बसपा ने नहीं लड़ा चुनाव, फिर कैसे हार गई सपा?…मिल्कीपुर के नतीजे पर मायावती का अखिलेश से सवाल

सामना संवाददाता / लखनऊ

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने मिल्‍कीपुर उपचुनाव के नतीजों को लेकर समाजवादी पार्टी पर हमला किया है। मिल्‍कीपुर उपचुनाव परिणाम पर पहली प्रतिक्रिया में मायावती ने कहा कि इस सीट पर बसपा का कोई उम्‍मीदवार नहीं होने के बावजूद सपा कैसे हार गई? उन्‍होंने कहा कि इस पर सपा के जवाब का लोगों को इंतजार है, क्‍योंकि पिछली बार हुए उपचुनाव में सपा ने अपनी पार्टी की हार का ठीकरा बसपा के ऊपर डालने का राजनीतिक प्रयास किया था। सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर मायावती ने कहा कि क्‍यों बसपा आमतौर पर उपचुनाव से दूर रहती है और अपने उम्‍मीदवार नहीं उतारती है। उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की मिल्‍कीपुर सीट पर हुए उपचुनाव में सपा की अपनी सीट पर हार भी जनता की नजर इस हकीकत को लेकर है कि बसपा द्वारा चुनावी गड़बड़ी संबंधी आवश्‍यक सुधार होने तक देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने के पैâसले के चलते इस सीट पर पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं था।

सड़क सुधारने में सुस्ती…चालान काटने में फुर्ती…आईटीएमएस के नाम पर जुर्माना वसूली…१२.३ लाख चालान, फिर भी ट्रैफिक बेपरवाह

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र सरकार ने इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के जरिए अटल सेतु और मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर १२.३ लाख ई-चालान जारी किए, जिनमें से ८.५ लाख चालान सिर्फ ओवर स्पीडिंग के लिए थे, जो कुल मामलों का ७० फीसदी है। अब सवाल उठता है कि क्या आईटीएमएस सिर्फ फाइन वसूली का जरिया बन गया है या इससे ट्रैफिक में सुधार हुआ है?
अटल सेतु पर स्पीड लिमिट १०० किमी प्रति घंटा तय है। वाहन चालकों का कहना है कि सिस्टम अचानक चालान जारी कर देता है, जबकि कई जगहों पर सही साइन नहीं लगे हैं। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर आईटीएमएस १७ तरह के ट्रैफिक उल्लंघनों को ट्रैक करता है। यह हाईवे हर दिन ४०,००० वाहनों का ट्रैफिक संभालता है, जो सप्ताहांत पर ६०,००० तक पहुंच जाता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या आईटीएमएस गड्ढों से भरी सड़कों, खराब सिग्नलों और गलत दिशा में चलनेवाले वाहनों पर भी कार्रवाई कर रहा है?
भविष्य की योजना या सिर्फ कमाई का जरिया?
महाराष्ट्र सरकार आईटीएमएस को समृद्धि महामार्ग और अन्य प्रमुख राजमार्गों पर भी लागू करने की योजना बना रही है, लेकिन जब मौजूदा १२.३ लाख चालानों के बाद भी ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा तो नए इलाकों में इससे क्या बदलेगा?

