जब नहीं देना था तो क्यों की किसान कर्जमाफी की घोषणा! … महायुति सरकार पर कांग्रेस का तल्ख सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार जब किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकती तो घोषणा क्यों की? इस तरह का तीखा सवाल कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने पूछते हुए राज्य के किसानों को कर्ज माफी देने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों को ध्यान में रखते हुए विज्ञापनों पर बड़े पैमाने पर खर्च किया जा रहा है। सरकार लाडली बहन समेत अन्य योजनाओं के विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च करके जनता को फिर से गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इसी के साथ ही सोयाबीन को लेकर आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
कांग्रेसी नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि इस सरकार ने अनिल अंबानी का ४९ हजार करोड़ का कर्ज ५०० करोड़ रुपए में सेटल किया है। अब तक उद्योग क्षेत्र में २९ लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ हो चुका है। ऐसे में क्या किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार के हाथ में लकवा मार गया है? क्या किसानों का कर्ज माफ करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं?

सोयाबीन के लिए निकालेंगे मोर्चा
वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य में सोयाबीन खरीद की अवधि बढ़ाने की मांग की जा रही है। अगर सोयाबीन खरीद की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है। इस संदर्भ में सोयाबीन उत्पादक किसानों के मुद्दे पर यवतमाल और वाशिम जिले में मोर्चा निकालने का पैâसला किया गया है। जिन किसानों की सोयाबीन खरीद नहीं हुई है, उनके लिए सरकार से सवाल पूछा जाएगा।

संघप्रमुख का अजब आदेश हिंदुओं, अंग्रेजी न बोलें! …केवल पारंपरिक पहनावे ही पहनें

सामना संवाददाता / मुंबई
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक अजब आदेश देकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं, अंग्रेजी भाषा मत बोलिए। सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिंदुओं को पारंपरिक पहनावे ही पहनकर जाना चाहिए। पश्चिमी पोशाक तो कतई न पहनें। इसके साथ ही अपने स्थानीय खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें।
केरल के पठानमथिट्टा में हिंदू एकता परिषद में मार्गदर्शन करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म के प्रत्येक परिवार सप्ताह में कम से कम एक बार एक साथ इकट्ठा होकर प्रार्थना करें और उनकी मौजूदा जीवनशैली परपंरानुगत है अथवा नहीं, इस पर विचार-विमर्श करें। उन्होंने यह भी कहा कि क्या हमारी बोली-भाषा और परिधान हिंदू परंपरा के अनुसार हैं, इसका भी विचार करना चाहिए। हिंदू समाज को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए एकत्र आकर एक समुदाय के तौर पर खुद को मजबूत करना चाहिए। हिंदू धर्म में कोई भी श्रेष्ठ और कनिष्ठ नहीं है। जाति महत्वपूर्ण नहीं है। छुआछूत के लिए कोई स्थान नहीं है। सभी हिंदू इकट्ठा होंगे, तभी विश्व का कल्याण होगा। शक्ति का इस्तेमाल दूसरों को क्षति पहुंचाने के लिए न करें। इस तरह का आह्वान भी भागवत ने इस मौके पर किया।
सभी धर्मों का आदर करता है हिंदू धर्म
भागवत ने कहा कि दुनिया में होनेवाले संघर्षों के लिए धर्म ही जिम्मेदार है, क्योंकि कई लोगों को ऐसा लगता है कि उनका धर्म और श्रद्धा सर्वोच्च है। लेकिन हिंदू धर्म अलग है और वह सभी धर्मों का आदर करता है। इसके साथ ही एकात्मता को प्रमुखता देता है। धर्म का पालन नियमानुसार किया जाना चाहिए और नियमों की सीमा में कोई भी प्रथा नहीं बैठती है, तो उसे खत्म कर देना चाहिए। जातिवाद और छुआछूत धर्म नहीं है। यह खुद नारायण गुरु कहते थे।

