जीवन दर्पण : विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ सुनें भाग्य बदल जाएगा

 डॉ. बालकृष्ण मिश्र

 गुरुजी, मेरी बेटी की राशि क्या होगी और किस अक्षर से नाम रखा जा सकता है?
-अंकिता शुक्ला
(जन्म १९ फरवरी २०२५, रात्रि २:२७ बजे, नालासोपारा, पालघर)
अंकिता जी, आपकी बेटी का जन्म बुधवार के दिन स्वाति नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है। बेटी की राशि तुला बन रही है। वृश्चिक लग्न में आपकी बेटी का जन्म हुआ है और वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल कुंडली में अष्टम स्थान पर बैठकर बेटी की कुंडली को मांगलिक बना रहा है। बेटी की कुंडली में दशम भाव का स्वामी सूर्य लाभ भाव के स्वामी बुध ग्रह के साथ में और चौथे स्थान के स्वामी शनि ग्रह के साथ में चौथे स्थान पर बैठकर बुधादित्य योग बना रहा है। इस योग के कारण पिता का विकास होगा और बेटी भाग्यशाली है। परिवार में आय के आधार बढ़ेंगे। बेटी का नाम आर से अथवा टी से प्रारंभ होने वाला रखा जा सकता है। बेटी के जीवन को विस्तार से जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण गोल्ड बनवाना चाहिए।

गुरुजी, मेरे बेटे की राशि क्या है और इसका नाम किस अक्षर पर रखा जाए?
-सचिन राजेश शुक्ला
(जन्म १२ फरवरी २०२५, दोपहर १२:१९ बजे, सिलवासा वापी, गुजरात)
सचिन जी, आपके बेटे का जन्म बुधवार के दिन श्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है। बेटे की राशि कर्क बन रही है और श्लेषा नक्षत्र गंड मूल संज्ञक नक्षत्र माना जाता है, जिसमें जन्म लेना दोष पूर्ण माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने के बाद में २७वें दिन गोमुख प्रसव शांति करवाना आवश्यक होता है। वृषभ लग्न में बेटे का जन्म हुआ है और लग्न में बृहस्पति बैठकर पंचम दृष्टि से पंचम भाव को देख रहा है। इसके अलावा सप्तम दृष्टि से व्यापार भाव को देख रहा है। इससे संकेत दिखाई दे रहा कि परिवार में चल रहे व्यापार को बढ़ाएगा और भाग्य की वृद्धि भी होगी। बेटे की कुंडली मांगलिक नहीं है। डी से और ह से प्रारंभ होने वाले नाम को आप रख सकते हैं। जीवन को विस्तार और शिक्षा आदि को जानने के लिए आपको संपूर्ण जीवन दर्पण गोल्ड बनवाना चाहिए।

गुरुजी, मेरा समय ठीक नहीं चल रहा है, क्या करें?
-शिवेंद्र मिश्रा
(जन्म ९ अगस्त १९९२, सुबह १०:५५ बजे, कुर्ला मुंबई)
शिवेंद्र जी, आपका जन्म रविवार के दिन मूल नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है। राशि आपकी धनु बन रही है। कन्या लग्न में जन्म होने से कन्या लग्न का स्वामी बुध है, वह बुध सूर्य ग्रह के साथ में बैठा है। करियर स्थान का स्वामी बुध है, जो लाभ भाव पर सूर्य ग्रह के साथ में बैठा है। चंद्रमा की महादशा में गुरु का अंतर चल रहा है। चंद्रमा आपकी कुंडली में लाभ भाव का स्वामी है। यदि आप प्रतिदिन यूट्यूब के माध्यम से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ सुनेंगे और शिव जी को जल चढ़ाएंगे, तब आपका समय २९ मार्च के बाद धीरे-धीरे परिवर्तित होता जाएगा। देवगुरु बृहस्पति आपकी राशि के स्वामी हैं, वह भी अपना स्थान परिवर्तन करके आपकी राशि से पांचवें स्थान पर जाएंगे।

उफ ये हंसी!

