बुलेट चली नहीं फसलें ‘कटने’ लगीं! …महाराष्ट्र के किसानों पर अत्याचार जारी

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। किसानों को मुआवजा दे पाने में भाजपा सरकार नाकाम रही है। उधर २०१४ में दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद से ही पीएम मोदी बुलेट ट्रेन की रट लगाए रहते हैं। इतने वर्षों में बुलेट तो चली नहीं, पर किसानों की फसलें जरूर ‘कटने’ लगीं। दहानू में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखा जा सकता है। बुलेट की ट्रैक का काम करनेवाले कर्मचारी अगल-बगल स्थित किसानों के खेत में लगे बाड़ तोड़कर वहां घुस जा रहे हैं, जिससे किसानों की फसलें नष्ट हो जा रही हैं।

ईडी सरकार में किसानों पर अत्याचार!
किसानों की फसलों को
कुचल रही है बुलेट ट्रेन!
निर्माण ठेकेदारों की लापरवाही

ईडी सरकार में किसानों पर जुल्म रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे राज्य में किसान परेशान हैं। अब किसानों पर अत्याचार का एक और मामला दहानू से सामने आया है, जहां बुलेट ट्रेन का काम किसानों के फसलों को कुचल रहा है। वहां के किसानों ने फसल बर्बादी का ठीकरा बुलेट ट्रेन के ठेकेदारों पर फोड़ा है।
मिली जानकारी के मुताबिक, बुलेट ट्रेन के ठेकेदार किसानों की निजी जमीन पर काम के दौरान निकल रहे मलबे को फेंक रहे हैं। इस वजह से जमीन पर उगाई गई फसलों का नुकसान हो रहा है। किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए बाउंड्री पर तारों वाली फेंसिंग लगाई है, लेकिन ढेर सारे मलबे गिरने की वजह से फेंसिंग ढह गई। दहानू के किसानों ने बताया कि बुलेट ट्रेन के ठेकेदार बिना किसानों के निजी जमीन की परवाह किए लापरवाही से काम कर रहे हैं। फेंसिंग टूट जाने की वजह से जंगली जानवर व पशु खेत में घुस जाते है, जिसकी वजह से फसलों को नुकसान पहुंचता है। किसान फवजान हुसैन अहमद ने बताया कि ठेकेदारों की लापरवाही से अब तक ४० से ५० केलों के पेड़, नारियल के पेड़, तुअर की फसलों का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके पड़ोसी की बाउंड्री को तोड़ दिया गया है और सारा मलबा उनकी जमीन पर फेंक दिया गया है। इस मामले में फवजान ने एनएचआरसीएल से शिकायत की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ।
जुलाई २०२४ से जनवरी २०२५ तक दहानू के किसान बुलेट ट्रेन के ठेकेदारों की वजह से अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ यहीं तक नहीं, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूर दोपहर को किसानों के खेत में बैठकर गंदगी भी फैलाते हैं। पत्थर व लोहे के कण जमीन पर फेंकने की वजह से जमीन उपजाऊ नहीं रह जाती है।

चहेते ठेकेदारों के लिए मुंबा देवी के ज्वेलरी बाजार को हटाने की साजिश! …आदित्य ठाकरे ने किया विरोध, मनपा आयुक्त से की मुलाकात