सरकार के गलत फैसले से धाराशायी हो रहे हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट! …नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश विकासकों को पड़ रहा है भारी

सामना संवाददाता / पुणे
पुणे के साथ-साथ पिंपरी-चिंचवड़ शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। औद्योगीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी शहर के रूप में पुणे की पहचान निवेशकों को आकर्षित करने में मदद कर रही है। इससे शहर में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। इस अवसर की तलाश में विदेशों से बड़ी संख्या में प्रवासी पुणे आ रहे हैं। वैकल्पिक रूप से पुणे का और विस्तार हो रहा है। शहर में बढ़ती आबादी के कारण घरों की मांग बढ़ती जा रही है। इसके चलते पिछले कुछ सालों में हाउसिंग सेक्टर में तेजी देखने को मिली है। अब एक गंभीर मामला सामने आया है कि यह सेक्टर सरकारी लालफीताशाही की मार झेल रहा है।
यह इस बात का उदाहरण है कि जब किसी आदेश की सरकारी स्तर पर अलग-अलग व्याख्या की जाती है तो क्या होता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल खंडपीठ ने आदेश दिया था कि राज्यस्तरीय समितियां बड़ी आवासीय परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी नहीं देंगी। यह आदेश सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों के लिए था। हालांकि, यह आदेश राज्य में लागू किया गया था। यह आदेश पिंपरी-चिंचवड़ और उसके आस-पास के क्षेत्रों में लागू हो गया, इसलिए पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे में आवास परियोजनाओं को मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास जाना पड़ता था।

नए आवास की आपूर्ति में कमी
२०२३ में पुणे में ८३ हजार ६२५ नए घरों की आपूर्ति की गई। पिछले वर्ष इसमें २८ प्रतिशत की कमी आई, ६० हजार ५४० नए मकानों की आपूर्ति हुई। पुणे में २०२३ में ८६ हजार ६८० घर बिके। पिछले साल ६ फीसदी की गिरावट के साथ ८१ हजार ९० घर बिके थे। २०२३ में पुणे में घर की औसत कीमत ६,७५० रुपए प्रति वर्गफुट थी। एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल यह १४ फीसदी बढ़कर ७,७२० रुपए पर पहुंच गया। यह एक आंकड़ा है, जो पूरे हाउसिंग सेक्टर पर असर दिखाता है।

१०० से ज्यादा प्रोजेक्ट प्रभावित
पुणे पर गौर करें तो १०० से ज्यादा प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब २० से ३० हजार करोड़ रुपए है। इसमें २० हजार से लेकर डेढ़ लाख वर्गमीटर तक के बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट शामिल थे। डेवलपर्स पर सीधा असर पड़ा, क्योंकि ये परियोजनाएं ६ महीने से अधिक समय तक रुकी रहीं।

गए थे आबाद होने सब बर्बाद हो गया … पैरों को चैन से बांधा, वॉशरूम भी जाने नहीं दिया …`जहन्नुम जैसे थे वो ४० घंटे’!