नई मुंबईकरों पर छाएगा कचरे का संकट!…हड़ताल पर जाएंगे साढ़े आठ हजार ठेका कर्मचारी

सामना संवाददाता / मुंबई

समान काम के लिए समान वेतन की नीति को लागू करने में नई मुंबई मनपा की अनिच्छा के कारण विभिन्न विभागों में कार्यरत ८,५०० ठेका कर्मचारी आज सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। श्रमिकों ने चेतावनी दी है कि यदि समान कार्य का अर्थ समान वेतन नहीं है तो अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं है। इस हड़ताल से नई मुंबई के लोगों के लिए कचरा का संकट पैदा हो जाएगा।
नई मुंबई मनपा के ठोस अपशिष्ट, जलापूर्ति, उद्यान और स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ठेका श्रमिकों के लिए समान कार्य समान वेतन नीति लागू करने का निर्णय २००७ में लिया गया था। वर्तमान में संविदा कर्मचारियों को २६,९०७ रुपए मासिक वेतन मिलता है। यदि समान कार्य के लिए समान वेतन की नीति अपनाई गई तो यह वेतन ४,४०७ रुपए कम हो जाएगा और श्रमिकों का वेतन सीधे २२,५०० रुपए पर आ जाएगा। यह अभिप्राय समिति ने दिया है।
समाज समता कामगार संघ के महासचिव मंगेश लाड ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि यह धोखाधड़ी है और घोषणा की कि सफाई कर्मचारी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस अवसर पर महाराष्ट्र म्युनिसिपल वर्कर्स यूनियन के महासचिव मिलिंद रानाडे, गजानन भोईर, महेंद्र पाटील, गणेश पाटील, संतोष पाटील आदि उपस्थित थे।
समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रस्ताव पहले भी सरकार को भेजा गया था। तत्कालीन आयुक्त अभिजीत बांगर ने सरकार को बताया था कि यदि इस प्रस्ताव को लागू किया गया तो इससे सरकारी खजाने पर २२ करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसके बाद तत्कालीन आयुक्त राजेश नार्वेकर ने सरकार से अनुदान की मांग करते हुए बताया था कि इस नीति को लागू करने के बाद २७.३४ करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय आएगा। हालांकि, वर्तमान आयुक्त डॉ. वैâलाश शिंदे की समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यक्ष कर्मचारियों के वेतन में कटौती की गई है और यह रिपोर्ट जानबूझकर तैयार की गई है।

तेजस्वी यादव की भाजपा को चुनौती…दिल्ली चुनाव का बिहार में नहीं होगा कोई असर!..बनेगी राजद की सरकार

सामना संवाददाता / पटना

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद भाजपा नेताओं ने बिहार को अगला पड़ाव बताया है। इस पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी यादव ने रविवार को कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत का बिहार विधानसभा चुनाव में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में जनता मालिक होती है। भाजपा को लगभग २६ वर्षों के बाद सत्ता हासिल हुई है। उम्मीद है कि लोगों को किए गए वादे पूरे किए जाएंगे और जुमलेबाजी नहीं होगी।

ड्रेनेज कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही से गैस आपूर्ति खंडित…बोरीवली के हजारों परिवार परेशान…ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई

बोरीवली-पश्चिम में साईबाबा नगर के पास मनपा कॉन्ट्रैक्टर की भारी लापरवाही के चलते महानगर गैस लिमिटेड (एमजीएल) की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने से बोरीवली-पश्चिम के साईबाबा नगर से लेकर पोईसर के बीच कई क्षेत्रों मेंं गैस आपूर्ति खंडित होने से स्थानीय निवासियों व होटल व्यवसायियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
महानगर गैस लिमिटेड के एक अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार ७ फरवरी को बोरीवली-पश्चिम के साईबाबानगर के पास पंचरत्न हाउसिंग सोसायटी के समक्ष रास्ते व ड्रेनेज लाइन का काम करनेवाले कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही से एम.जी.एल. की गैस पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। दोपहर १२.३० बजे सूचना मिलते ही एम.जी.एल. के अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से गैस आपूर्ति बंद कर दी, जिससे साईबाबा नगर, एसवी रोड स्थित रामनगर, रामबाग लेन सहित पोईसर के अनेक क्षेत्रों में गैस आपूर्ति बंद होने से किचन बंद हो गया। एम.जी.एल. के अधिकारी व कर्मचारियों ने तात्कालिक तौर पर कार्य करके रात ८ बजे पाइपलाइन रिपेयरिंग का काम करके गैस आपूर्ति शुरू की। इस दौरान सात-आठ घंटे तक हजारों परिवारों का चूल्हा नहीं जल पाया। क्षेत्र के दर्जनों होटल व्यवसासियों को भारी क्षति हुई।
महानगर गैस निमिटेड द्वारा मनपा को शिकायत देने के बाद भी दोषी व लापरवाह कॉन्ट्रैक्टर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

