तानसा नगर बाह्य माध्यमिक शाळा में विदाई समारोह संपन्न

ठाणे:शहापूर स्थित तानसा मनपा माध्यमिक शाळा में दसवीं(एस. एस. सी.), के विद्यार्थियों का विदाई समारोह संपन्न हुआ। प्रमुख अतिथियों के रूप में कनिष्ठ अभियंता जल विभाग उमावणे , विभाग निरीक्षक सुनीता खाडे ,बर्वे नगर मनपा माध्यमिक शाळा के मुख्याध्यापक अंबर सिंग मगर, म. न. पा. माध्यमिक शाळा मुलुंड की मुख्याध्यपिका अंजली पवार तथा शाळा के शिक्षक सुनिल पाटरे, कैलाश चौधरी, निपुरते उपस्थित रहे।

नेपाल में आनलाइन जुआ रैकेट संचालन में 23 भारतीय धराए

– 80 हजार रुपए नेपाली मुद्रा, 88 मोबाइल फोन, 10 लैपटॉप बरामद

– महराजगंज, कुशीनगर और बिहार, छत्तीसगढ़ प्रांत सहित विभिन्न जिले के हैं पकड़े गए आरोपित

सामना संवाददाता / महराजगंज

नेपाल प्रशासन ने काठमांडू के बुढ़ानिलकंठ नगरपालिका में बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने एक घर में अवैध तरीके से आनलाइन जुआ रैकेट संचालन के आरोप में छापेमारी कर 23 भारतीय नागरिकों को पकड़ा है।
पुलिस रेंज काठमांडू व बुढ़ा नीलकंठ पुलिस डिवीजन को बुढ़ानिलकंठ नगरपालिका में स्थित एक दो मंजिले मकान में आनलाइन गेम साइट के माध्यम से जुआ रैकेट संचालित करने की सूचना मिली थी। इसके बाद से पुलिस सक्रिय हो गई। पुलिस ने मंगलवार बुढ़ानिलकंठ में एक मकान में छापेमारी की। पुलिस की छापेमारी से हड़कंप मच गया। इस दौरान 23 भारतीय और एक नेपाल नागरिक को पुलिस ने दबोच लिया। पकड़े गए भारतीय नागरिक यूपी के महराजगंज, कुशीनगर और बिहार, छत्तीसगढ़ प्रांत सहित विभिन्न जिले के निवासी हैं। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 81,000 रुपए नेपाली मुद्रा, 88 मोबाइल फोन, 10 लैपटॉप, मोबाइल सिम कार्ड, भारतीय एटीएम कार्ड आदि बरामद किया है।
बताते चलें कि मित्र राष्ट्र में यह पहली बार नहीं है, जब नेपाल में भारतीय नागरिकों को इस तरह के मामलों में पकड़ा गया है। एक सप्ताह पहले भी नेपाल पुलिस ने तीन अरब रुपए से अधिक के आनलाइन सट्टा रैकेट का भंडाफोड़ किया था। नेपाल के काठमांडू रेज के पुलिस उपाधीक्षक अपील कुमार बोहरा ने बताया कि अवैध गतिविधियों व नेपाल में बढ़ते आनलाइन जुआ, सट्टे को रोकने के लिए विशेष जांच दल की तैनाती की है। पकड़े गए नागरिकों से पूछताछ की जारी है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस का आरोप…जाम में फंसे श्रद्धालुओं से थानेदार ने किया अभद्र व्यवहार!…डीएम को ज्ञापन…निलंबन की मांग…प्रदर्शन की चेतावनी

