महायुति सरकार के भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा … विपक्ष का `शैडो’ कैबिनेट! …शरद पवार ने सौंपी जिम्मेदारी

-मंत्रियों के फैसलों का भी रखा जाएगा ध्यान
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की महायुति सरकार में भ्रष्टाचारी मंत्रियों की मनमानी पर विपक्ष नजर रखेगा। विपक्ष ने राज्य सरकार के कैबिनेट पर नजर रखने के लिए शैडो वैâबिनेट बनाया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने इसकी घोषणा की है। एनसीपी ने शैडो कैबिनेट के गठन का खुलासा किया है। महाराष्ट्र सरकार के १०० दिनों के कामकाज पर यह शैडो कैबिनेट  नजर रखेगी। सरकार के मंत्रियों के तमाम फैसलों पर भी उनकी पैनी नजर रहेगी।
शरद पवार ने बैठक लेकर इस शैडो कैबिनेट के लोगों का चयन कर उन्हें कार्य की जिम्मेदारियां भी दीं। एनसीपी पार्टी के राजेश टोपे, जयप्रकाश दांडेगांवकर, राजेंद्र शिंगणे, अनिल देशमुख, जीतेंद्र आव्हाड, सुनील भुसारा, हर्षवर्धन पाटील आदि वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है। इन नेताओं को विभागवार जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं और उन्हें पूरे महाराष्ट्र का दौरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि मुंबई में शरद पवार की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पार्टी की संगठनात्मक मजबूती पर चर्चा हुई। इस बैठक में पार्टी के सभी विधायक और सांसद उपस्थित थे। पार्टी के विस्तार और मजबूती के लिए प्रमुख नेताओं को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। शरद पवार ने सभी नेताओं को अगले तीन महीनों में पूरे महाराष्ट्र का दौरा करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही युवा चेहरों को अधिक अवसर देने की रणनीति अपनाई गई है।

`पार्टी के नेता नए उम्मीद और जोश के साथ काम पर लगें, नए चेहरों को मौका दें, अगले तीन महीनों में महाराट्र छान मारें और उसका रिपोर्ट पेश करें।’
-शरद पवार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)

युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने फहाद अहमद
राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) ने फहाद अहमद को युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। फहाद अहमद, जिन्होंने हाल ही में अणुशक्तिनगर विधानसभा चुनाव लड़ा था, अभिनेत्री स्वरा भास्कर के पति हैं। इस बात की पुष्टि पार्टी के वरिष्ठ नेता जीतेंद्र आव्हाड ने सोशल मीडिया के माध्यम से की।

वाहनों की हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट शुल्क नहीं जजिया कर है! …अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में तीन गुना है टैक्स

वाहन मालिकों से लूट को रोकने की सीएम से प्रदेश कांग्रेस की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता को लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। जनता पहले से ही महंगाई से परेशान है। ऐसे में अब सरकार की नजर वाहन मालिकों की जेब पर है। वाहनों की हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट के नाम पर अत्यधिक शुल्क वसूला जा रहा है। अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में यह दर दोगुने से अधिक है। यह शुल्क नहीं, बल्कि जजिया कर है। इस तरह का आरोप लगाते हुए इस शुल्क को कम करने की मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकल ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि एक अप्रैल २०१९ से पहले पंजीकृत वाहनों के लिए हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अनिवार्य कर दी गई है। इस पहल का उद्देश्य अच्छा लग सकता है, लेकिन इसके बहाने राज्य के वाहन मालिकों की सीधे तौर पर लूट की जा रही है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा इन नंबर प्लेट्स के लिए वसूल किया जाने वाला शुल्क अन्य राज्यों की तुलना में दोगुना, तिगुना है। पड़ोसी गोवा राज्य में दोपहिया वाहनों के लिए १५५ रुपए वसूल किए जाते हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह दर ४५० रुपए है। तीन पहिया वाहनों के लिए गोवा में १५५ रुपए और महाराष्ट्र में ५०० रुपए, जबकि चार पहिया वाहनों के लिए गोवा में २०३ रुपए और महाराष्ट्र में ७४५ रुपए वसूल किए जाते हैं। इन नंबर प्लेट्स के लिए १८ फीसदी जीएसटी देना होगा, लेकिन यह बात आरटीओ द्वारा छुपाई गई है और यह बोझ वाहन मालिकों पर डाला गया है।
अधिक है जुर्माना
३१ मार्च के बाद यदि वाहन पर यह नंबर प्लेट नहीं लगी होगी तो ५ हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना राशि भी अत्यधिक है। किसी भी नए बदलाव को लागू करते समय जनता को अनावश्यक परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस पूरे मामले की जांच कर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह की मांग कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने इस पत्र में की है।

मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने मिलकर दी मंजूरी
सपकाल ने कहा कि नंबर प्लेट का ठेका भी मंत्रिमंडल स्थापना की जल्दबाजी में दिया गया है। मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने मिलकर इसे मंजूरी दी है। इसके लिए ठेकेदार को दिए गए लेटर ऑफ इंटेंट और वर्क ऑर्डर को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इन नंबर प्लेट्स के लिए वाहन मालिकों को दी गई समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। अन्य परेशान करने वाली शर्तों को हटाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये नंबर प्लेट्स आसानी से उपलब्ध हों।

रेलवे स्टेशनों पर फेरीवालों का आतंक! … हाई कोर्ट के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे फेरीवाले

-मूकदर्शक बना है प्रशासन!
सामना संवाददाता / मुंबई
शहर में फेरीवालों का आतंक बढ़ता जा रहा है। इनके अतिक्रमण से राहगीर परेशान हैं लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। अंधेरी, बांद्रा, दादर के रेलवे स्टेशनों पर ये फेरीवाले इस कदर जमें हुए हैं कि यात्रियों का चलना दूभर हो गया है। सुबह व शाम में जब स्टेशनों पर अधिक भीड़ होती है तो यात्रियों की रफ्तार इन अवैध फेरीवालों की वजह से धीमी हो जाती है।
अंधेरी, दादर व कुर्ला इलाके में जब ‘दोपहर का सामना’ के संवाददाता ने जायजा लिया तो पाया कि स्टेशनों से जुड़े हुए स्काईवॉक व अन्य रेलवे ब्रिजों पर फेरीवालों ने अपना अड्डा बना लिया है और प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम अवैध तरीके से यह अपना धंधा कर रहे हैं। कुछ फेरीवालों से बात करने पर पता चला कि वह मनपा और रेलवे पुलिस को हफ्ता देकर स्टॉल लगाते हैं।
क्या कहता है नियम?
बता दें कि एल्फिंस्टन रोड ब्रिज पर हुई भगदड़ के बाद मुंबई हाई कोर्ट ने मनपा को जमकर लताड़ा था। इसके बाद कोर्ट ने कहा था कि रेलवे स्टेशनों से १५० मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के फेरीवाले नहीं होने चाहिए। वहीं पूजा स्थल व शिक्षा संस्थानों के १०० मीटर के दायरे में भी फेरीवालों का जमावड़ा नहीं होना चाहिए। ऐसे में फेरीवालों का रेलवे स्टेशनों पर होना हाई कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहा है।

मनपा रेलवे के साथ मिलकर रेलवे स्टेशनों के इर्द-गिर्द अवैध फेरीवालों पर कार्रवाई करती है। इसके अलावा हम अपने कानूनी सलाहकार के माध्यम से अतिक्रमण हटाने वाले विभाग की ओर से हर स्टेशन पर अपने कर्मचारियों को तैनात करने का प्रस्ताव रखने वाले हैं।
-मनपा अधिकारी

अंधेरी में कई वर्षों से फेरीवालों का अतिक्रमण है। कभी-कभी प्रशासन की नींद खुलती है तो इन पर कार्रवाई होती है, लेकिन फिर हालात जस के तस हो जाते हैं। इन फेरीवालों में कानून का खौफ बिल्कुल भी नहीं है।
-विशाल शुक्ला