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबादेवी मंदिर शहर के धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां के स्थानीय निवासी एवं दुकानदार लगभग पिछले २०० वर्षों से व्यवसाय कर रहे हैं, लेकिन ईडी सरकार यहां के ज्वेलरी बाजार को हटाकर कॉरिडोर बनाने की तैयारी में है और इसका ठेका वह अपने प्रिय या चहेते ठेकेदारों को देने वाली है। इसी सिलसिले में शिवसेना नेता (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने मनपा आयुक्त भूषण गगरानी से मुलाकात कर इस परियोजना का विरोध किया है।
आदित्य ठाकरे ने चेतावनी दी है कि मुंबादेवी के निवासियों एवं दुकानदारों ने इस कॉरिडोर का कड़ा विरोध किया है और सरकार अपने ठेकेदारों को यह जिम्मा देकर स्थानीय लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ न करे। मनपा आयुक्त भूषण गगरानी से मुलाकात के दौरान आदित्य ठाकरे ने मुंबादेवी मंदिर परिसर की विकास परियोजना और अन्य परियोजनाओं को अडानी के कारण मुंबईकरों पर न थोपने और सड़क का काम देने से पहले सड़कों का ऑडिट कराने की मांग पर विस्तृत चर्चा की। आदित्य ठाकरे ने बताया कि दुकानों को हटाए बिना मंदिर क्षेत्र का विकास हो सकता है, जिससे स्थानीय लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। मुंबा देवी के दर्शन के लिए प्रतिदिन आने वाले हजारों भक्तों के लिए विभिन्न सुविधाएं बनाने की भी मांग की।
क्या है मुंबा देवी कॉरिडोर?
मुंबादेवी मंदिर के पीछे १७ मंजिल की पार्विंâग बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा। यह काम ईडी सरकार के एक ठेकेदार को दिया गया है। इस विकास के दौरान स्थानीय आभूषण बाजारों की दुकानें शामिल की जाएंगी। मंदिर ट्रस्ट, स्थानीय लोगों और दुकानदारों ने इसका कड़ा विरोध जताया है।
अडानी टैक्स का हमेशा विरोध किया जाएगा!
देवनार डंपिंग ग्राउंड पर कब्जा करके इस जमीन की साफ-सफाई पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह कीमत मुंबईकरों की जेब से ली जाएगी और इसके लिए अडानी टैक्स मुंबईकरों पर लगाया जा रहा है। हम टैक्स का हमेशा विरोध करेंगे। आदित्य ठाकरे ने चेतावनी दी कि अगर यह टैक्स रद्द नहीं किया गया तो तीव्र आंदोलन किया जाएगा।
छोटे व्यापारियों को किया जा रहा है परेशान
छोटे व्यापारी जो अपने क्षेत्र से लघु व्यवसाय करते हैं, ऐसे दुकानदारों पर संपत्ति कर लगाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। मुंबई से झुग्गी-झोपड़ी के दुकानदारों को बेदखल करने के लिए उनके नाम पर संपत्ति कर लगाया जाएगा। आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह अडानी और डेवलपर्स के फायदे के लिए है और वह इसका कड़ा विरोध करते हैं। आदित्य ठाकरे के मुताबिक, मनपा आयुक्त सभी मांगों को लेकर सकारात्मक हैं। इस अवसर पर शिवसेना दक्षिण मुंबई विभागप्रमुख संतोष शिंदे, मुंबा देवी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, शिवसेना और युवासेना के पदाधिकारी उपस्थित थे।

गणेश मूर्ति विसर्जन को लेकर सरकार पर उठाए सवाल
माघी गणेशोत्सव के अवसर पर कई स्थानों पर गणेश मूर्तियों की स्थापना की गई थी, लेकिन पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी होने के कारण इन मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जा सका। आदित्य ठाकरे ने सरकार पर सवाल उठाया है कि आखिर इसके लिए सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं बना सकती? आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि गणपति बाप्पा के विसर्जन को रोकने के लिए जिस तरह से आदेश जारी किए जाते हैं, वैसे ही आदेश राजनीतिक होर्डिंग्स को रोकने को लेकर भी हैं! तो फिर वे आदेश क्यों लागू नहीं हो पाते हैं? क्या ये आदेश सत्ताधारी नेताओं पर लागू नहीं होते? इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार मंडलों की बैठक बुलाकर उनकी मदद क्यों नहीं कर सकती? क्यों कोई समाधान नहीं निकाल सकती? उन्होंने व्यंग कसते हुए कहा कि इनकी विचारधारा सिर्फ एक है कि हमारी मराठी संस्कृति और हिंदुत्व की पहचान को मिटाकर अपनी राजनीतिक विचारधारा हम पर थोपना है।

शिंदे पर ‘आपदा’ प्रबंधन से आउट …दिन-प्रतिदिन जारी है कटिंग …फुल से हाफ, हाफ से क्वाटर और अब क्वाटर से छटाकभर रह गया कद

सामना संवाददाता / मुंबई
‘ईडी’ २.० सरकार में भारी उथल-पुथल मची हुई है। शिंदे और फडणवीस का टशन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब एक बार फिर सीएम फडणवीस ने डिप्टी सीएम शिंदे को झटका दिया है। सीएम फडणवीस ने डिप्टी सीएम शिंदे को राज्य ‘आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (एसडीएमए) से आउट कर दिया है। शिंदे की जगह वहां पर दूसरे डिप्टी सीएम अजीत दादा की एंट्री हो गई है। इससे राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि शिंदे को फडणवीस ने फुल (सीएम) से हाफ (डिप्टी सीएम) कर दिया। इसके बाद गृह मंत्रालय न देकर क्वाटर कर दिया था और अब उनका कद क्वाटर से छटाक भर रह गया है।

