बेड़ियों में हिंदुस्थान! …नहीं सहेंगे यह अपमान … संसद परिसर में विपक्ष का प्रदर्शन

– हथकड़ी लगाकर लाए देशवासियों पर भड़के विपक्षी सांसद

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी समेत अन्य विपक्षी सांसदों ने कल अमेरिका से अवैध अप्रवासियों की वापसी को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया है। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘बेड़ियों में हिंदुस्थान, नहीं सहेंगे यह अपमान’ और ‘भारत सरकार जवाब दो’ के नारे लगाए। प्रदर्शन के चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

प्रियंका गांधी का तंज
मोदी-ट्रंप अच्छे दोस्त हैं
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस मामले में पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘अगर पीएम मोदी, ट्रंप के इतने अच्छे दोस्त हैं तो ऐसा क्यों होने दिया गया?’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा जहाज क्यों नहीं जा सकता था इन भारतीयों को लेने?’

सरकार को पूरी जानकारी थी
इस मामले में लगातार हंगामा बढ़ने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा और राज्यसभा में बयान दिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम इस मामले में अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासित किए गए व्यक्तियों के साथ हवाई सफर के दौरान किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो। मंत्री ने स्पष्ट किया कि निर्वासन या वापस भेजा जाना कोई नई प्रक्रिया नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका से भारतीयों के डिपोर्टेशन के सवाल पर कहा कि १०४ भारतीयों को वापस भेजने के बारे में सरकार के पास पूरी जानकारी थी।

विदेश मंत्री का बयान कमजोर
कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने विदेश मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका की सरकार ने भारतीयों को बेहद अमानवीय तरीके से देश भेजा, उन्हें जंजीरों मे बांधकर बहुत बदसलूकी की। गोगोई ने कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री ने बहुत ही कमजोर बयान दिया है।

 

 

कितने मंत्री पद आए, कितने गए भुजबल खत्म नहीं हुआ! … अजीत पवार के फोन पर भड़के भुजबल

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से अजीत पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल नाराज हैं। मंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मैं एक साधारण कार्यकर्ता हूं। मुझे दरकिनार किया जाए या फेंका जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कितने ही मंत्री पद आए और गए, लेकिन छगन भुजबल खत्म नहीं हुआ है।
बता दें कि भुजबल लगातार उप मुख्यमंत्री अजीत पवार पर तीखा हमला बोला रहे हैं। अजीत पवार गुट के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिशें भी कीr हैं। अब छगन भुजबल ने खुलासा किया कि चार दिन पहले अजीत पवार ने उन्हें फोन किया था। मीडिया से बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या अजीत पवार गुट के नेताओं ने उनसे संपर्क किया? तो भुजबल ने जवाब दिया कि शिर्डी अधिवेशन के लिए प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने मुझे आने का अनुरोध किया था इसलिए मैं वहां गया था। चार दिन पहले अजीत दादा का भी मुझे फोन आया था। उन्होंने कहा कि मैं देर से फोन कर रहा हूं, इसके लिए खेद है। हमें एक बार बैठकर बात करनी चाहिए।
भुजबल ने ली चुटकी
जब उनसे पूछा गया कि अजीत पवार गुट की बैठक के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात क्यों की? तो भुजबल ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुझे मुख्यमंत्री से कुछ काम था, मैं उनसे मिलने गया। कोई कहता है कि मेरी नाराजगी कम हुई तो कोई कहता है कि बढ़ गई। इसे मापने के लिए थर्मामीटर लगाकर देखना पड़ेगा, तभी पता चलेगा कि नाराजगी कम हुई या ज्यादा। जब उनसे पूछा गया कि क्या अजीत पवार आपकी नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि मैं क्या बताऊं।

घाती करेंगे गरीबों पर एक और घात, सरकार बंद कर सकती है `शिवभोजन’ व `आनंद’ राशन!