एडल्ट एटलस : कहां गई वाइल्ड पोर्न स्टार एंजी?.. बैग के अंदर मिले इंसानी जिस्म के टुकड़े

एम एम एस

१९ मार्च २०२२ इटली। ब्रेसल्स शहर के बाहरी हिस्से का बेहद सुनसान इलाका। वहां से गुजरते हुए एक व्यक्ति की नजर वहां पर पड़े एक लावारिस बैग पर पड़ती है। बैग में बाहर की तरफ एक हाथ लटकता हुआ दिखाई दे रहा था। शायद किसी लड़की का!
पुलिस को जानकारी मिलते ही तुरंत पहुंच जाती है। पुलिस को उसी इलाके के कई अलग-अलग हिस्सों में और भी बैग लावारिस हालात में पड़े मिलते हैं। हर बैग के भीतर है इंसानी जिस्म के टुकड़े। एक अन्य लावारिस बैग में पुलिस को कुचला हुआ इंसानी चेहरा मिलता है। मामला कत्ल का, लेकिन लाश किसकी है और कत्ल का मकसद क्या है? कातिल कौन है? पुलिस के सामने हमेशा की तरह सवाल सिर उठाए खड़े थे।
इसी बीच एक जर्नलिस्ट का कॉल पुलिस को एक क्लू देता है कि शायद बॉडी पोर्न स्टार कैरल माल्टेसी उर्फ शैर्लेट एंजी की है, क्योंकि उसे बॉडी में बने टैटू एंजी की बॉडी पर बने टैटू से मिलते-जुलते हैं।
शैर्लेट एंजी। एक ऐसी एडल्ट फिल्म स्टार जिसने सिर्फ २ साल के भीतर पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया था। जो कोरोना काल में दुनिया की तमाम पोर्न साइट्स पर सबसे ज्यादा सर्च की गई पोर्न स्टार थी। दरअसल, शैर्लेट एंजी असली नाम कैरल मैटसी मॉल में नौकरी करती थी। कोरोना त्रासदी में उसकी दुर्दशा भी दुनिया के और लोगों की तरह ही हुई। उसकी वो नौकरी छिन गई। तब २६ साल की कैरल ने परिवार पालने के लिए अपने कदम, पोर्न फिल्म इंडस्ट्री की ओर बढ़ा दिए। बेइंतहा खूबसूरत कैरल मैटसी को नया नाम मिला शैर्ले एंजी। वजह मजबूरी थी, लेकिन किस्मत उसका इंतजार कर रही थी। पोर्न इंडस्ट्री में एंजी पांव क्या बढ़ाए, वहां तो मानो उसके चाहनेवालों की भीड़ लग गई। देखते ही देखते वह इतनी बड़ी स्टार बन गई, जिसकी उसने कभी कल्पना ही नहीं की थी। एंजी के पोर्न वीडियो पोर्न साइट्स पर अपलोड होने के इंतजार में दुनिया बेसब्री से बैठी रहती। फैंस उसके वाइल्ड पोर्न वीडियो के दीवाने थे। उसके चाहनेवाले उसे कोरोना की देन मानते थे। उनका मानना था अगर कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी नहीं आती तो एंजी जैसी खतरनाक वाइल्ड पोर्न स्टार भी नहीं मिलती। कोरोना से पहले कौड़ी को मोहताज एंजी अब इटली के ब्रेसल्स शहर में ठाठ की जिंदगी व्यतीत कर रही थी। लौटते हैं पुलिसिया तफ्तीश पर। पुलिस इस बात पर विश्वास भी नहीं कर पा रही थी कि एंजी की मौत हो गई है, क्योंकि अगर उसकी मौत हो चुकी थी तो वह अपने फैंस से सोशल मीडिया पर किस तरह से चैटिंग कर रही थी?
हालांकि, सच तो यह था कि उस सेंसेशनल स्टार ने पिछले दो महीने से फोन पर किसी से बातचीत नहीं की थी। यह वे लोग थे जो एंजी से अक्सर बातें किया करते थे। उनमें से एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी भी थी, जिसने एंजी के साथ बात कर एक पूल पार्टी आयोजित की थी। जैसे-जैसे इवेंट का वक्त नजदीक आते जा रहा था इवेंट ऑर्गेनाइजर्स की धड़कन बढ़ती जा रही थी, क्योंकि एंजी से उनकी चैटिंग तो हो रही थी। लेकिन न तो बातचीत हो पा रही थी और न ही पर्सनल मीटिंग। पूल पार्टी में तमाम नामी-गिरामी शख्सियतों को भी इनवाइट किया गया था। यह बात पुलिस के लिए और एक क्लू था, अब पुलिस पहुंची एंजी के परिवार के पास।
उसकी फैमिली ने जो बातें बताई, उससे पुलिस भी चकरा गई। अब उसे मुकम्मल तौर पर लगने लगा था कि एंजी जिंदा नहीं है। पुलिस को कैरल के परिवार ने बताया था कि जनवरी २०२२ के बाद से कैरल ने उनका फोन रिसीव नहीं किया था। ऐसे में अगर कैरल जनवरी महीने से लापता थी तो फिर वो कौन है, जो कैरल के नाम पर ऑनलाइन नजर आ रहा था? वो कौन है, जो कैरल के घर के रोजमर्रा के बिल को भी ऑनलाइन भरता रहा? वो कौन है, जो पूल डॉन्स के ऑर्गेनाइजर से कैरल बनकर चैटिंग करता रहा? क्या सचमुच वाइल्ड पोर्न स्टार किसी की हैवानियत का शिकार बन गई थी या फिर वह जिंदा थी?
पोर्न फिल्म इंडस्ट्री में जितना पैसा है, उतना ही इसमें डिप्रेशन और कई तरह के अपने खतरें हैं। इन फिल्मों में काम करने वाली पोर्न स्टार काफी मोटी रकम बतौर फीस चार्ज करतीं हैं। ऐसे ही यहां हम कुछ पोर्न स्टार्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी दुनिया से नाखुश होकर मौत को गले लगा लिया, तो किसी ने ड्रग्स का सहारा ले लिया।
(जारी)