‘महायुति’ में दरार!
‘ईडी’ २.० में शिंदे के पर
कतरने का सिलसिला है जारी

शिंदे को इस कमेटी से बाहर किए जाने के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में दरार की अटकलें तेज हो गई हैं। २००५ में मुंबई में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद गठित आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल ही में जारी एक आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने एसडीएमए का पुनर्गठन किया है। राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक प्राधिकरण की सीईओ हैं, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को एसडीएमए में शामिल किया गया है। शहरी विकास विभाग के प्रमुख पूर्व सीएम शिंदे को नौ सदस्यीय निकाय से बाहर रखा गया है।
फडणवीस-शिंदे में टकराव
शहरी विकास विभाग आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अधिकारी और बुनियादी ढांचा राहत और पुनर्वास कार्य के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद, शिंदे को प्रमुख एजेंसी में जगह नहीं दी गई है, जिससे ‘महायुति’ सरकार के भीतर दरार की अटकलों को बल मिला है, जिसमें भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट शामिल हैं। राजनीति के जानकार इसे फडणवीस और शिंदे के बीच सत्ता संघर्ष की अटकलों के बीच एक और टकराव के बिंदु के रूप में देखते हैं।
जानकारों का मानना है कि शिंदे को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से बाहर रखा जाना दोनों नेताओं शिंदे और फडणवीस के बीच बढ़ती असहजता का संकेत है। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद सरकार गठन के बाद से ही शिंदे नाराज चल रहे हैं।
हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार, फडणवीस और शिंदे के बीच कोई बड़ा मतभेद नहीं है। हालांकि, यह सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से शिंदे, भाजपा और फडणवीस से परेशान हैं। शिंदे ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का पैâसला करने से पहले ‘काफी समय’ लिया, इसके बाद वैâबिनेट मंत्रियों के नाम तय करने और पालक मंत्रियों को जिम्मेदारी आवंटित करने में देरी हुई।

योगी सरकार का फेल हुआ टेस्ट …प्रयागराज में टोटल ‘रोड अरेस्ट’! …२४-२४ घंटों से अपनी गाड़ियों में फंसे हैं श्रद्धालु

मौनी अमावस्या से भी भयंकर भीड़ है उमड़ी
क्राउड मैनेजमेंट में प्रशासन के छूटे पसीने
३०० किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में लगा है जाम
प्रशासन बोला, ‘हमसे न हो पाएगा!’

सामना संवाददाता / प्रयागराज
देश में साइबर अपराधी इन दिनों डिजिटल अरेस्ट कर ठगी कर रहे हैं। प्रयागराज कुंभ में इस वक्त इसी शब्द से मिलते-जुलते टोटल ‘रोड अरेस्ट’ का नजारा पूरे शहर में पैâला हुआ है। असल में बाहर से लाखों वाहन और करोड़ों की भीड़ ने पूरे शहर को महाजाम में बदल दिया है और लोग सड़कों पर ‘रोड अरेस्ट’ की स्थिति में पहुंच चुके हैं। हालत यह है कि २४-२४ घंटे से अपनी गाड़ियों में फंसे लोग भूख से बिलबिला रहे हैं, पर उनकी समस्या यह है कि जाएं तो जाएं कहां?
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। पिछले दो दिनों से शहर के बॉर्डर से लेकर आसपास के जिलों तक भीषण जाम की स्थिति बनी हुई है। गाड़ियां ५ घंटे में मुश्किल से ५ किलोमीटर का सफर तय कर पा रही हैं। प्रयागराज के आसपास की सड़कें और फ्लाइओवर पूरी तरह जाम हैं। ऐसे में लोग कह रहे हैं कि मौनी अमावस्या के बाद योगी सरकार एक बार फिर व्यवस्था बनाए रखने के टेस्ट में फेल हो गई है। जाम की हालत ऐसी है कि ३०० किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में भी महाजाम लगा हुआ है और वहां की सरकार लोगों से घर लौटने की अपील कर रहा है।

