे तो कुछ खबरें मीडिया में आई थीं, पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुल मिलाकर इस महाकुंभ में ५ या १० नहीं बल्कि कुल १८५ जगहों पर आग लगी थी। इनमें २४ आग तो काफी गंभीर किस्म की थीं।
बता दें कि सरकारी आंकड़े के अनुसार, इस महाकुंभ में ६६ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया। चार हजार हेक्टेयर में बसे और २५ सेक्टर में बंटे महाकुंभ नगर में रोजाना औसतन एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम तट पर आ रहे थे। यूपी अग्नि शमन विभाग के महाकुंभ के सीएफओ प्रमोद शर्मा ने बताया कि १८५ में से २४ अग्नि दुर्धटनाएं गंभीर स्थिति की थीं, जिनमें काबू पाने में कुछ टेंट और तंबू जल गए, लेकिन किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई। जबकि ८६ के करीब छोटी अग्नि दुर्घटनाएं भी हुर्इं, जिन पर आसानी से काबू पा लिया गया। उन्होंने बताया कि महाकुंभ के दौरान सबसे बड़ी अग्नि दुर्घटना १९ जनवरी को मेले के सेक्टर-१९ में सिलेंडर के फटने से हुई थी, लेकिन उसमें भी विभाग ने पूरी मुस्तैदी से सभी श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को रेस्क्यू करते हुए कम से कम समय में काबू पा लिया था।
रोजाना चार जगहों पर आग
यूपी अग्मिशमन विभाग का कहना है कि उसने आग पर काबू पाने के पर्याप्त इंतजाम कर रखे थे और यही वजह है कि अपने अत्याधुनिक उपकरणों और मुस्तैदी से बिना किसी जन हानि के अग्नि दुर्घटनाओं पर काबू पाया। महाकुंभ में आग लगने की दो दर्जन बड़ी घटनाएं हुर्इं। रोजाना औसतन चार जगहों पर आग लगती थी, जिन पर फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने मुस्तैदी दिखाते हुए काबू पाया।

उत्तर प्रदेश से : बुलडोजर की जगह कैंची लेकर क्यों गए

रोहित माहेश्वरी लखनऊ

राजधानी लखनऊ में रियल एस्टेट के कारोबारी अंसल ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई के मसले पर यूपी सरकार और सपा के बीच राजनीति गरमा गई है। असल में बीते मंगलवार को विधानसभा में निवेश प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान सीएम योगी ने अंसल ग्रुप का जिक्र करते हुए उसे सपा मॉडल का नमूना करार दिया। उन्होंने कहा, अंसल पैसा लेकर भागा तो पाताल से भी ढूंढ़ निकालेंगे। लखनऊ पुलिस ने अंसल ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। सीएम के बयान पर पलटवार करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, निवेशकों पर आरोप लगाकर हतोत्साहित करने से न तो निवेश का विकास होगा, न ही प्रदेश का। यूपी के सभी समझदार लोग कह रहे हैं कि अगर सब गलत था तो आप वहां अपना बुलडोजर लेकर जाते। वैंâची लेकर उद्घाटन करने क्यों पहुंच गए? अखिलेश ने कहा कि जनता कह रही है जब उसे ढूंढ़ने पाताल लोक जाएं तो परतों में दबी उस गहरी वजह की भी खोज-खबर लेते आएं जो उनकी गद्दी को हिला रही है। कुल मिलाकर ये तो सिर्फ शुरूआत है। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और तीखी बयानबाजी सुनने को मिलना तय है।
इस तरह का बजट बनाने की जरूरत क्या है?
यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान सरकार के विभिन्न विभागों पर चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित बजट की पूरी राशि खर्च नहीं कर पाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, गलत आकलन पर आधारित बजट बनाने का कोई औचित्य नहीं है। या तो आपका आकलन गलत हो जाता है या आपको संचित निधि में जितने पैसों की जरूरत होती है, उतने आपके पास आते नहीं हैं तो इस तरह का बजट बनाने की क्या जरूरत है? नेता प्रतिपक्ष ने कहा, वित्तीय वर्ष २०२५-२६ में राज्य सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में अधिक धनराशि प्राप्त होने का अनुमान लगाया है। जाहिर है कोई न कोई टैक्स लगेगा और अगर लगेगा, तो स्वाभाविक रूप से महंगाई बढ़ेगी।
आकाश को मिलने लगे ऑफर
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद को अलग-अलग पार्टियों से ऑफर भी मिल रहे हैं कि वो उनकी पार्टी में शामिल होकर राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाएं। सपा विधायक प्रदीप यादव ने ऑफर देते हुए कहा कि आकाश आनंद अगर सपा में आना चाहें, तो उनका स्वागत है। इसके साथी ही रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने भी उन्हें अपने दल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। आरपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठवले ने कहा कि बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर के विचारों और पार्टी को मजबूत करने के लिए अगर आकाश आनंद आते हैं तो उन्हें यूपी के लिहाज से अच्छा पद दिया जाएगा, क्योंकि उनके आने से यूपी में आरपीआई अधिक मजबूत होगी। आकाश चुपचाप घर बैठेंगे या​ फिर किसी दल में शामिल होंगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल आकाश के चर्चे यूपी की राजनीति के आकाश में छाये हैं।
निशाने पर भीम आर्मी चीफ
यूपी की नगीना लोकसभा सीट से सांसद एवं भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद पर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बीते मंगलवार को हमला हुआ है। सांसद चंद्र शेखर आजाद ने सोशल मीडिया `एक्स’ पर अपने ऊपर हुए हमले को लेकर `एक्स’ पर एक पोस्ट किया है। इसमें चंद्र शेखर आजाद ने बताया कि आज ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में जनसभा के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के गुंडों ने संगठित तरीके से मेरे ऊपर जानलेवा हमला कर दिया है। चंद्रशेखर ने बताया कि लगभग २५० के झुंड में आए असामाजिक तत्वों ने कार्यक्रम स्थल पर पथराव किया और हिंसा पैâला दी है। बता दें, बीते दिनों चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर मथुरा में हमला हो गया था।

गुजराती जानने वालों को ही नौकरी देना सरकार की है नीति?.. विधायक रोहित पवार का सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई

क्या गुजराती जानने वालों को ही नौकरी देना सरकार की नीति है? इस तरह का सवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने महायुति सरकार से पूछा है। इसके साथ ही रोहित पवार ने धारावी नौकरी मेले के संदर्भ में गुजराती भाषा में लगाए गए होर्डिंग्स की तस्वीर सोशल मिडिया एक्स पर पोस्ट कर साझा किया है।
रोहित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में रहकर मराठी भाषा का विरोध करना और दूसरी भाषा पर जोर देना यह खाए हुए नमक को न पहचानने जैसा है। भाजपा नेताओं द्वारा बार-बार मराठी भाषा की गला घोंटने की कोशिश की जा रही है। इसी के साथ अब भैय्याजी जोशी का गुजराती प्रेम उजागर हो गया है। हम इसका खुलकर विरोध करते हैं। अगर महाराष्ट्र सरकार खुद गुजराती भाषा में किसी कार्यक्रम का प्रचार कर रही है तो इससे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है? सरकार मराठी भाषा के प्रति उदासीन है। यह साबित हो रहा है। यह कहते हुए रोहित पवार ने महायुति सरकार पर हमला बोला है।