मुंबई हाई कोर्ट के नियमों की अनदेखी हो रही है। प्रशासन सो रहा है। मनपा का चुनाव लंबित है। ऐसे में मनपा को देखने वाला कोई नहीं है। कोई पारदर्शिता नहीं है। जल्द से जल्द मनपा को फेरीवालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए
-एड. आनंद उपाध्याय (मुंबई हाई कोर्ट)

मुंबई में फुटपाथों पर फेरीवालों अथवा दुकानदारों के अवैध कब्जे से राहगीरों का फुटपाथों पर चलना मुश्किल हो गया है। खासकर रेलवे स्टेशनों के आसपास फुटपाथों पर अवैध फेरीवालों के कारण मुंबईकरों को अपने ऑफिस पहुंचने में देरी होती है। मुंबई में रेलवे स्टेशन के १५० मीटर के दायरे में फेरीवालों का होना वर्जित है, फिर भी फुटपाथों पर अवैध फेरीवाले जमे हुए हैं। मुंबईकर स्ट्रीट टैक्स देने के बावजूद फुटपाथ पर नहीं चल सकते हैं। यह सब कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से होता है। मनपा आयुक्त को ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
-शकील अहमद शेख
(आरटीआई एक्टिविस्ट)

मैं रोज दादर जाती हूं। यहां के रेलवे ब्रिज पर फेरीवालों का जमावड़ा रहता है। यात्रियों की भीड़ अधिक होती है जिससे चलना मुश्किल होता है। फेरीवाले आधे से ज्यादा जगह पर कब्जा कर लेते हैं, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है
-नित्या पांडेय

मालाड स्टेशन पर भी फेरीवाले अवैध तरीके से कब्जा किए हुए हैं, जिससे आन-जाने वाले यात्रियों को समस्या होती है। कभी-कभी ये फेरीवाले यात्रियों से बहस व मारपीट करते हुए भी नजर आते हैं। प्रशासन सुस्त है।
-मोहम्मद हदीस सिद्दीकी

 

फडणवीस ने घाती को फिर दिया झटका! …स्वास्थ्य विभाग में ३,२०० करोड़ रुपए के कामों पर लगाई रोक

टेंडर बढ़ाकर घोटाले का है संदेह
सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घाती गुट को लगातार झटके देना शुरू कर दिया है। फडणवीस ने घाती सरकार के कार्यकाल में लिए गए कई पैâसले रद्द करने के साथ ही कई परियोजनाओं को भी अब तक स्थगित कर दिया है। कल भी उन्होंने एक बड़ा झटका दिया है। घाती सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में मंजूर किए गए ३,२०० करोड़ रुपए के कामों पर फडणवीस ने रोक लगा दी है। इन कामों के लिए निकाले गए टेंडर की राशि को बढ़ाकर घोटाला किए जाने का मुख्यमंत्री ने संदेह जताया है।
उल्लेखनीय है कि घाती सरकार के कार्यकाल में तानाजी सावंत स्वास्थ्य मंत्री थे। उनके कार्यकाल में अधिकारियों के तबादले, एम्बुलेंस की खरीद में हजारों करोड़ के घोटाले हुए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों की बाहरी एजेंसियों द्वारा मशीनीकृत तरीके से सफाई की मंजूरी दी गई थी। इसके लिए ३० अगस्त २०२४ को सालाना ६३८ करोड़ रुपए के हिसाब से पांच साल के लिए लगभग ३,१९० करोड़ रुपए के काम तानाजी सावंत ने पुणे की एक निजी कंपनी को दिए थे। इससे संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई थी। हालांकि, उस कंपनी को मशीनीकृत सफाई के काम का कोई अनुभव नहीं है। फिर भी पूरे राज्य के अस्पतालों की जिम्मेदारी कंपनी को दी गई थी। खास बात यह है कि इससे पहले इस काम के लिए सालाना केवल ७० करोड़ रुपए खर्च आता था।
फंड नहीं है उपलब्ध
बताया गया है कि मशीनीकृत तरीके से सफाई करने के लिए आवश्यक फंड राज्य स्तर पर उपलब्ध नहीं है। फंड उपलब्ध होने तक नई सफाई सेवा शुरू करने के संबंध में कोई कार्रवाई न की जाए। किसी भी अस्पताल में बिना अनुमति के नई सफाई सेवा शुरू नहीं की जाएगी। इसकी सावधानी बरती जाए। इस तरह के स्पष्ट निर्देश स्वास्थ्य सेवा आयुक्तालय ने दिए हैं। यह निर्देश सभी जिला शल्य चिकित्सक और चिकित्सा अधीक्षकों को दिए गए हैं।

मोदी सरकार…ईवेंट सरकार! …भीड़ जुटाने के लिए रूस में उड़ाए २ करोड़?

