सामना संवाददाता / मुंबई
जावेद अख्तर ने कहा कि तिहाड़ में लिखे गए इतिहास की अजीब कहानी है। दुनिया में कई किताबें जेल में लिखी गई हैं। ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ से लेकर ‘माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ भी जेल में ही लिखी गईं। कविताएं भी जेल में लिखी गईं। फैज अहमद फैज एक बड़े शायर थे। उन्होंने जेल में कविताएं लिखीं। लेकिन आजकल जेल में पेन ले जाने नहीं देते, क्योंकि कलम एक बड़ा हथियार है। इसका घाव सदियों तक नहीं भरता है।
लोकतंत्र में हर पार्टी की जरूरत होती है, चुनाव की जरूरत होती है। इसके साथ ही एक ईमानदार मीडिया की भी जरूरत होती है। लोकतंत्र में ऐसे नागरिक भी होने चाहिए, जो किसी भी पार्टी से न जुड़े हों। उन्हें जो अच्छा लगे, वो बोलें। जो बुरा लगे, वो भी बोलें। मैं उन्हीं में से एक हूं। इसके कारण मुझे सोशल मीडिया पर काफी गालियां पड़ती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि तू काफिर है, नरक में जाएगा।
पाकिस्तान जाने से बेहतर मैं नरक जाना पसंद करूंगा!
जावेद अख्तर की खरी-खरी
जावेद अख्तर ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं, तू जिहादी है, पाकिस्तान चला जा। अगर नरक या पाकिस्तान में से चुनना पड़े तो मैं नरक जाना ही पसंद करूंगा। इस तरह का बेबाक बयान प्रसिद्ध पटकथा लेखक, कवि और शायर जावेद अख्तर ने दिया।
जावेद अख्तर आगे बोले कि मैं मुंबई आया। मैंने जो कुछ भी पाया, वह मुंबई और महाराष्ट्र ने दिया। सात जन्मों में भी मैं मुंबई का कर्ज नहीं चुका पाऊंगा।
पिछले ३० सालों में मुझे चार बार पुलिस सुरक्षा मिली। इनमें से तीन बार मुझे मुस्लिमों से धमकियां मिलीं। इन सब पर मेरी क्या भूमिका है, यह बताते हुए मैंने एक लेख लिखा। लेख अंग्रेजी में लिखा था। लेकिन सोचा, इसे छपवाऊं कहां? फिर मैंने इसका मराठी में अनुवाद किया। मैंने संजय राऊत को फोन किया, उनसे मिला और कहा कि मैंने एक लेख लिखा है। क्या आप इसे ‘सामना’ में छाप सकते हैं? मैंने उन्हें लेख दिया और उन्होंने पांच मिनट में पढ़ लिया। वे बोले कि किसने अनुवाद किया है? अच्छा अनुवाद किया है। उन्होंने मेरी तारीफ नहीं की तो मुझे शंका हुई कि यह लेख छपेगा या नहीं। मैंने कहा कि मैंने दिल से लिखा है। आप इसे छापिए।
संजय राऊत ने कहा कि ‘आपने दिल से लिखा है तो ‘सामना’ में ही छपेगा। कई जगहों पर वही लेख छपा, लेकिन किसी ने पैराग्राफ काटे, किसी ने शब्द बदल दिए। केवल ‘सामना’ में वह लेख ज्यों का त्यों छपा। इसलिए मैं राऊत का भक्त बन गया। अंधभक्त नहीं, आंखें खुली रखनेवाला भक्त बन गया।
किताब पढ़ने से चलता है दिमाग
किताब के महत्व को रेखांकित करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि मानव शरीर में एक दिमाग होता है। इसे मस्तिष्क कहते हैं। यह एक अनोखा कंप्यूटर है। यह आपके जन्म से पहले ही काम करना शुरू कर देता है। जब आप जन्म लेते हैं, तब भी चलता रहता है। जब आप सो जाते हैं, तब भी यह चलता रहता है। जब आप सपना देखते हैं, तब भी यह काम करता है। यहां तक कि जब आपको मेडिकल रूप से मृत घोषित कर दिया जाता है और फिर से जीवित होते हैं, तब भी यह चलता है, लेकिन जिंदगी में जब आपको किताब पढ़ने का मौका मिलता है, तभी यह सही मायने में चलता है।