विक्रम सिंह / सुलतानपुर

महाकुंभ से लौटकर अयोध्या दर्शन को जा रहे श्रद्धालुओं के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने का आरोप मढ़ कांग्रेसियों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा व शहर अध्यक्ष शकील अंसारी दर्जन भर कांग्रेसियों को लेकर गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां जिलाधिकारी से मिलकर उन्हें शिकायती पत्र सौंपा गया। बताते चलें कि गत ११ फरवरी को अयोध्या जा रहे श्रद्धालुओं के साथ कूरेभार स्थित पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के समीप श्रद्धालुओं के साथ पुलिस गाली गलौज, धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। ज्ञापन के माध्यम से कांग्रेसियों ने मांग की है कि प्रकरण में आरोपों के घेरे में आए कूरेभार के थानेदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। उनके कृत्यों की जांच के लिये कमेटी बनाई जाए, जिनमें उन सभी प्रकरण को शामिल किया जाए, जिसमें दारोगा शारदेंदु दुबे की उपस्थिति अथवा सहभागिता रही हो। उक्त जांच पंद्रह दिनों में पूर्ण कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, अन्यथा कांग्रेस पार्टी लापरवाह व अभद्र पुलिस अधिकारियों के प्रति आंदोलन करने हेतु बाध्य होगी। इस दौरान जिलाध्यक्ष राणा ने कहा कि पुलिस का यह व्यवहार समाज के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जो श्रद्धालु जाम में फंसे हैं, उनकी मदद के बजाय उन पर लाठियां बरसाई जा रही है यह पुलिस की तानाशाही को दर्शाता है। एक तरफ प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं को आमंत्रित कर रही है, दूसरी तरफ इनकी पुलिस श्रद्धालुओं के साथ धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज कर उन्हें अपमानित कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ही नहीं देशभर के अलग-अलग हिस्सों से तस्वीर सामने आ रही है, जो श्रद्धालु जाम में फंसे हैं लोग बिना भेदभाव के उन श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं। लेकिन सुलतानपुर की पुलिस उनकी मदद की बजाय उन पर लाठियां बरसा रही है, जो बहुत ही निंदनीय है। जिला प्रशासन ऐसे अधिकारियों के प्रति विधिक कार्यवाही करें, अन्यथा कांग्रेस के लोग सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। शहर अध्यक्ष शकील अंसारी ने कहा कि कूरेभार थाना अध्यक्ष शरदेंदु दूबे का श्रद्धालुओं के प्रति रवैया बेहद दुखद है। जिला प्रशासन को ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। इस मौके पर जिला प्रवक्ता नफीस फारुकी अमोल बाजपेयी, उपाध्यक्ष सुब्रत सिंह सनी, सुरेंद्र मिश्र, महिला नेत्री मीनू यादव, श्याम लगन, शीतला साहू आदि प्रमुख लोग शामिल रहे।

दिल्ली में ‘संघ’ का बना आलीशान आशियाना…छिड़ा विवाद!

– बिल्डिंग की लागत 150 करोड़, आधुनिक सुविधाओं से लैस

– कांग्रेस-‘आप’ ने कहा-ये संघ है शीशमहल…कहां से आया इतना पैसा?