एयरपोर्ट से बरामद २ गिब्बन भेजे गए इंडोनेशिया…३ की हो गई थी मौत, आरोपी गिरफ्तार

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले हफ्ते वन्यजीव तस्करों से पांच सियामंग गिब्बन बरामद किए गए थे, जिनमें से तीन की मौत हो गई थी, जबकि दो को जीवित बरामद किया था। अब इन दोनों बचाए गए गिब्बनों को उनके मूल देश इंडोनेशिया भेज दिया गया है।
४ और ५ फरवरी की रात कुआलालंपुर से आए एक यात्री के बैग से ये गिब्बन बरामद हुए थे। मौत का संभावित कारण दम घुटना, भोजन और पानी की कमी माना जा रहा है। आरोपी को गिरफ्तार कर वन विभाग के हवाले कर दिया गया, जबकि मृत गिब्बनों को जांच के लिए संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान भेजा गया है।
बचाए गए गिब्बनों का इलाज
ठाणे के मानद वन्यजीव संरक्षक पवन शर्मा ने बताया कि आरएडब्ल्यूडब्ल्यू संस्था ने इन गिब्बनों को तुरंत चिकित्सा की सहायता दी। डॉ. रीना देव की अगुवाई में तीन डॉक्टरों और तीन वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम ने ७२ घंटे तक लगातार इलाज कर उनकी हालत स्थिर की। डायरिया, नाक से स्राव और आंखों के संक्रमण से गिब्बन जूझ रहे थे। प्राथमिक जांच में यह संकेत मिला कि इन्हें जंगल से पकड़ा गया था।

