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डब्ल्यूटीसी टेबल सिस्टम पर सवाल … कोई टीम ६ मैच जीतकर टॉप पर कैसे?

साल २०१९ से आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाने के लिए आईसीसी ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत की थी। इसमें टॉप की ९ टीमों को अपनी पसंद की ६ टीमों से टेस्ट सीरीज दो साल के चक्र में खेलनी थी। इनमें तीन सीरीज घर पर और इतनी ही सीरीज टीमों को विदेश में खेलने का प्रस्ताव था। अगस्त २०१९ से इसकी शुरुआत एशेज के साथ हुई। कहा गया कि जो टीम पॉइंट्स टेबल में शीर्ष पर होगी, उसको डब्ल्यूटीसी फाइनल में खेलने का मौका मिलेगा। हालांंकि, इसके बाद कोरोना के कारण मैच और सीरीज कम हो गर्इं। कुछ वैंâसिल हो गर्इं। ऐसे में आईसीसी ने एक सिस्टम अपनाया कि जीत प्रतिशत के हिसाब से टीमें फाइनल में पहुंचेंगी। सबसे बड़ा सवाल इस टूर्नामेंट के फॉर्मेट को लेकर है, क्योंकि कोई टीम महज १२ मैच खेलती है और कोई टीम २२ मैच खेलती है। अगर जीत के हिसाब से भी देखा जाए तो मौजूदा डब्ल्यूटीसी पॉइंट टेबल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाली टॉप २ तो छोड़िए टॉप ४ में भी नहीं है। वहीं, महज१० मैच खेलकर उनमें से ६ मुकाबले जीतने वाली टीम शीर्ष पर है। साउथ अफ्रीका ने इस डब्ल्यूटीसी साइकिल में १० मैच खेले हैं और ६ जीते हैं। एक मैच टीम का ड्रॉ रहा है और तीन मैच गंवाए हैं। इस तरह साउथ अफ्रीका का जीत प्रतिशत सबसे ज्यादा है, लेकिन इसी साइकिल में इंग्लैंड की टीम अब तक २१ मैच खेल चुकी है और ११ मुकाबले जीत चुकी है, लेकिन टीम पांचवें नंबर पर है। साउथ अफ्रीका एक दिन पहले ही डब्ल्यूटीसी की रैकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया है। इंडिया ने १६ में से ९ मैच जीते हैं और टीम तीसरे नंबर पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि या तो आईसीसी को पॉइंट टेबल में बदलाव करने चाहिए, ताकि उन टीमों को नुकसान ना हो, जो ज्यादा मैच खेलती हैं।

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