– 19 फरवरी को संघ प्रमुख करेंगे प्रवेशद्वार

रमेश ठाकुर / नई दिल्ली

बीते 9 वर्षों से दिल्ली में निर्माणाधीन आरएसएस का आलीशान महलनुमा कार्यालय जैसे ही बनकर तैयार हुआ, तो उस पर सियासी विवाद छिड़ गया। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ने कार्यालय के निर्माण पर खर्च हुए 150 करोड़ रुपए का हिसाब-किताब भाजपा-संघ से मांगा है। सफाई में उन्होंने कहा है कि निर्माणकार्य में पैसा संघ के सदस्यों ने चंदे में दिया है। दिल्ली के झंडेवालान में सालों से बन रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यालय बनकर तैयार हो गया है। कार्यालय की पहली झलक देखकर लोग भी दंग रह गए। बिल्डिंग फाइव स्टार होटल जैसी दिखती है। निर्माण में 150 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। पूरा परिसर 3.5 एकड़ में फैला है। 12 मंजिला बिल्डिंग में 13 टावर, 300 लग्जरी कमरें, 247 कारों की पार्किंग और संघ के पदाधिकारियों के ठहरने के लिए 90 बेडरूम हैं। हर तरह की आधुनिकतम सुविधाओं के अलावा पूरा कार्यालय वाई-फाई से लैस है। बनावट में गुजरात और राजस्थानी संस्कृति का मिश्रण है। उद्घाटन 19 फरवरी को शिवाजी जयंती के मौके पर सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले करेंगे।
बता दें कि इस 17,000 गज में संघ का यह कार्यालय 1939 में स्थापित हुआ था। 1962 और 1980 में भी कार्यालय का निर्माण करवाया गया था। नाम केशव कुंज है, जो संघ के संस्थापक और प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के नाम पर है। बिल्डिंग को नए सिरे से बनाने की नींव मोहन भागवत ने 2016 में रखी थी। नई बिल्डिंग की झलक जैसे ही गुरुवार को सार्वजनिक आई, सियासी गलियारों में जमकर विवाद छिड़ गया। संघ के इस नए कार्यालय को कांग्रेस ‘शीशमहल’ तो ‘आप’ उनके सपनों का महल बता रही है।

कुशनगरी में महाकुंभ श्रद्धालुओं का खूब सेवा-सत्कार…ट्रैफिक जाम में घंटों फंसे श्रद्धालुओं को मिल रहा सुकून

-गायत्री परिवार, भाजयुमो व गोमती मित्र आदि अनेक संगठनों ने चलाए अनवरत भंडारे व खोले रैन बसेरे

विक्रम सिंह / सुलतानपुर

१४४ वर्षों बाद आए महाकुंभ पर्व में अमृत स्नान की आकांक्षा लेकर पहुंच रहे करोड़ों श्रद्धालुओं का ज्वार प्रयागराज के चहुंओर बसे नगरों में उमड़ रहा है। कुंभ स्नान के बाद काशी और अयोध्या धर्मनगरियों में भी प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर और ज्ञानवापी के दर्शन करके लौटने की उत्कंठा श्रद्धालुओं के मन में हिलोरें मार रही हैं। लाखों वाहनों का कारवां सड़कों को ठसाठस कर चुका है। माघ पूर्णिमा का स्नान हो जाने के बावजूद प्रयागराज से बरास्ते सुलतानपुर..अयोध्या और काशी को जाने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं का अथाह समुंदर हिलोरें ले रहा है। गुरुवार को इन श्रद्धालुओं के सत्कार को ही पुण्य प्राप्ति का मार्ग मानकर सुलतानपुरवासी इनकी सेवा में उतर पड़े। भारतीय जनता युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष चंदन नारायण सिंह अपनी टीम लेकर चार सौ केवी पॉवर हाउस से लेकर अयोध्या बाईपास तक जाम में फंसे सभी श्रद्धालुओं के भोजन और जलपान के इंतजाम में जुटे रहे। दैनिक क्रिया के लिए हाइवे के किनारे एक मैरिज लॉन भी खुलवाया गया है, जिसमें पश्चिम बंगाल, गुजरात व अन्य प्रदेश के यात्री खास कर महिलाओं की व्यवस्था की जा रही है। वहीं अखिल विश्व गायत्री परिवार ने गोमती मित्र मंडल आदि तमाम सामाजिक संगठनों के साथ महाकुंभ से अब अयोध्या दर्शन को निकल रहे विभिन्न राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं के लिए पयागीपुर में गनपत सहाय कॉलेज परिसर में हाइवे के किनारे अनवरत भंडारा प्रारंभ कर दिया है, जिसके अगुवा शहर के जाने माने चिकित्सक डॉ. सुधाकर सिंह हैं। उनके साथ हाथ बंटा रहे हैं रमेश माहेश्वरी, रुद्रप्रताप सिंह मदन, अंकुरण फाउंडेशन के अभिषेक आदि।