– आरटीआई से हुआ खुलासा
– वायरल पोस्ट से मचा हंगामा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता में आने के बाद से लगातार विदेश दौरों पर हैं। उनके इन दौरों पर भव्य स्वागत किया जाता है, जिसमें लोग मोदी… मोदी… के नारे लगाते हैं और प्रधानमंत्री उनसे मिलते हैं। पीएमओ कार्यालय इन मुलाकातों के वीडियो और तस्वीरें आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा भी करता है, लेकिन अब चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन कार्यक्रमों में इस भीड़ को जुटाने के लिए मोदी सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। पिछले साल जुलाई और अक्टूबर में प्रधानमंत्री मोदी रूस गए थे। उस दौरान सिर्फ भीड़ जुटाने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए गए। आरटीआई से मिली जानकारी में २२ वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए हुए इस दौरे पर कुल १५ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें से २ करोड़ रुपए सिर्फ भीड़ जुटाने में खर्च किए गए। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा की जानकारी के जरिए हुआ है।

ईवेंट मैनेजमेंट का हिस्सा है मोदी का विदेश दौरा?
प्रायोजित भीड़ का हुआ खुलासा

पत्रकार डॉ. मुकेश कुमार ने भी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर गंभीर आरोप लगाए हैं।
ईवेंट मैनेजमेंट का हिस्सा हैं मोदी के विदेश दौरे?
जब प्रधानमंत्री मोदी विदेश जाते हैं तो एयरपोर्ट और कार्यक्रम स्थलों पर विशाल भीड़ जुटती है। हाथों में बैनर और झंडे लिए लोग मोदी… मोदी… के नारे लगाते हैं। मोदी खुद लोगों से मिलते हैं, बात करते हैं, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि यह सब प्रायोजित भीड़ होती है, जिसे सरकार के पैसे से जुटाया जाता है।
पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने ६६ हजार करोड़ रुपए सिर्फ विज्ञापनों और विदेश दौरों पर खर्च किए हैं। विदेश दौरों पर २ हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि सरकारी विज्ञापनों पर ४,६०७ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यह जानकारी विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह ने खुद राज्यसभा में लिखित उत्तर में दी थी।
प्रचार पर कर रही है भारी खर्च
मोदी सरकार के विरोधी लगातार सरकारी पैसे के दुरुपयोग और इवेंट मैनेजमेंट पर खर्च को लेकर सवाल उठा रहे हैं। क्या मोदी सरकार जनता के पैसे से अपनी ब्रांडिंग कर रही है? यह सवाल अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन चुका है।

मोदी के विदेश दौरे
-अब तक कुल विदेश दौरे – ८४
-सबसे अधिक बार दौरा किया गया देश – अमेरिका (५ बार)
-विदेश दौरों पर कुल खर्च – २,००० करोड़ रुपए
-सरकारी प्रचार-प्रसार पर खर्च – ४,६०७ करोड़ रुपए
-विशेषकर अबू धाबी दौरे पर ५ करोड़ खर्च किए गए थे।

एमएमआरडीए का फैसला मनमाना …सिस्त्रा का पलटवार

 

