दो वर्ष में ३७९ पुलिसवालों की मौत
सामना संवाददाता / मुंबई
काम के बोझ और मानसिक तनाव के चलते पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। कई पुलिसवाले बीमारियों की चपेट में आकर मर रहे हैं तो कई खुदकुशी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। पिछले २ वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक, ३७९ पुलिसकर्मियों की ऑन ड्यूटी मौत हुई है। अगर पिछले ६ वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि तनावग्रस्त, पारिवारिक कलह के चलते किसी को दिल का दौरा पड़ रहा है तो किसी ने खुदकुशी कर ली है। मरनेवालों की सख्या ८०० से अधिक है।
पुलिस विभाग में जरूरत के हिसाब से पुलिसकर्मियों की संख्या बहुत कम है, जिसके कारण कार्यरत पुलिसवालों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया है। १२ से १८ घंटों की ड्यूटी करनी पड़ रही है। वीआईपी बंदोबस्त, नाकाबंदी, त्योहारों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिसकर्मियों को अक्सर कई घंटों तक ड्यूटी करनी पड़ती है। नतीजतन, किसी का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तो किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। लगातार लंबी ड्यूटी की वजह से वे परिवार को भी समय नहीं दे पाते हैं और पारिवारिक कलह शुरू हो जाता है। इस तरह के मानसिक दबाव के चलते कई पुलिसकर्मी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं तो कई खुदकुशी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो सालों में ३७९ पुलिसकर्मियों की मौत हुई है। इनमें २१ पुलिसवाले ऐसे हैं, जिन्होंने खुदकुशी कर ली। १२५ पुलिसकर्मी ऑन ड्यूटी हार्ट अटैक से मरे हैं। २० पुलिसवाले हादसे का शिकार हुए और उनकी मौत हो गई। अन्य पुलिसवालों की लंबी बीमारी के चलते मृत्यु हुई है।
लापरवाह सरकार, खतरे में पुलिस महकमा! … खुदकुशी और हार्ट अटैक से मर रहे हैं पुलिसकर्मी!
गुजरात पुलिस का ‘गुड़गोबर’ … इमरान की ‘लाशें दफना देंगे’ को राहत! …सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘पुलिस को कविता का अर्थ समझ नहीं आया’
प्रतापगढ़ी की संसद सदस्यता से खतरा टला
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गुजरात पुलिस को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की एक कविता समझ में नहीं आई तो उसने केस दर्ज कर लिया था। यह मामला हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस का ‘गुड़गोबर’ करने के साथ ही उसे इस कविता का अर्थ समझाते हुए कहा कि उसने इसे समझने में गलती की है। इस कविता की पंक्तियां हैं, ‘उस रब की कसम हंसते-हंसते, इतनी लाशें दफना देंगे’! सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह कविता हिंसा का संदेश नहीं देती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कविता केस का आधार वैâसे हो सकती है? प्रतापगढ़ी ने इस कविता का ऑडियो इंस्टा पर पोस्ट किया था। हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के बाद प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जस्टिस एएस ओक के समक्ष ये मामला पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने हर पक्ष सुनने के बाद पहले प्रतापगढ़ी को अंतरिम राहत देते हुए एफआईआर के आधार पर आगे की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी और इस केस में गुजरात पुलिस को फटकारा। इससे प्रतापगढ़ी की संसद सदस्यता पर से खतरा टल गया है।
रचनात्मकता दृष्टिकोण से देखें
अदालत ने प्रतापगढ़ी की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि कविता का संदेश सिर्फ ये है, ‘अगर कोई हिंसा करता है, तब भी हम हिंसा नहीं करेंगे।’ वहीं राज्य सरकार के वकील से अदालत ने कहा, ‘कृपया दिमाग लगाएं, कविता का सही विश्लेषण करें और इसे रचनात्मकता के दृष्टिकोण से देखें। यह कविता किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है और इसके अर्थ को गलत तरीके से समझा गया है।’
जेट्टी निर्माण के लिए कटेंगे मैंग्रोव्ज … हाई कोर्ट ने दी मंजूरी पर्यावरण को नुकसान संभव
सामना संवाददाता / मुंबई
नई मुंबई के उरण स्थित नौसेना स्टेशन करंजा में छोटे युद्धपोतों और यात्री नौकाओं के लिए जेट्टी निर्माण के नाम पर मैंग्रोव्ज काटने की इजाजत दे दी गई है। मुंबई हाई कोर्ट ने इस परियोजना को जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताते हुए इसकी अनुमति दी, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रशासन की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों में गड़बड़ी है।