आउट ऑफ पवेलियन : ऐप्स करा रहे गर्भपात

अमिताभ श्रीवास्तव

वैसे तो यह एक आपराधिक मामला बनता है मगर इतनी चालाकी से सब कुछ हो रहा कि कानून का हाथ छोटा पड़ जाता है। क्या आप जानते हैं कि मोबाइल ऐप्स भी गर्भपात करा सकते हैं? उनकी वजह से लड़कियां गर्भपात करा रही हैं? वह भी इसलिए कि इन ऐप्स के लिए मशहूर अभिनेत्रियां विज्ञापन करती हैं और ग्राहक मूर्ख बन रहे हैं। जी हां, लव आइलैंड, टोवी और कोरोनेशन स्ट्रीट के सितारों सहित कई मशहूर हस्तियों द्वारा समर्थित प्रजनन और मासिक धर्म ट्रैकिंग ऐप्स को गर्भपात में भारी वृद्धि के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।
आंकड़े बताते हैं कि १८ से २४ वर्ष की आयु वाली ६९ प्रतिशत जेनरेशन जेड महिलाओं ने इन ऐप्स का उपयोग किया है। एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि प्रजनन संबंधी ऐप्स का उपयोग करने के बाद गर्भपात कराने वालों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में छह गुना वृद्धि हुई है। उधर कोरी अभिनेत्री लूसी फॉलन, पूर्व टोवी स्टार लूसी मेक्लेनबर्ग और लव आइलैंडर्स ओलिविया बोवेन, मोंटाना ब्राउन और ओलिविया एटवुड जैसी स्टार इन ऐप्स के लिए विज्ञापन करती हैं, सभी को इसके लिए भुगतान भी किया गया है। महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र और अण्डोत्सर्ग पर नजर रखने, मासिक धर्म के लिए तैयारी करने और प्रजनन क्षमता का पता लगाने के लिए इस तकनीक का उपयोग करती हैं – क्योंकि वे हार्मोनल गर्भनिरोधकों से दूर रहती हैं। मजा यह है कि इन ऐप्स पर यह लिखा होता है कि ‘पहले किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से बात करें’ या ‘किसी अन्य गर्भनिरोधक के बिना इसका उपयोग न करें’, लेकिन कई लोग इस बात को ठीक से नहीं पढ़ते हैं और इनका बाजार धड़ल्ले से चल रहा है।
ड्रग्स, शराब और जुए ने बना दिया कंगाल
लव आइलैंड स्टार जैक फिंचम कभी मालामाल था आज कंगाल है। कारण है ड्रग्स की लत और जुआ खेलना। खुद उसे खुद पर ‘शर्मिंदगी’ महसूस हो रही है, क्योंकि उसने स्वीकार किया है कि उसने अपनी १ मिलियन पाउंड की संपत्ति ड्रग्स, शराब और जुए पर उड़ा दी।
३३ वर्षीय रियलिटी स्टार ने एक दिन में ऑनलाइन ब्लैकजैक पर ४०,००० पाउंड खर्च कर दिए और बिस्तर पर अकेले बैठकर कोकीन का सेवन किया। वो कहता है कि ‘दुनिया मेरे कदमों में थी और मैंने इसे बर्बाद कर दिया।’ पिछले वर्ष वह उस समय सबसे बुरे दौर से गुजरा जब उसने आत्महत्या तक करने की कोशिश की। पिछले सप्ताह उसे नशीली दवाओं के सेवन के अपराध में पकड़ा गया। जैक कभी डेनी डायर के साथ आई टीवी डेटिंग शो जीतकर स्टारडम में पहुंच गया था, मगर आज वो खुद कह रहा है कि ‘मैं यह नहीं कह सकता कि लव आइलैंड ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी – मैंने खुद ऐसा किया। मैं, जैक फिंचम, एक व्यसनी हूं। सब कुछ दौलत में अंधा हो जाने की वजह से है। यह एक उदाहरण है कि पैसा सुख नहीं देता बल्कि दु:ख के कारागार में डाल देता है, यदि संयमित जीवन न जिया जाए तो।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

विशेष : अमेरिका ने आखिर बेइज्जत करके भारतीयों को वापस क्यों भेजा?