– कंपनी ने निलंबन को मुंबई हाई कोर्ट में दी चुनौती
सामना संवाददाता / मुंबई
फ्रांस की इंजीनियरिंग और कंसल्टिंग कंपनी सिस्त्रा इंडिया ने मुंबई मेट्रो परियोजनाओं में किसी भी तरह की कमी के आरोपों को खारिज किया है। मुंबई मेट्रो के लिए मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) द्वारा ठेका समाप्त किए जाने के बाद कंपनी ने मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर अपने निलंबन को मनमाना बताया है।
राजनयिक विवाद में बदल गया मामला
सिस्त्रा इंडिया ने इस विवाद को हल करने के लिए फ्रांस के दूतावास से मदद मांगी थी। कंपनी ने एमएमआरडीए अधिकारियों पर अनुचित लाभ और कठोर उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिससे महाराष्ट्र सरकार को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा और अब इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
सिस्त्रा ने कहा– हम काम जारी रखने को तैयार
रिपोर्ट के अनुसार, सिस्त्रा इंडिया के सीईओ ने कहा है कि हम उच्च गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट देने और नैतिक व्यावसायिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी एमएमआरडीए सहित सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है और गलतफहमियों को दूर करना चाहती है।
एमएमआरडीए ने जनवरी २०२४ में सिस्त्रा को भुगतान निलंबन का नोटिस जारी किया था और फिर जनवरी २०२५ में कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया। सिस्त्रा ने इसे मुंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां २५ फरवरी को कोर्ट ने एमएमआरडीए के फैसले को मनमाना, अनुचित और अन्यायपूर्ण बताया। हालांकि, कोर्ट ने एमएमआरडीए को इस विवाद पर दोबारा सुनवाई करने की अनुमति दी है। सिस्त्रा ने इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाए जाने की निंदा करते हुए कहा कि उनका मकसद केवल एमएमआरडीए के साथ रिश्तों को सुधारना है। एमएमआरडीए ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

अडानी को धारावी से छह गुना ज्यादा जमीन देगी मोदी सरकार! …पुनर्विकास नहीं, विनाश है लाखों हो जाएंगे बेघर …सांसद वर्षा गायकवाड ने लगाया आरोप

सामना संवाददाता / मुंबई
धारावी पुनर्वास परियोजना के मामले में मोदी सरकार अपने चहेते उद्योगपति पर मेहरबान है। मुंबई को इस उद्योगपति के हवाले किया जा रहा है। यह एक बड़ा भूमि घोटाला है, जिसे फिर से रेखांकित किया गया है। धारावी के आकार से छह गुना ज्यादा बिक्री योग्य बिल्ट-अप जगह यानी कुल १४ करोड़ वर्गफुट जमीन मोदी सरकार अडानी को गिफ्ट में देने जा रही है। यह धारावी पुनर्विकास परियोजना नहीं, बल्कि धारावी का विनाश है। इस तरह का गंभीर आरोप मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद वर्षा गायकवाड ने लगाया है।
सांसद वर्षा गायकवाड ने कहा कि इस परियोजना से मुंबई या धारावीकरों का हित नहीं साधा जा रहा है, बल्कि यह परियोजना विनाश की परियोजना है। धारावी भूमि घोटाले का मुद्दा मैं लगातार उठाती रही हूं। विधानसभा और सड़कों पर भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। हमारी मांग है कि एक भी धारावीकर को विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार अडानी के प्रेम में धारावीकरों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है। इस परियोजना के लिए एफएसआई धारावी के शुद्ध विकास योग्य क्षेत्र के १२ से १३ गुना अधिक होगा, जिसका बड़ा हिस्सा नॉन-इंडेक्स्ड टीडीआर के रूप में पेश किया जाएगा। इससे मुंबई के रियल इस्टेट बाजार को और विकृत किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप शहर की पहले से ही खराब पड़ चुकी बुनियादी सुविधाओं पर और अधिक दबाव पड़ेगा।

१.५ लाख करोड़ से अधिक मुनाफा
गायकवाड ने कहा कि भूमि मूल्य के अनुमान के अनुसार, १.५ लाख करोड़ से अधिक का मुनाफा होगा। उन्होंने कहा कि शहर की पहले से ही खराब हो रही बुनियादी सुविधाओं पर और अधिक दबाव पड़ेगा। धारावीकरों और मुंबईकरों के अधिकारों और हितों को कुचलते हुए अडानी को मुंबई का निर्विवाद रियल इस्टेट किंग बनाने के लिए यह साजिश रची जा रही है। इसके लिए मोदी सरकार धारावीकरों और मुंबईकरों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है।