-दो लाख करोड़ पार कर चुका है राजकोषीय घाटा
– रु. १,३०० करोड़ बचाने की कवायद
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार इस समय वित्तीय संकट से जूझ रही है इसलिए कुछ कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की बात सामने आई है। वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए सरकार अब पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समय शुरू की गई शिवभोजन थाली योजना और पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समय शुरू की गई आनंद शिधा योजना को बंद करने की सोच रही है।
चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों योजनाओं पर १,३०० करोड़ रुपए खर्च किए गए। ऐसी खबर मीडिया में चल रही है। गत मंगलवार को हुई राज्य वैâबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा चली थी। राज्य विधानमंडल का बजट सत्र मार्च माह में आयोजित किया जाएगा। इस बजट सत्र के बाद योजनाओं को बंद करने पर निर्णय लिए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि राज्य का राजकोषीय घाटा दो लाख करोड़ से अधिक हो गया है और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत है। राज्य के पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने पत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिवभोजन थाली योजना को बंद नहीं करने का अनुरोध किया है। यह योजना महाविकास आघाड़ी के दौरान शुरू की गई थी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और छगन भुजबल खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री थे।
लाडली बहन योजना का नतीजा?
महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली बहन योजना पर खर्च के कारण यह आशंका है कि राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा २ लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा। यही वजह है कि राज्य सरकार की ओर से खर्च कम करने के लिए सख्त कदम लागू किए जाने की संभावना है। वित्त मंत्री अजीत पवार ने भी इसका सुझाव दिया है। पिछले साल चुनाव के चलते कुछ रियायतें दी गई थीं, लेकिन उन्होंने कहा था कि अगले पांच साल तक अनुशासन का पालन करना जरूरी है।

शिवभोजन थाली योजना क्या है?
गरीबों और जरूरतमंदों के लिए १० रुपए में एक थाली उपलब्ध कराई गई। शहर में एक शिवभोजन थाली की कीमत ५० रुपए है और ग्रामीण इलाकों में इसकी कीमत ३५ रुपए है। राज्य सरकार की ओर से १० रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है। बुधवार तक राज्यभर में १,८०,६४४ थाली वितरित की गर्इं, योजना की सीमा १,९९,९९५ थाली है। इस योजना पर राज्य सरकार सालाना २६७ करोड़ रुपए खर्च करती है।

कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री ने दिया ‘एसईओ’ का ‘चूरन’! …राज्यभर में २ लाख किए जाएंगे नियुक्त

२०१४ में खुद फडणवीस ने किया था खत्म
रामदिनेश यादव / मुंबई
भाजपा ने पिछले १० सालों में अपने कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं दिया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर भारी नाराजगी है। दो बार तो जैसे-तैसे भाजपा अपने गुणा-गणित के सहारे आ गई, लेकिन अब उसे कार्यकर्ताओं की नाराजगी का भय सताने लगा है। शायद इसीलिए भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार को अब एकबार फिर एसईओ नियुक्त करने की योजना याद आई है। इसके तहत कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें ‘एसईओ’ बनाने का चूरन दिया है।
दरअसल, वर्ष २०१४ में जब भाजपा की सरकार राज्य में आई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ही एसईओ (स्पेशल एक्जीक्यूटिव ऑफिसर) पद को समाप्त करने का काम किया था। भाजपा सरकार ने एसईओ के कई अधिकार हटाकर उसे बिना काम का बना दिया। जिसके बाद इसका महत्व पूरी तरह से खत्म हो गया। अब भाजपा को ही लग रहा है कि कार्यकर्ताओं को क्या दिया जाए, जिससे उनकी नाराजगी को कम किया जा सके। ऐसे में अब इस सरकार का ध्यान एसईओ की ओर गया है और इसे फिर से जिंदा करने की कवायद शुरू की गई है।
विभिन्न समितियों में स्थान
सरकारी योजनाओं के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार इन विशेष कार्यकारी अधिकारियों को दिया जाएगा। उन्हें विभिन्न समितियों में स्थान मिलेगा और सरकार के विभिन्न कार्यों की निगरानी करने का अधिकार होगा। इस अवसर पर यह भी बताया गया कि वे प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बता दें अब तक प्रत्येक १,००० मतदाताओं पर एक विशेष कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जाता था।