नौशाबा परवीन

भारत ने विरोध नहीं किया
अमृतसर के श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सूरज डूब रहा था। राजातल गांव के स्वर्ण सिंह एयरपोर्ट के बाहर लगे पुलिस बैरिकेड पर अपने २३ वर्षीय बेटे आकाशदीप सिंह की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे १०३ अन्य भारतीयों के साथ ट्रंप प्रशासन ने वापस भेजा था। स्वर्ण सिंह पत्रकारों से बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आखिरकार वह अपना दुखड़ा सुनाने के लिए तैयार हो गए, बोले- ‘मेरा बेटा सात माह पहले वर्क परमिट पर दुबई गया था। उसका छोटा कजिन जो हमारे साथ ही रह रहा था, आईईएलटीएस क्लियर करके कनाडा चला गया। कक्षा १२ के बाद मेरा बेटा भी स्टडी परमिट पर उसके पीछे-पीछे जाना चाहता था, लेकिन आईईएलटीएस क्लियर न कर सका। उसे दुबई भेजने के लिए हमने ४ लाख रुपए खर्च किए। वह वहां ट्रक ड्राइवर का काम करके ५०,००० रुपए प्रति माह कमा रहा था। दुबई में ही उसने एक एजेंट से संपर्क करके अमेरिका जाने की योजना बनाई। यह डील ५५ लाख रुपए में तय हुई और हम यह पैसा भेजने लगे। मैंने अपनी २.५ एकड़ जमीन का अधिकतर हिस्सा बेच दिया, जो हमारी आय का एकमात्र स्रोत थी। मैं तो चाहता था कि वह दुबई में ही रहे, लेकिन बच्चों की जिद के आगे आजकल मां-बाप की चलती कहां है। वह दुबई से १४ दिन पहले सीधा अमेरिका चला गया। आर्थिक नुकसान के बावजूद हमें इसी बात का संतोष है कि वह सुरक्षित घर लौट आया है। अब मैं उसे विदेश भेजने के बारे में कभी नहीं सोचूंगा।’
अमेरिका का सैन्य सी-१७ ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट सैन एंटोनियो, टेक्सास से उड़ने के बाद ५ फरवरी २०२५ की दोपहर को अमृतसर, पंजाब में उतरा। इसमें १०४ भारतीय थे, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे। इनमें २५ महिलाएं थीं और ४-१७ आयु वर्ग के १३ नाबालिग (६ लड़कियां व ७ लड़के) भी। महाराष्ट्र के ३ पुरुषों (३५) को छोड़कर जिन अन्य राज्यों (गुजरात ३३, हरियाणा ३३, पंजाब ३०, उत्तर प्रदेश ३ व चंडीगढ़ २) के व्यक्तियों को वापस भेजा गया है, उनकी औसत आयु २६ साल है। कोलंबिया व मैक्सिको की तरह भारत ने इस बात का विरोध नहीं किया है कि उसके नागरिकों को वापस भेजने के लिए सैन्य हवाई जहाज का प्रयोग क्यों किया गया। लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है, जब आगे आने वाले महीनों में दर्जनों ऐसी फ्लाइट्स अपने देश में लैंड करने वाली हों। अमेरिका ने १.५ मिलियन विदेशियों की सूची तैयार की हुई है, जिन्हें उसे वापस भेजना है, जिनमें १८,००० भारतीय बताए जा रहे हैं। यह ७,२५,००० भारतीयों का बहुत मामूली प्रतिशत है जो डंकी रूट लेने की वजह से अमेरिका में बिना कागजात के यानी अवैध रूप से रह रहा है। इससे भी अधिक भारतीय अवैध रूप से कनाडा, यूरोप व पश्चिम एशिया में रह रहे हैं और कुछ अब रूस-यूक्रेन फ्रंटलाइन पर भी हैं।
वॉशिंगटन का संदेश!
बहरहाल, इन भारतीयों को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरते हुए देखकर यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया कि अधिक शर्मनाक क्या है- सैन्य हवाई जहाज से हाथों व पैरों में बेड़ियां बांधकर यानी पूरी तरह से बेइज्जत व बेआबरू करके अवैध प्रवासियों को वापस भेजना या यह कि इतने सारे हताश भारतीय अपने वतन में अपने सपने साकार न कर सके और डंकी रूट अपनाने के लिए मजबूर हुए? अवैध अप्रवासियों को अमेरिका ने पहले भी वापस भेजा है, लेकिन यह पहला अवसर है जब इस काम के लिए सैन्य हवाई जहाज का इस्तेमाल किया