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए अप्रवासी ने बताई दर्दभरी कहानी
अमेरिका ने भारत के १०४ अवैध अप्रवासियों को भारत भेज दिया है। इन १०४ लोगों की कहानियां भारत से अमेरिका पहुंचने तक की जितनी दर्दनाक है, उतनी ही दर्दनाक कहानी इनकी यहां वापस लाए जाने की है। जो वहां गए थे अपना जीवन आबाद करने वे पूरी तरह से बर्बाद होकर आ गए हैं। अमेरिका से रवाना हुआ सी-१७ विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा, लेकिन इस विमान में सवार १०४ अवैध अप्रवासी भारतीयों ने अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल ४० घंटे बिताए। सी-१७ विमान में सवार हरविंदर सिंह ने अपनी जिंदगी के वो ४० घंटों की कहानी बताई। पूरे ४० घंटे तक उनके हाथों में हथकड़ी बंधी थी। पैरों को चेन से बांधा गया था और यहां तक उन पर सख्ती की गई कि वो लोग इन ४० घंटों में वॉशरूम जाने तक के लिए विनती करते रहे, इन लोगों को १-२ नहीं बल्कि पूरे ४० घंटे तक अपनी सीट से एक इंच हिलने तक की इजाजत नहीं थी। हरविंदर सिंह की उम्र ४० साल है और वो पंजाब के टाहली गांव के रहने वाले हैं। विमान में हरविंदर सिंह ने अमेरिका से भारत आने के सफर को लेकर कहा, वो सफर जहन्नुम में जाने से भी बदतर था। उन्होंने बताया कि इन पूरे ४० घंटे उनके हाथों से हथकड़ी नहीं खोली गई और वो ढंग से खाना तक नहीं खा सके। उन्होंने कहा कि हमसे हथकड़ी पहने हुए ही खाना खाने के लिए कहा गया। हमने लगातार उन से हथकड़ी खोलने के लिए कहा, हम बार-बार खाना खाने के लिए हथकड़ी खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि न सिर्फ यह सफर जिस्मानी रूप से उन के लिए दर्दभरा था।

२०२७ की समय सीमा पर सवाल : धीमी गति के कारण सड़कों का कंक्रीटिंग कार्य अधूरा!

मनपा की लापरवाही से समय पर काम पूरा होने पर उठे सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा ने २०२४-२०२५ के बीच १०९ किलोमीटर सड़कों को ही कंक्रीट किया है, जबकि निविदा शर्तों के अनुसार, २०२७ तक ५९४ किलोमीटर सड़कों का कंक्रीटिंग करना था। यह गति बेहद धीमी है और नागरिकों का मानना है कि मनपा द्वारा निर्धारित समय पर काम पूरा करना अब मुश्किल ही लग रहा है।
मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने २०२५ किलोमीटर सड़कों में से १,३३३ किलोमीटर सड़कों को कंक्रीट करने का दावा किया है, लेकिन फरवरी २०२४ तक १,२२४ किलोमीटर सड़कों को क्रंक्रीट किया गया, जिससे यह स्पष्ट है कि पिछले एक साल में १०९ किलोमीटर सड़कें ही कंक्रीट की गईं। नागरिक कार्यकर्ता निखिल देसाई के अनुसार, मनपा ने कई सड़क परियोजाओं की शुरुआत कुछ ठेकेदार के साथ की। पहले चरण में शहर में कंक्रीट का काम अटका हुआ था। अब यह मुद्दा सुलझा लिया गया है, लेकिन कुछ ठेकेदारों के नियुक्त करने से काम धीमी चल रहा है। उनके अनुसार यह २०२७ की समयसीमा में पूरी करना संभव नहीं है। गति बढ़ाने के लिए वॉर्डस्तर पर ठेकेदार नियुक्त करना चाहिए। वहीं एक अन्य कार्यकर्ता के अनुसार, कई सड़कों में दरारें आ गई हैं और मनपा ने ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया है, लेकिन काम में कोई सुधार नहीं हुआ और नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
मनपा ने पहले ही दावा किया था कि २४३ किलोमीटर सड़कों का कंक्रीटिंग २०२४ में मानसून से पहले पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया। इसके अलावा, मनपा ने २०२५ तक पहले और दूसरे चरण में ७५ फीसदी और ५० फीसदी काम पूरा करने का वादा किया था, लेकिन काम की धीमी गति के कारण यह वादा भी मुश्किल हो रहा है।