पालकमंत्री की समिति
एसईओ को विशेष कार्यकारी अधिकारी भी कहा जाता है। राज्य सरकार लगभग दो लाख एसईओ नियुक्त करेगी। राज्य में एसईओ नियुक्ति के लिए प्रत्येक जिले में राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में पालकमंत्री और जिलाधिकारी की समिति बनाई जाएगी। महाराष्ट्र में अब प्रत्येक ५०० मतदाताओं पर एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।

मिलेंगे १४ विशेष अधिकार
इस निर्णय के तहत राज्य में कुल १ लाख ९४ हजार विशेष कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इस बारे में जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि यह केवल नाममात्र का पद नहीं होगा, बल्कि इन अधिकारियों को १३ से १४ विशेष अधिकार भी दिए जाएंगे। सरकार के नए जीआर (सरकारी प्रस्ताव) के लागू होने के बाद वर्तमान विशेष कार्यकारी अधिकारियों के पद समाप्त कर दिए जाएंगे और नई नियुक्तियां की जाएंगी।

सीएम ने गिफ्ट के `मोह’ को समेटा! …मंत्रालय के पिछले दरवाजे से बाहर भेजी शराब की बोतलें

सामना संवाददाता / मुंबई
आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके ने मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री सहित सभी सहयोगी मंत्रियों को आदिवासी भाइयों द्वारा तैयार किया गया एक `गिफ्ट हैंपर’ भेंट किया। इससे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह जानने की उत्सुकता हुई कि यह गिफ्ट आखिर क्या है? इस बीच मंत्री उईके ने जैसे ही बताया कि इसमें मोह की शराब है, वैसे ही सीएम फडणवीस तुरंत उठे और गिफ्ट के `मोह’ को समेटते हुए शराब की बोतलें पिछले दरवाजे से बाहर करवा दीं। फिलहाल, मंत्री कार्यालयों में इसी बात की चर्चा है कि सीएम की सतर्कता से बड़ा अनर्थ टल गया।
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके आकर्षक पैकेजिंग में एक गिफ्ट मंत्रिमंडल के सहयोगियों के लिए लाए थे। यह गिफ्ट आदिवासी भाइयों द्वारा तैयार किया गया था इसलिए मुख्यमंत्री फडणवीस ने इसे सभी को देने की अनुमति दी। साथ ही बाकायदा अशोक उईके की प्रशंसा भी की। साथ ही आकर्षक पैकेजिंग में आए गिफ्ट का मोह मुख्यमंत्री फडणवीस को हुआ और उन्होंने बड़ी उत्सुकता के साथ यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार इस गिफ्ट में क्या है।
इस बीच उईके ने बताया कि यह आदिवासी भाइयों द्वारा बनाई गई मोह के फूलों की शराब है। यह सुनते ही सीएम फडणवीस गिफ्ट के मोह को रोकते हुए न केवल कड़ा एतराज जताया, बल्कि संबंधित से यह भी सवाल किया, `यह क्या कर रहे हो?’ इतना ही नहीं सीएम ने उन्हें अच्छी तरह से समझाया।
फडणवीस ने बरता संयम
मंत्रिमंडल की बैठक के दिन मंत्रालय में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ आम जनता की भी भीड़ होती है। फडणवीस ने संयम बरतते हुए तुरंत इन बोतलों को बाहर निकालने का आदेश दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए बाहर जमा हुए मीडिया के प्रतिनिधियों की नजर बचाकर पिछले दरवाजे से मोह की शराब की बोतलें चुपचाप मंत्रालय से बाहर निकाली गर्इं, जिससे इसका ज्यादा शोर शराबा नहीं हुआ।

आंगनवाड़ी सेविकाएं मैदान में नहीं करेंगी लाडली बहनों का सर्वे! …मांगों और सुविधाओं को लेकर सरकार से ठना