अनावश्यक खुदाई से चिढ़े मुंबईकर! …सड़क सीमेंटीकरण बना मनपा का सिरदर्द

मानसून से पहले काम पूरा करना चुनौती!
सामना संवाददाता / मुंबई
शहर में मनपा सड़क के सीमेंटीकरण का काम करती नजर आ रही है। मानसून से पहले यानी ३१ मई तक मनपा ने दावा किया है कि सड़क के सीमेंटीकरण का कार्य पूरा हो जाएगा, लेकिन अनावश्यक खुदाई से मुंबईकर मनपा से चिढ़े हुए नजर आ रहे हैं। लोगों का आरोप है कि मनपा के काम में सुस्ती है और कुछ सड़कों को बेवजह खोदा गया है।
बता दें कि अनावश्यक खुदाई के चलते मुंबईकरों को ट्रैफिक जाम, धूल व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पाली हिल के ऑक्जिलियम कॉन्वेंट सड़क के कांक्रीटीकरण का काम करने का निर्णय लिया गया था। वहां के रहिवासियों ने बताया कि सड़क की स्थिति बेहतर है, ऐसे में सड़क खोदने से वहां रह रहे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। रहिवासियों ने बताया कि यह सड़क छोटी व संकरी है इसलिए ज्यादा ट्रैफिक नहीं होता है। इसके अलावा, इस सड़क के किनारे पूर्ण विकसित पेड़ भी हैं। कॉन्क्रीटिंग कार्य के दौरान वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इस सड़क के अंत में बालिकाओं के लिए प्राथमिक विद्यालय है और अगर सड़क का काम शुरू होता है तो उन्हें आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कोलाबा के रहिवासियों ने भी मनपा की धीमी कार्य गति पर सवाल उठाया है और सड़क का काम जल्दी पूरा करने के लिए कहा है। मनपा के मुताबिक, सड़क कॉन्क्रीटीकरण के कार्य तेजी से चल रहे हैं। इसके अंतर्गत पश्चिमी उपनगर में चरण १ और २ को मिलाकर कुल १,१७३ सड़कों (कुल लंबाई ४३३ किलोमीटर) का कॉन्क्रीटीकरण कार्य प्रगति पर है। इनमें से पहले चरण में २६० और दूसरे चरण में ४९६ सड़कों का कार्य प्रगति पर है। कॉन्क्रीटीकरण कार्य के लिए ठेकेदारों ने काशीमीरा और कुर्ला में ‘रेडी मिक्स कॉन्क्रीट प्लांट’ स्थापित किए हैं, जहां से तैयार माल निर्माण स्थलों पर पहुंचाया जाता है। इस माल की गुणवत्ता जांच के लिए क्यूब टेस्ट, स्लंप टेस्ट, बार टेस्ट आदि तकनीकी परीक्षण किए गए। मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने ठेकेदारों को अल्टीमेटम दिया है कि सड़क सीमेंटीकरण का कार्य ३१ मई से पहले किया जाना चाहिए। इसके अलावा कोई भी ऐसी सड़कों को हाथ नहीं लगाना चाहिए, जिसका कार्य मानसून के पहले पूरा न हो सके।

झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रोजेक्ट : एसआरए की सुस्ती से लटका! …प्रोजेक्ट म्हाडा को सौंपने में कर रही देरी