वाराणसी रिंग रोड पर भीषण सड़क हादसा…एक ट्रक चालक की दर्दनाक मौत

उमेश गुप्ता / वाराणसी

गुरुवार की सुबह वाराणसी रिंग रोड पर हुए भीषण सड़क हादसे में एक ट्रक चालक की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ, जब तेज रफ्तार सरिया लदा ट्रक अचानक ब्रेक लगा बैठा, जिससे पीछे चल रहा बालू से भरा ट्रक उसमें जा घुसा। टक्कर इतनी जोरदार थी कि ट्रक का केबिन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और चालक उसमें फंस गया।
हादसे के बाद घटनास्थल पर स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई, तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर चालक को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन केबिन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था, जिससे चालक उसमें बुरी तरह फंस गया था। इसके बाद पुलिस ने गैस कटर से केबिन को काटकर चालक को बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मौके पर पहुंचे चिकित्सकों ने जांच के बाद चालक को मृत घोषित कर दिया।
मृतक की पहचान मिर्जापुर निवासी गोविंद यादव (52 वर्ष), पुत्र बुद्धन यादव के रूप में हुई। गोविंद यादव मध्य प्रदेश के विंध्यनगर से कोयले की राख लादकर गाजीपुर जा रहे थे। लोहता थाना क्षेत्र के खेवशीपुर गांव के सामने रिंग रोड फेज-2 से गाजीपुर रोड की ओर बढ़ते समय यह हादसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोविंद यादव के आगे सरिया लदा ट्रक चल रहा था, जिसने अचानक ब्रेक लगा दिया। इस कारण गोविंद यादव का ट्रक अनियंत्रित होकर आगे वाले ट्रक में जा भिड़ा।
टक्कर इतनी तेज थी कि ट्रक का केबिन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया और चालक उसी में फंस गया। पुलिस को ट्रक में मिले दस्तावेजों से मृत चालक की पहचान करने में सफलता मिली। इसके बाद लोहता पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना दी। परिजनों के आने के बाद शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इस हादसे के बाद मृतक के परिवार में कोहराम मच गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

केडीएमसी अस्पताल में प्रसूति के दौरान महिला की मौत…लापरवाही का आरोप…कार्रवाई की मांग को लेकर धरना

सामना संवाददाता / डोंबिवली

केडीएमसी के शास्त्रीनगर अस्पताल में प्रसूति के दौरान एक महिला की मौत के बाद परिजनों और स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। मृतक महिला सुवर्णा सरोदे के परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। इस घटना के बाद अस्पताल परिसर में परिजनों और आरपीआई के कार्यकर्ताओं ने धरना शुरू कर दिया है और जब तक दोषी डॉक्टरों पर मामला दर्ज नहीं होता, तब तक शव लेने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है।
क्या है मामला?
सुवर्णा सरोदे को प्रसव के लिए शास्त्रीनगर अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन प्रसूति के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने बिना अनुमति उनकी गर्भ थैली (गर्भ पिशवी) निकाल दी, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई और उनकी जान चली गई। इस घटना के बाद अस्पताल में परिजनों ने हंगामा किया और न्याय की मांग की।
धरने पर बैठे लोग…कार्रवाई की मांग
घटना के विरोध में आरपीआई नेता भरत सोनवणे, संजय जाधव, महाडिक उगड़े समेत सैकड़ों लोग अस्पताल में धरने पर बैठ गए हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टरों और अधिकारियों पर मामला दर्ज नहीं होता, तब तक शव को हाथ नहीं लगाएंगे और न ही अंतिम संस्कार करेंगे।
अस्पताल प्रशासन का स्पष्टीकरण
शास्त्रीनगर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि पोस्टमार्टम और मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, परिजनों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे बिना किसी ठोस कार्रवाई के पीछे हटने वाले नहीं हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और परिजनों को न्याय मिल पाता है या नहीं।

