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पंचनामा : चुनावी बजट में छलावा नहीं होना चाहिए – जनता का मत

संतोष तिवारी
देश में आम चुनाव इसी साल यानी २०२४ में होने हैं और उससे पहले एक फरवरी २०२४ को देश का बजट पेश किया जाएगा। इस लिहाज से यह बजट महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार का यह आखिरी बजट भी होगा। ३१ जनवरी से शुरू हो रहे बजट सेशन के दूसरे दिन यानी १ फरवरी को चुनावों से पहले अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। इस बजट को वैसे तो अंतरिम बजट के रूप में केवल कुछ महीनों के लिए लाया जा रहा है, लेकिन आम जनता, कॉरपोरेट, सेक्टर के जानकार, इंडस्ट्री, गरीब, किसान, गृहिणी, स्टूडेंट्स, मध्यम वर्ग सभी की इस बजट से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। आम लोगों के लिए यह बजट तरक्की, खुशहाली या समृद्धिवाला होगा या फिर हर बार की तरह इस बार भी केवल जनता को झुनझुना पकड़ा दिया जाएगा।
वोट ऑन अकाउंट
इस बात का बजट आम चुनाव से ठीक पहले का बजट है। इसलिए यह पूर्ण बजट नहीं होगा, बल्कि कुछ ही महीनों के लिए वोट ऑन अकाउंट होगा। यानी जो सरकार चुन कर आएगी, वही नया बजट संसद में पेश करेगी। जानकारों का कहना है कि इस बार के वोट ऑन अकाउंट में भी काफी महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं।
वेतन भोगियों को टैक्स में मिलेगी छूट?
अगर वेतन भोगियों की बात करें तो पिछले बजट में यानी २०१८ में वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए ४०,००० रुपए का कटौती निर्धारित किया गया था। वहीं २०२४ में उन्हें उम्मीद है कि कर की नई व्यवस्थाओं के तहत २.५ लाख रुपए की मौजूदा मूल छूट सीमा बढ़कर ५ लाख रुपए हो जाएगी। नई कर व्यवस्था में, किसी भी कटौती का दावा किए बिना भी ५ लाख रुपए की कर बचत मिलती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि नई व्यवस्था में उच्चतम कर दर (३० फीसदी) पुरानी व्यवस्था में उच्चतम कर दर (३० फीसदी) से कम है। इसके अलावा नई आयकर प्रणाली के तहत, ३ लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। ३ से ६ लाख रुपए की आय पर ५ प्रतिशत कर है। ६-९ लाख रुपए की आय पर १० प्रतिशत कर है। ९-१२ लाख रुपए की आय पर १५ प्रतिशत कर है। १२-१५ लाख रुपए की आय पर २० प्रतिशत कर है। १५ लाख रुपए और उससे अधिक की आय पर ३० प्रतिशत कर है।

किसानों की आय में होगी वृद्धि?
देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों की आय क्या बढ़ेगी? हर बजट में उनके लिए कई घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिलकुल अलग होती है। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या, यूपी-बिहार से पलायन, उचित एमएसपी जैसे अन्य कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकार को अभी काम करना बाकी है। वैसे भी एमएसपी को लेकर सरकार और किसानों के बीच जो जंग छिड़ी है क्या सरकार किसानों को संतुष्ट कर पाएगी?
बजट को लेकर आम लोगों ने क्या कहा?
उद्योगपतियों को ही फायदा
केंद्र सरकार का आम बजट आम जनता के हित का होना चाहिए। व्यापारियों के लिए राहत देने वाला बजट आए तो मध्यम वर्गीय व्यवसायियों को राहत मिले। अब तक तो बड़े उद्योगपतियों को ही बजट से फायदा हुआ है।
रूपेश भोईर, संचालक- पृथ्वीराज इंटरप्राइजेस

टैक्स स्लैब को लेकर भी हैं काफी उम्मीदें
चुनावी सीजन होने के नाते उम्मीद है कि सरकार गरीबों, किसानों व नौकरी पेशा के साथ-साथ गृहणियों की बेहतरी के अनुरूप बजट पेश करेंगी। हालांकि, ज्यादा फोकस ग्रामीण विकास, कृषि, सामाजिक क्षेत्र के विकास पर किया जाना चाहिए। मगर हर बार की तरह सरकार केवल झुनझुना न पकड़ा दे। वहीं इनकम टैक्स के स्लैब को लेकर भी लोगों में काफी उम्मीदें हैं।
संदीप सिंह, कल्याण

स्वास्थ और शिक्षा पर ध्यान
सालाना पांच लाख तक की आमदनी वाले व्यक्ति को इनकम टैक्स से बाहर रखना मध्यमवर्गीय परिवार को राहत मिला है, मगर इसके अलावा मध्यम वर्ग समाज को आज तक बजट में कुछ खास जगह नहीं मिली है। इसमें स्वास्थ और शिक्षा पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जिसमें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को निजी स्तर की सुविधाएं दी जानी चाहिए।
सोनू हटकर, कल्याण

सैलरी वर्ग को मिले छूट 
बताया जा रहा है कि टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए बजट में इनकम टैक्स स्लैब में चेंज किया जा सकता है। हालांकि, इसमें कोई बड़े बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन किसी सैलरी वर्ग वालों को कुछ छूट संभव है। बताया जाता है कि वित्त मंत्री ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं करेंगी। जो कुछ होगा, न्यू टैक्स रिजीम में ही होगा।
मोहित यादव, मुंबई

व्यापारियों को भी मिले पेंशन
केंद्रीय बजट २०२४- २०२५ में सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों को भी पेंशन दे। आज व्यापारी टैक्स के रूप में मोटी रकम सरकार को देते हैं। सरकारी अधिकारियों की तरह व्यापारियों के लिए भी पेंशन योजना लागू होना अत्यंत आवश्यक है। कारण, व्यापार में उतार-चढ़ाव आने या फिर पैसे डूब जाने पर व्यापारी की आजीविका वैâसे चलेगी?
भगतसिंग रामखियानी, उल्हासनगर

रेलवे किराया में मिले रियायत
इन दिनों काफी मंहगाई का दौर शुरू है। वरिष्ठ नागरिक को पौष्टिक भोजन, दवा की काफी जरूरत होती है। इन बातों को भाजपा सरकार नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस द्वारा रेलवे यात्रा में काफी समय से वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट दी जा रही थी। कोविड काल से भाजपा ने रेलवे रियायत को बंद कर दी। अब सरकार को चाहिए कि वरिष्ठ लोगो की रेल रियायत को फिर से शुरू करे। इतना ही नहीं, वरिष्ठ लोगों की यात्रा को नि:शुल्क किया जाना चाहिए। श्रीरामलोचन दुबे, कल्याण

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