सरकार के दांवों के अनुसार, इस परियोजना के लिए सिर्फ २१ मैंग्रोव्ज काटे जाने थे, लेकिन कोर्ट में पेश की गई याचिका में ४५ मैंग्रोव्ज काटने की बात सामने आई। पर्यावरणविदों का कहना है कि प्रशासन लगातार सटीक आंकड़े छुपाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली परियोजना को आगे बढ़ा रहा है।
जनहित के नाम पर पर्यावरण से समझौता
अदालत ने कहा कि परियोजना से हुए नुकसान की भरपाई के लिए याचिकाकर्ता ने ५.१३ लाख रुपए का मुआवजा जमा किया है। सवाल यह उठता है कि क्या कुछ लाख रुपए की भरपाई पर्यावरण के नुकसान की कीमत हो सकती है?
पर्यावरणविदों का तर्क है कि मैंग्रोव्ज तटीय क्षेत्रों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच हैं, जो समुद्री जलस्तर बढ़ने और चक्रवातों से बचाते हैं, लेकिन सरकार बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के नाम पर इन्हें काटने की मंजूरी देती जा रही है।
परियोजना की निगरानी कौन करेगा?
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का वन विभाग इस परियोजना को उचित नियमों के तहत लागू करेगा। हालांकि, पर्यावरण संगठनों का कहना है कि प्रशासन की निगरानी प्रणाली पहले भी कई बार फेल हो चुकी है।
जनवरी २०११ की सीआरजेड अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया था कि तटरेखा से जुड़ी परियोजनाओं को ही विशेष अनुमति दी जा सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हर बार सरकारी प्रोजेक्ट्स को इस नियम के अपवाद के रूप में रखा जाएगा।
मिलावट जारी है! … निर्लज्ज सरकार की स्वीकारोक्ति … बाजार में बिकने वाला काफी पनीर असली नहीं!
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में मिलावट का बाजार गर्म है। बाजार में मिलने वाली हर खाद्य वस्तु में कहीं न कहीं मिलावट का अंश है। यह बात राज्य के जलसंसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने स्वीकार करते हुए बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि हम जो भी खा रहे हैं वह पूरी तरह शुद्ध नहीं है। उदाहरण के लिए जो बाजार में पनीर मिल रहा है, वह असली नहीं है। नासिक में स्वामी समर्थ केंद्र के माध्यम से आयोजित किए गए कृषि महोत्सव के समापन कार्यक्रम में वे बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अगले डेढ़ साल में दुग्ध उत्पादन सबसे बड़ी चुनौती बनने वाला है। अमूल ग्रुप महाराष्ट्र से रोजाना ३५-४० लाख लीटर दूध खरीदता है। कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि गुजरात का दूध बंद किया जाए। हालांकि, उन्होंने बताया कि अमूल का समूह महाराष्ट्र के किसानों से दूध खरीदता है, अन्यथा किसान बेचारे दूध की कीमत नहीं पाते। इस दौरान राधाकृष्ण विखे पाटील ने एक चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि होटलों में मिलने वाला पनीर दूध से नहीं, बल्कि वेजिटेबल ऑइल से बनाया जाता है। उनके इस बयान ने पनीर की शुद्धता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
६० प्रतिशत नहरों में लीकेज
इस दौरान राधाकृष्ण विखे पाटील ने पानी की समस्या पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में ६० प्रतिशत नहरें लीक हो रही हैं, जिसके कारण आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता। उन्होंने कहा कि नासिक नगर निगम को यह देखना चाहिए कि कितना पानी बर्बाद हो रहा है, कितना उपयोग हो रहा है और कितना पानी पुन: उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ६५ टीएमसी पानी पश्चिम की ओर बह जाता है, जिसे रोकने के लिए ५० से ६० हजार करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि जब वे कृषि मंत्री थे, तब पहला कृषि महोत्सव शुरू हुआ था। इस महोत्सव की शुरुआत करने का सौभाग्य उन्हें मिला और वे लगातार १४ वर्षों से इसे जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग और बदलते मौसम का असर खेती पर हो रहा है इसलिए किसानों के लिए १ रुपया में फसल बीमा योजना शुरू की गई है। वह कितनी सफल है, यह कहना मुश्किल है।
सरकार व जेल प्रशासन को हाई कोर्ट की फटकार …आर्थर रोड जेल में कैदियों से अमानवीयता!