भाजपा आलाकमान की शिंदे पर सटकी! … अति महत्वाकांक्षा से उकता गई है भाजपा

सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जब विदेश दौरे पर थे, तब एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने पालक मंत्री पद को लेकर विवाद बढ़ा दिया था। उसके कारण महायुति के प्रति आम जनता में गलत संदेश गया। इस बात को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एकनाथ शिंदे से नाराज है। ऐसी जानकारी भाजपा के एक मंत्री ने दी है।
भाजपा मंत्री का कहना है कि जब मुख्यमंत्री दावोस में थे, ऐसे में महायुति के घटक दलों से मेल-मिलाप और सहयोग की भूमिका निभाने की अपेक्षा की गई थी, पर ऐसा नहीं हुआ। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बात से नाराज है। शिंदे एक महत्वाकांक्षी नेता हैं और अगर चीजें उनके मुताबिक नहीं होती हैं तो वे करो या मरो का रवैया अपनाते है, इसकी कल्पना थी। यह बात भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कही। शिंदे का कड़ा रुख अपनाना और, उनके मंत्रियों का ऐसा करना स्वाभाविक है। शिंदे गुट के मंत्रियों के विभागों में फडणवीस के बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर शिकायत की है।
मुख्यमंत्री पद न मिलने से शिंदे नाराज?
दिसंबर २०२४ में महायुति ने विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की। १३२ सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। महायुति ने मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस के नाम की पुष्टि की। इससे साफ हो गया कि शिंदे को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा। इसके बाद से शिंदे नाराज चल रहे हैं।
शिंदे का विधायकों पर नहीं है नियंत्रण
मुख्यमंत्री फडणवीस दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के कार्यक्रम के लिए स्विट्जरलैंड गए थे। जब फडणवीस वहां थे तो पालक मंत्री पद को लेकर विवाद गरमा गया। फडणवीस के वहां से लौटने के बाद भी शिंदे अब भी नाखुश है, ऐसा सूत्रों ने बताया। पालक मंत्री पद को लेकर अब तक कोई चर्चा नहीं होने से शिंदे की नाराजगी बढ़ गई है। दूसरी ओर शिंदे की अपने विधायकों को नियंत्रण में रखने में असमर्थता ने भाजपा को परेशान कर दिया है। रायगड के पालक मंत्री पद के लिए भरत गोगावले के समर्थकों ने जिस प्रकार हंगामा किया और नासिक के पालक मंत्री पद के लिए दादा भुसे लगातार कोशिश कर रहे हैं। इससे स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि शिंदे का अपने विधायकों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

वाह रे ईडी सरकार : एक ही परिवार की चार कंपनियों को दे दिया ठेका!

रु. ४१ करोड़ के कपास स्टोरेज बैग घोटाले का कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार में भ्रष्टाचार की शृंखला खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। किसानों के नाम पर भ्रष्टाचार करके जेब भरने का एक और तरीका शिंदे-फडणवीस-अजीत पवार सरकार के कार्यकाल में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन के माध्यम से कपास स्टोरेज बैग खरीद के लिए अलग-अलग शीर्षकों के तहत टेंडर निकालकर ७७ करोड़ रुपए की खरीदी की है। इसमें ४१.५९ करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। इसके लिए महायुति सरकार जिम्मेदार है। इस तरह का आरोप कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने लगाया है। उन्होंने कहा कि अवैध तरीके से निकाले गए टेंडर में एक ही परिवार की चार कंपनियों को काम दिए जाने का कारनामा किया गया है। उन्होंने मांग की है कि भ्रष्टाचार की गहन जांच करके दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि पिछली भाजपा-शिंदे गुट सरकार ने भ्रष्टाचार के कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक और वस्त्र उद्योग के उप सचिव श्रीकृष्ण पवार ने अपने पसंदीदा आपूर्तिकर्ता को जानकारी देकर उनके साथ मिलकर पूरी प्रक्रिया को अंजाम देकर गलत काम किया है। यह खरीद प्रक्रिया लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान चुनाव आयोग की अनुमति के बिना की गई। इस काम के लिए चार कंपनियों का चयन किया गया, जिनमें से तीन कंपनियां ओसवाल परिवार की हैं, जबकि चौथी कंपनी ओसवाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट की है। पटोले ने कहा कि टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन ने कपास स्टोरेज बैग खरीद के लिए प्रति बैग १,२५० रुपए की दर मंजूर की थी। आईसीएआर नागपुर को यही बैग ५७७ रुपए की दर से आपूर्ति की गई है यानी प्रति बैग ६७३ रुपए अधिक दर पर खरीदे गए। इस तरह कुल ४१ करोड़ ५९ लाख ३५ हजार ५३६ रुपए का घोटाला किया गया है।

