ब्रिजेश पाठक
पश्चिम रेलवे के गोरेगांव से बोरीवली के बीच हार्बर लाइन विस्तार का लॉलीपॉप मुंबईकरों को दे तो दिया गया है, लेकिन इस संदर्भ में अब तक कुछ खास काम नहीं हुआ है। ऐसा लग रहा है कि जैसे सरकारी बाबू इस प्रोजेक्ट की फाइल किसी अलमीरा में बंद कर दिए हैं जिस पर धूल की परत जम रही है। कुछ महीने पहले पश्चिम रेलवे की तरफ से इस सिलसिले में एक अधिसूचना जारी कर इस भूमि अधिग्रहण पर सुझाव व आपत्ति मांगी गई थी। उल्लेखनीय है कि हार्बर लाइन का विस्तार गोरेगांव से बोरीवली तक किया जाएगा, लेकिन अब तक इसे लेकर कोई खास चर्चा नहीं की गई है।
पश्चिम रेलवे के मुताबिक, इस परियोजना को अगस्त २०२४ में मंजूरी मिल गई थी। इसके तहत गोरेगांव से बोरीवली के बीच हार्बर लाइन का विस्तार करना है, जिसकी कुल दूरी ७ किमी होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत ८९४.१६ करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस परियोजना के लिए मालाड-ईस्ट, कांदिवली स्थित पोइसर और गोरेगांव सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगभग ३,००० वर्ग मीटर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। यही रेलवे के लिए चुनौती बन सकती है, क्योंकि निजी जमीन अधिग्रहण आसान नहीं होगा। इसके अलावा, मनपा के तहत आनेवाली जमीन लगभग ३०० वर्गमीटर की भी आवश्यकता होगी। ऐसे में पश्चिम रेलवे को निजी भूमि अधिग्रहण के लिए मुंबई कलेक्टर कार्यालय की मदद लेनी पड़ेगी। यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या निजी जमीन लोग आसानी से रेलवे को उपलब्ध करा देंगे या मामला लंबा खिंच सकता है। बता दें कि अभी हार्बर लाइन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से बोरीवली तक है, लेकिन डेडिकेटेड (समर्पित) ट्रैक केवल गोरेगांव तक उपलब्ध हैं। गोरेगांव के आगे, हार्बर लाइन की ट्रेनों को पश्चिमी लाइन के धीमी ट्रैक पर स्थानांतरित होना पड़ता है।