बीते दिनों प्रेग्नेंसी की घोषणा करनेवाली कियारा आडवाणी एक शूट के दौरान मुंबई में स्पॉट हुईं। इस मौके पर उन्होंने व्हाइट कलर के शॉर्ट्स और मैचिंग शर्ट के साथ आंखों पर काला चश्मा लगाया हुआ था।

है कोई माई का लाल…

पिछले काफी दिनों से मीडिया में गोविंदा और उनकी पत्नी सुनीता आहूजा के तलाक की चर्चा जोर-शोर से चल रही है। सोशल मीडिया पर डाले जा रहे हर नए वीडियो में उनके तलाक के नए-नए कारण बताने के साथ उनके पुराने वीडियो ढूंढकर उसमें कही गई बातों को अलग अंदाज में इस तरह से पेश किया जा रहा था, ताकि उनके तलाक की खबरों को मजबूती दी जा सके। दिलचस्प बात तो यह रही कि दोनों खुद भी इन अफवाहों पर चुप्पी साधे हुए थे कि चलो इसी बहाने पब्लिसिटी ही मिल रही है, लेकिन अब पानी सिर से ऊंचा होते देख सुनीता ने अपना मुंह खोलते हुए कह दिया कि वो और उनकी बेटी नर्मदा घर में शॉर्ट्स ही पहनते हैं। जब गोविंदा को पॉलिटिक्स जॉइन करना था, तब नर्मदा जवान हो रही थी और उन दिनों बहुत से कार्यकर्ता घर पर आते थे। अब जवान बेटी है, हम शॉर्ट्स पहन के घर में घूमते हैं, अच्छा नहीं लगता। बस, इसीलिए हमने सामने ऑफिस ले लिया था। आगे सुनीता अपने खास अंदाज में चैलेंज करते हुए कहती हैं कि उनको और गोविंदा को इस दुनिया में अलग कर दे, ऐसा कोई माई का लाल हो तो सामने आ जाए। अब यह बयान देकर सुनीता ने अफवाहों पर लगाम लगा दी है या फिर अपने रिश्ते को बचाने की एक कोशिश की है, जल्द ही पता चल जाएगा।

तोड़ा एक से रिश्ता

प्रियंका चोपड़ा की लाइफस्टाइल से तो हर कोई परिचित रहा है। खुद से उम्र में दस वर्ष छोटे अमेरिकन सिंगर निक जोनस के साथ विवाह करने से पहले मॉडल असीम मर्चेंट से लेकर हरमन बावेजा तक कई लोगों के साथ उनके छुपे-खुले अफेयर्स का लंबा इतिहास रहा है। और आपको शायद यह जानकार आश्चर्य होगा कि प्रियंका चोपड़ा के घरवालों को उनके इन अफेयर्स की पूरी जानकारी होती थी, जिसका खुलासा करते हुए उनकी मां मधु चोपड़ा ने एक हालिया इंटरव्यू में बताया कि प्रियंका जिन लड़कों के साथ डेट पर जाती थीं, वो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं थे। वह उन्हें अप्रूव नहीं करती थीं। मधु चोपड़ा ने आगे यह भी कहा कि जब प्रियंका ने अपना दिल टूटने की बात उनसे बताई, तो वो समझ नहीं पाईं कि प्रियंका किस लड़के की बात कर रही हैं। हर सिचुएशन को हैंडल करनेवाली प्रियंका अगर किसी को पसंद नहीं करती तो उसके साथ रिश्ता खत्म कर लेती और ऐसा एक ही बार हुआ, जहां रिश्ता लाख कोशिशों के बावजूद नहीं सुधारा जा सका और वो इंसान इसका हकदार था। बाकी मैंने ऐसा कभी नहीं देखा।’

नहीं दिखाएंगी चेहरा

इं डस्ट्री में भेड़चाल की परंपरा कोई आज की बात नहीं, बल्कि बेहद पुरानी है। एक जमाना था जब कोई फिल्म हिट हो जाती तो उसी ढर्रे पर एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों फिल्में बन जाती थीं। खैर, बीते दिनों प्रियंका चोपड़ा द्वारा बेटी मालती का चेहरा छुपाने के बाद अब लगता है कि आलिया भट्ट भी उनके पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चल पड़ी हैं और उन्होंने सोशल मीडिया से राहा की तमाम तस्वीरों को हटा दिया है। मीडिया के साथ बेटी राहा की मुंह दिखाई करनेवाली आलिया अकसर बेटी की तस्वीरों और वीडियोज को सोशल मीडिया पर फैंस के साथ शेयर करती थीं, जिसे देखने के बाद फैंस राहा की मासूमियत पर दिल खोलकर अपना प्यार लुटाते थे। लेकिन पिछले दिनों पैपराजी से राहा की तस्वीरें न खींचने का आग्रह करनेवाली आलिया ने अब सोशल मीडिया से राहा की तमाम तस्वीरों को क्यों हटा दिया, यह एक बड़ा सवाल है। बेटी राहा की प्राइवेसी को लेकर सतर्क हुई आलिया ने यह कदम बेटी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया है या फिर किसी और वजह से, यह तो वे ही जानें!