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई लाडली बहन योजना ईडी २.० के लिए गले की हड्डी बन गई है। योजना बीतते दिनों के साथ ही सरकार के सिरदर्द को बढ़ा रही है। हाल ही में सरकार ने आंगनवाड़ी सेविकाओं को कार वाली लाडली बहनों के घरों में जाकर सर्वे करने का काम सौंपा है। हालांकि, आंगनवाड़ी सेविकाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगे मंजूर नहीं हो जाती हैं, तब तक वे घर-घर सर्वेक्षण का बहिष्कार करेंगी। तीन मार्च को मुंबई में विधानसभा घेरने की चेतावनी आंगनवाड़ी सेविका संगठन की ओर से दी गई है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग ढाई करोड़ महिलाओं को लाडली बहन योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें मानदंडों को पूरा न करने वाली महिलाओं की संख्या अधिक होने की आशंका जताई जा रही है। राज्य सरकार ने लाडली बहन योजना के मानदंडों पर खरी न उतरने वाली और जाली कागजातों के जरिए लाभ लेने वाली लाभार्थियों के आवेदनों की जांच शुरू कर दी है। जिन महिलाओं के परिवार में चार पहिया वाहन होगा, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसकी पड़ताल के लिए आंगनवाड़ी सेविकाएं घर-घर जाएंगी। अब इन्हीं सेविकाओं ने सरकार को चेतावनी दिया है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तब तक वे सर्वे का काम नहीं करेंगी। इससे अब यह सवाल उठने लगा है कि आखिरकार यह सर्वेक्षण वैâसे पूरा होगा।
अपनाया आक्रामक रुख
अमरावती में आंगनवाड़ी सेविकाओं ने आक्रामक रुख अपनाया है। अमरावती के महिला बाल विकास विभाग के मुख्यालय पर जिलेभर की हजारों आंगनवाड़ी सेविकाओं ने मोर्चा निकाला। इस दौरान महिला बाल कल्याण कार्यालय के सामने का रास्ता जाम कर दिया। साथ ही मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना का सर्वेक्षण का बहिष्कार करने की चेतावनी सेविकाओं ने दी। r

ये हैं मांगे
लाडली बहन योजना सर्वे के प्रति फॉर्म ५० रुपए मिले।
आंगनवाड़ी सेविकाओं को राज्य सरकार के कर्मचारी का दर्जा
और ग्रेच्युटी के साथ ही सभी भत्ते समय पर मिलें।
लाडली बहन योजना में किए गए काम का मेहनताना दिया जाए।
आंगनवाड़ी खोलने का समय पूरे जिले में एक समान हो।

सत्ता के लिए लाडली बहनों का इस्तेमाल- रोहित पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने आरोप लगाया है कि यह सरकार लाडली बहन योजना के लाभार्थियों की संख्या धीरे-धीरे कम करने का पुरजोर प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने सत्ता हासिल करने के लिए लाडली बहनों के वोटों का इस्तेमाल किया है। रोहित पवार ने ट्वीट किया कि यह सरकार लाडली बहन योजना के लाभार्थियों की संख्या धीरे-धीरे कम करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है। इसका मतलब है कि इस सरकार ने लाडली बहनों के वोटों का इस्तेमाल सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए किया है। इस प्रवृत्ति को हम क्या कहें? इस तरह का सवाल भी रोहित पवार ने उठाया है।

जब नहीं देना था तो क्यों की किसान कर्जमाफी की घोषणा! … महायुति सरकार पर कांग्रेस का तल्ख सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार जब किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकती तो घोषणा क्यों की? इस तरह का तीखा सवाल कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने पूछते हुए राज्य के किसानों को कर्ज माफी देने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों को ध्यान में रखते हुए विज्ञापनों पर बड़े पैमाने पर खर्च किया जा रहा है। सरकार लाडली बहन समेत अन्य योजनाओं के विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च करके जनता को फिर से गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इसी के साथ ही सोयाबीन को लेकर आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
कांग्रेसी नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि इस सरकार ने अनिल अंबानी का ४९ हजार करोड़ का कर्ज ५०० करोड़ रुपए में सेटल किया है। अब तक उद्योग क्षेत्र में २९ लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ हो चुका है। ऐसे में क्या किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार के हाथ में लकवा मार गया है? क्या किसानों का कर्ज माफ करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं?