ठाणे जिले में असली-नकली रिक्शा चालक विवाद…हजारों की संख्या में चल रहे हैं नकली रिक्शे…उल्हासनगर में सबसे ज्यादा हैं नकली रिक्शे

अनिल मिश्रा / अंबरनाथ

वैसे तो ईडी सरकार में मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के ठाणे जिले में असली-नकली रिक्शा चालकों की लडाई इन दिनों सड़क पर आ गई है। नकली रिक्शा चालकों पर कार्रवाई न करने पर रिक्शा बेमुद्दत बंद कर यातायात पुलिस कार्यालय के सामने धरना देने की चेतावनी भरा पत्र जोशी (काका) रिक्शा चालक मालक संघटना के अध्यक्ष ने ईडी 02 सरकार को दी है।
बता दें कि ठाणे जिले के काफी जगहों पर असली-नकली रिक्शा चालकों में जंग शुरू है। असली रिक्शा चालकों का यातायात पुलिस पर आरोप है कि उनकी अनदेखी के कारण बिना लाइसेंस, बैच, जो रिक्शा स्क्रैप (काटकर) फेंकने लायक हो गए हैं, ऐसे रिक्शे बेरोकटोक चल रहे हैं। ऐसे नकली रिक्शा चालक दादागिरी कर लाइन में रिक्शा खड़ा न करके सीधे यात्री को बैठा लेते हैं। नकली रिक्शा चालकों की इस हरकत के कारण जिनके पास पासिंग रिक्शा, लाइसेंस, बैच सब कुछ है। ऐसे असली रिक्शा चालकों को दो-दो घंटे धूप, बरसात, गर्मी में लाइन में खडे रहना पड़ रहा है।
ऐसे नकली रिक्शा चालकों पर कानूनी कार्रवाई की जाय, ऐसी मांग जोशी (काका ) रामदास पाटील रिक्शा चालक मालक संघटना के अंबरनाथ अध्यक्ष मिलिंद रामदास पाटील ने की है। पाटील ने बताया कि अंबरनाथ शहर में दस हजार रिक्शे हैं। उनमें से दो हजार रिक्शा चालक ऐसे हैं, जो लाइन की बजाय सीधे ही सड़क के किनारे खड़े होकर यात्री को बैठा लेते हैं। ऐसे नकली रिक्शा चालकों को किसका संरक्षण प्राप्त है? ऐसे लोगों को रोका जाए, अन्यथा उग्र रिक्शा बंद आंदोलन किया जाएगा। मिलिंद पाटील ने बताया कि ऐसे रिक्शा चालकों के खिलाफ किसी समय रिक्शा चालक रहे पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी पत्र दिया गया था। अपेक्षा थी कि कार्रवाई होगी, परंतु यातायात पुलिस द्वारा केवल दिखावटी कार्रवाई की गई। आज भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता दिखाई दे रहा है। स्टेशन स्टैंड पर चौबीस घंटे यातायात पुलिस की मांग की गई है। पुलिस वाले आते हैं तो केवल हाजिरी देकर गायब हो जाते हैं।
उल्हासनगर मे नकली नशेड़ी गेैंग रिक्शा चालक समूह
उल्हासनगर में भी ऐसी ही हालत है। उल्हासनगर में करीबन 25 हजार रिक्शे हैं, जिसमें पांच हजार नशेड़ी गेंग के लोग चलाते हैं। जिसे रोकने पर आए दिन मारपीट भी होती रहती है। नशेड़ी गैंग में जो रिक्शा चालक हैं, वे अधिकतर चार यात्रियों को लेकर चलते हैं। बता दें कि नशेड़ी गेैंग पुलिस के दंड, डंडे से भी नहीं डरते हैं। काफी नशेड़ी रिक्शा चालकों पर दस से पच्चीस हजार रुपए तक ऑन लाइन तक दंड है, परंतु वे दंड की परवाह नहीं करते हैं। उल्हासनगर, शहाड में यह गैंग काफी सक्रिय हैं, जो पुलिस से भी मारपीट करने में पीछे नहीं रहते हैं।
उल्हासनगर उप विभागीय यातायात पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक अविनाश भ. भामरे ने बताया कि वे हजारों रिक्शा, बाइक को जप्त कर सकते हैं, परंतु उन्हें जप्त कर वाहन को रखा कहां पर जाय? यह बड़ी समस्या है। जप्त किए गए वाहन को रखने के लिए सुरछित, सुरक्षा रक्षक के साथ जगह की मांग आयुक्त को पत्र देकर किया गया है। जिसे मनपा द्वारा मुहैय्या नहीं किया जा सका है। वाहन को जप्त करने पर कुछ नुकसान होने पर उसका जवाबदारी कौन लेगा? वाहन के नुकसान होने पर यातायात पुलिस को न्यायालय की फटकार के साथ ही नुकसान की भरपाई करनी पडी है, ये जोखिम कौन लेगा?