क्षमता से छह गुना अधिक कैदी हैं बंद
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने आर्थर रोड जेल में वैâदियों की खतरनाक रूप से बढ़ती संख्या पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि जेल में क्षमता से पांच से छह गुना ज्यादा वैâदी रखे जा रहे हैं, जिससे हालात अमानवीय हो गए है। यह स्थिति जेल प्रशासन और सरकार की लापरवाही को दर्शाती है
२०२१ में नशीली दवा मेफेड्रोन (एमडी) रखने के आरोप में गिरफ्तार समीर लतीफ शेख को अदालत ने जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि जप्त नशीले पदार्थ के वजन को लेकर अस्पष्टता, अनुच्छेद २१ के तहत शीघ्र न्याय पाने के अधिकार और आरोपी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जमानत दी जा रही है। जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक, हर बैरक जिसकी क्षमता ५० वैâदियों की है, वहां २०२ से २५० वैâदी रखे जा रहे हैं। न्यायमूर्ति मिलिंद एन जाधव ने कहा कि यह स्थिति अमानवीय है, लेकिन यह भी भूला नहीं जा सकता कि ड्रग्स की लत भी समाज के लिए एक गंभीर समस्या है।
प्रशासन की नाकामी बेनकाब
कोर्ट ने कहा कि ड्रग्स की लत आधुनिक युग की एक महामारी है, लेकिन जेलों में लंबी वैâद और अमानवीय हालात भी एक गंभीर चिंता का विषय है। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार जेल सुधारों पर कदम उठाएगी या वैâदी नाटकीय जीवन जीने को मजबूर रहेंगे।
नेशनल पार्क के ५ हजार परिवारों का भविष्य अंधकार में! … अवैध कब्जे हटाने के लिए हाई कोर्ट का आदेश
सामना संवाददाता / मुुंबई
मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क एसजीएनपी में ५,००० से ज्यादा परिवारों को वन विभाग ने बेदखली का नोटिस भेज दिया है, लेकिन सरकार अब तक इनके पुनर्वास की कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। मुंबई हाई कोर्ट ने १४ जनवरी २०२५ को आदेश दिया कि एसजीएनपी में अवैध कब्जे हटाए जाएं, लेकिन यह आदेश जारी करने से पहले सरकार से पुनर्वास को लेकर कोई ठोस प्लान नहीं मांगा गया।
१९९७ में हाई कोर्ट ने ही पात्र झुग्गीवासियों का पुनर्वास करने का निर्देश दिया था, जिसके तहत २५,१४४ परिवारों ने ७,००० रुपए की राशि जमा की, लेकिन आज भी १३,७६४ परिवार घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासन ने पुनर्वास प्रक्रिया अधूरी छोड़ दी, लेकिन अब गरीबों को हटाने की तैयारी में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही का खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है, जिनका भविष्य अब अंधकार में है। सवाल यह भी उठता है कि यह जंगल बचाने की मुहिम है या फिर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की साजिश? एसजीएनपी की जमीन पर बड़ी कंपनियों की नजर सालों से हैं और पहले भी जंगलों के आस-पास कमर्शियल प्रोजेक्ट्स को छूट दी गई है।
इतने बड़े दिलवाले हैं तो सोमनाथ को जिंदा कर दीजिए! …सुषमा अंधारे का सुरेश धस पर हमला
-आव्हाड ने भी खरी-खरी सुनाई
सामना संवाददाता / मुंबई
सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के विरोध में परभणी से मुंबई तक निकाला गया मोर्चा नासिक में स्थगित कर दिया गया। राज्य मंत्री मेघना बोर्डीकर और भाजपा विधायक सुरेश धस की मध्यस्थता के बाद इस मोर्चे को रोका गया। इससे अब राजनीति गरमाती जा रही है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उपनेता सुषमा अंधारे और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के विधायक जीतेंद्र आव्हाड सहित कई लोगों ने सुरेश धस और सरकार पर हमला बोला है। सुषमा अंधारे ने कहा कि धस साहब, आप इतने बड़े दिल वाले हैं तो सोमनाथ को फिर से जीवित कर दीजिए…! फिर सही-सही हिसाब होगा। वहीं आव्हाड ने कहा है कि यदि आपके मन में क्षमा की भावना हो तो वाल्मीक कराड को भी माफ कर दो।
विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने सुरेश धस के `जाने दो, उसे माफ कर दो’ वाले भाषण का एक वीडियो पोस्ट करते हुए सुरेश धस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि दूसरे के घर के व्यक्ति की हत्या हो जाए तो तीसरा आकर कहता है कि `जाने दो, उसे माफ कर दो’। यह कहना बहुत आसान होता है। अपने बेटे की जान चली जाने के बाद मां को वैâसा लगता होगा, यह अगर बोलने वाले को समझ में न आए तो इसे क्या कहें। क्या धस पुलिस का ले रहे पक्ष?— सचिन खरात
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सचिन खरात गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन खरात ने भी सुरेश धस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों ने भीम सैनिक सोमनाथ सूर्यवंशी को पीटा, जिन पुलिसकर्मियों ने मानवता को पीटा, जिन पुलिसकर्मियों ने निकिता वाटोरे को पीटा, जिन पुलिसकर्मियों ने हमारे शिक्षित भीमसैनिकों को बुरी तरह पीटा, क्या भाजपा विधायक सुरेश धस उन पुलिसकर्मियों का पक्ष ले रहे हैं? इसलिए भाजपा विधायक सुरेश धस को परभणी मामले में उलझना नहीं चाहिए। न्याय पाने के लिए हम आंबेडकरी जनता और आंबेडकरवादी नेता मजबूत हैं।
जनगणना, राशन, बजट; संसद में गरजीं सोनिया गांधी … १४ करोड़ लोगों का हक मार रही है केंद्र सरकार!
सीनियर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने सोमवार को सरकार से जल्द से जल्द जनगणना पूरी करने की मांग की। इसीके साथ ही जनगणना, राशन ओर बजट पर केंद्र सरकार पर जमकर बरसीं। उन्होंने कहा कि देश में लगभग १४ करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले फायदों से वंचित हो रहे हैं। राज्यसभा में अपने पहले जीरो आवर भाषण में सोनिया गांधी ने कहा कि नेशल फूड सिक्योरिटी एक्ट के लाभार्थियों की पहचान २०११ की जनगणना की बुनियाद पर की जा रही है, जबकि अब जनसंख्या इससे काफी बढ़ चुकी है। सोनिया गांधी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार दस वर्षीय जनगणना चार साल से ज्यादा की देरी से हो रही है।
जनगणना में देरी पर सोनिया गांधी ने भाजपा को घेरा
उन्होंने बताया कि २०१३ में यूपीए सरकार के जरिए शुरू किया गया यह कानून देश के १४० करोड़ लोगों को भोजन और पोषण सुरक्षा देने के लिए लाया गया था। कोरोना महामारी के दौरान इस कानून ने करोड़ों गरीब परिवारों को भुखमरी से बचाने में मदद की। सोनिया गांधी ने आगे कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थियों का कोटा अभी भी २०११ की जनगणना की बुनियाद पर तय किया जा रहा है, जबकि यह जनगणना अब १० साल से भी पुरानी हो चुकी है।
भाजपा को १४० करोड़ की जनता से कोई लेन-देना नहीं!
