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‘राज’नीति : किधर जाएंगे बेनीवाल

रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल आगामी लोकसभा चुनाव में किधर जाएंगे। इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं। २०१९ में बेनीवाल भाजपा के साथ मिलकर नागौर सीट से सांसद चुने गए थे। मगर किसान आंदोलन के चलते उन्होंने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ दिया था। उसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल अकेले ही करीबन ८० सीटों पर चुनाव लड़े थे। उनके सभी प्रत्याशी हार गए और अकेले हनुमान बेनीवाल ही खींवसर सीट से भाजपा के रेवतराम डागा को २०५९ वोटों से हरा पाए थे। विधानसभा में उनकी पार्टी को मिली करारी पराजय के बाद उनके तेवर ठंडे नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी को राजस्थान में २.३९ प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे। अपने गिरते जनाधार को लेकर हनुमान बेनीवाल चिंतित नजर आ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अंदरखाने उनकी अशोक गहलोत से ट्यूनिंग बैठ गई थी। इसी के चलते कांग्रेस ने उनको जिताने के लिए खींवसर से कमजोर उम्मीदवार तेजपाल मिर्धा को मैदान में उतारा था।

दिलावर की बयानबाजी
राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ काफी तीखे बयानों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने अकबर को अत्याचारी और बलात्कारी तक बता दिया है। दिलावर ने कहा है कि जब हम छात्र थे हमने पढ़ा कि अकबर महान था। लेकिन उसमें ऐसी कोई बात नहीं थी। अकबर एक आक्रमणकारी था और उसका हमारे देश के लोगों से कोई संबंध नहीं था। उसका नाम भारत में लेना एक पाप जैसा है। दिलावर के बयान पर राजस्थान में नया विवाद शुरू हो सकता है। मदन दिलावर ने कहा कि हमने पढ़ा कि अकबर महान था लेकिन वह मीना बाजार लगवाया करता था और वहां सुंदर लड़कियों और महिलाओं को चुनता था और उनके साथ बलात्कार करता था। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राजस्थान के स्कूलों में सूर्य नमस्कार को शुरू कराया जा रहा है। कुछ ही दिनों में सूर्य नमस्कार सभी विद्यालयों में नियमित हो जाएगा। १५ फरवरी को राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने को लेकर आदेश जारी किया गया था।

तबादलों का चक्कर
राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद अधिकारियों के लगातार तबादले हो रहे हैं। आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस जैसे बड़े पदों के अधिकारियों की कई तबादला लिस्ट जारी हो चुकी है, जिनमें उनके थोक में तबादले किए गए हैं। कई अधिकारियों के तो दो महीने में तीन-चार बार तबादले हो चुके हैं। अब तो अधिकारियों में चर्चा होने लगी है कि नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करते वक्त परिजनों को साथ मत ले जाओ, क्या पता उनका फिर तबादला हो जाए। राजस्थान में नई सरकार बनने के बाद विधायकों, मंत्रियों के मनपसंद अधिकारियों को लगाने की डिजायर आ रही है। मगर कार्मिक विभाग अभी पूरी तरह से अधिकारियों के पदस्थापन नहीं कर पाया है। तबादलों में अधिकारियों की निष्ठा पर पूरा फोकस रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित मंत्रियों के कार्यालय में तैनात अधिकारियों के भी कई बार तबादले हो चुके हैं। अधिकांश जिलों के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक भी बदले जा चुके हैं। पिछली सरकार में मुख्य पदों पर तैनात रहे अधिकारियों को साइड लाइन कर दिया गया है।

चर्चा में आरसीए अध्यक्ष पद
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष पद से वैभव गहलोत ने इस्तीफा दे दिया है। वैभव गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे हैं तथा पिछले ४ वर्षों से दो बार आरसीए के अध्यक्ष रहे हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उनके खिलाफ जिस तरह की कार्यवाही की जा रही थी, उससे क्षुब्ध होकर उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। वैभव गहलोत के इस्तीफा देने के बाद आरसीए में नए अध्यक्ष को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं। वह आरसीए के अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। वहीं पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ के बेटे पराक्रम सिंह राठौड़ भी चूरू जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बन चुके हैं। उनका नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है। चर्चा है कि राजस्थान में भाजपा के दो बड़े राजपूत नेताओं के बेटों में से आरसीए का अध्यक्ष वही बनेगा, जिसे पार्टी का समर्थन हासिल होगा।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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