बिजली बनी बाधा

कहते हैं समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। साउथ और हिंदी फिल्मों की सुपरस्टार श्रीदेवी की सुंदरता का दीवाना तो हर कोई था, फिर वो चाहे उनके प्रशंसक हों या फिर उनके साथी कलाकार। श्रीदेवी के चाहनेवालों में रजनीकांत का भी शुमार था, जिसका खुलासा अपने एक इंटरव्यू में करते हुए जाने-माने फिल्मकार के. बालाचंदर ने बताया कि रजनीकांत उस समय श्रीदेवी पर फिदा हो गए थे, जब वो केवल सोलह साल की थीं। श्रीदेवी जब साउथ की फिल्मों में बतौर हीरोइन काम कर रही थीं उन दिनों रजनीकांत का दिल श्रीदेवी के लिए धड़कने लगा था। बतौर पारिवारिक मित्र श्रीदेवी के घर एक समारोह में शामिल होनेवाले रजनीकांत ने ठान लिया था कि आज वो श्रीदेवी का हाथ उनकी मां से मांग कर ही रहेंगे, लेकिन हाय री किस्मत जैसे ही अपने दिल की बात कहने के लिए उन्होंने अपना मुंह खोला बिजली चली गई और हर तरफ घुप्प अंधेरा छा गया। शुभ बात कहने के समय स्याह अंधेरे को देख उन्हें यह शुभ संकेत नहीं लगा और उन्होंने फिर कभी शुभ घड़ी में अपने मन की बात कहने का मन बनाया, लेकिन वो शुभ घड़ी लौट के दोबारा नहीं आई। शायद इसीलिए कहते हैं काल करे सो आज कर…!

अंग्रेज आउट! …चैंपियंस ट्रॉफी में साउथ  अफ्रीका ने इंग्लैंड को ७ विकेट से हराया

चैंपियंस ट्रॉफी २०२५ में कल इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच मैच खेला गया। इस मैच में दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड को सात विकेट से हराया। इस तरह २०२५ चैंपियंस ट्रॉफी से अंग्रेज आउट हो गए। बता दें कि इंग्लैंड की जीत का खाता नहीं खुल सका। टूर्नामेंट के अपने आखिरी लीग मैच में इंग्लैंड की टीम पहले खेलने के बाद सिर्फ १७९ रन बना सकी थी। दक्षिण अफ्रीका ने इस मामूली से लक्ष्य को २९.१ ओवर में सिर्फ तीन विकेट खोकर आसानी से हासिल कर मैच जीत लिया।
दक्षिण अफ्रीका ने इस धमाकेदार जीत के साथ ग्रुप-बी में पहला स्थान हासिल कर लिया है। दक्षिण अफ्रीका की इस जीत में चार खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा। पहले मार्को यानसेन और वियान मुल्डर ने गेंदबाजी से कहर ढाया। फिर रासी वान डर डुसेन और हेनरिक क्लासेन ने बैटिंग से धमाल मचाया। यानसेन और मुल्डर ने तीन-तीन विकेट झटके, वहीं वान डर डुसेन ने नाबाद ७२ और क्लासेन ने ६४ रनों की पारी खेली। इंग्लैंड से मिले १८० रनों के लक्ष्य को दक्षिण अफ्रीका ने सिर्फ २९.१ ओवर में हासिल कर लिया। १८० रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने पहला विकेट जल्दी गंवा दिया था। ट्रस्टन स्टब्स ओपनिंग करते हुए शून्य पर आउट हो गए। हालांकि, रियान रिकल्टन ने अपने नेचुरल अंदाज में खेलना जारी रखा। उन्होंने २५ गेंद में पांच चौकों की मदद से २७ रनों की पारी खेली। ४७ रनों पर दो विकेट गिर गए थे, फिर रासी वान डर डुसेन और हेनरिक क्लासेन ने १२७ रनों की साझेदारी कर अपनी टीम की जीत पक्की कर दी। वान डर डुसेन ८७ गेंद में ७२ रनों पर नाबाद लौटे। उनके बल्ले से ६ चौके और ३ छक्के निकले, वहीं क्लासेन ने सिर्फ ५६ गेंद में ११ चौकों की मदद से ६४ रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली।

