मुख्यपृष्ठधर्म विशेषभगवान विष्णु के परम अवतार परशुराम

भगवान विष्णु के परम अवतार परशुराम

– शीतल अवस्थी

धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के बाइसवें अवतार हैं। लोग भगवान विष्णु के सभी अवतारों के बारे में नहीं जानते हैं, इसलिए हम उनके अवतारों के बारे में क्रमबध्द जानकारी दे रहे हैं। विभिन्न धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के कुल चौबीस अवतार माने गए हैं। विष्णुजी के सत्रहवें अवतार हैं श्रीहरि।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में त्रिकूट नामक पर्वत की तराई में एक शक्तिशाली गजेंद्र अपनी हथिनियों के साथ रहता था। एक बार वह अपनी हथिनियों के साथ तालाब में स्नान करने गया। वहां एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और पानी के अंदर खीचने लगा। गजेंद्र और मगरमच्छ का संघर्ष एक हजार साल तक चलता रहा। अंत में गजेंद्र शिथिल पड़ गया और उसने भगवान श्रीहरि का ध्यान किया। गजेंद्र की स्तुति सुनकर भगवान श्रीहरि प्रकट हुए और उन्होंने अपने चक्र से मगरमच्छ का वधकर दिया। भगवान श्रीहरि ने गजेंद्र का उद्धार कर उसे अपना पार्षद बना लिया।
परशुराम अवतार विष्णुजी के अठारहवें अवतार माने गए हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक हैं। भगवान परशुराम के जन्म के संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं। हरिवंशपुराण के अनुसार, प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रबाहु) का शासन था। वह बहुत अभिमानी था और अत्याचारी भी। एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया। तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां से चाहें, भोजन प्राप्त कर सकते हैं, सभी ओर मेरा ही राज है। तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरू किया। एक वन में ऋषि आपव तपस्या कर रहे थे। अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में अवतार लेंगे और न सिर्फ सहस्त्रबाहु का, बल्कि समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे। इस प्रकार भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्रि के पांचवें पुत्र के रूप में जन्म लिया।
महर्षि वेदव्यास विष्णुजी के उन्नीसवें अवतार हैं। पुराणों में महर्षि वेदव्यास को भी भगवान विष्णु का ही अंश माना गया है। भगवान व्यास नारायण के कलावतार हैं। वे महाज्ञानी महर्षि पराशर के पुत्र रूप में प्रकट हुए थे। उनका जन्म कैवर्तराज की पोष्यपुत्री सत्यवती के गर्भ से यमुना के द्वीप पर हुआ था। उनके शरीर का रंग काला था। इसलिए उनका एक नाम कृष्णद्वैपायन भी था। इन्होंने ही मनुष्यों की आयु और शक्ति को देखते हुए वेदों के विभाग किए। इसलिए इन्हें वेदव्यास भी कहा जाता है। उन्होंने महाभारत ग्रंथ की रचना भी की।
हंस अवतार भगवान विष्णु के बीसवें अवतार कहे गए हैं। एक बार भगवान ब्रह्मा अपनी सभा में बैठे थे, तभी वहां उनके मानस पुत्र सनकादि पहुंचे और भगवान ब्रह्मा से मनुष्यों के मोक्ष के संबंध में चर्चा करने लगे। तभी वहां भगवान विष्णु महाहंस के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने सनकादि मुनियों के संदेह का निवारण किया। इसके बाद सभी ने भगवान हंस की पूजा की। इसके बाद महाहंसरूपधारी श्रीभगवान अदृश्य होकर अपने पवित्र धाम चले गए।

अन्य समाचार