कांग्रेस प्रवक्ता राकेश शेट्टी ने मुलुंड पुलिस स्टेशन में दिया ज्ञापन …रणवीर अलाहाबादी और समय रैना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राकेश शंकर शेट्टी और मविआ के प्रमुख नेताओं ने मुलुंड पुलिस स्टेशन में मौजूद वरिष्ठ अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने YouTube शो “India’s Got Latent” के मेहमान रणवीर अलाहाबादी और समय रैना के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की।

ज्ञापन में यह आरोप लगाया गया कि दोनों मेहमानों ने शो के दौरान अभद्र और अश्लील भाषा का प्रयोग किया, जिससे समाज में गलत संदेश फैलने की आशंका पैदा हो रही है। कांग्रेस और मविआ नेताओं का मानना है कि इस शो का नकारात्मक प्रभाव बच्चों और युवाओं पर पड़ेगा, और उनके नैतिक मूल्यों में गिरावट आ सकती है।

कांग्रेस और मविआ नेताओं ने मांग की है कि रणवीर अलाहाबादी और समय रैना के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए और उनके YouTube चैनल को प्रतिबंधित किया जाए। इसके साथ ही, पुलिस प्रशासन से इस मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई की अपील की गई है।

नेताओं का कहना है कि इस प्रकार के शो समाज की संस्कृति और नैतिकता के खिलाफ हैं और इस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सपनों पर हावी होते कोचिंग सेंटर