गया और उनके हाथों व पैरों में शातिर मुजरिमों की तरह बेड़ियां डाली गर्इं। क्या ऐसा करके वॉशिंगटन नई दिल्ली को कोई संदेश देना चाह रहा है? सी-१७ के प्रयोग पर अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता का कहना है कि अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए अमेरिकी सेना नये ट्रंप प्रशासन के प्रयासों में तेजी लाने के लिए सहयोग कर रही है। गौरतलब है कि जब अक्टूबर २०२४ में अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा गया था, तो जो बाइडेन प्रशासन ने चार्टर फ्लाइट का इस्तेमाल किया था। अब सैन्य प्लेन से बेआबरू करके अवैध प्रवासियों को वापस भेजकर वॉशिंगटन शायद नई दिल्ली से यह कहना चाहता है कि अपने चार्टर प्लेन के जरिए अपने नागरिकों को सम्मान के साथ वापस बुला लो। अवैध प्रवासियों को वापस भेजने में अमेरिका का खर्च प्रति व्यक्ति ४,५०० डॉलर से भी अधिक आ रहा है। जाहिर है इतना ज्यादा खर्चा करके बिना कागज वाले सभी लोगों को वापस भेजना अमेरिका के लिए कठिन होगा और ट्रंप की यह मुहिम अधर में भी लटक सकती है।
अमेरिका में विभिन्न देशों के लगभग १ करोड़ अवैध प्रवासी होने का अनुमान है। इसलिए देर-सवेर अमेरिका या तो इन्हीं लोगों से अपना खर्चा निकालेगा या इनके मूल देशों पर खर्चा वहन करने का दबाव बनाएगा। जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह पहला अवसर नहीं है, जब अमेरिका ने भारतीयों को डिपोर्ट किया है। पिछली अक्टूबर में १०० लोगों को वापस पंजाब भेजा गया था। बहुत खामोशी के साथ १ अक्टूबर २०२३ व ३० सितंबर २०२४ के बीच कुल १,१०० भारतीयों को वापस भेजा गया था। लेकिन ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को चुनावी मुद्दा बनाया और अपने नए कार्यकाल के पहले दो सप्ताह के दौरान इसे सुर्खियों में रखा है। इससे उन लगभग ५ मिलियन देशज भारतीयों को चोट पहुंचती है, जो अमेरिका में वैध रूप से रह रहे हैं और जिन्होंने अपने लिए अति सफल समूह की छवि बनाई हुई है। दो साल पहले, इनकी औसत हाउसहोल्ड आय (१,४५,००० डॉलर) उच्चतम थी। कॉलेज स्नातकों में भी इनका हिस्सा बहुत अधिक था। अब इनकी तुलना हिस्पैनिक जनसंख्या से कीजिये, जिसकी २०२३ में औसत आय इनसे आधी से भी कम यानी ६५,५४० डॉलर थी। इसलिए जब अमेरिका के सैन्य प्लेन एक ग्वाटेमाला के लिए और दूसरा भारत के लिए टेक-ऑफ करता है तो राष्ट्रीय छवि की कीमत पहली जैसी नहीं रह जाती है।
अब भारत क्या करें?
इसलिए अब भारत सरकार के लिए यह जरूरी है कि अब अपने नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका (व अन्य देश) जाने से रोके। हर साल, औसतन ९०,००० से अधिक भारतीय अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़े जाते हैं। यह संख्या २०२२-२३ में तो बढ़कर ९६,९१७ हो गई थी। कभी-कभी इन प्रयासों का अंत त्रासदी में भी होता है, जैसे जनवरी २०२२ में एक गुजराती परिवार अमेरिका-कनाडा सीमा पर कड़कती सर्दी में जमकर मर गया था। लेकिन अब जो अमेरिका ने चाबुक चलाया है उससे और अधिक लोगों का निराशा में अंत होगा। भारत सरकार को चाहिए कि उन गिरोहों को टारगेट करे जो अवैध प्रवास का नेटवर्क चलाते हैं और साथ ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करने पर फोकस करे, ताकि किसी नागरिक को अपना वतन छोड़कर वैध या अवैध तरीके से पलायन करने की आवश्यकता ही न पड़े। तभी भारतीयों की समझ में आएगा कि विदेश में डंकी रूट का खतरा उठाना और बेइज्जती कराना फायदे का सौदा नहीं है।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