२५ घंटे में पहुंचे
दिल्ली से आए एक युवक ने मीडिया से बातचीत में बताया कि यहां हर तरफ जाम की स्थिति है। सड़क पर गाड़ियां बहुत धीरे-धीरे चल रही हैं। हमें दिल्ली से प्रयागराज आने में २५ घंटे का समय लग गया। एक अन्य युवक ने कहा कि सड़क पर हर तरफ जाम है। दो किलोमीटर का सफर करने में दो घंटे लग रहे हैं। ट्रेन में पांव रखने तक की जगह नहीं है, जगह-जगह ट्रेन रोक दी जा रही है।

वीआईपी मूवमेंट ने बढ़ाई परेशानी
वीआईपी मूवमेंट ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। कल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संगम में स्नान किया। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (मंत्रिमंडल समेत) संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, श्रीपद नाइक स्नान कर चुके हैं।

चींटी की चाल
प्रयागराज शहर में ट्रैफिक जाम से लोग जूझ रहे हैं। सड़कों पर गाड़ियां भी चींटी की चाल में चल रही हैं और लोगों के लिए पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। श्रद्धालुओं का कहना है कि वे कई घंटे तक जाम में फंसे रहने के बाद ही संगम तक पहुंच पाए हैं। प्रयागराज आने वाली ट्रेनों की स्थिति भी खासी खराब है, लोग ट्रेनों में भी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

की महंगी बहुत शराब कि थोड़ी-थोड़ी पीया करो! … दिवाली के बाद से अब तक काफी बढ़ चुकी हैं कीमतें

– एक अप्रैल से सरकार फिर बढ़ा सकती है १५ज्ञ् अधिभार
सुनील ओसवाल / मुंबई
दिवाली के बाद राज्य में शराब की कीमत बढ़ गई है। सरकार का खजाना खाली है, ऐसे में इसे भरने के लिए अभी इसकी कीमतें और बढ़ाने का विचार चल रहा है। सरकार नए वित्त वर्ष यानी अप्रैल २०२५ से १५ फीसदी मूल्य वृद्धि लागू करने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर लोगों को फिर वही पुराना लोकप्रिय गीत गुनगुनाना पड़ेगा कि हुई महंगी बहुत शराब कि थोड़ी-थोड़ी पीया करो!
बता दें कि शराब की कीमत में १५ फीसदी की बढ़ोतरी के बाद बार, होटल और रेस्तरां संचालकों पर सालाना ४१,३२६ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। उपभोक्ताओं को शराब भी महंगी मिलेगी। दिवाली के दौरान सभी प्रकार की शराब की कीमतों में वृद्धि हुई। फिर रेड वाइन और पोर्ट वाइन अधिक महंगी हो गर्इं। हाल ही में बुडवाइजर (मैग्नम) बीयर की कीमत में वृद्धि हुई। बता दें कि शराब पीने वालों को वैंâसर का खतरा रहता है। शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन फिर भी नशे के लिए इसे लोग पीते हैं। बता दें कि अदालत के आदेश के अनुसार, प्रत्येक वर्ष केवल १० प्रतिशत शराब का मूल्य बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, सरकार ने इस वर्ष इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। बार मालिकों का कहना है कि यह आदेश का उल्लंघन है।

शराब का गणित
वर्ष २०२४-२५ में विक्रेताओं के लाइसेंस नवीनीकरण पर ८ लाख २६ हजार ३५२ रुपए का खर्च आएगा। १० प्रतिशत की वृद्धि की जगह सरकार ने १५ प्रतिशत मूल्य वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। यदि यह लागू होता है तो इसकी वसूली ग्राहकों की जेब से होगी। शराब विक्रेताओं के अनुसार, जो व्हिस्की २६० रुपए की है, वह मूल्य बढ़ने के बाद ग्राहकों को २८० से २८५ रुपए में बेची जाएगी।

 

पंकजा का ‘राग-अलगाव’ टूटेगी भाजपा? …मुंडे परिवार ने दिए संकेत, राजनीति में हलचल

-कहा, मुंडे समर्थक अलग होंगे तो बन जाएगी पार्टी
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि अगर गोपीनाथ मुंडे से प्रेम करने वाले सभी लोग एकजुट हो जाएं तो एक अलग राजनीतिक दल खड़ा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गोपीनाथ मुंडे के समर्थकों में इतनी संख्या और ताकत है कि वे एक नया दल बना सकते हैं।
नासिक में वारकरी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पंकजा मुंडे ने यह टिप्पणी की। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बयान उन्होंने अपने दिवंगत पिता की याद में भावनात्मक रूप से दिया या फिर इसके पीछे भाजपा को कोई संकेत देने की मंशा है? क्या वे भाजपा से अलग होकर नया दल बनाने की सोच रही हैं।
पंकजा मुंडे ने कहा कि गोपीनाथ मुंडे के समर्थकों का आधार बहुत मजबूत है। भाजपा के गठन से लेकर इसे महाराष्ट्र में खड़ा करने तक गोपीनाथ मुंडे का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग सिर्फ गोपीनाथ मुंडे की बेटी होने के कारण उनसे नहीं जुड़े हैं, बल्कि वे उनके विचारों और गुणों से प्रभावित हैं।