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि जिस देश में हम मणिपुर की जनता की हिफाजत नहीं कर सके, बेटियों की हिफाजत नहीं कर सके और दो साल तक उनको उनके हालात पर छोड़ दिया, एक ऐसे देश के प्रधानमंत्री और एक ऐसी सरकार जो न तो मणिपुर की चिंता करती है और न ही उत्तर-पूर्वी राज्यों की चिंता करती है। उन्हें बस वोट बैंक की चिंता है। उन्हें संविधान से, लोकतांत्रिक मूल्यों से, देश की अर्थव्यवस्था, युवाओं और १४० करोड़ की जनता की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है।
१४ करोड़ पात्र भारतीयों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उनके उचित लाभों से वंचित किया जा रहा है। यह जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द जनगणना पूरा करने को प्राथमिकता दे और यह सुनिश्चित करे कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ प्राप्त हों। खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, एक मौलिक अधिकार है।’
पनवेल एग्जिट ६ महीने के लिए बंद … प्रशासन के निर्णय से यात्री होंगे हलकान
सामना संवाददाता / नई मुंबई
मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर पनवेल निकास अगले छह महीने के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे पनवेल, मुंबई, जेएनपीटी, तलोजा, कल्याण और शिलफाटा जानेवाले हजारों यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। यह प्रतिबंध महाराष्ट्र स्टेट इंप्रâास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमएसआईडीसी) द्वारा कलंबोली सर्कल पर फ्लाईओवर और अंडरपास के निर्माण के कारण लगाया गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन ने पहले से कोई वैकल्पिक व्यवस्था की थी?
नई मुंबई ट्रैफिक पुलिस की कलंबोली इकाई ने एलान किया है कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे से पनवेल, गोवा और जेएनपीटी की ओर जानेवाले वाहन फाटा (जंक्शन) से ९.६ किमी पहले ही डायवर्ट होंगे। सभी वाहनों को पालास्पे सर्कल के जरिए एनएच-४८ (दिल्ली-चेन्नई हाइवे) से रोडपाली होते हुए एनएच-४८ पर जाना होगा।
पुलिस उपायुक्त (यातायात) तिरुपति काकड़े का कहना है कि कलंबोली सर्कल पर फ्लाईओवर और अंडरपास बनने से ट्रैफिक जाम की समस्या हल होगी, क्योंकि पनवेल, जेएनपीटी और गोवा की ओर जानेवाले वाहनों को सिग्नल पर रुकना नहीं पड़ेगा।
मनोज जरांगे के बहनोई पर फर्जी केस में कार्रवाई! …भाजपा की प्रेसर टैक्टिस शुरू
सामना संवाददाता / मुंबई
बीड और परभणी मामलों को लेकर विपक्ष ने महायुति सरकार को घेरने की कोशिश जारी रखी है। दूसरी ओर मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटील ने अपना रुख और आक्रामक बना लिया है। कुछ दिन पहले उन्होंने अपना अनशन स्थगित कर दिया था, लेकिन अब खबर आ रही है कि वह एक बार फिर अनशन पर बैठने वाले हैं। इसी बीच मनोज जरांगे पाटील के बहनोई पर पुलिस ने एक्शन लिया है। तथाकथित आरोप के चलते उनके बहनोई को तड़ीपार की कार्रवाई की गई है और उन्हें इस संबंध में नोटिस जारी किया गया है। इस पैâसले को लेकर मनोज जरांगे पाटील ने नाराजगी जाहिर की और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सोच रहे हैं कि हमारे परिवार पर एक्शन लेकर वे हमें दबा देंगे तो संभव नहीं है। उनका करेक्ट कार्यक्रम मराठा समाज करके रहेगा।
दरअसल, जालना प्रशासन ने नौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, जिसमें जरांगे पाटील के बहनोई विलास खेडकर का भी नाम शामिल है। इसके अलावा जरांगे पाटील के आंदोलन से जुड़े पांच और लोगों के खिलाफ भी यह कार्रवाई की गई है।