तहकीकात : मर्डर के लिए १०० रुपए की सुपारी

फिरोज खान

अंग्रेजी मीडियम की नौवीं कक्षा में पढ़नेवाला छात्र अजीबोगरीब अवस्था में स्कूल की गैलरी में टहल रहा था। कभी अपनी कक्षा में आता तो कभी बगल की कक्षा में जाता। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ-साफ नजर आ रहा था। उसकी उलझन बता रही थी कि वह किसी अपने साथी को ढूंढ़ रहा है। कुछ समय बाद उसका मित्र बगल वाली कक्षा में आया, जिसे देखकर छात्र तेज कदमों से आगे बढ़ते हुए अपने साथी के पास पहुंचता है और उसके कान में कुछ फुसफुसाता है। दोनों स्कूल की इमारत से बाहर निकल आते हैं। छात्र अपनी जेब से १०० रुपए का नोट निकालता है और अपने साथी को देते हुए कहता है, ‘इसे रख ले, तुझे सौ रुपए की सुपारी दे रहा हूं।’ उसका साथी पूछता है, ‘किस बात की सुपारी।’ छात्र कहता है, ‘तुझे एक लड़की का रेप करना है और उसकी हत्या भी करनी है।’ यह सुनकर छात्र का साथी कुछ देर के लिए घबरा जाता है। उसकी समझ में नहीं आता है कि आखिर किसका रेप करना है और किसकी हत्या करनी है? थोड़ी देर दोनों के बीच खामोशी पसर जाती है। छात्र गुस्से में था और उसकी आंखें लाल थीं। छात्र कहता है तुझे रोशनी (बदला हुआ नाम) का रेप करना है और फिर उसका मर्डर करना है। रोशनी का नाम सुनते ही छात्र का साथी हिचकिचाने लगता है, क्योंकि रोशनी छात्र की क्लास में ही पढ़ती थी और उसे वह अच्छी तरह जानता था। सब कुछ तय होने के बाद दोनों अपनी-अपनी क्लास में चले जाते हैं। १०० रुपए की सुपारी लेनेवाले छात्र के मन में तूफान चल रहा था। वह जानना चाह रहा था कि उसका मित्र रोशनी के साथ ऐसा क्यों करना चाहता है। सुपारी लेनेवाला छात्र घर पहुंचकर दुविधा में पड़ा रहता है। एक बार सोचता है कि सुपारी ली है, तो काम करना होगा। दूसरी ओर सोचता है रोशनी ने ऐसी कौन सी गलती की है, जिसका बदला इतने भयानक तरीके से लिया जा रहा है। रातभर उथल-पुथल में रहे छात्र से रहा नहीं जाता और दूसरे दिन रोशनी से मिलकर वो सुपारीवाली बात उसे बता देता है। रोशनी घबराकर सारी बात अपनी मां से बता देती है। बेटी पर खतरा मंडराता देख रोशनी की मां पुणे के दौंड पुुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाती है। पुलिस सुपारी देनेवाले छात्र को बुलाकर सख्ती से पूछताछ करती है तो छात्र सारी हकीकत बताते हुए कहता है कि उसने अपने पिता का जाली हस्ताक्षर कर स्कूल में वैâलेंडर दिया था। यह बात रोशनी को पता चल गई थी और उसने क्लास टीचर को बता दिया था। इसी बात से गुस्सा होकर उसने रोशनी का रेप और हत्या करने की सुपारी दी थी।