मुख्यपृष्ठसमाचारपंचनामा : लोगों की समझ आ गई है भाजपा की ‘पदक पॉलिटिक्स'!

पंचनामा : लोगों की समझ आ गई है भाजपा की ‘पदक पॉलिटिक्स’!

-स्वामीनाथन को भारत रत्न, नीतियां कब होेंगी लागू

संतोष तिवारी

सत्ता में वापस आने के लिए भाजपा द्वारा शुरू किया गया ‘पदक पॉलिटिक्स’ अब लोगों की समझ में आ गया है। चुनावी साल में ‘रत्नों’ की बरसात कर भाजपा जिस तरह से अपने पक्ष में माहौल बना रही है उसे लेकर लोग पदकों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं। दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों की सबसे बड़ी मांगों में से एक एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी बनाने की है। किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं। ऑल इंडिया किसान सभा का कहना है कि सरकार ने स्वामीनाथन को भारत रत्न तो दे दिया, लेकिन उनकी सिफारिशें नहीं मानीं। किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। यह उदाहरण है कि भाजपा पदकों की आड़ में किस तरह से अपना उल्लू सीधा कर रही है। इसके अलावा पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर जैसे लोगों को भी भारत रत्न दिया जाएगा। लेकिन इन सभी को भारत रत्न देना कहीं न कहीं संदेह के घेरे में भी है।
कई नामों की घोषणा नहीं
भारत रत्न अब तक कोई भी भारतीय भाषा के किसी भी वरिष्ठ साहित्यकारों को नहीं दिया गया है। वर्ष १९५५ में डॉ. भगवान दास को ‘भारत रत्न’ दिया गया था, किंतु उनकी ख्याति लेखक के रूप में कम शिक्षा शास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी और कई संस्थाओं के संस्थापक के रूप में अधिक है। हिंदी देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली सबसे प्रमुख भारतीय भाषा है। क्या हिंदी के कोई रचनाकार ‘भारत रत्न’ पाने की योग्यता नहीं रखते? क्या हमारे निराला, प्रेमचंद या रवींद्रनाथ ठाकुर को यह सम्मान नहीं मिलना चाहिए? इसके विपरीत वे शख्सियतें जो पैसा कमाने की रेस में टीवी पर तेल, साबुन और सीमेंट बेचने में लगी हैं, वे किस एंगल से ‘रत्न’ नजर आते हैं।
‘दाग’ धोना चाहते हैं मोदी
‘भारत रत्न’ के लिए जिस तरह से भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम की घोषणा की गई वह भी चौकानेंवाला था। यह तो सभी जानते हैं कि उन्हें ये सम्मान किन परिस्थितियों में दिया गया। सम्मान की आड़ में प्रधानमंत्री अपने पर लगे बड़े आरोपों को धोना चाहते हैं। प्रधानमंत्री पर आडवाणी को सक्रिय राजनीति से बेदखल करने का आरोप तो बहुत पहले से लग रहा था, पर अयोध्या के कार्यक्रम में भी उन्हें न बुलाकर वे कइयों के निशाने पर आ गए थे। ‘स्वार्थनीति’ के चतुर खिलाड़ी प्रधानमंत्री मोदी शायद भविष्य के उन संकेतों को भांप चुके थे, जिससे उनको भारी नुकसान होने की संभावनाएं थीं। उन्हें राजनीतिक शर्मिंदगी न उठाना पड़े इसलिए उन्होंने मौका देखकर चौका मार दिया।
चुनाव साध रही भाजपा
चुनावी मौसम में भाजपा ने जिस तरह से एक के बाद एक ‘भारत रत्न’ की बरसात की, जानकार बताते हैं कि वो अपना चुनावी हित साध रही है। यूपी के चौधरी चरण सिंह के नाम की घोषणा कर उन्होंने उनके बेटे जयंत चौधरी को अपने पाले मे मिला लिया, जिससे जाटों का वोट बटोर सकें। बिहार के कर्पूरी ठाकुर के नाम की घोषणा कर उन्होंने एक साथ दो निशाना लगाया। पहला उन्होंने पिछड़े वर्ग को साधा तो दूसरा नीतिश को भी अपने साथ मिला लिया। पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को भारत रत्न देकर उन्होंने न केवल कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया, बल्कि दक्षिण में भी जनाधार को बढ़ाने का काम किया। कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर उन्होंने किसानों को भी साधने की कोशिश की। यही नहीं राजनीतिक हाशिये पर धकेले जा चुके लालकृष्ण आडवाणी को भी ‘रत्न’ बनाकर कई लोगों की नाराजगी को दूर किया।
भाजपा की चुनावी राजनीति
मेरा सवाल है कि भाजपा को इन सभी को भारत रत्न देने में १० साल क्यों लग गए? अगर भाजपा स्वामीनाथन को भारत रत्न दे रही है तो किसानों के हित में उनकी नीति को क्यों नहीं लागू कर रही है? यह केवल दक्षिण भारत में वोटो को बटोरने की एक नीति है और कुछ नहीं। चौधरी चरण सिंह की मांग को क्यों नहीं पूरी कर रही है भाजपा? मांग पूरी करने की बात तो छोड़िए किसानों पर गोली चलवा रही है मोदी सरकार। आप आडवाणी जी को भारत रत्न अब दे रहे हो? अगर ऐसा था तो उन्हें अयोध्या क्यों नहीं बुलाया। आप यह जताना चाहते हो कि हमारे दिल में उनके लिया कितना आदर है? यह वही भाजपा है जिसने कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिराई थी, उस समय तब जनसंघ था।
अरविंद सावंत, सांसद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)

देश नहीं पार्टी के लिए कर रही है भाजपा  
भारत रत्न का मजाक बना दिया है भाजपा ने। जिसे मन किया, उसे ही दे दे रही है। इससे भारत रत्न की गरिमा और उसकी इज्जत खत्म हो रही है। जिन्होंने हिंदूस्थान की स्वतंत्रता में योगदान दिया है उन्हें यह रत्न नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा सिर्फ अपने पार्टी और चुनाव के लिए कर रही है। वैस्ो भी देखा जाए तो चुनाव आयोग इनके हाथों में है, ईडी इनके हाथोें में है। एक प्रकार से यह दिखावा ही हो रहा है।
मेराज सलाउद्दीन शेख, सहसचिव, युवासेना

सम्मान की अहमियत हो रही कम 
भारत रत्न सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। अगर राजनीतिक समीकरण जोड़ने और दल-बदल कराने के लिए ही भारत रत्न दिया जाना चाहिए तो फिर इस सम्मान की क्या अहमियत रह जाएगी? ऐसा लगता है कि हम एक देश के रूप में सर्वश्रेष्ठ सम्मान देने की प्रक्रिया भी सर्वश्रेष्ठ नहीं बना सके हैं। जो भी है इस बार भाजपा का बेड़ा पार कराने में भारत रत्न काफी काम आ रहा है।
एमए माजिद सिद्दीकी, ठाणे

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