सामना संवाददाता / मुंबई
शहर में अब तक ५१७ झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रोजेक्ट वर्षों से लटके हुए है, जिससे वहां के निवासी ईडी सरकार २.० से खीजे हुए नजर आ रहे है। दरअसल, ईडी सरकार २.० ने म्हाडा की जमीन पर अटके हुए झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रोजेक्ट (एसआरए) को म्हाडा के माध्यम से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इस पैâसले के तहत शुरुआती चरण में १७ प्रोजेक्ट म्हाडा को सौंपने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब तक एसआरए प्राधिकरण ने केवल दो प्रोजेक्ट के लिए एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) जारी किया है। वहीं गोरेगांव स्थित प्रेमनगर इलाके में ९ प्रोजेक्ट को सौंपने में टालमटोल की जा रही है।
इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआरए प्राधिकरण को २२४ प्रोजेक्ट म्हाडा, एमएमआरडीए और अन्य सरकारी एजेंसियों को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में म्हाडा को शुरुआती तौर पर २१ प्रोजेक्ट सौंपने की योजना बनी थी, लेकिन कानूनी अड़चनों और वित्तीय व्यवहार्यता की जांच के बाद १७ प्रोजेक्ट ही दिए जाने के लिए तय किए गए। कई महीने बीत जाने के बावजूद एसआरए ने गोरेगांव प्रेमनगर इलाके के करीब ११,६५६ वर्ग मीटर भूमि पर स्थित १२५० झोपड़पट्टियों से जुड़े ९ अटके हुए प्रोजेक्ट म्हाडा को नही सौंपा है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?
म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संबंधित प्रोजेक्ट्स को पहले विकसित करने वाले बिल्डर अब फिर से आगे आ गए हैं, जिससे इन्हें म्हाडा को सौंपने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। ऐसे में पुनर्विकास की आस लगाए बैठे निवासियों को अधिक विलंब का सामना करना पड़ सकता है। इस देरी पर एसआरए के उपमुख्य अभियंता आर. बी. मिटकर ने कहा कि संबंधित प्रोजेक्ट म्हाडा को सौंपे जाएंगे। फिलहाल, प्रोजेक्ट के नक्शे तैयार करने और बुनियादी ढांचे की योजना बनाने का काम जारी है। यह प्रक्रिया पूरी होते ही म्हाडा को प्रोजेक्ट हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।

गैस कनेक्शन में छूट व समय की जरूरत …बेकरी मालिकों ने लगाई गुहार

– क्या मनपा सुनेगी इनकी पुकार?

सामना संवाददाता / मुंबई 
मुंबई के बेकरी मालिकों पर संकट मंडरा रहा है। मनपा ने आदेश दिया है कि ८ जुलाई २०२५ तक सभी बेकरियों को लकड़ी या डीजल की जगह स्वच्छ र्इंधन (बिजली, पीएनजी, एलपीजी) अपनाना होगा। मुंबई बेकर्स एसोसिएशन ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने समय सीमा बढ़ाने और स्वच्छ र्इंधन पर सब्सिडी देने की मांग की है।
बेकरी मालिकों का कहना है कि छोटी दुकानें और पारंपरिक भट्ठियां अचानक से बिजली या गैस पर नहीं चल सकतीं। ये भट्ठियां गुंबद के आकार की होती हैं और लकड़ी के र्इंधन के लिए ही बनी होती हैं। इस वजह से बिजली से इन्हें चलाना संभव नहीं है। मुंबई बेकर्स एसोसिएशन ने डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर (स्वास्थ्य) को पत्र लिखकर कहा कि हम नियमों का पालन करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए हमें और समय चाहिए। जहां पीएनजी की पाइप लाइन नहीं है, वहां मनपा को खुद गैस सप्लाई की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।
पीएनजी कनेक्शन के लिए ९५ लाख?
मुंबई बेकर्स एसोसिएशन के अनुसार पीएनजी कंपनियों के पास पर्याप्त नेटवर्क नहीं है। बेकरी मालिकों को एक कनेक्शन के लिए ९५ लाख रुपए तक जमा करने को कहा जा रहा है, जो कि संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा बड़े उद्योगों को सब्सिडी दी जा सकती है, तो हमारी बेकरी के लिए भी मिलनी चाहिए।
मनपा ने क्या कहा?
मनपा अधिकारियों ने कहा कि यह पैâसला मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है। इसे लागू करने में राज्य सरकार और पीएनजी-एलपीजी कंपनियों की भी भूमिका होगी। फिलहाल इस पर उच्च स्तर पर चर्चा होगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी। अब सवाल यह उठता है कि क्या मनपा छोटे व्यापारियों की परेशानी समझेगी या सिर्फ आदेश जारी कर अपना पल्ला झाड़ लेगी?