मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि राहुल की नागरिकता की रिपोर्ट केंद्र सरकार पेश नहीं कर पाई, साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल रिपोर्ट के इंतजार में याचिका को लंबित नहीं रखा जा सकता। जब भी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्राप्त होती है, तो याचिकाकर्ता को उसकी एक प्रति उपलब्ध कराएं और उसे कोर्ट में भी प्रस्तुत करें। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि यह मामला दो देशों के बीच की संवेदनशील जानकारी से जुड़ा है। संबंधित देश को कई रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है इसलिए कुछ और समय दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस याचिका की सुनवाई पूरी की जा रही है। याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता है कि वह नागरिकता से संबंधित किसी भी अन्य फोरम या कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। 21 अप्रैल को हुई सुनवाई में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडेय ने केंद्र की ओर से स्थिति रिपोर्ट पेश की, लेकिन कोर्ट ने उसे अपर्याप्त मानते हुए सख्त टिप्पणी की, “यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है, देरी नहीं चलेगी।” कोर्ट ने केंद्र से पूछा, “राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं? 10 दिन में स्पष्ट कीजिए।” राहुल गांधी की ओर से कोई वकील अदालत में पेश नहीं हुआ।
बता दें कि कर्नाटक के रहने वाले विग्नेश शिशिर ने याचिका दायर कर दावा किया है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी में डायरेक्टर रहते हुए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि दोहरी नागरिकता रखने वाला व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी। इससे पहले लखनऊ हाई कोर्ट में 24 मार्च को इस केस की सुनवाई की थी। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने 8 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर 21 अप्रैल सुनवाई की तारीख तय हुई थी। 19 दिसंबर, 2024 को जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडेय को केंद्रीय गृह मंत्रालय से जानकारी हासिल करने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट में बताया था कि उन्होंने यूके सरकार को लेटर लिखा है। यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि समय दिया जाए। पूरे मामले में क्या जांच हो रही है। इसकी पूरी रिपोर्ट आठ सप्ताह में तैयार करके पेश करें।