मैं अंधविश्वासी नहीं हूं
पंकजा मुंडे से जब धनंजय मुंडे के मंत्रिपद से इस्तीफे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि बीड में संतोष देशमुख हत्याकांड की मैं निंदा करती हूं। राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है। धनंजय मुंडे का इस्तीफा लेना या न लेना यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का निर्णय होगा। इस दौरान पंकजा मुंडे ने अंधश्रद्धा पर बोलते हुए कहा कि स्वामी समर्थ की कृपा से मुझे पर्यावरण मंत्रालय मिला, लेकिन मैं अंधविश्वासी नहीं हूं।

राजनीति की नई राह की तलाश
यहां तक कहा जाता है कि पंकजा के राजनीतिक करियर को ही खत्म करने की साजिश हुई है। विधानसभा चुनाव तक उन्हें हरा दिया गया। उन्होंने खुद कई बार अपना दर्द बयां किया है। भाजपा ने खानापूर्ति के लिए उन्हें विधान परिषद में भेजकर उन्हें मंत्री बनाया है, लेकिन पहले से छोटा पोर्टफोलियो दिया है। अब उनके इस बयान को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वे भाजपा से अभी भी नाराज हैं और कोई नई राजनीतिक राह तलाश रही हैं?

अब भी नाराज हैं पंकजा?
पिछले कुछ समय से पंकजा मुंडे महाराष्ट्र की राजनीति से दूर चल रही थीं। देवेंद्र फडणवीस से उनकी प्रतिस्पर्धा की चर्चा भी होती रही है। पिछले ७ वर्षों में पंकजा का कद काफी हद तक गिराने का प्रयास किया गया। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ही सीएम रेस से बाहर करने के लिए पंकजा को पीछे धकेला है।

मंत्रालय बना कबाड़खाना! … वीआईपी गेट के सामने खुला डंपिंग ग्राउंड

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के प्रशासनिक यंत्रणा को संचालित करने वाले मंत्रालय की मौजूदा स्थिति कबाड़खाना बन गया है। मुख्य और विस्तारित भवनों में हर जगह कचरे और बेकार सामानों के ढेर लगे हुए हैं। मंत्रालय के प्रवेश द्वार से मंत्रियों के कक्षों को कॉर्पोरेट रूप देने का प्रयास चल रहा है, लेकिन कचरे के ढेरों के कारण मंत्रालय की स्थिति खराब हो गई है।
राज्य में नई सरकार आने के बाद मंत्रियों को कार्यालय आवंटित किए गए। इसके बाद अब उन कार्यालयों के नवीनीकरण का काम चल रहा है। कुछ मंत्रियों ने वास्तु सलाहकारों के अनुसार कार्यालयों में बदलाव, जबकि कई ने कॉर्पोरेट लुक देने का प्रयास शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ मंत्री कार्यालयों के लिए जगह की कमी होने के कारण हर मंजिल पर आगंतुकों के बैठने की जगह पर कब्जा कर नए कार्यालयों का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इन सभी कारणों से मंत्रालय में कचरे और कबाड़ बढ़ गए हैं। मंत्रालय में विभिन्न कंपनियों और विदेशी दूतावासों के उच्च अधिकारी आते हैं। हाल ही में जापानी प्रतिनिधिमंडल मंत्रालय में आया था। सामने के हिस्से में कचरे के ढेरों के कारण सरकार की छवि खराब होती है।
कम हो लकड़ी का इस्तेमाल
मंत्रालय को अगस्त २०१२ में लगी आग के बाद दमकल की रिपोर्ट में लकड़ी के सामान का कम उपयोग करने की सलाह दी गई थी। वहीं, मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख रहते हुए मंत्रालय से बेकार सामान हटाने, बरामदे को खाली करने और सफाई रखने के आदेश जारी किए थे। लेकिन अब सभी आदेशों को नजरअंदाज करते हुए कई जगहों पर बेकार सामान के ढेर लग गए हैं।