कछुए की चाल, वादे बेमिसाल : ५५ दिनों में ७ अधूरे पुलों को पूरा करने का मनपा का खयाली दावा!

सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा ने बजट पेश करने के दौरान मुंबई में बन रहे पुलों को मानसून से पहले बनकर तैयार किए जाने की घोषणा की है, लेकिन यह मनपा के लिए आसान बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि जिस गति से इन पूलों का निर्माण कार्य चल रहा है, वह किसी कछुए की चाल से अधिक नहीं है।
बता दें कि बजट में मनपा आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि मार्च २०२५ तक मुंबई के ७ पुलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन क्या ये पुल सचमुच मार्च २०२५ तक बनकर तैयार हो जाएंगे, वह इसकी गारंटी देने में असफल नजर आ रही है। मनपा ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को ‘वाइटल अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट’ का दर्जा दिया जाए ताकि अतिरिक्त फंडिंग एवं प्रोजेक्ट को त्वरित मंजूरी प्रदान किया जा सके।
पुल नहीं होगा तैयार तो मुंबईकर रहेंगे परेशान
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर पुल निर्माण कार्य तय सीमा पर पूरा नहीं हुआ तो इसका खामियाजा मुंबईकरों को भुगतना पड़ सकता है। मॉनसून के समय ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा सकती है, जिससे यातायात प्रभावित हो सकता है। वहीं गगरानी ने कहा है कि ऐसे किसी भी निर्माण कार्य को शुरू नहीं किया जाएगा, जिसे मॉनसून से पहले पूरा नहीं किया जा सके।
मुंबईकरों को इन पुलों के बनने का है इंतजार
१. बोरीवली-पश्चिम में चारकोप इलाके में पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस पुल का काम कर इसे आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा।
२. कांदिवली-पश्चिम में (विद्यमान एवं शंकर लेन व ईरानी वाड़ीr पुल)।
३. गोरेगांव में मृणालताई गोरे फ्लाईओवर के अंतर्गत वालभट्ट नाले पर बन रहे फ्लाईओवर का तीसरे चरण का काम।
४. बांद्रा-पूर्व में धारावी सायन (मीठी नदी पुल)।
५. मुलुंड में जय हिंद कॉलोनी (नानेपाड़ा पुल)
६. नाहूर रेलवे पुल
७. कर्णाक पुल

डोनाल्डवा ने डुबा दिया : रु. ४५ लाख गंवाने के बाद भी मिली हथकड़ी! …अमेरिका से वापस भेजे गए डंकियों की यही है कहानी

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अमेरिका से लौटे अवैध अप्रवासियों में पंजाब के रहने वाले आकाशदीप सिंह भी हैंै। उनके पिता स्वर्ण सिंह बताते हैं, ‘आकाशदीप को विदेश भेजने में ४५ लाख से ज्यादा रुपए खर्च हो गए हैं। इसके लिए मैंने अपनी ढाई एकड़ जमीन बेच दी और काफी कर्ज लिया। इसके साथ ही मैंने आकाशदीप की दादी की जमीन भी बेच दी थी। इससे हम पर काफी कर्ज हो गया।
उन्होंने बताया कि उनके पास जितनी जानकारी है, उसके अनुसार वो भारत तो आ गया है, लेकिन अभी गांव नहीं आया है। इसी तरह स्थानीय एजेंट की मदद से लगभग २०-२५ लाख रुपए खर्च कर गुरप्रीत सितंबर २०२२ में लंदन गया था। जहां वह पैâक्ट्री और कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ काम कर रहा था। वहां वह एक एजेंट के संपर्क में आया। एजेंट ने गुरप्रीत सिंह को अमेरिका में अच्छा काम दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूली। अमेरिका द्वारा निर्वासित भारतीयों में से एक पंजाब की २६ वर्षीय सुखजीत कौर अपने मंगेतर से शादी करने अमेरिका गई थीं। सुखजीत के रिश्तेदार ने बताया कि सुखजीत को एक एजेंट ने अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने में मदद की थी। बकौल रिपोर्ट, निर्वासितों ने अमेरिका पहुंचने के लिए ३०-५० लाख तक खर्च किए थे।

