सामना संवाददाता / मुंबई
ठाणे में ध्वनि प्रदूषण कई कारणों से काफी बढ़ गया है, जिनमें तेज हॉर्न, भारी ट्रैफिक जाम, निर्माण स्थलों से शोर और तेज आवाज में संगीत बजाना शामिल है। शहर के ३० प्रमुख चौराहों में से १४ स्थानों को खतरनाक घोषित किया गया है। विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि ठाणे निवासियों के कान के पर्दे फट जाएंगे, क्योंकि ध्वनि का डेसिबल स्तर सचमुच ७० से अधिक हो गया है। मनपा द्वारा जारी पर्यावरण रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
ठाणे शहर में बढ़ती आबादी के कारण विभिन्न स्थानों पर भीड़भाड़ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रिपोर्ट से पता चला है कि ठाणे निवासी विभिन्न कारणों से वस्तुत: बहरे होते जा रहे हैं, जैसे सार्वजनिक स्थानों पर ऊंची आवाज में बात करना, वाहनों का अनावश्यक हॉर्न बजाना तथा हर ५० मीटर पर निर्माण स्थल होना प्रमुख कारण है। यह पता चला है कि शांत क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों, वाणिज्यिक क्षेत्रों और यहां तक कि आवासीय क्षेत्रों में भी शोर का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
वैâडबरी जंक्शन, नितिन कंपनी, मुलुंड चेकपॉइंट, शास्त्रीनगर चेकपॉइंट, उपवन बस डिपो, गांवदेवी चेकपॉइंट, ब्रह्मांड, शीलफाटा, कल्याण फाटा, जांभली चेकपॉइंट, दिवा डंपिंग, कलवा सब्जी मार्वेâट, नौपाड़ा में अधिक ध्वनि प्रदूषण है।
ध्वनि की तीव्रता ७० डेसिबल से अधिक
यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि ध्वनि की तीव्रता ७० डेसिबल से अधिक हो तो यह मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि २०२४ में शोर की तीव्रता पिछले दो वर्षों २०२२ और २०२३ की तुलना में ६० से ७१.५ डेसिबल तक पहुंच गई है। इस बीच, यह कहा गया है कि मनपा के प्रदूषण विभाग को शहर में ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।