वीवीआईपी गेट के सामने कचरा
मंत्रालय के मुख्य भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्री जिस वीवीआईपी गेट से प्रवेश करते हैं, उसके सामने की खाली जगह को डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है। मंत्रालय में पुराने कार्यालयों से निकाले गए सभी बेकार सामानों को वीवीआईपी गेट के सामने फेंका गया है।

बांद्रा का स्लम होगा सपाट … चलेगा प्रशासन का बुलडोजर! …मालाड के अप्पा पाड़ा में रहिवासियों को स्थानांतरित होने का दिया गया आदेश

नए स्थान पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव का आरोप

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के बांद्रा-पूर्व में बसे सैकड़ों झुग्गीवासियों को जबरन हटाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन उनके पुनर्वास की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन ने उन्हें मालाड के अप्पा पाड़ा इलाके में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है, लेकिन वहां की स्थिति दयनीय बताई जा रही है। निवासियों का आरोप है कि नई इमारतों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
प्रशासन के आदेश के मुताबिक, गौतम समता नगर में बसे १३८ परिवारों में से केवल ८३ को पुनर्वास के लिए पात्र माना गया है, जबकि बाकी लोगों को कोई विकल्प नहीं दिया गया है। जिन्हें योग्य बताया गया है, उन्हें भी ऐसी जगह भेजा जा रहा है, जहां न तो साफ पानी की आपूर्ति है और न ही सुरक्षा की कोई गारंटी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह विस्थापन उनकी रोजी-रोटी और बच्चों की पढ़ाई पर भारी असर डालेगा। कई लोग वर्षों से यहीं काम कर रहे हैं और इतनी दूर जाकर नए सिरे से जीवन शुरू करना उनके लिए मुश्किल होगा। कई दुकानदारों और श्रमिकों का कहना है कि वे अचानक से अपना रोजगार नहीं छोड़ सकते, लेकिन प्रशासन जबरदस्ती फैसला थोपने पर आमादा है।
कुछ परिवारों को अन्य दूरस्थ इलाकों में भेजा जा रहा है, जिससे वे अपने समुदाय से बिछड़ जाएंगे। निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने उनसे बातचीत किए बिना यह फैसला लिया है। अब वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों और मंत्रियों को पत्र लिखकर पुनर्वास की बेहतर योजना की मांग की है और अब अदालत का रुख करने की भी तैयारी कर रहे हैं।

लाडली बहनों के बाद अब … नौनिहालों से भी सौतेला व्यवहार कर रही है सरकार! … सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के हजारों मामले खा रहे हैं धूल

– दो महीने से लाभार्थियों के खाते में नहीं आई एक भी कौ़ड़ी
सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी २.० सरकार ने महिला व बाल विकास आयुक्तालय को करोड़ों रुपए का फंड दिया है, लेकिन करीब दो सालों से महाराष्ट्र के लाखों नौनिहालों को क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना का लाभ नियमित, सरल और सुगम तरीके से नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि योजना के हजारों मामले न केवल धूल फांक रहे हैं, बल्कि कई लाभार्थियों के खाते में पिछले दो महीनों से पैसे नहीं मिल रहे हैं। कुल मिलाकर ईडी २.० ने लाडली बहनों के साथ-साथ अब महाराष्ट्र के लाखों बच्चों के साथ भी सौतेला व्यवहार करना शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न बीमारियों और अन्य कारणों से माता-पिता की मृत्यु हो जाने या देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले शून्य से १८ वर्ष तक के बच्चों के लिए यह योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत शिक्षा और बालसंगोपन के लिए प्रतिमाह २,२५० रुपए दिए जाते हैं, जबकि कोविड-१९ महामारी के दौरान माता-पिता या दोनों को खोने वाले एकल या अनाथ बच्चों को केंद्र सरकार की प्रायोजित योजना के तहत शिक्षा और संगोपन के लिए प्रतिमाह ४,००० रुपए का लाभ मिलता है। मौजूदा समय में राज्य में लगभग एक लाख बच्चे क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के लाभार्थी हैं। नौनिहालों के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने के मामले को इस क्षेत्र में राज्य स्तर पर काम करने वाली मिशन वात्सल्य सरकारी समिति के सदस्य और महाराष्ट्र साऊ एकल महिला समिति के समन्वयक मिलिंद कुमार सालवे ने उजागर किया है।
योजना में हजार रुपए की हुई थी वृद्धि
पिछली सरकार में बजट में योजना के अनुदान को प्रतिमाह १,१०० से बढ़ाकर २,२०० रुपए करने और डीबीटी प्रणाली के माध्यम से प्रतिमाह देने की घोषणा की गई थी। केंद्र की प्रायोजित योजना का पैसा लाभार्थियों को काफी हद तक मिल रहा है। राज्य की योजना के लिए बजट में भरपूर प्रावधान कर मंत्रालय द्वारा पुणे स्थित महिला व बाल विकास आयुक्त के बैंक खाते में करोड़ों रुपए का अनुदान जमा किया गया है। हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष के १० महीने बीत जाने के बाद भी योजना का पैसा लाभार्थियों के बैंक खाते में नहीं पहुंचा है।