सोयाबीन के लिए निकालेंगे मोर्चा
वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य में सोयाबीन खरीद की अवधि बढ़ाने की मांग की जा रही है। अगर सोयाबीन खरीद की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है। इस संदर्भ में सोयाबीन उत्पादक किसानों के मुद्दे पर यवतमाल और वाशिम जिले में मोर्चा निकालने का पैâसला किया गया है। जिन किसानों की सोयाबीन खरीद नहीं हुई है, उनके लिए सरकार से सवाल पूछा जाएगा।

संघप्रमुख का अजब आदेश हिंदुओं, अंग्रेजी न बोलें! …केवल पारंपरिक पहनावे ही पहनें

सामना संवाददाता / मुंबई
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक अजब आदेश देकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं, अंग्रेजी भाषा मत बोलिए। सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिंदुओं को पारंपरिक पहनावे ही पहनकर जाना चाहिए। पश्चिमी पोशाक तो कतई न पहनें। इसके साथ ही अपने स्थानीय खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें।
केरल के पठानमथिट्टा में हिंदू एकता परिषद में मार्गदर्शन करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म के प्रत्येक परिवार सप्ताह में कम से कम एक बार एक साथ इकट्ठा होकर प्रार्थना करें और उनकी मौजूदा जीवनशैली परपंरानुगत है अथवा नहीं, इस पर विचार-विमर्श करें। उन्होंने यह भी कहा कि क्या हमारी बोली-भाषा और परिधान हिंदू परंपरा के अनुसार हैं, इसका भी विचार करना चाहिए। हिंदू समाज को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए एकत्र आकर एक समुदाय के तौर पर खुद को मजबूत करना चाहिए। हिंदू धर्म में कोई भी श्रेष्ठ और कनिष्ठ नहीं है। जाति महत्वपूर्ण नहीं है। छुआछूत के लिए कोई स्थान नहीं है। सभी हिंदू इकट्ठा होंगे, तभी विश्व का कल्याण होगा। शक्ति का इस्तेमाल दूसरों को क्षति पहुंचाने के लिए न करें। इस तरह का आह्वान भी भागवत ने इस मौके पर किया।
सभी धर्मों का आदर करता है हिंदू धर्म
भागवत ने कहा कि दुनिया में होनेवाले संघर्षों के लिए धर्म ही जिम्मेदार है, क्योंकि कई लोगों को ऐसा लगता है कि उनका धर्म और श्रद्धा सर्वोच्च है। लेकिन हिंदू धर्म अलग है और वह सभी धर्मों का आदर करता है। इसके साथ ही एकात्मता को प्रमुखता देता है। धर्म का पालन नियमानुसार किया जाना चाहिए और नियमों की सीमा में कोई भी प्रथा नहीं बैठती है, तो उसे खत्म कर देना चाहिए। जातिवाद और छुआछूत धर्म नहीं है। यह खुद नारायण गुरु कहते थे।

सरकार के गलत फैसले से धाराशायी हो रहे हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट! …नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश विकासकों को पड़ रहा है भारी

सामना संवाददाता / पुणे
पुणे के साथ-साथ पिंपरी-चिंचवड़ शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। औद्योगीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी शहर के रूप में पुणे की पहचान निवेशकों को आकर्षित करने में मदद कर रही है। इससे शहर में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। इस अवसर की तलाश में विदेशों से बड़ी संख्या में प्रवासी पुणे आ रहे हैं। वैकल्पिक रूप से पुणे का और विस्तार हो रहा है। शहर में बढ़ती आबादी के कारण घरों की मांग बढ़ती जा रही है। इसके चलते पिछले कुछ सालों में हाउसिंग सेक्टर में तेजी देखने को मिली है। अब एक गंभीर मामला सामने आया है कि यह सेक्टर सरकारी लालफीताशाही की मार झेल रहा है।
यह इस बात का उदाहरण है कि जब किसी आदेश की सरकारी स्तर पर अलग-अलग व्याख्या की जाती है तो क्या होता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल खंडपीठ ने आदेश दिया था कि राज्यस्तरीय समितियां बड़ी आवासीय परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी नहीं देंगी। यह आदेश सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों के लिए था। हालांकि, यह आदेश राज्य में लागू किया गया था। यह आदेश पिंपरी-चिंचवड़ और उसके आस-पास के क्षेत्रों में लागू हो गया, इसलिए पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे में आवास परियोजनाओं को मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास जाना पड़ता था।

