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‘राज’नीति : टीटी को टाटा

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

श्री करणपुर विधानसभा का उपचुनाव हारने के चलते राजस्थान में नए नवेले मंत्री बने सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को कार्यभार संभाले बिना ही मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। उनके सामने कांग्रेस के दिवंगत विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रुपिंद्र सिंह कुन्नर ने चुनाव लड़ा था। उप चुनाव जीतने से पहले ही भाजपा ने सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बनाकर चुनाव जीतने की चाल चल दी थी। श्रीकरणपुर के मतदाताओं ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी की मौत होने पर उनके पुत्र को चुनाव जिताकर विधानसभा में पहुंचा दिया है। भाजपा की प्रदेश में सरकार होने के बावजूद टीटी के चुनाव हार जाने से उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में पड़ गया है। पूर्व में श्रीकरणपुर से दो बार विधायक रह चुके टीटी, न विधायक बन सके और न मंत्री रह पाए। दोनों पद एक साथ चले गए। चर्चा है कि अब भाजपा जल्दी ही टीटी से टाटा करने वाली है।
यादवों में नाराजगी
राजस्थान की राजनीति में किसी भी पार्टी की सरकार हो यादव समाज के एक विधायक को मंत्री जरूर बनाया जाता है। हालांकि, इस बार भाजपा ने मंत्रिमंडल गठन के दौरान यादव समाज की उपेक्षा कर किसी को मंत्री नहीं बनाने से यादव समाज भाजपा से नाराज हो रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ़के टिकट पर डॉक्टर जसवंत यादव व बाबा बालकनाथ यादव समाज के दो विधायक चुनाव जीते हैं। डॉक्टर जसवंत यादव पूर्व में मंत्री व सांसद भी रह चुके हैं तथा वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं में शुमार होते हैं। बाबा बालकनाथ अलवर से सांसद रह चुके हैं तथा पहली बार विधायक बने हैं। विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद बालकनाथ का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे अधिक सुर्खियों में रहा था। उन्होंने अपनी एक चुनावी सभा में भाजपा सरकार बनने पर वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने की बात कही थी। उसके बाद से ही वह भाजपा आलाकमान की नजरों में खटक रहे हैं। चर्चा है अगले विस्तार में किसी एक यादव को मंत्री बनाया जाएगा।
गहलोत का विकल्प नहीं
राजस्थान में अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी के पर्याय बन गए हैं। गहलोत के बिना कांग्रेस की चर्चा करना भी बेमानी समझा जाता है। श्रीकरणपुर विधानसभा के उपचुनाव में गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रुपिंद्र सिंह कुन्नर को गहलोत के कहने पर ही प्रत्याशी बनाया गया था। गहलोत ने उपचुनाव में जमकर चुनाव प्रचार भी किया। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत से गहलोत खेमा मजबूत हुआ है। वैसे भी गहलोत ने अपने प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट को प्रदेश की राजनीति से बाहर कर दिया है। इसके बाद राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में उनका एकछत्र राज हो गया है। चर्चा है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक गहलोत प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोई फेरबदल नहीं चाहते हैं। उनका मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व उनकी टीम लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है। ऐसे में उन्हें बदलना ठीक नहीं रहेगा। कांग्रेस विधायक दल का नेता भी गहलोत की सहमति से ही बनाया जाएगा।
ब्यूरोक्रेसी में
बदलाव शुरू
राजस्थान में नई सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। सुधांश पंत को मुख्य सचिव बनाया जा चुका है, वहीं कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू के ही पुलिस महानिदेशक बनने की संभावना जताई जा रही है। अब तक ३७ जिलों के कलेक्टर बदले जा चुके हैं, वहीं पुलिस अधीक्षकों के ट्रांसफर की लिस्ट भी जल्दी ही आने वाली है। इसके साथ ही शासन सचिवों, पुलिस महानिरीक्षकों, उपमहानिरीक्षकों के पदों पर भी बड़े स्तर पर बदलाव होने वाला है। अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भाजपा विधायकों व संगठन से जुड़े नेताओं की सलाह से प्रशासनिक फेरबदल करने में लगे हैं, ताकि उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रशासन का साथ मिल सके। सरकार में वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए सरकारी कर्मचारियों को भी बदलना होगा, तभी प्रदेश के लोगों को सरकार बदलने का एहसास हो पाएगा। फील्ड पोस्टिंग में लगे उन कर्मचारी को हटाना होगा, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहतें हैं।)

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