तड़का : विश्व के गुरु… हो जाओ शुरू

 

कविता श्रीवास्तव
क्या सन २०४७ में भारत सचमुच में विश्वगुरु बन जाएगा? क्या हमारा देश अगले २२ वर्षों में सचमुच में उच्च आय वाला सबसे ब़ड़ी अर्थव्यवस्था वाला बन जाएगा? लक्ष्य तो यही है, क्योंकि २०४७ में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरा कर लेगा। लेकिन क्या हम जुमलेबाजी और लच्छेदार भाषणों से लोगों को बहला-फुसलाकर दुनिया के अन्य मुल्कों से ऊपर पहुंच जाएंगे? नहीं न! इसके लिए समूचे भारत को साथ में लेकर चलना होगा। हमें जाति, संप्रदाय, धर्म के विवादों से ऊपर उठना होगा। भारत एक समय विश्वगुरु रहा है। भारत को `सोने की चिड़िया’ भी कहा जाता था। यहां वर्षों तक मुगलों ने और उसके बाद अंग्रेजों ने शासन किया। उन शासकों ने भारत की मूल संस्कृति, यहां के इतिहास, यहां की परंपराओं और रीति-रिवाजों को तहस-नहस करने के अनेक प्रयास किए। इन सबके बावजूद आज भारत अपनी विशिष्ट पहचान और मजबूती के साथ खड़ा है। हाल ही में बीते महाकुंभ में एक ही स्थान पर ६६ करोड़ लोगों ने एक भावना और समान आस्था के साथ डुबकियां लगार्इं। यह भारत की सांस्कृतिक, पौराणिक और सनातनी एकता का सबसे बड़ा प्रमाण है। लेकिन इन सबके बावजूद वैश्विक पटल पर भारत को आर्थिक रूप से शक्तिशाली देश बनाने की चुनौतियां हैं। विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि भारत को २०४७ तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए अगले २२ वर्षों में औसतन ७.८ प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी और कई सुधार करने होंगे। प्रति व्यक्ति आय को वर्तमान स्तर से आठ गुना बढ़ाना होगा। अपने संसाधनों के पुनर्गठन को विस्तारित और तीव्र करना होगा। वर्तमान में हमारी तीन-चौथाई आबादी अभी भी खेती, पारंपरिक बाजार सेवाओं और निर्माण उद्योग पर निर्भर है। हमारी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए सीमित खुली है, क्योंकि हम `आत्मनिर्भर भारत’ बनाना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को घरेलू उत्पादन व निजी निवेश बढ़ाने, भूमि व्यवस्था और श्रम बाजार सुधारने की जरूरत है। बेहतर नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है, जबकि हकीकत यह है कि देश की बहुत बड़ी जनसंख्या बेरोजगारी की मार झेल रही है। कृषि क्षेत्र में हम चीन जैसी आधुनिकता से बहुत पीछे हैं। पर्यटन भी हमारे यहां उद्योग का दर्जा हासिल कर सकता है। यदि भारत सचमुच में प्रयास करे तो २०४७ तक देश की अर्थव्यवस्था २३ से ३५ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। इस विकास में ८-१० प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर, बढ़ती श्रम शक्ति, तकनीकी प्रगति और प्रमुख उद्योगों के विस्तार पर फोकस करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, रसायन, ऑटोमोटिव और सेवाओं के क्षेत्र में प्रबल संभावनाएं हैं। परंतु आज देश में भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और निरक्षरता की समस्याओं को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती है। यदि हम सचमुच में विश्व गुरु बनना चाहते हैं तो जाति, संप्रदाय, राजनीतिक मतभेद पर ध्यान न देते हुए हमें सबको साथ लेकर देश के विकास और वृद्धि के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप पर राष्ट्रीय भाव से पहल करनी होगी।