प्रियंका सौरभ

भारत में कोचिंग सुविधाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। ये केंद्र छात्रों को स्कूल स्तर की परीक्षाओं के साथ-साथ जेईई, नीट और यूपीएससी की तैयारी में मदद करते हैं। हालांकि, इस उद्योग की विस्फोटक वृद्धि से कई चिंताएं भी पैदा हो रही हैं। लगभग 58,000 करोड़ के बाजार मूल्य के साथ, भारत का फलता-फूलता कोचिंग क्षेत्र अब पूरे देश से करोड़ों छात्रों को आकर्षित करता है। पारंपरिक शिक्षा में अंतर को पाटने के लिए, ये निजी संस्थान विशेष परीक्षा की तैयारी प्रदान करते हैं। हालांकि, चिंताएं हैं कि उनका बाजार-संचालित दृष्टिकोण औपचारिक शिक्षा के मानकों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और शैक्षणिक मांगों को बढ़ाकर छात्रों की पढाई पर भारी बोझ डालता है। कोचिंग सेंटरों के विस्फोटक विकास के कारण भारत में औपचारिक शिक्षा प्रणाली और छात्रों के कल्याण संबंधित चिंताएं जताई गई हैं।
छात्रों की भलाई और औपचारिक शिक्षा में कोचिंग सेंटरों का प्रभाव कम हो गया है। छात्र अपनी अकादमिक पढ़ाई से पहले कोचिंग सत्रों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे व्यापक शिक्षा प्रदान करने में स्कूलों की भूमिका कम हो जाती है। उदाहरण के लिए बहुत से छात्र केवल उपस्थिति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्कूल जाते हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए केवल ट्यूशन सुविधाओं का उपयोग करते हैं। कोचिंग सेंटर में लंबे समय तक पढ़कर कड़ी प्रतिस्पर्धा करने वाले छात्र तनाव, चिंता और बर्नआउट का अनुभव करते हैं। कोटा के छात्रों की आत्महत्या की रिपोर्ट कोचिंग सेंटर के माहौल से होने वाले गंभीर मनोवैज्ञानिक नुकसान को दर्शाती है। कोचिंग सेंटर अकादमिक फोकस और तैयारी की रणनीतियों पर हावी हैं, जिससे छात्रों की अपनी शिक्षा में रुचि खत्म हो जाती है। कोचिंग सेशन में भाग लेने के लिए कई सीबीएसई स्कूलों में छात्र महत्वपूर्ण शैक्षणिक वर्षों के दौरान नियमित कक्षाएं छोड़ देते हैं। उच्च कोचिंग लागत आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को उच्च-गुणवत्ता की तैयारी तक पहुंचने से रोककर शैक्षिक अवसरों में अंतर को और बढ़ा देती है। प्रीमियम जेईई तैयारी कार्यक्रमों की लागत लाखों तक है, जो उन लोगों को अलग करती है, जो कोचिंग का खर्च उठा सकते हैं और जो नहीं उठा सकते हैं।
कोचिंग उद्योग कई कारकों के परिणामस्वरूप विकसित हुआ है। कोचिंग की आवश्यकता उच्च-दांव वाली प्रवेश परीक्षाओं, जैसे कि जेईई और एनईईटी पर जोर देने से प्रेरित है। आईआईटी सीटों की सीमित संख्या के कारण छात्र चयनित होने की अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेते हैं। माता-पिता और छात्रों के अनुसार, प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए कोचिंग सेंटर आवश्यक हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन में सुधार होगा, इसलिए कई माता-पिता कोचिंग फीस पर बड़ी रक़म खर्च करते हैं। औपचारिक शिक्षा में प्रतियोगी परीक्षाओं की उन्नत तैयारी का अभाव अक्सर एक कमी छोड़ देता है, जिसे कोचिंग सेंटर भर देते हैं। राज्य बोर्ड राज्य बोर्ड और एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान पर जोर देते हैं, जबकि कोचिंग सेंटर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष तैयारी प्रदान करते हैं। कोचिंग सेंटर में शामिल होने के लिए छात्रों पर साथियों और अभिभावकों के दबाव के परिणामस्वरूप कोचिंग संस्कृति तेजी से बढ़ रही है। पूरा परिवार कोटा और हैदराबाद जैसी जगहों पर कोचिंग के अवसरों के लिए जा रहा है। कोचिंग सेंटर रैंक-केंद्रित विज्ञापनों और सफलता की कहानियों के साथ छात्रों को आकर्षित करते हैं। अपने विज्ञापनों में कोचिंग सेंटर अपने सर्वश्रेष्ठ छात्रों को प्रदर्शित करते हैं, जिससे यह धारणा बनती है कि सफलता सुनिश्चित है।