नए आवास की आपूर्ति में कमी
२०२३ में पुणे में ८३ हजार ६२५ नए घरों की आपूर्ति की गई। पिछले वर्ष इसमें २८ प्रतिशत की कमी आई, ६० हजार ५४० नए मकानों की आपूर्ति हुई। पुणे में २०२३ में ८६ हजार ६८० घर बिके। पिछले साल ६ फीसदी की गिरावट के साथ ८१ हजार ९० घर बिके थे। २०२३ में पुणे में घर की औसत कीमत ६,७५० रुपए प्रति वर्गफुट थी। एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल यह १४ फीसदी बढ़कर ७,७२० रुपए पर पहुंच गया। यह एक आंकड़ा है, जो पूरे हाउसिंग सेक्टर पर असर दिखाता है।

१०० से ज्यादा प्रोजेक्ट प्रभावित
पुणे पर गौर करें तो १०० से ज्यादा प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब २० से ३० हजार करोड़ रुपए है। इसमें २० हजार से लेकर डेढ़ लाख वर्गमीटर तक के बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट शामिल थे। डेवलपर्स पर सीधा असर पड़ा, क्योंकि ये परियोजनाएं ६ महीने से अधिक समय तक रुकी रहीं।

गए थे आबाद होने सब बर्बाद हो गया … पैरों को चैन से बांधा, वॉशरूम भी जाने नहीं दिया …`जहन्नुम जैसे थे वो ४० घंटे’!

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए अप्रवासी ने बताई दर्दभरी कहानी
अमेरिका ने भारत के १०४ अवैध अप्रवासियों को भारत भेज दिया है। इन १०४ लोगों की कहानियां भारत से अमेरिका पहुंचने तक की जितनी दर्दनाक है, उतनी ही दर्दनाक कहानी इनकी यहां वापस लाए जाने की है। जो वहां गए थे अपना जीवन आबाद करने वे पूरी तरह से बर्बाद होकर आ गए हैं। अमेरिका से रवाना हुआ सी-१७ विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा, लेकिन इस विमान में सवार १०४ अवैध अप्रवासी भारतीयों ने अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल ४० घंटे बिताए। सी-१७ विमान में सवार हरविंदर सिंह ने अपनी जिंदगी के वो ४० घंटों की कहानी बताई। पूरे ४० घंटे तक उनके हाथों में हथकड़ी बंधी थी। पैरों को चेन से बांधा गया था और यहां तक उन पर सख्ती की गई कि वो लोग इन ४० घंटों में वॉशरूम जाने तक के लिए विनती करते रहे, इन लोगों को १-२ नहीं बल्कि पूरे ४० घंटे तक अपनी सीट से एक इंच हिलने तक की इजाजत नहीं थी। हरविंदर सिंह की उम्र ४० साल है और वो पंजाब के टाहली गांव के रहने वाले हैं। विमान में हरविंदर सिंह ने अमेरिका से भारत आने के सफर को लेकर कहा, वो सफर जहन्नुम में जाने से भी बदतर था। उन्होंने बताया कि इन पूरे ४० घंटे उनके हाथों से हथकड़ी नहीं खोली गई और वो ढंग से खाना तक नहीं खा सके। उन्होंने कहा कि हमसे हथकड़ी पहने हुए ही खाना खाने के लिए कहा गया। हमने लगातार उन से हथकड़ी खोलने के लिए कहा, हम बार-बार खाना खाने के लिए हथकड़ी खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि न सिर्फ यह सफर जिस्मानी रूप से उन के लिए दर्दभरा था।