गंभीर नहीं दिख रहे अधिकारी
इस मामले के उजागर होने के बाद महिला व बाल विकास आयुक्तालय के तत्कालीन आयुक्त प्रशांत नारनवरे ने राज्य के जिला महिला व बाल विकास अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके बाद भी ये अधिकारी बालसंगोपन योजना के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में पैसा न जमा करने और प्रस्ताव मंजूर करने में देरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

ईडी २.० ने बढ़ाई चिंता … बंद होगी १९ लाख किसान बहनों की किस्त!

चरण-दर-चरण जांच आगे बढ़ा रही है सरकार
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधानसभा चुनाव में लाडली बहनों का फायदा मिलने के बाद अब ईडी २.० उनकी चरण-दर-चरण चिंताओं को बढ़ा रही है। इसी के तहत लाभार्थी बहनों की अब पांच मानदंडों के आधार पर जांच शुरू हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश में करीब १९ लाख किसान बहनों की भी किस्त सरकार बंद कर सकती है। दूसरी तरफ राज्य में सवा चार करोड़ महिला मतदाताओं में से ढाई करोड़ महिलाओं के परिवारों की वार्षिक आय वास्तव में ढाई लाख रुपए से कम है या नहीं इसकी भी जांच की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि लाडली बहन योजना से लगभग पांच लाख लाभार्थी महिलाएं योजना से बाहर कर दी गई हैं। इनमें ६५ वर्ष से अधिक उम्र की, संजय गांधी निराधार और नमो शक्ति योजना की लाभार्थी महिलाओं का समावेश है। सरकार द्वारा एक ही परिवार में दो से अधिक महिला लाभार्थियों की भी जांच की जाएगी।

किसान महिलाओं की रकम में कटौती
केंद्र सरकार की किसान सम्मान योजना और राज्य सरकार की नमो किसान महा सम्मान योजना के तहत किसानों को सालाना १२ हजार रुपए दिए जाते हैं। राज्य में दोनों योजनाओं के ९५ लाख ५० हजार किसान लाभार्थी हैं, जिनमें १९ लाख महिला किसान हैं। इन महिलाओं को दोनों योजनाओं से प्रतिमाह एक हजार रुपए मिलते हैं। सूत्रों के मुताबिक, लाडली बहन योजना में इन महिलाओं को मिलने वाला प्रतिमाह १,५०० रुपए का लाभ कम करके अब उन्हें केवल ५०० रुपए ही दिए जाएंगे। इसकी जानकारी कृषि विभाग से ली गई है।

इन योजनाओं की भी दो महीने से रुकी है किस्त
राज्य सरकार ने संजय गांधी निराधार योजना और श्रवणबल पेंशन योजना के लाभार्थियों के लिए आधार प्रमाणीकरण को बाध्य करने का निर्णय लिया है। नतीजतन, करीब १० लाख लाभार्थियों को जनवरी और फरवरी की किस्त का भुगतान नहीं किया गया है।

राशि वापस कराने के लिए अलग लेखा शीर्षक
मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना के मानदंडों के अनुसार, अयोग्य पाई गई महिलाओं से वापस आने वाली राशि को जमा करने के लिए एक अलग लेखा शीर्षक बनाया गया है। इस खाते में सीधे पैसे जमा किए जा सकेंगे। इसके अलावा जिला महिला व बाल कल्याण कार्यालय और तालुका बाल विकास परियोजना कार्यालय में भी राशि जमा की जा सकेगी।