वीडियो जारी कर ट्रंप ने चिढ़ाया
सोशल मीडिया पर भड़के यूजर
ट्रंप ने अप्रवासियों को वापस भेजने के बाद चिढ़ाया भी है। यूएसबीपी (यूनाइटेड स्टेट्स बॉर्डर पेट्रोल) के प्रमुख माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें भारतीय नागरिकों को हथकड़ी और पैरों में बेड़ियों के साथ विमान में चढ़ते हुए दिखाया गया है। बैंक्स ने पोस्ट में लिखा, ‘अवैध एलियंस को सफलतापूर्वक भारत वापस भेजा’ इस वीडियो को ऑनलाइन पोस्ट करने पर लोग काफी नाराज हो गए। एक यूजर ने लिखा कि भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार का विरोध करता हूं। हथकड़ी और बेड़ियां लगाने का विरोध है।

 

इतिहास को सहेजने में रेलवे फेल! …केवल पट्टिकाओं को संभालना हैरिटेज का संरक्षण नहीं …एलफिंस्टन ब्रिज को लेकर रेलवे का अजीबोगरीब निर्णय

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में एलफिंस्टन ब्रिज को लेकर रेलवे ने एक अजीबो-गरीब कदम उठाया है। रेलवे का दावा है कि वह पुल पर लगी १९१३ और १९११ की हेरिटेज पट्टिकाओं को सहेज कर रखेगी, लेकिन असल में यह पुल ध्वस्त करने का निर्णय पहले से ही लिया जा चुका है। रेलवे को शायद यह समझने की जरूरत है कि इतिहास को सहेजने का मतलब सिर्फ पट्टिकाओं को उठाना नहीं, बल्कि उस पुल और उसकी पहचान को बनाए रखना है, जिसने शहर के विकास में एक अहम भूमिका निभाई है।
गौरतलब है कि पुल की लोहे की रैलिंग पर एक पट्टिका है, जिस पर लिखा है कि जीआईपीआर, परेल ब्रिज, १९१३, ठेकेदार बोमनजी रुस्तमजी और दूसरी धातु की पट्टिका पर पीएनडब्ल्यू मैकलेलन पैनिनसुला रेलवे है, जो अब सेंट्रल रेलवे के नाम से जाना जाता है। यह वही रेलवे है, जिसने बॉम्बे (अब मुंबई) और ठाणे के बीच पहली ट्रेन चलाई थी।
लेकिन अब रेलवे इन ऐतिहासिक पट्टिकाओं को तो सहेजेगा, लेकिन पुल को ध्वस्त कर देगा। इसके अलावा एलफिंस्टन ब्रिज को ध्वस्त करके अब उसे डबल डेकर पुल में बदलने का खेल शुरू हो चुका है।
यह नया पुल शिवड़ी-न्हावाशेवा अटल सेतु से जुड़ा होगा, जो पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी बनाए रखेगा। साथ ही एमएमआरडीए ने एक ४.५ किलोमीटर लंबी एलिवेटेड सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे वाहन वर्ली से दक्षिण-मुंबई और बांद्रा तक सीधे पहुंच सकेंगे।