ऋतुचक्र : मोरा सइयां भइल परदेसी सखी, भला कइसे हम खेली रंगनवां

सुरेश मिश्र
फगुवा

फागुन में सबसे ज्यादा दर्द का एहसास उस विरहन को होता है, जिसके पिया परदेस में हैं और गांव के लोग बार-बार उसके साथ जबरदस्ती होली खेल रहे हैं। कभी सास की झिड़क तो कभी ननद का ताना, कभी ससुर का बदला रूप तो कभी देवर की छेड़छाड़। उसने अपनी सखी से कहा-
मोरा सइयां भइल परदेसी सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
फोनवा करी तउ न फोनवां उठावइं,
‘लाइन मा बानू तू’, फोनवा बतावइं,
तरसावइं लइ-लइ बहनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
समुझइं न केतनी सही हम बिपतिया,
पइसा न भेजइं, न भेजत हौं पतिया,
बीति गइल बारह महिनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
ननदी-देवरवा हमइं सब चिढ़ावइं,
बार-बार रंगना से हमके भिगावइं,
काटइ दउड़त बा अंगनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
कइसे जियत बानी समुझइं न सइयां,
लागत बा अइहैं न पिय अबकी दइयां,
फिनि टूटे हमरा सपनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
हमरी सखी कुछ जुगुतिया बतावा,
सुगना क हमरे, फगुन मा बोलावा,
ताना मारेला जमनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।
जोहत बानी कब से पिय कइ डगरिया,
बीती जाए हमरी अइसइ उमिरिया,
टांगल बा हमरा परनवां सखी,
भला कइसे हम खेली रंगनवां।

वसई-विरार शहर में रिक्शा चालकों की मनमानी होगी बंद!..निर्धारित रिक्शा किराए का बोर्ड लगाना अनिवार्य-गोविंद बोडके,कलेक्टर

सामना संवाददाता / वसई

कलेक्टर गोविंद बोडके ने वसई-विरार शहर नगर निगम को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 8 मार्च 2025 को सरकार द्वारा निर्धारित रिक्शा किराया बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है। शहर में संतोष का माहौल बना हुआ है, क्योंकि अब मनमाना किराया वसूल कर आम यात्रियों का शोषण बंद हो जाएगा। जिला कलेक्टर ने ये निर्देश हाल ही में पालघर में पालघर जिला अध्यक्ष और ठाणे संपर्क प्रमुख हितेश जाधव और प्रहार जन शक्ति पार्टी के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिए हैं।
प्रहार जन शक्ति पार्टी की ओर से वसई-विरार शहर के नागरिकों की रिक्शा यात्रा को सुविधाजनक बनाने और उनके बीच चल रही आर्थिक लूट को रोकने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई। इसके लिए लोकतांत्रिक आंदोलन भी चलाया गया। अंततः प्रहार जन शक्ति पार्टी लगातार यह मांग करती आ रही है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों को सभी रिक्शा चालकों / मालिक संघों के लिए अनिवार्य किया जाए और इसके बोर्ड शहर के सभी आधिकारिक रिक्शा स्टैंडों और महत्वपूर्ण यातायात स्थानों पर लगाए जाएं। इस संबंध में स्थानीय प्रशासन से लेकर मंत्री स्तर तक इसकी पैरवी की जा रही थी। कलक्ट्रेट स्तर पर भी कई बैठकें हुईं। अंततः कलेक्टर ने वसई-विरार शहर नगर निगम प्रशासन को इस संबंध में ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसी प्रकार जिला कलक्टर ने शहर में विभिन्न स्थानों पर यातायात जाम को नियंत्रण में लाने के लिए आवश्यकतानुसार एक ट्रैफिक गार्ड एवं परिवहन शाखा का एक कर्मचारी उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं।
इस बैठक में पालघर कलेक्टर गोविंद बोडके, प्रहार के पालघर जिला अध्यक्ष / ठाणे संपर्क प्रमुख हितेश जाधव, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अतुल आडे, विरार यातायात शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक महेश शेट्टी, प्रहार के वसई तालुका अध्यक्ष दुषान्त पाटील, विरार शहर अध्यक्ष अतुल सावंत भोसले, वसई तालुका अल्पसंख्यक प्रभाग के अध्यक्ष सरताज खान आदि गणमान्य नागरिक एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।