इसका सामान्य रूप से शिक्षा पर प्रभाव पड़ता है। कोचिंग सेंटरों द्वारा पाठ्यक्रम से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ज़ोर दिए जाने के परिणामस्वरूप छात्र अपनी नियमित शैक्षणिक पढ़ाई की उपेक्षा करते हैं। कक्षा 11 और 12 के दौरान, छात्र पूरे दिन के जेईई या नीट कोचिंग सत्र में भाग लेने के लिए अक्सर स्कूल छोड़ देते हैं। औपचारिक शिक्षा की वैधता कम हो जाती है, क्योंकि छात्र अपना ध्यान कोचिंग सेंटरों की ओर मोड़ते हैं, जिससे शिक्षक की प्रेरणा कम हो जाती है। छात्र केवल कोचिंग सामग्री का उपयोग करते हैं और शहरी क्षेत्रों के स्कूल कक्षा में कम भागीदारी की रिपोर्ट करते हैं। परीक्षाओं में सफल होने के लिए रटने को प्रोत्साहित करके कोचिंग सेंटर स्कूलों में सिखाई जाने वाली आलोचनात्मक सोच और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग कौशल को कमजोर कर देते हैं। प्रवेश परीक्षा अध्ययन मार्गदर्शिकाएं अक्सर वैचारिक विश्लेषण की तुलना में नियमित समस्याओं को हल करने पर अधिक जोर देती हैं। खेल, कला और पाठ्येतर गतिविधियां प्रभावित होती हैं, क्योंकि छात्र कोचिंग कक्षाओं में बहुत अधिक समय व्यतीत करते हैं। छात्र अक्सर इंजीनियरिंग या मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी करते समय स्कूल द्वारा प्रायोजित एथलेटिक कार्यक्रमों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से चूक जाते हैं। परीक्षा-केंद्रित संसाधनों तक पहुंच उच्च कोचिंग लागतों द्वारा सीमित है, जिसके परिणामस्वरूप एक दोहरी प्रणाली है, जहां केवल गरीब ही मुख्यधारा की शिक्षा से लाभ उठा सकते हैं। सरकारी स्कूली बच्चे अल्प शैक्षिक संसाधनों पर निर्भर हैं, जबकि अमीर छात्र प्रतिष्ठित संस्थानों में जाते हैं।
स्कूलों में पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए निजी कोचिंग सुविधाओं पर निर्भरता कम करने के लिए स्कूलों में कोचिंग सत्र और उन्नत शिक्षण मॉड्यूल शुरू करें। ऑनलाइन संसाधनों को प्रोत्साहित करें जो परीक्षण लेने की लागत और आय के बीच के अंतर को कम करने के लिए अधिक किफायती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करते हैं। सभी छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नपटल और दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। विशेष कोचिंग की आवश्यकता को कम करने के लिए ज्ञान-भारी परीक्षाओं की तुलना में योग्यता-आधारित आकलन को प्राथमिकता दें। कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम विषय-वस्तु के ज्ञान की तुलना में योग्यता और आलोचनात्मक सोच को प्राथमिकता देता है। स्कूल के शिक्षकों को उन्नत निर्देश और सलाह देने के लिए आवश्यक संसाधन देने के लिए शिक्षक तैयारी कार्यक्रमों पर पैसा खर्च करें। देश भर के शिक्षकों के पेशेवर कौशल को बढ़ाना निष्ठां जैसे सरकारी कार्यक्रमों का लक्ष्य है। ऐसे दिशा-निर्देश बनाएं, जो एक अच्छी तरह से पाठ्यक्रम को प्राथमिकता दें, जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए परीक्षा देने की रणनीतियों के साथ शैक्षणिक, सांस्कृतिक और एथलेटिक निर्देश को जोड़ता हो। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) अंतःविषय शिक्षा को बढ़ावा देती है और उच्च-दांव वाली परीक्षाओं से जुड़े तनाव को कम करती है।
कौशल-आधारित पाठ्यक्रम, व्यक्तिगत शिक्षण और नवीन शिक्षण तकनीकों के माध्यम से औपचारिक शिक्षा को बढ़ाकर कोचिंग केंद्रों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। मजबूत कानून, उचित मूल्य, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और छात्रों की भलाई को बढ़ावा देने से निष्पक्ष, व्यापक शिक्षण वातावरण की गारंटी होगी। नेल्सन मंडेला ने एक बार कहा था, “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।” भविष्य समानांतर शैक्षिक प्रणालियों में नहीं है, बल्कि अंतराल को बंद करने में है।